Saturday 10 February 2024

अक्क महादेवी

 पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न

Monday 2 October 2023

पत्रकारिता के विविध आयाम

 

पत्रकारिता के विविध आयाम

 

प्रश्न 1.निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए –

(क) पूर्णकालिक पत्रकार

(ख) अंशकालिक पत्रकार

(ग) फ्रीलांसर यानी स्वतंत्र पत्रकार

उत्तर :(क) पूर्णकालिक पत्रकार-पूर्णकालिक पत्रकार किसी समाचार संगठन में काम करने वाला नियमित वेतन भोगी कर्मचारी होता है। उसको समय-समय पर मिलने वाली वेतन संबंधी सभी सुविधाएँ दी जाती हैं।

(ख) अंशकालिक पत्रकार-अंशकालिक पत्रकार को पूर्णकालिक पत्रकार की तरह सभी सुविधाएँ नहीं मिलतीं। अंशकालिक पत्रकार किसी समाचार संगठन के लिए एक निश्चित मानदेय पर काम करने वाला पत्रकार होता है। वह अपने काम के हिसाब से एक निश्चित राशि प्राप्त करता है।

(ग) फ्रीलांसर यानी स्वतंत्र पत्रकार-फ्रीलांसर या स्वतंत्र पत्रकार का संबंध किसी एक खास अखबार से नहीं होता है। वह भुगतान के आधार पर अलग-अलग अखबारों के लिए एक ही समय में लिखता है। उसका किसी एक अखबार के साथ अनुबंध न होकर स्वतंत्र रूप से लेखन कार्य करता है।

प्रश्न2.निम्नलिखित पर टिप्पणी कीजिए-(क) संपादकीय (ख) फोटो पत्रकारिता (ग) कार्टून कोना (घ) रेखांकन और कार्टोग्राफ
उत्तर :(क) संपादकीय – संपादकीय पृष्ठ को समाचारपत्र का सबसे महत्चपूर्ण पृष्ठ माना जाता है। इस पृष्ठ पर अखबार विभिन्न घटनाओं और समाचारों पर अपनी राय रखता है। इसे संपादकीय कहा जाता है। इसके अतिरिक्त विषयों के विशेषज़ महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार लेख के रूप में प्रस्तुत करते हैं। आमतौर पर संपादक के नाम पत्र भी इसी पृष्ठ पर प्रकाशित किए जाते हैं। वह घटनाओं पर आम लोगों पर आम लोगों की टिप्पणी होती है। समाचारपत्र उसे महत्वपूर्ण मानते हैं।

(ख) फोटो पत्रकारिता – फोटो पत्रकारिता ने उपाई की टेक्नॉलोजी विकसित होने के साथ ही समाचारपत्रों में अहम स्थान बना लिया है। कहा जाता है कि जो बात हज़ार शब्दों में लिखकर नहीं कही जा सकती, वह एक तस्वीर कह देती है। फोटो टिप्पणियों का असर व्यापक और सीधा होता है। टेलीविजन की बढ़ती लोकप्रियता के बाद समाचारपत्रों और पत्रिकाओं में तस्वीरों के प्रकाशन पर जोर और बढ़ा है।

(ग) कार्टून कोना – कार्टून कोना लगभग हर समाचारपत्र में होता है और उनके माध्यम से की गई सटीक टिप्पणियाँ पाठक को छूती हैं। एक तरह से कार्टून पहले पन्ने पर प्रकाशित होने वाले हस्ताक्षरित संपादकीय हैं। इनकी चुटीली टिप्पणियाँ कई बार कड़े और धारदार संपादकीय से भी अधिक प्रभावी होती हैं।

(घ) रेखांकन और कार्टोग्राफ – रेखांकन और कार्टोग्राफ़ समाचारों को न केवल रोचक बनाते हैं बल्कि उन पर टिप्पणी भी करते हैं। क्रिकेट के स्कोर से लेकर सेंसेक्स के आँकड़ों तक–ग्राफ से पूरी बात एक नज़र में सामने आ जाती है। कार्टोग्राफ का उपयोग समाचारपत्रों के अलावा टेलीविजन में भी होता है।

Wednesday 15 February 2023

छात्रोपयोगी सहायक सामग्री

 

         

छात्रोपयोगी सहायक सामग्री

                 कक्षा बारहवीं

             हिंदीआधार(2022-23)

 

 

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           केन्द्रीय विद्यालय संगठन,

                 भुवनेश्वर संभाग

 

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The students’ support material is a product of an inhouse academic exercise undertaken by our subject teachers under the supervision of subject expert.

 

The material has been developed keeping in mind latest CBSE curriculum and question paper design. Care has been taken to include only those items that are relevant considering the needs of the students for final examination.

 

The material consists of lessons in capsule form, mind maps, key points, question bank of very short, short and long answer type questions, case study based questions only with model sample papers. It covers all essential components that are required for effective revision of the subject.

 

         I hope this material will prove to be a good tool for quick revision and will serve the purpose of enhancing students’ confidence level to help them perform better.

 

 

                               BEST OF LUCK                      Dr.Shiharan

प्राक्कथन

 

अत्यंत हर्ष का विषय है कि कक्षा बारहवीं हिंदी आधार के लिए यह सहायक सामग्री तैयार की गई है। कोरोना महामारी के कारण विद्यार्थियों की अधिगम क्षमता में कमी आई है,  विशेषकर भाषा विषय के लेखन आदि पर बुरा प्रभाव पड़ा है।अब हम महामारी के बुरे दौर से निकल चुके हैं और अध्ययन- अध्यापन प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है। बारहवीं के विद्यार्थियों को बोर्ड परीक्षा देने का अनुभव नहीं मिल पाया है अतः वे अधिक तनाव महसूस कर रहे हैं।

 

कुछ समय पश्चात बोर्ड परीक्षा आरंभ होने वाली है,  ऐसे समय में हिन्दी के विद्यार्थियों के सहायतार्थ यह सहायक सामग्री तैयार की गई है। इस सामग्री को तैयार करते समय सीबीएसई के प्रश्नपत्र प्रारूप और विद्यार्थियों के स्तर का ध्यान रखा गया है।

 

हमें विश्वास है कि यह सहायक सामग्री विद्यार्थियों के लिए अधिक सहायक होगी और उन्हें तनाव मुक्त करेगी।

 

समस्त विद्यार्थियों को शुभकामनाएँ

मार्गदर्शक

डॉ. शिहरन बोस

उपायुक्त

केन्द्रीय विद्यालय संगठन, क्षेत्रीय कार्यालय, भुवनेश्वर

 

संयोजक

श्री मनीष कुमार श्रीवास्तव

प्राचार्य, केन्द्रीय विद्यालय क्र. 4 भुवनेश्वर

 

समन्वयक

डॉ.रवीन्द्रकुमारदुबे

स्नातकोत्तर शिक्षक (हिन्दी)

केन्द्रीय विद्यालय क्र. 1 (द्वितीयपारी) भुवनेश्वर

 

सामग्रीनिर्मात्रीसमूह

 

1.                     श्रीमतीप्रणतिसुबुद्धि, स्नातकोत्तरशिक्षिका (हिन्दी), के.वि. क्र.1(प्रथमपारी) भुवनेश्वर

2.                     डॉ. ज्योत्स्नाप्रियाबेहेरा, स्नातकोत्तरशिक्षिका (हिन्दी) केन्द्रीयविद्यालयक्र. 1, अनुगुल

3.                     श्रीएस. के. पाण्डेय, स्नातकोत्तरशिक्षक (हिन्दी) केन्द्रीयविद्यालयक्र. 1, बालेश्वर

4.                     श्रीपुष्पध्वजनायक, स्नातकोत्तरशिक्षक (हिन्दी) केन्द्रीयविद्यालय, भवानीपटना

5.                     श्रीसहदेवमाझी, स्नातकोत्तरशिक्षक (हिन्दी) केन्द्रीयविद्यालयक्र. 2, भुवनेश्वर

6.                     श्रीमतीश्रद्धाआचार्य, स्नातकोत्तरशिक्षिका (हिन्दी) केन्द्रीयविद्यालयक्र. 6, भुवनेश्वर

7.                     सुश्रीजे.पी.किंडो, स्नातकोत्तरशिक्षिका (हिन्दी) केन्द्रीयविद्यालय, बंडामुंडा

8.                     श्रीसंतोषकुमारशर्मा, स्नातकोत्तरशिक्षक (हिन्दी) केन्द्रीयविद्यालय, आईएनएसचिल्का

9.                     श्रीमुरलीधर, स्नातकोत्तरशिक्षक (हिन्दी) केन्द्रीयविद्यालय, गजपति

10.                श्रीनाहरसिंहमीणा, स्नातकोत्तरशिक्षक (हिन्दी) केन्द्रीयविद्यालय, कंधमाल

11.                श्रीलिछमनराम, स्नातकोत्तरशिक्षक (हिन्दी) केन्द्रीयविद्यालय, कोरापुट

12.                श्रीराकेशकुमारयादव, स्नातकोत्तरशिक्षक (हिन्दी) केन्द्रीयविद्यालय, मलकानगिरि

13.             श्रीपुरुषोत्तमसाहु, स्नातकोत्तरशिक्षक (हिन्दी) केन्द्रीयविद्यालय, एनएडीसुनाबेड़ा

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भाग

विषय

अंक वितरण

कुल अंक

खंड अ - वस्तुपरक प्रश्न

अपठित बोध

अपठित गद्यांश

10

15

अपठित पद्यांश

05

अभिव्यक्ति और माध्यम
(
पाठ संख्या 3, 4 तथा 5)

बहुविकल्पात्मक

05

05

साहित्य - आरोह

पठित काव्यांश

05

20

पठित गद्यांश

05

साहित्य - वितान

बहुविकल्पी प्रश्न

10

 

खंड ब - वर्णात्मक प्रश्न

अभिव्यक्ति और माध्यम
(
पाठ संख्या 3, 4, 5, 11, 12, 13)

रचनात्मक लेखन

06

20

नाट्य रुपांतर्ण/ रेडियो नाटक/ अप्रत्याशित विषय पर लेखन

06

समाचार लेखन/ फीचर लेखन/ आलेख लेखन

08

साहित्य - आरोह

पठित काव्यांश

06 + 04

20

पठित गद्यांश

06 + 04

 

आंतरिक मूल्याङ्कन
(INTERNAL ASSESSMENT)
श्रवण तथा वाचन (10) + परियोजना कार्य (10)

20

 

TOTAL

100

 

 

 

 

 

 

अपठित गद्यांश -1

किसी देश राष्ट्र अथवा जाति को देश के भौतिक संसाधन तब तक समृद्ध नहीं बना सकते जब तक कि वहाँ के निवासी  संसाधनों का दोहन करने  के लिए अथक परिश्रम नहीं करते हैं | किसी भूभाग की मिट्टी कितनी ही उपजाऊ क्यों न हो, गुड़ाई – निराई, जुताई सिंचाई,  बुआई जब तक विधिवत परिश्रम पूर्वक उसमें  नहीं होगी | अच्छी फसल प्राप्त नही हो सकती | किसी किसान को कृषि संबंधी अत्याधुनिक कितनी ही सुविधाएं उपलब्ध करा दीजिए | यदि उसके उपयोग में लाने के लिए समुचित श्रम नहीं होगा | उत्पादन क्षमता में वृद्धि संभव नहीं है|

परिश्रम से रेगिस्तान में भी अन्न उगने लगते हैं, हमारे देश की स्वतन्त्रता के पश्चात हमारे प्रगति की द्रुतिगति भी हमारे श्रम का ही फल है | भाखड़ा नांगल का विशाल बाँध हो या युवा श्री हरीकोटा के राकेट प्रक्षेपण केंद्र की रोकथाम के लिए 19 हरित क्रान्ति की सफलता हो या कोविड टीका तैयार करना प्रत्येक सफलता हमारे श्रम का ही परिणाम है तथा प्रमाण भी | जीवन में सुख की अभिलाषा सभी को रहती है | बिना श्रम किए भौतिक संसाधनों को जुटाकर जो सुख प्राप्त करने के फेर में है, वह अंधकार में है | उसे वास्तविक और स्थायी शांति नहीं मिलती है | गांधी जी तो कहते थे कि जो बिना श्रम किए भोजन ग्रहण करता है वह चोरी का अन्न खाता है | ऐसी सफलता मन को शांति देने के बजाए उसे व्यथित करेगी | परिश्रम से दूर रहकर और सुखमय जीवन व्यतीत करने वाले विद्यार्थी को ज्ञान  प्राप्त होगा | हवाई किले तो सहज ही बन जाते हैं लेकिन वे हवा के झोंकों से सहज ही ढह जाते हैं | मन में मधुर कल्पनाओं के सँजोने मात्र से किसी कार्य की सिद्धि के लिए उद्यम और सतत उद्यम आवश्यक है | तुलसी दास जी ने सत्य ही कहा है _ सकल पदारथ हैं जग माहीं करमहीन नर पावत नाहीं | अर्थात इस दुनियाँ में सारी चीजें हासिल की जा सकती हैं लेकिन वे कर्महीन व्यक्ति को कभी नहीं मिलती है | अगर आप भविष्य की सफलता की फसल काटना चाहते हैं तो आपको उसके लिए बीज आज ही बोने होंगे, आज बीज नहीं बोएगें  तो भविष्य में फसल काटने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं ? पूरा संसार कर्म और फल के सिद्धान्त पर चलता है इसलिए कर्म की तरफ आगे बढ़ना होगा | यदि सही मायनों में सफल होना चाहते हैं तो कर्म में जुट जाए और तब तक जुटे रहे जब तक कि सफल न हो जाएँ | अपना एक – एक मिनट अपने लक्ष्य को समर्पित कर दें | काम में जुटने से आपको वह हर वस्तु मिलेगी जो आप पाना चाहते हैं – सफलता, सम्मान, धन, सुख, या जो भी आप चाहते हो |

1-  गद्यांश में परिश्रम को कल्पवृक्ष के समान बताया गया  है ?

(1)   भौतिक संसाधन जुटाए जाते हैं |

(ख)परिश्रमी व्यक्ति वृक्ष के समान उपकारी होता है |

     (ग)इच्छा दमन करने का बल प्राप्त होता है |

     (घ)व्यक्ति के इच्छाओं की पूर्ण पूर्ति संभव है |

2-  गद्यांश में अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए कहे गए कथन से स्पष्ट होता है कि –

(1)   भौतिक संसाधनों का दोहन करना अवाश्यक है |

(2)   संसाधनों की तुलना में परिश्रम की भूमिका अधिक है |

(3)   ज्ञान प्राप्त करने के लिए परिश्रम आवश्यक है |

(4)   सिचाई, बुवाई ,निराई विधिवत रूप से आवश्यक है |

3-  हमारे सफलता का परिणाम और प्रमाण क्या है ?

(1) हरित क्रान्ति की सफलता

(ख)कोविड टीका तैयार करना a8818afe

(2) दोनों

(3) सभी गलत 

4-  भारत के परिश्रम के प्रमाण क्या – क्या बताए गए हैं ?

(1)   बांध ,कोविड -19, की रोकथाम का टीका, प्रक्षेपण केंद्र

(2)    कोविड -19 की रोकथाम का टीका , प्रक्षेपण केंद्र ,रेगिस्तान

(3)   बाँध , कोविड -19 की रोकथाम का टीका,प्रक्षेपण केंद्र, हवाई पट्टियों का निर्माण

(4)   वृक्षारोपण, कोविड -19 की रोकथाम का टीका , प्रक्षेपण केंद्र

5-  हवाई किले तो सहज ही बन जाते हैं, लेकिन ये हवा के हल्के झोंके से ढह जाते हैं | इस कथन के द्वारा लेखक कहना चाहता है कि –

(1)   तेज़ चक्रवाती हवाओं से आवासीय परिसर नष्ट हो जाते हैं |

(2)   हवा का रुख अपने पक्ष में परिश्रम से किया जा सकता है |

(3)   कई कल्पनाओं को सदैव सँजोकर रखना असंभव है |

(4)   परिश्रमहीनता से वैक्तिक उपलब्धि नितांत असंभव

(5)    

6-  सतत उद्यम से क्या तात्पर्य है ? –

(क)निरंतर तपता हुआ उद्यम

(ख) निरंतर परिश्रम करना

(ग) सतत उठते जाना

(घ) ज्ञान का सतत उद्यम

    7-  किस अवस्था में प्राप्त सफलता मन को व्यथित करेगी ?

(1)   सकल पदार्थ द्वारा प्राप्त करने पर

(2)   भौतिक संसाधनों द्वारा प्राप्त करने पर

(3)   दूसरों द्वारा किए गए अथक प्रयासों से                              

(4)   आसान व श्रमहीन तरीके से प्राप्त करने पर

8-    स्वतन्त्रता शब्द में उपसर्ग और प्रत्यय अलग करने पर होगा –

(1)   स्व +तंत्र +ता     

(2)    सु +तंत्र +ता

(3)   स +वतंत्र +ता

(4)   सभी गलत

9-    समुचित शब्द का अर्थ होगा –

(1)   उपर्युक्त

(2)   उपयुक्त

(3)   उपभोक्ता

(4)   उपक्रम

10- गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक है –

(1)   परिश्रम और स्वतन्त्रता

 (ख)परिश्रम और सफल जीवन का आधार

          (ग)परिश्रम और कल्पना

          (घ)परिश्रम कल्पना की उड़ान

 

उत्तरमाला - 1-(घ) व्यक्ति के इच्छाओं की पूर्ण पूर्ति संभव है |

   2-(घ) सिचाई, बुवाई ,निराई विधिवत रूप से आवश्यक है |

   3-(ग) दोनों सही

          4- (क)बांध ,कोविड -19, की रोकथाम का टीका, प्रक्षेपण केंद्र

          5-(घ) परिश्रमहीनता से वैक्तिक उपलब्धि नितांत असंभव

          6-(ख) निरंतर परिश्रम करना

          7-(घ) आसान व श्रमहीन तरीके से प्राप्त करने पर

          8-(क) स्व +तंत्र +ता     

          9-(ख) उपयुक्त

          10-(ख) परिश्रम और सफल जीवन का आधार

 

अपठित गद्यांश -2

 

विज्ञान प्रकृति को जानने का महत्त्वपूर्ण साधन है | भौतिकता आज आधुनिक वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति का स्तर निर्धारित करती है | विज्ञान केवल सत्य, अर्थ और प्रकृति प्रकृति के बारे में उपयोगी ही नहीं बल्कि प्रकृति के खोज का एक क्रम है | विज्ञान प्रकृति को जानने का एक महत्त्वपूर्ण साधन है | यह प्रकृति को जानने के विषय में हमें महत्त्वपूर्ण और विश्वसनीय ज्ञान देता है | व्यक्ति जिस बात पर विश्वास करता है वही उसका ज्ञान बन जाता है | कुछ लोगों के पास अनुचित ज्ञान होता है और वह उसी ज्ञान को सत्य मानकर उसके अनुसार काम करते हैं | वैज्ञानिकता और आलोचनात्मक विचार उस समय जरूरी होते हैं | जब विश्वसनीय ज्ञान पर आधारित हो | वैज्ञानिक और आलोचक अक्सर तर्कसंगत विचारों का प्रयोग करते हैं | तर्क हमें उचित सोंचने पर प्रेरित करते हैं | कुछ लोग तर्कसंगत विचारधारा नहीं रखते क्योंकि उन्होने कभी तर्क करना जीवन में सीखा ही नहीं होता | प्रकृति वैज्ञानिक और कवि दोनों की उपास्या है | दोनों ही उससे निकटतम संबंध स्थापित करने की चेष्टा करते हैं ,किन्तु दोनों के दृष्टिकोण में अंतर है | वैज्ञानिक प्रकृति के बाल्य  रूप का अवलोकन करता है और सत्य की खोज करता है परंतु कवि बाह्य रूप पर मुग्ध होकर उससे भावों का तादात्मय स्थापित करता है | वैज्ञानिक प्रकृति की जिस वस्तु का अवलोकन करता है, उसका सूक्षम निरीक्षण भी करता है | चंद्र को देखकर उसके मन में अनेक विचार उठते हैं उसका तापक्रम क्या है?ज्वार और भाटे पर उसका क्या प्रभाव पड़ता है |किस प्रकार और किस गति से वह सौर मण्डल में  परिक्रमा करता है और किन तत्वों से उसका निर्माण हुआ है | वह अपने सूक्ष्म  निरीक्षण और अनवरत चिंतन से उसको एक लोक ठहरता है और उस लोक में स्थित ज्वालामुखी पर्वतों तथा जीवन धारियों की खोज करता है | इसी प्रकार वह एक प्रफुल्लित पुष्प को देखकर उसके प्रत्येक अंग का विश्लेषण करने को तैयार हो जाता है | उसका प्रकृति विषयक अध्ययन वस्तुगत होता है | उसकी दृष्टि में विश्लेषण और वर्ग विभाजन की प्रधानता रहती है | वह सत्य और वास्तविकता का पुजारी होता है | कवि की कविता भी प्रत्यक्षावलोकन से प्रस्फुटित होती है वह प्रकृति के साथ अपने भावों का संबंध स्थापित करता है | वह उसमें मानव चेतना का अनुभव करके उसके साथ अपने आंतरिक भावनाओं का समन्वय करता है | वह तथ्य और भावना के संबंध पर बल देता है | उसका वस्तु वर्णन हृदय की प्रेरणा का परिणाम होता है | वैज्ञानिक की भाँति मस्तिष्क की यांत्रिक प्रक्रिया नहीं | कवियों द्वारा प्रकृति चित्रण का एक प्रकार ऐसा है जिसमें प्रकृति का मानवीकरण कर लिया जाता है | अर्थात प्रकृति के तत्वों को मानव ही मान लिया जाता है | प्रकृति में मानवीय क्रियाओं का आरोपण किया जाता है | हिन्दी में इस प्रकार का प्रकृति चित्रण छायावादी कवियों में पाया जाता है | इस प्रकार प्रकृति चित्रण में प्रकृति सर्वथा गौण हों जाती है | इसमें  प्राकृतिक – वस्तुओं के नाम तो रहते हैं परंतु झंकृत चित्रण मानवीय भावनाओं का ही होता है | कवि लहलहाते पौधे का चित्रण न कर खुशी से झूमते हुए बच्चे का चित्रण करने लगता है |

1-    विज्ञान प्रकृति को जानने का एक महत्त्वपूर्ण साधन है क्योंकि वह –

(1)   समय ज्ञान के साथ तादात्म्य स्थापित करता है

(2)   प्रकृति आधुनिक विज्ञान की उपास्या है

(3)   महत्त्वपूर्ण और विश्वसनीय ज्ञान प्रदान करता है

(4)   आधुनिक वैज्ञानिक का स्तर निर्धारित करता है

2-    वैज्ञानिक प्रकृति के वाह्य रूप का अवलोकन करते हैं यह कथन दर्शाता है कि वे-

(1)   कवियों की तुलना में अधिक श्रेष्ठ हैं

(2)   ज्वार भाटे के परिणाम से बचना चाहते है

(3)   वर्ग विभाजन के पक्षधर बने रहना चाहते हैं

(4)   प्रकृति से अविदूर रहने का प्रयास करते हैं |

3-    सूक्ष्म निरीक्षण और अनवरत चिंतन से तात्पर्य है –

(1)   सौरमण्डल को एक लोक और परलोक ठहराना

(2)   छोटी -छोटी बातों पर चिंता करना

(3)   बारीकी से सोंचना और निरंतर देखना

(4)   बारीकी से देखना और निरंतर सोचना 

4-    कौन अनवरत चिंतन करता है ?

(1)   सूक्ष्मचारी              

(2)   विज्ञानोपासक

(3)   ध्यानविलीन योगी

(4)   अवसादग्रस्त व्यक्ति

5-    कौन वास्तविकता का पुजारी होता है ?

(1)   यथार्थवादी

(2)   काव्यवादी

(3)   प्रकृतिवादी

(4)   विज्ञानवादी

6-    कवि की कविता किससे प्रस्फुटित होती है ?

(1)   विचारों के मंथन से

(2)   प्रकृति के साक्षात दर्शन से

(3)   भावनाओं की ऊहापोह से

(4)   प्रेम की तीव्र इच्छा से

7-    कवि के संबंध में इनमें से सही तथ्य है –

(1)   ज्वालामुखी के रहस्य जानता है

(2)   जीवधारियों की खोज करता है

(3)   सत्य का उपासक नहीं होता

(4)   प्रफुल्लित पुष्प का अध्ययनकर्ता

8-    ‘इत’ प्रत्यय युक्त शब्द कौन- सा है ?

(1)   झंकृत

(2)   नित

(3)   ललित

(4)   उचित

9-    उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक है –

(1)   कवि की  सोंच और वैज्ञानिकता

(2)   प्रकृति का उपासक -कवि और  वैज्ञानिक

(3)   वैज्ञानिक उन्नति और काव्य जगत

(4)   वैज्ञानिक दृष्टिकोण -अतुलनीय

10- प्रकृति का मानवीकरण दर्शाता है –

(1)   कल्पना प्रधान व  भावोन्मेशयुक्त कविता रची जा रही है

(2)   मानवीयकरण अलंकार का दुरुपयोग हो रहा है

(3)   प्रकृति व मानव के सामंजस्य से उचित दीप्ति फैल रही है |

(4)   मानव द्वारा प्रकृति का संरक्षण हो रहा है

उत्तरमाला –

1-    (ग) महत्त्वपूर्ण और विश्वसनीय ज्ञान प्रदान करता है

   2-(घ) प्रकृति से अविदूर रहने का प्रयास करते हैं |

   3-(घ)बारीकी से देखना व निरंतर सोंचना

   4-(ख) विज्ञानोपासक

   5-(घ) विज्ञानवादी

   6-(ख)प्रकृति के साक्षात दर्शन

   7-(घ)प्रफुल्लित पुष्प का अध्ययनकर्ता

   8-(घ) नित

   9-(क)कवि की सोंच और वैज्ञानिकता

   10-(ख) मानवीयकरण अलंकार का दुरुपयोग हो रहा है

 

अपठित गद्यांश -3

भारतीय दर्शन सिखाता है कि जीवन का एक आशय और लक्ष्य है | उस आशय की खोज हमारा दायित्व है और अंत में उस  लक्ष्य को प्राप्त कर लेना हमारा विशेष अधिकार है | इस प्रकार दर्शन जो कि आशय को उद्घाटित करने की कोशिश करता है और जहाँ तक उसे इसमें सफलता मिलती है ,वह इस लक्ष्य तक अग्रसर होने की प्रक्रिया है | कुल मिलाकर आखिर यह लक्ष्य क्या है ? इस अर्थ में यथार्थ में दर्शन के अनुसार लक्ष्य की प्राप्ति वह है , जिसमें लक्ष्य पा लेना या उसके विषय में केवल जानना नहीं है बल्कि उसी का अंश हो जाना है | इस उपलब्धि में बाधा क्या है ? बाधाएँ कई हैं पर इनमे प्रमुख है अज्ञान | अशिक्षित आत्मा नहीं है , यहाँ तक कि यथार्थ संसार भी नहीं है | यह दर्शन ही है जो उसे शिक्षित करता है और अपने अज्ञान से उसे मुक्ति दिलाता है | इस प्रकार एक दार्शनिक होना एक बौद्धिक अनुगमन करना नहीं है, बल्कि एक शक्तिप्रद अनुशासन पर चलना है क्योंकि सत्य की खोज मे लगे हुए सही दार्शनिक को अपने जीवन को इस प्रकार आचरित करना पड़ता है ताकि उस का उस यथार्थ से एकाकार हो जाए जिसे वह खोज रहा है | वास्तव में यही जीवन का सही मार्ग है | सभी दार्शनिकों को इसका पालन करना होता है | दार्शनिक ही नहीं हम मनुष्यों को भी इसी मार्ग का अनुसरण करना चाहिए |

1-    भारतीय दर्शन सिखाता है –

कथन पढ़कर सही विकल्प का चयन कीजिए –

कथन

(i)             जीवन का एक ल्क्ष्य और उद्देश्य है

(ii)            लक्ष्य की खोज करना हमारा कर्तव्य है

(iii)          अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेना हमारा अधिकार है

(iv)          सत्य की खोज मे लगे रहना

विकल्प – (क) कथन (i) व (ii) सही है |            (ख)  कथन (ii) व (iii) सही है

        (ग)कथन (i),(ii)तथा (iii) सही है |         (घ) कथन (i),(ii),(iii)व (iv) सही है |

 (2) भारतीय दर्शन के अनुसार लक्ष्य की प्राप्ति होने का क्या अभिप्राय है ?

   (क) लक्ष्य के विषय में जानना      (ख) लक्ष्य को पा लेना

   (ग) लक्ष्य का ही अंश हो जाना      (घ) इनमे से कोई नहीं

(3) दार्शनिक होने का क्या अभिप्राय है ?

  (क) हर समय भक्ति- भाव में लीन रहना     (ख) एक शक्तिप्रद अनुशासन का पालन करना

  (ग)अपने लक्ष्य की खोज में लगे रहना        (घ) दूसरों को धर्म का उपदेश देना

(4) लक्ष्य प्राप्ति में प्रमुख बाधा क्या है ?

   (क) हमारा आलस्य                     (ख) हमारा शिक्षित होना

  (ग) ज्ञान का अभाव या अज्ञान            (घ) इनमें से कोई नहीं

(5) कथन (A) और कारण (R) को पढ़कर उपयुक्त विकल्प चुनिए –

 कथन (A)- दार्शनिक होना ,एक शक्तिप्रद अनुशासन पर चलना है |

 कथन (R) दार्शनिक अपने जीवन को यथार्थ से एकाकार करता है |

(1)   कथन (A) गलत है, किन्तु कारण (R) सही है |

(2)   कथन (A) और कारण (R) दोनों ही गलत  है |

(3)   कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है |

(4)   कथन (A) सही है, किन्तु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है |

6-आशय को उद्घाटित करने की कोशिश कौन करता है ?

(1)   दर्शन    (ख) मनुष्य    (ग) संसार   (घ)  सभी गलत

7-  दार्शनिक शब्द में  प्रयुक्त मूल शब्द और प्रत्यय क्या है ?

(1)   दार्शन +इक                      (ख)  दर्शन +इक

(ग)दर्श + अनिक                     (घ) सभी गलत

   8- दार्शनिक होना है – 

(1)    बौद्धिक अनुगमन करना             (ख) एक शक्तिप्रद अनुशासन पर चलना है

(2)   दोनों                         (घ) सभी गलत

9-अनुगमन शब्द मे प्रयुक्त उपसर्ग होगा –

(1)   अनु                                           (ख)     

(ग)मन                                         (घ)सभी गलत

10- प्रस्तुत गद्य का उचित शीर्षक होगा –

(1)   जीवन का आशय और लक्ष्य                   (ख)  भारतीय दर्शन की विशेषता 

  (ग)मार्ग का अनुसरण                            (घ) सभी गलत   

 

उत्तरमाला – (1) विकल्प (घ) सही है |

         (2) विकल्प(ख) सही है |

         (3) विकल्प(ख) सही है |

         (4) विकल्प (ग) सही है |

         (5) विकल्प (ग) सही है |

         (6) (क) दर्शन 

         (7) (ख)  दर्शन +इक

         8- (ख) एक शक्तिप्रद अनुशासन पर चलना है

         9-(क)  अनु 

         10-(ख)  भारतीय दर्शन की विशेषता 

 

                             पठितगद्यांश -4

अपने कार्य को आप ही करना स्वावलंबन कहलाता है | बालक जब होश संभालता है, अपने निजी कार्य स्वयं करने लगता है | इसी प्रकार यदि मनुष्य जीवन की किसी भी स्थिति में अपना कार्य स्वयं करे , तो वह स्वावलंबी कहलाता है | स्वावलंबी होना नागरिकता का महान गुण है | कहते हैं कि एक दिन प्रसिद्ध विद्वान ईश्वर चंद्र विद्यासागर रेलवे स्टेशन के बाहर खड़े थे | तभी भीतर से एक व्यक्ति हाथ में एक छोटा बक्सा लिए हुए उनके पास आया | उन्हें साधारण वेश में देखकर भूल से कुली समझ बैठा और बोला ,”मेरा सामान ले चलोगे ? ईश्वर चंद्र बिना कुछ बोले उसका सामान उठाकर चल दिए | लक्ष्य पर पहुँचकर जब वह उन्हें मजदूरी देने लगा तो वे बोले –“ मजदूरी नहीं चाहिए | तुम अपना काम स्वयं नहीं कर सकते ,इसलिए मैंने तुम्हारी सहायता कर दी है |’ व्यक्ति लज्जित हुआ | जब उसे यह पता चला कि उनका कुली बंगाल का प्रसिद्ध विद्वान है तो वह उनके पाँव में गिर पड़ा | अपना कार्य आप करने की सौगंध ली | तात्पर्य यह है कि कोई कितना भी बड़ा अधिकारी, साहूकार या धनवान क्यों न हो, उसे स्वावलंबी बनाना चाहिए |  आप डॉक्टर या इंजीनियर बनना चाहते हैं , व्यापारी या नेता बनना चाहते हैं – स्वावलंबन सबके लिए अनिवार्य है | बड़ा बनने के लिए मार्ग मे अनेक बाधाएँ आती हैं | यदि उनके कारण हम निराश हो जाएँ, संघर्ष से जी चुराएँ या मेहनत से दूर रहें तो भला हमें बड़प्पन कहाँ से मिलेगा | भारत के स्वर्गीय प्रधान मंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री का नाम सुना होगा जिन्होंने सन् 1965 में भारत -पाकिस्तान युद्ध में देश का नेतृत्व किया था | देश को विजयी बनाया था और जनता को ‘जय जवान, जय किसान,’ के प्रेरणावर्धक शब्द दिए थे | वे बड़े  निर्धन परिवार से संबन्धित थे | नदी पार स्कूल में जाने के लिए मौका वाले को पैसे भी नहीं दे सकते थे , किन्तु उनमें आलस्य नहीं था | अत: प्रतिदिन तैरकर नदी पार करते थे | उन्होने निराशा को कभी मन में नहीं आने दिया था | इसी मेहनत और स्वावलंबन का परिणाम था कि वे प्रधानमंत्री बनें | जब वे प्रधानमंत्री थे ,तब भी वे चपरासियों और अलहकारों पर आश्रित नहीं रहते थे | अपने यहाँ का कोई भी काम उन्हें छोटा नहीं लगता था | डॉक्टर बनकर यदि आप रोगी की आंशिक देखभाल करें, इंजीनियर बनकर दूसरों पर हुक्म चलाएं अथवा व्यापारी बनकर अपना हिसाब -किताब स्वयं न देखे, तो व्यवसाय डूबेगा ही, आपको भी डूबना होगा | दूसरों से कार्य लेते समय भी स्वयं सक्रिय रहना सफलता की प्रथम सीढ़ी है |

 

1-     किससे हमे बड़प्पन नहीं मिलता है –

(1)   संघर्ष से जी चुराने पर     (ख) मेहनत से दूर भागने पर

(ग)दोनों                    (घ) सभी गलत

   2- प्रतिदिन शब्द में प्रयुक्त समास का नाम क्या होगा ?

(1)   तत्पुरुष  समास                     (ख)  बहुब्रीहि समास  

(ग)द्वंद्व  समास                       (घ))  सभी गलत

   3- जनता को जय जवान ,जय किसान का नारा किसने दिया था ?

(1)   जवाहरलाल नेहरू ने                   (ख) महात्मा गांधी ने

(ग)लालबहादुर शास्त्री जी ने                (घ) सभी सही

    4- निराशा शब्द में मूल शब्द और उपसर्ग अलग कीजिए –

(1)   नीरा +आशा                         (ख) निर +आशा 

     (ग)निराश +आ                          (घ) सभी गलत

     5- स्वावलंबी होना लेखक के अनुसार क्या है ?

(1)   नागरिकता का महान गुण             (ख) व्यक्ति की अप्रतिम पहचान 

(2)   दोनों                              (घ) सभी गलत 

    6- लाल बहादुर शास्त्री जी का प्रधानमंत्री बनना किसका परिणाम था ?

(1)   मेहनत का                           (ख) स्वावलंबन का   

(ग)दोनों                                (घ) इच्छा का

7- लालबहादुर शास्त्री स्कूल कैसे जाते थे ?

(1)    नाव पर बैठकर                     (ख) नदी को पार करते हुए 

(ग)नदी को तैरकर                       (घ) सभी गलत

  8- निम्न मे से क्या स्थितियाँ हैं जब व्यक्ति का अपना व्यवसाय डूब जाता है –

(1)    डॉक्टर बनकर मरीज की आंशिक देखभाल करने से

(2)   इंजीनियर बनकर केवल दूसरों पर हुक्म चलाने से

(3)   अपना हिसाब किताब न रखने से

(4)   उपर्युक्त सभी

9-कथन और कारण पर आधारित प्रश्न का उत्तर दीजिए –

  कथन   (A) लाल बहादुर शास्त्री एक स्वावलंबी प्रधानमंत्री थे |

  कारण  (R) वे अपने चपरासियों और अलहकारों पर आश्रित नहीं रहते थे|

विकल्प –

(1)   कथन और कारण दोनों सही है | कारण कथन की सही व्याख्या नहीं करता है |

(2)   कथन और कारण दोनों गलत हैं |

(3)   कथन सही है जबकि कारण गलत है |

(4)   कथन और कारण दोनों सही है | कारण कथन की सही व्याख्या भी करता है |

10-इस गद्यांश का उचित शीर्षक होगा –

(1)   अवलंबन का होना                         (ख) स्वावलंबन  

(ग)दोनों                                    (घ)सभी गलत 

 

उत्तरमाला –

1-(ग) विकल्प सही है

2-(घ)सभी गलत

      3-(ग) लालबहादुर शास्त्री जी ने

4-(ख) विकल्प सही है |

5-(क) विकल्प सही है |

      6-(ग) विकल्प सही है |

      7-(ग) विकल्प सही है |

      8-(घ) विकल्प सही है |

      9-(घ) विकल्प सही है |

      10-(घ) विकल्प सही है |

 

अपठित गद्यांश – 5

विज्ञान शिक्षण के पक्षधरों ने कल्पना की थी कि शिक्षा में इसकी शुरुआत पारंपरिकता, कृत्रिमता और पिछड़ेपन को दूर करेगी | यह सोंच पुराने समय से चली आ रही –‘तथ्यप्रचुर पाठ्यचर्या’ जिसके अंतर्गत आलोचना, चुनौती, सृजनात्मकता व विवेचनात्मकता का अभाव था, आदि के कारण पैदा हो रही थी | मानवतावादियों ने सोंचा था कि वैज्ञानिक - पद्धति मध्यकालीन मतवाद के अंधविश्वासों को जड़ से मिटा देगी , किन्तु हमारे शिक्षकों ने रासायनिक प्रतिक्रियाओं की समझ को भी प्रेमचंदकी कहानियों की तरह से केवल पढ़ा व रटा कर नीरस बना दिया |

 शिक्षा मे विज्ञान शिक्षण सम्मिलित करने के लिए यह तर्क दिया गया था कि इससे बच्चे विज्ञान की खोजों से परिचित हों सकेंगे तथा अपने वास्तविक जीवन में घट रही घटनाओं के बारे मे कुछ सीखेंगे | वे वैज्ञानिक विधि का अध्ययन कर तार्किक रूप से कैसे सोंचना है, कैसे कौशल में पारंगत होंगे ? इन उद्देश्यों मे से केवल पहले  में ही एक सीमित सफलता मिली है | दूसरे व तीसरे में व्यावहारिक रूप से बच्चे कुछ भी प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं | अधिकतर बच्चों से भौतिकी और रसायन विज्ञान के तथ्यों के बारे में कुछ जानने की उम्मीद की जा सकती है, लेकिन वे शायद ही जानते हों कि उनका कंप्यूटर व कार का इंजन कैसे कार्य करते हैं अथवा क्यों उनकी माताजी सब्जी पकाने के लिए उसे छोटे टुकड़ों में काटती हैं , जबकि वैज्ञानिक पद्धति मे रुचि रखने वाले किसी भी उज्ज्वल लड़के को ये बातें सहज रूप ही ज्ञात हो जाती हैं |

वैज्ञानिक पद्धति की शिक्षा अधिकांश विद्यालयों में भली प्रकार से नहीं दी जा रही है | दरअसल शिक्षकों ने अपनी सुविधा और परीक्षा केन्द्रित सोच के कारण यह सुनिश्चित कर लिया है कि छात्र वैज्ञानिक पद्धति न सीख कर ठीक इसका उल्टा सीखें अर्थात वे जो बताएं उस पर आँख मूँदकर विश्वास करें और पूछे जाने पर उसे जस का तस परीक्षा में लिख दें | वैज्ञानिक पद्धति को आत्मसात करने के लिए लंबे व्यक्तिगत अनुभव तथा परिश्रम और धैर्य पर आधारित वैज्ञानिक मूल्यों की आवश्यकता होती है और जब तक इसे संभव बनाने के लिए शैक्षिक व सामाजिक प्रणालियों को बदल नहीं दिया जाता है , वैज्ञानिक तकनीकों में सक्षम केवल कुछ बच्चे ही सामने आएँगे तथा इन तकनीकों को आगे विकसित करने वालों की संख्या इसका भी अंश मात्र ही होगी |

(1)   वैज्ञानिक पद्धति की शिक्षा को लागू करने के प्रयासों को शिक्षकों ने विफल किया है –

    कथन पढ़कर सही  विकल्प का चयन कीजिए –

    (i)अपनी सुविधा के अनुरूप पढ़कर

   (ii) परीक्षा केन्द्रित सोंच के कारण

   (iii) वैज्ञानिक पद्धति के विरोध के कारण

   (iv)अंधविश्वास के कारण

विकल्प –

(क) कथन (i) सही है                        (ख) कथन (i) व (ii) सही है |

(ग)कथन (iii) तथा (iv)सही है                 (घ) केवल कथन (iii)सही है |

(2)स्कूल शिक्षा में विज्ञान शिक्षण के प्रति लेखक का क्या रवैया है ?

(क) तटस्थ                                (ख) सकारामक

(ग)व्यंग्यात्मकता                           (घ) नकारात्मक

(3) उपर्युक्त पाठ्यांश निम्नलिखित मे से किस दशक में लिखा गया होगा ?

(क) 1950-60                             (ख) 1970-80

(ग)1980-90                              (घ)2000-2010

(4) लेखक वैज्ञानिक पद्धति को लागू करने में विफलता के लिए निम्नलिखित किस कारक को सबसे अधिक जिम्मेदार ठहराता है ?

(क) शिक्षक                         (ख) परीक्षा के तरीके 

(ग)प्रत्यक्ष अनुभव की कमी            (घ) सामाजिक और शिक्षा प्रणाली

(5) कथन (A) और कारण (R) को पढ़कर उपायुक्त विकल्प चुनिए –

कथन (A) विज्ञान शिक्षण के प्रभाव को सफलतापूर्वक सुनिश्चित करने की जरूरत है |

(1)   कथन (A) गलत है, किन्तु कारण (R) सही है |

(2)   कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत है |

(3)   कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है |

(4)   कथन (A) सही है, किन्तु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है |

(6) वैज्ञानिक शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय क्या है ?

   (क) विज्ञ                           (ख) निक 

   (ग)इक                             (घ)सभी गलत

(7) मानवावादियों ने क्या सोचा था –

   (क)वैज्ञानिक पद्धति द्वारा अंधविश्वास को मिटाया जा सकता है

  (ख) रासायनिक समझ को प्रेमचंद की कहानियों ने नीरस बना दिया है |

  (ग) दोनों 

  (घ) सभी गलत

8- आत्मसात करना का अर्थ क्या होगा ?

(1)   अपने जीवन में अपनाना                 (ख) आत्मा के विपरीत सोंच

(ग)जस की तस सोच                       (घ) सभी गलत

(9)  वर्तमान में शिक्षकों के सोच कैसी बन गई है ?

    (क) आत्मकेंद्रित                         (ख) विद्यार्थी केन्द्रित 

    (ग) सुविधा और परीक्षा केन्द्रित              (घ) सभी गलत

(10) वैज्ञानिक पद्धति को आत्मसात करने के लिए कैसे मूल्यों की आवश्यकता होती है ?

   (क) परिश्रम और धैर्य पर आधारित वैज्ञानिक मूल्य

   (ख) परिश्रम और धैर्य पर आधारित सामाजिक  मूल्य

   (ग) नैतिक और आध्यात्मिक मूल्य

   (घ) सभी गलत

उत्तरमाला – (1) विकल्प (ख) सही है |

          (2)विकल्प (घ) सही है |

    (3)विकल्प (क) सही है |

    (4)विकल्प (ग) सही है |

    (5)विकल्प (ग) सही  है |

    (6) विकल्प (ग) सही है |

    (7)विकल्प (ग) सही है |

    (8) विकल्प (क) सही है |

    (9)विकल्प (ग) सही है |

    (10) विकल्प (क) सही है |


 

अपठित पद्यांश- 1

 

पूर्व चलने के बटोही..

बाट की पहचान कर ले |

 

पुस्तकों में है नहीं छापी गयी इसकी कहानी,

हाल इसका ज्ञात होता है न औरों की जबानी

अनगिनत राही गए इस राह से,

उनका पता क्या  ?

 

पर गए कुछ लोगइस पर छोड़ पैरों की निशानी ,

यह निशांनी मूक होकर भी बहुत कुछ बोलती है

खोल इसका अर्थ पंथी, पंथ का अनुमान कर ले

पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले |

 

अनिश्चित किस जगह पर सरित गिरि, गह्वर मिलेंगे, अनिश्चित किस जगह पर बाग़ वन सुन्दर मिलेंगे,

किस जगह यात्रा ख़त्म हो जाएगी यह भी अनिश्चित

है अनिश्चित कब सुमन कब कंटकों के शर मिलेंगें

कोन सहसा छूट जायेंगे, मिलेंगे कौन सहसा

पूर्व चलने के बेटोही बाट की पहचान कर ले |

 

रास्ते का एक काँटा, पाँव का दिल चीर देता

रक्त की दो बूँद गिरती एक दुनिया डूब जाती

आँख में हो स्वर्ग लेकिन पाँव पृथ्वी पर टिके हों

कंटकों की इस अनोखी सीख का सम्मान कर ले

पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले |

 

 

निम्नलिखित में से निर्देशानुसार विकल्प का चयन कीजिए-

 (1) "खोल इसका अर्थ, पंथी, पंथ का अनुमान कर ले" का क्या आशय है?

(क) चलते समय रास्ते को समझना

(ख) प्रेरणा ग्रहण कर लक्ष्य का निश्चय करना

(ग) उपर्युक्त दोनों

(घ) कोई नहीं

 

 (2) 'मूक' शब्द का विलोम है-

(क)  बहरा

(ख) वाचाल

(ग) मोन

(घ) कोई नहीं

 

(3) - "खोल इसका अर्थ पंथी, पंथ का अनुमान कर ले पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले."

पंक्ति में कोन सा अलंकार है ?

(क) यमक अलंकार

(ख) रूपक अलंकार

(ग) अनुप्रास अलंकार

(घ) कोई नहीं

 

(4) “गह्वर”शब्द का पर्यायवाची नहीं है-

(क) कन्दरा

(ख) गुफा

(ग) सराय

(घ) दुर्भेद्य

(5) “आँख में हो स्वर्ग लेकिन पाँव पृथ्वी पर टिके हों” का भाव है -

(क) कल्पनाएं ऊँचीं हो परंतु आचरण ज़मीन से जुडा होना चाहिए ।

(ख) अभिमानी बन जाना चाहिए ।

(ग) सफल होने पर केवल अपने लक्ष्य पर ही ध्यान देना चाहिए ।

(घ)  सफलता ही एकमात्र उद्देश्य होना चाहिए ।

अपठित पद्यांश- 2

 

जग-जीवन में जो चिर महान,
सौंदर्य-पूर्ण औ सत्‍य-प्राण,
मैं उसका प्रेमी बनूँ, नाथ!
जिसमें मानव-हित हो समान!


जिससे जीवन में मिले शक्ति,
छूटे भय, संशय, अंध-भक्ति;
मैं वह प्रकाश बन सकूँ, नाथ!
मिट जावें जिसमें अखिल व्‍यक्ति!


दिशि-दिशि में प्रेम-प्रभा प्रसार,
हर भेद-भाव का अंधकार,
मैं खोल सकूँ चिर मुँदे, नाथ!
मानव के उर के स्‍वर्ग-द्वार!


पाकर, प्रभु! तुमसे अमर दान
करने मानव का परित्राण,
ला सकूँ विश्‍व में एक बार
फिर से नव जीवन का विहान!

 

 

 

 

1- कवि ने चिर महान किसे कहा है?

(क) स्वर्गद्वार को |

(ख) मानव परित्राण को |

(ग) सत्य, सुंदर, शक्ति और प्राण को

(घ) प्रेम प्रभा को ।

 

2- “दिशि-दिशि में प्रेम-प्रभा प्रसार,हर भेद-भाव का अंधकार”,पंक्ति में निहित अलंकार का नाम चुनिए -

(क) विरोधाभास &अनुप्रास

(ख) अनुप्रास& पुनरुक्ति प्रकाश

(ग) उत्प्रेक्षा&अनुप्रास

(घ) अनुप्रास &यमक

 

3- कवि मानव की रक्षा कैसे करना चाहता है?

(क) भय, संशय तथा अंधभक्ति की विचारधारा को समाप्त करके

(ख) नवजीवन की राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करके

(ग अखिल मानव के रूप में स्थापित करके 

(घ) उपर्युक्त सभी

 

4- कवि  शक्ति क्यों पाना चाहता है  ?

 

(क) शक्तिशाली बनने के लिए

(ख) दुर्बल व्यक्ति की बात कोई नहीं मानता।

(ग) मानवता की रक्षा के लिए

(घ) सत्य को जानने के लिए

 

5- “विहान”  शब्द का पर्यायवाची शब्द छांटिए ?

(क) सुबह

(ख) शाम

(ग) दोपहर

(घ)  रात

 

 

अपठित पद्यांश- 3

 

वे देखना चाहते हैं
हमारी आँखों में आँसू
सुनना चाहते हैं
एक दबी–घुटी सिसकी
और दिल की गहराई से
उठने वाली एक ठण्डी आह
क्योंकि
वो मानते हैं हमें
प्रतिनिधि
अबला नारी का

जिसके अस्तित्व पर
हर क्षण खतरा मण्डराता है
अलग–अलग तरह से मण्डराता है
कभी आर्थिक तो कभी सामाजिक
कभी पारिवारिक तो कभी राजनैतिक
कभी जलन का तो कभी शोषण का
खतरा बस खतरा ही खतरा

लेकिन –
उन्हें नहीं मालूम
जिसने हमारी आँखों में
सपने संजोए हैं
हमारी पलकों को चूमकर
उसी ने सारे दुख सारे आँसू
सोख लिए हैं
कभी पिता–भाई–पुत्र बनकर
तो कभी जीवन–संगी–मित्र बनकर

अपनी आँखों के आँसू
मुस्कान के फूल बनाकर
संसार में बिखेरने को
हम दृढ़प्रतिज्ञ हैं
क्योंकि हमारा विश्वास है
कुरूक्षेत्र – धर्मक्षेत्र में
जीत हमेशा
सत्य, कर्तव्यऔर निष्ठा की होती है ।
दुःशासन–दुर्योधन के सैन्यबल को छोड़
मुरलीधर के चक्र को प्रतिष्ठा
सदैव दुर्बल अर्जुन के साथ रहती है ।

1- वे किसके आँखों में आँसू देखना चाहते हैं ?

(क) अबला नारी के |

(ख) नारी सशक्तिकरण के लिए समर्पित लोगों के

(ग) जो दिल की गहराई से जुडा हो ।

(घ)  जिसके अस्तित्व पर खतरा हो ।

 

2- “कभी आर्थिक तो कभी सामाजिककभी पारिवारिक तो कभी राजनैतिक”पंक्ति में निहित अलंकार का नाम चुनिए -

(क) रूपक

(ख) अतिशयोक्ति

(ग) उत्प्रेक्षा

(घ) अनुप्रास

 

3- किसने सारे आँसूसोख लिए हैं ?

(क) सज्जन पुरुषों ने ।

(ख) सपनों ने ।

(ग) मुरलीधर ने ।

(घ) अर्जुन ने ।

 

4- जीत हमेशाकिसकी होती है –

क) अबला नारी की |

(ख) अर्जुन की |

(ग) सत्य, कर्तव्यऔर निष्ठा की

(घ)  जिसके अस्तित्व पर खतरा हो ।

 

5- तद्भव शब्द है ?

(क) दृढ़प्रतिज्ञ

(ख) कर्तव्य

(ग) निष्ठा

(घ) आँसू

 

 

अपठित पद्यांश-  4

 

विश्वास करना चाहता हूँ कि
जब प्रेम में अपनी पराजय पर
कविता के निपट एकांत में विलाप करता हूँ
तो किसी वृक्ष पर नए उगे किसलयों में सिहरन होती है
बुरा लगता है किसी चिड़िया को दृश्य का

फिर भी इतना हरा-भरा होना
किसी नक्षत्र की गति पल भर को

धीमी पड़ती है अंतरिक्ष में
पृथ्वी की किसी अदृश्य शिरा में

बह रहा लावा थोड़ा बुझता है
सदियों के पार फैले पुरखे एक-दूसरे को ढाढ़स बंधाते हैं
देवताओं के आंसू असमय हुई वर्षा में झरते हैं
मैं रोता हूँ
तो पूरे ब्रह्मांड में
झंकृत होता है दुख का एक वृंदवादन
पराजय और दुख में मुझे अकेला नहीं छोड़ देता संसार
 
दु:ख घिरता है ऐसे
जैसे वही अब देह हो जिसमें रहना और मरना है
जैसे होने का वही असली रंग है
जो अब जाकर उभरा है

विश्वास करना चाहता हूँ कि
जब मैं विषाद के लंबे-पथरीले गलियारे में डगमग
कहीं जाने का रास्ता खोज रहा होता हूँ
तो जो रोशनी आगे दिखती है दुख की है
जिस झरोखे से कोई हाथ

आगे जाने की दिशा बताता है वह दुख का है
और जिस घर में पहुंचकर,जिसके ओसारे में सुस्ताकर,आगे चलने की हिम्मत बंधेगी
वह दुख का ठिकाना है
 
विश्वास करना चाहता हूँ कि
जैसे खिलखिलाहट का दूसरा नाम बच्चे और फूल हैं
या उम्मीद का दूसरा नाम कविता
वैसे ही प्रेम का दूसरा नाम दुख है ।

1- कवि क्या विश्वास करना चाहता है?

(क) प्रेम में अपनी पराजय पर |

(ख) खिलखिलाहट का दूसरा नाम बच्चे और फूल हैं |

(ग) संसार पर

(घ) उपर्युक्त सभी

 

2- “दु:ख घिरता है ऐसेजैसे वही अब देह हो जिसमें रहना और मरना है” पंक्ति में निहित अलंकार का नाम चुनिए -

(क) रूपक

(ख) अनुप्रास

(ग) उत्प्रेक्षा

(घ) उपमा

 

3-उम्मीद का दूसरा नाम  क्या है  ?

(क) कविता

(ख) प्रेम

(ग) पराजय

(घ) विषाद

 

4- कवि जीवन का असली रंग विषाद को क्यों मानता है –

(क) जीवन के पथ पर सब तरफ़ दु:ख ही अनुभव करता है।

(ख) जीवन को दू:ख मानता है ।

(ग) वह प्रेम का दूसरा नाम सुख को समझता है ।

(घ)  उसे सत्य का अभास हो गया है ।

 

5- “किसलय” पर्यायवाची शब्द छांटिए

(क) नवपल्लव

(ख) नया पत्ता

(ग) कोंपल

(घ) उपर्युक्त सभी     

 

 

 

अपठित पद्यांश-  5

 

मेरी पायल झनकार रही तलवारों की झनकारों में
अपनी आगमनी बजा रही मैं आप क्रुद्ध हुंकारों में!
मैं अहंकार सी कड़क ठठा हन्ति विद्युत् की धारों में,
बन काल-हुताशन खेल रही पगली मैं फूट पहाड़ों में,
अंगडाई में भूचाल, साँस में लंका के उनचास पवन!
झन-झन-झन-झन-झन झनन-झनन!

रस्सों से कसे जबान पाप-प्रतिकार न जब कर पाते हैं,
बहनों की लुटती लाज देखकर काँप-कांप रह जाते हैं,
शस्त्रों के भय से जब निरस्त्र आंसू भी नहीं बहाते हैं,
पी अपमानों के गरल-घूँट शासित जब ओठ चबाते हैं,
जिस दिन रह जाता क्रोध मौन, मेरा वह भीषण जन्म लगन
झन-झन-झन-झन-झन झनन-झनन!

श्वानों को मिलते दूध-वस्त्र, भूखे बालक अकुलाते हैं,
माँ की हड्डी से चिपक, ठिठुर जाड़ों की रात बिताते हैं,
युवती के लज्जा वासन बेच जब ब्याज चुकाए जाते हैं,
मालिक जब तेल-फुलेलों पर पानी सा द्रव्य बहाते हैं,
पापी महलों का अहंकार देता मुझको तब आमंत्रण!
झन-झन-झन-झन-झन झनन-झनन!

मुझ विपथगामिनी को न ज्ञात किस रोज किधर से आऊँगी,
मिट्टी से किस दिन जाग क्रुध्द अम्बर में आग लगाऊँगी,
आँखें अपनी कर बन्द देश में जब भूकम्प मचाऊँगी,
किसका टूटेगा श्रृंग, न जानें, किसका महल गिराऊँगी।
निर्बन्ध, क्रूर, निर्मोह सदा मेरा कराल नर्तन-गर्जन।
झन-झन-झन-झन-झन झनन-झनन!

 

 

 

 

 

1- “श्वानों को मिलते दूध-वस्त्र, भूखे बालक अकुलाते हैं,
माँ की हड्डी से चिपक, ठिठुर जाड़ों की रात बिताते हैं” में निहितार्थ नहीं है -

(क) भूखे बालक असहाय होकर केवल माँ के सहारे जीवित हैं  |

(ख) दरिद्रता की विवशता एक अभिशाप है ।

(ग) मनुष्य की अपेक्षा कुत्ते अधिक सुविधापूर्ण जीवन जी रहे हैं ।

(घ) दुर्बल व्यक्ति अपनी अवस्था के लिए स्वयं जिम्मेदार हैं ।

 

2- श्वानों को मिलते दूध-वस्त्र, भूखे बालक अकुलाते हैं,
माँ की हड्डी से चिपक, ठिठुर जाड़ों की रात बिताते हैं “ में रस है-

(क) करुण

(ख) रौद्र

(ग) वीर

(घ) वीभत्स

 

3- “विपथगामिनी”  शब्द  का कविता के आधार पर क्या तात्पर्य हो सकता है ? सबसे उपयुक्त विकल्प चुनिए ।

(क) यह एक उत्छृंखला सरिता के बारे में है ।

(ख) यह अन्याय के विरुद्ध लडने को तैयार कठोर मनोवृत्ति है ।

(ग) मनुष्य के कुमार्ग पर चलने की व्यथा है ।

(घ) समाज के सामर्थ्यवान व्यक्तियों कि कहानी है ।

 

4- “रस्सों से कसे जबान पाप-प्रतिकार न जब कर पाते हैं” पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए –

(क) मज़बुर व्यक्ति जब विरोध नहीं कर पाता है ।

(ख) सबल व्यक्ति का शोषण सहने को निर्बल व्यक्ति विवश हो जाता है ।

(ग) अन्याय के विरुद्ध जब प्रतीकार करने का साहस नहीं कर पाता है ।

(घ) उपर्युक्त सभी ।

 

5- “विपथगामिनी” स्वयं को किस रुप में प्रस्तुत करने की चेतावनी दे रही है -

(क) निर्मोहयुक्त

(ख) अहंकार युक्त,

(ग) दम्भयुक्त

(घ) लज्जायुक्त

 

 

 

अपठित पद्यांश-  6

 

वनिता की ममता न हुई, सुत का न मुझे कुछ छोह हुआ,
ख्याति, सुयश, सम्मान, विभव का, त्योंही, कभी न मोह हुआ।
जीवन की क्या चहल-पहल है, इसे न मैंने पहचाना,
सेनापति के एक इशारे पर मिटना केवल जाना।

मसि की तो क्या बात? गली की ठिकरी मुझे भुलाती है,
जीते जी लड़ मरूँ, मरे पर याद किसे फिर आती है?
इतिहासों में अमर रहूँ, है ऐसी मृत्यु नहीं मेरी,
विश्व छोड़ जब चला, भूलते लगती फिर किसको देरी?

जग भूले, पर मुझे एक, बस, सेवा-धर्म निभाना है,
जिसकी है यह देह उसी में इसे मिला मिट जाना है।
विजय-विटप को विकच देख जिस दिन तुम हृदय जुड़ाओगे,
फूलों में शोणित की लाली कभी समझ क्या पाओगे?

वह लाली हर प्रात क्षितिज पर आकर तुम्हें जगायेगी,
सायंकाल नमन कर माँ को तिमिर-बीच खो जायेगी।
देव करेंगे विनय, किन्तु, क्या स्वर्ग-बीच रुक पाऊँगा?
किसी रात चुपके उल्का बन कूद भूमि पर आऊँगा।

तुम न जान पाओगे, पर, मैं रोज खिलूँगा इधर-उधर,
कभी फूल की पंखुड़ियाँ बन, कभी एक पत्ती बनकर:
अपनी राह चली जायेगी वीरों की सेना रण में,
रह जाऊँगा मौन वृन्त पर सोच, न जाने, क्या मन में?

तप्त वेग धमनी का बनकर कभी संग मैं हो लूँगा,
कभी चरण- तल की मिट्टी में छिपकर जय-जय बोलूँगा।
अगले युग की अनी कपिध्वज जिस दिन प्रलय मचायेगी,
मैं गरजूंगा ध्वजा-श्रृंग पर, वह पहचान न पायेगी।

'
न्योछावर में एक फूल', पर, जगकी ऐसी रीत कहाँ?
एक पंक्ति मेरी सुधि में भी, सस्ते इतने गीत कहाँ?
कविते! देखो विजन विपिन में वन्य-कुसुम का मुरझाना;
व्यर्थ न होगा इस समाधि पर दो आँसू-कण बरसाना 

 

 

1-      जग भूले, पर मुझे एक, बस, सेवा-धर्म निभाना है,
जिसकी है यह देह उसी में इसे मिला मिट जाना है।

पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है?

(क) देश सेवा करते हुए सर्वस्व समर्पण करना चाहता है ।

(ख) कवि शरीर को नश्वर मानता है |

(ग) वह लोगों के द्वारा भूला दिए जाने का परवाह नहीं करता ।

(घ) उपर्युक्त सभी।

 

2- विजय-विटप को विकच देख जिस दिन तुम हृदय जुड़ाओगे”पंक्ति में निहित अलंकार का नाम चुनिए -

(क) रूपक

(ख) अनुप्रास

(ग) उत्प्रेक्षा

(घ) श्लेष

 

3- बलिदानी सैनिक की भावनाएं किस रुप में व्यक्त हो रही हैं  -

(क) वह जोश बनकर सैनिकों के साथ रह लेगा ।

(ख) वह चरण-तल की मिट्टी मे मिलकर भी जयकार करेगा 

(ग) वह स्वयं को एक स्वार्थी सैनिक के रुप में स्वीकार करता है।

(घ) वह सेनापति के इशारे पर युद्ध में बलिदान को तत्पर है ।

 

4- “देव करेंगे विनय, किन्तु, क्या स्वर्ग-बीच रुक पाऊँगा?” पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए –

(क) बलिदानी सैनिक सेवार्थ मातृभूमि में पुन:जन्म चाहता है 

(ख) देव गण उसे स्वर्ग से आने नहीं देंगे।

(ग) उसका मन स्वर्ग में रम नहीं रहा है ।

(घ) उपर्युक्त सभी।

 

5- अनुप्रयुक्त पर्यायवाची शब्द छांटिए-

(क) वनिता

(ख)  स्त्री

(ग)  ख्याति

(घ) महिला

 

 

 

अपठित पद्यांश-  7

 

नएगगनमेंनयासूर्यजोचमकरहाहै।

यहविशालभूखंडआजजोदमकरहाहै।

मेरीभीआभाहैइसमें

भीनी-भीनीख़ुशबूवाले

रंग-बिरंगे

यहजोइतनेफूलखिलेहैं ,

कलइनकोमेरेप्राणोंनेनहलायाथा।

कलइनकोमेरेसपनोंनेसहलायाथा।

पकीसुनहलीफ़सलोंसेजो

अबकीयहखलिहानभरगया।

मेरीरग-रगकेशोणितकीबूँदेंइसमेंमुस्कातीहैं ,

नएगगनमेंनयासूर्यजोचमकरहाहै ,

यहविशालभूखंडआजजोचमकरहाहै ,

मेरीभीआभाहैइसमें

 

 

 

1- प्रस्तुत कविता द्वारा कवि निम्न संदेश देना चाहता है – अनुचित कथन को चिन्हित करें

(क) आजादी के बाद जो भारत निर्मित हुआ है उसमें एक आम व्यक्ति के योगदान को नकारा नही जा सकता । 

(ख) भारत की आज़ादी में सिर्फ नेताओं का योगदान है  |

(ग) कवि आज़ादी की लडाई में आम जनता के योगदान को स्वीकार करता है ।

(घ) आज़ादी के युद्ध में अनेकों बलिदानियों के बलिदान से नए भारत देश का निर्माण हुआ है ।

 

2- “मेरीरग-रगकेशोणितकीबूँदेंइसमेंमुस्कातीहैं”पंक्ति में निहित अलंकार का नाम चुनिए -

(क) रूपक

(ख) अनुप्रास

(ग) पुनरुक्ति प्रकाश

(घ) अनुप्रास

 

3- “मेरीभीआभाहैइसमें” एवं “नएगगनमेंनयासूर्य”वाक्यांश क्रमश: किसके लिए प्रयुक्त है ?

(क) किसान और खलिहान।

(ख) कविता एवं विशाल भूखण्ड।

(ग) नेता एवं प्रशासन ।

(घ) आम जनता एवं स्वतंत्र भारत ।

 

4- “रंग-बिरंगेयहजोइतनेफूलखिलेहैं” पंक्ति के माध्यम कवि किसका वर्णन कर रहा है –

(क) कविता का

(ख) स्वतन्त्रता का।

(ग) खेतों का ।

(घ) फसलों का ।

 

5- अनुप्रयुक्त पर्यायवाची शब्द छांटिए

(क) आभा

(ख) चमक

(ग) किरण

(घ) गगन

 

 

अपठित पद्यांश-  8

क्षमा शोभती उस भुजंग को, जिसके पास गरल हो।

उसको क्या जो दंतहीन, विषरहित, विनीत, सरल हो।

 तीन दिवस तक पंथ माँगते रघुपति सिंधु किनारे ।

बैठे पढ़ते रहे छंद अनुनय के प्यारे-प्यारे ।।

उत्तर में जब एक नाद भी उठा नहीं सागर से ।

उठी अधीर धधक पौरुष की आग राम के शर से ।।

सिंधु देह धर 'त्राहि-त्राहि करता आ गिरा शरण में।

चरण पूज दासता ग्रहण की, बँधा मूढ़ बंधन में।

सच पूछो तो शर में ही बसती है दीप्ति विनय की।

संधि-वचन संपूज्य उसी का जिसमें शक्ति विजय की

 

 

 

 

1- क्षमा शोभती उस भुजंग को, जिसके पास गरल हो पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है?

(क) दुर्बल व्यक्ति का जीवन बेकार है |

(ख) विषैले सर्प किसी को क्षमा नहीं करते |

(ग) क्षमा करने की बात उसी व्यक्ति को शोभा देती है, जिसके पास बल हो ।

(घ) दुर्बल व्यक्ति किसी को क्षमा करने योग्य नहीं होता।

 

2- “उठी अधीर धधक पौरूष की आग राम के शर से” पंक्ति में निहित अलंकार का नाम चुनिए -

(क) रूपक

(ख) श्लेष

(ग) उत्प्रेक्षा

(घ) अनुप्रास

 

3- जब राम की प्रार्थना का समुद्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा तो राम ने क्या किया? सबसे उपयुक्त विकल्प चुनिए ।

(क) राम को बहुत क्रोध आ गया।

(ख) राम ने धनुष संभाल लिया।

(ग) राम ने सागर को सुखाने का निश्चय कर लिया।

(घ) राम ने सागर को सबक सुखाने के लिए अपने तरकश से एक अग्निबाण निकाल लिया।

 

4- “संधि वचन संपूर्ण उसी का जिसमें शक्ति विजय की” पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए –

(क) दुर्बल व्यक्ति कोई काम नहीं कर सकता।

(ख) दुर्बल व्यक्ति की बात कोई नहीं मानता।

(ग) दुर्बल व्यक्ति का सभी उपहास करते हैं।

(घ) दुर्बल व्यक्ति से संधि प्रस्ताव का कोई औचित्य नहीं है।

 

5- अनुप्रयुक्त पर्यायवाची शब्द छांटिए

(क) भुजंग

(ख) नाग

(ग) विष

(घ) उरग

 

 

 

 

 

उत्तरमाला –

अपठित पद्यांश-  1

1. (ख) प्रेरणा ग्रहण कर लक्ष्य का निश्चय करना

2. (ख) वाचाल

3. (ग) अनुप्रास अलंकार

4. (ग) सराय

     5. (क) कल्पनाएं ऊँचीं हो परंतु आचरण ज़मीन से

               जुडा होना चाहिए ।

अपठित पद्यांश-  5

1.(घ) दुर्बल व्यक्ति अपनी अवस्था के लिए स्वयं जिम्मेदार हैं

2.(क) करुण

3.(ख) यह अन्याय के विरुद्ध लडने को तैयार कठोर मनोवृत्ति है ।

4.(घ) उपर्युक्त सभी

5.(क) निर्मोहयुक्त

अपठित पद्यांश-  2

1. (ग) सत्य, सुंदर, शक्ति और प्राण को

2. (ख) अनुप्रास& पुनरुक्ति प्रकाश

3. (घ) उपर्युक्त सभी

4. (ग) मानवता की रक्षा के लिए

5. (क) सुबह

 

अपठित पद्यांश-  6

1.(घ) उपर्युक्त सभी।

2.(ख) अनुप्रास

3.(ग) वह स्वयं को एक स्वार्थी सैनिक के रुप में स्वीकार करता है।

4.(घ) उपर्युक्त सभी।

5.(ग)  ख्याति

 

अपठित पद्यांश-  3

1. (ख) नारी सशक्तिकरण के लिए समर्पित लोगों के

2. (घ) अनुप्रास

3.(क) सज्जन पुरुषों ने ।

4.(ग) सत्य, कर्तव्यऔर निष्ठा की

5.(घ) आँसू

अपठित पद्यांश-  7

1.(ख) भारत की आज़ादी में सिर्फ नेताओं का योगदान है 

2. (ग) पुनरुक्ति प्रकाश

3. (घ) आम जनता एवं स्वतंत्र भारत ।

4. (ख) स्वतन्त्रता का

5. (घ) गगन

 

अपठित पद्यांश-  4

(घ) उपर्युक्त सभी

(ग) उत्प्रेक्षा

(क) कविता

(क) जीवन के पथ पर सब तरफ़ दु:ख ही अनुभव करता है।

(घ) उपर्युक्त सभी

 

अपठित पद्यांश-  8

1. (ग) क्षमा करने की बात उसी व्यक्ति को शोभा देती है, जिसके पास बल हो ।

2.(क) रूपक

3.(घ) राम ने सागर को सबक सुखाने के लिए अपने तरकश से एक अग्निबाण निकाल लिया।

4.(घ) दुर्बल व्यक्ति से संधि प्रस्ताव का कोई औचित्य नहीं है।

5.(ग) विष

 

 


 

विभिन्नमाध्यमोंकेलिएलेखन

1.  आधुनिकमाध्यमोंमेंसबसेपुरानामाध्यमहै  ?

) रेडियो                 

) सिनेमा

) टेलीविजन

) अखबार 

2.  मुद्रणकीशुरुआतकहांसेहुईथी ?

) जापान

) चीन

) अमेरिका

) रूस

3.  ऑलइंडियारेडियोवर्तमानमेंकिससंस्थाकेअंतर्गतहै  ?

) भारतीयटेलीकॉम

) डीडीनेशनल

) प्रसारभारती

) उपर्युक्तसभी

4. संचारकेकिसमाध्यमकोश्रव्यऔरदृश्यमाध्यमकहाजाताहै  ?

) रेडियो

) टेलीविजन

) समाचार - पत्र

) दूरभाष

5.  घटनास्थलसेफोनकरकेकिसीघटनाकीसूचनादेनाकौन -सीपत्रकारिताहै  ?

) वॉयसओवर

) इंटरनेट

)  रेडियो

) फोनइन

6.  लोकतंत्रकाचौथास्तंभकिसेकहाजाताहै  ?

) संविधान

) न्यायपालिका

) विधायिका

) प्रेस/मीडिया

7. छापेखानेकेआविष्कारकाश्रेयकिसेदियाजाताहै ?

) गुटेनबर्गको

) पंडितजुगलकिशोरको

) जे. मार्कोनीको

) जे. एल. बेयर्डको

8. इंटरनेटपत्रकारिताकोकिसअन्यनामसेजानाजाताहै ?

) साइबरपत्रकारिता

) ऑनलाइनपत्रकारिता

) वेबपत्रकारिता

) उपर्युक्तसभी

9. संबंधितघटनाकेदृश्यबाइटवग्राफिकद्वाराखबरकोसंपूर्णतासेपेशकरनाकहलाताहै--

) एंकरबाइट

) एंकरपैकेज

) एंकरविजुअल

) ड्राईएंकर

10. हिंदीमेंनेटपत्रकारिताकाआरंभ ----------- सेहुआ।

) वेबदुनिया

) दैनिकभास्कर

) दैनिकजागरण

) प्रभासाक्षी

उत्तर

1.      2.     3.         4.     5.      6.        7.      8.      9.      10.

 

पत्रकारीयलेखनकेविभिन्नरूपऔरलेखनप्रक्रिया

1. मनोरंजनकेलिएलिखाजानेवालासुव्यवस्थित , आत्मनिष्ठलेखनक्याकहलाताहै ?

) आलेख

) फीचर

) पेजथ्री

) अंशकालिक

2. छहककारकेलिएउचितक्रमकाचयनकीजिए--

) क्या, कौन, कहां, कब, क्यों, कैसे

) किसने,कब,क्यों, कैसे,कहां, किधर

) कैसे, किससे,कब, क्यों,कितना, कौन

) क्यों,कैसे,कब,कहां,किससे,किसने

3. किसपत्रकारकासंबंधकिसीखाससमाचारपत्रसेनहींहोताबल्किवहभुगतानकेआधारपरअलग-अलगअखबारोंकेलिएलिखताहै ?

) स्वतंत्रपत्रकार / फ्रीलांसर

) अंशकालिकपत्रकार

) पूर्णकालिकपत्रकार

) बीट

4. पत्रकारद्वाराकिसीअन्यव्यक्तिसेतथ्य, राययाउसकीभावनाएंजाननेकेलिएपूछेजानेवालेसवालोंकोक्याकहतेहैं ?

) इनडेप्थरिपोर्ट

) लेख

) साक्षात्कार

) स्तंभलेखन

5. संपादकीयपृष्ठपरप्रकाशितहोनेवालेसंपादकीयकोउसअखबारकीअपनी----------- मानाजाताहै।

) आत्मा

) दिल

) आंखें

) आवाज़

6. विशेषरिपोर्टकीभाषाकैसीहोनीचाहिए ?

) साधारण

) सहज

) आमबोलचाल

) उपर्युक्तसभी

7. समाचारपत्रकासबसेमहत्वपूर्णपृष्ठकौन-सापृष्ठमानाजाताहै ?

) खेलपृष्ठ

) मुख्यपृष्ठ

) प्रत्येकपृष्ठ

) संपादकीयपृष्ठ

8. विचारपरकलेखनकाप्रमुखरूपक्याहोताहै ?

) फीचरलेखन

) स्तंभलेखन

) आलेखलेखन

) रिपोर्टलेखन

9. समाचारमाध्यमोंकेलिएपत्रकारोंद्वाराकियागयालेखनकहलाताहै---

) साहित्यलेखन

) विज्ञापनलेखन

)  पत्रकारीयलेखन

) अंशकालिकलेखन

10. फीचरलेखनकीशैलीनिम्नलिखितमेंसेकिसशैलीकेनिकटहै ?

) कथात्मक

) काव्यात्मक

) वक्तव्यात्मक

) रूपात्मक

उत्तर

1.   2.   3.    4.  5.    6.   7.   8.   9. 10.

 

 

 

विशेषलेखनस्वरूपऔरप्रकार

1. विशेषलेखनकाक्षेत्रनहींहै---

) समाचार

) खेल

) शिक्षा

) मनोरंजन

2. विशेषलेखनकेलिएकिसप्रकारकीभाषाशैलीअपेक्षितहै ?

) साहित्यिक

) सहज, सरलवबोधगम्यभाषा

) उर्दूमिश्रितभाषा

) मुहावरेदार

3. 'डेस्क' सेक्याअभिप्रायहै ?

) यहांरिपोर्टरोंकोउनकेक्षेत्रबांटेजातेहैं।

) यहएकमशीनहै।

) यहांसमाचारोंकोछापनेयोग्यबनायाजाताहै।

) यहांलेखनकार्यकियाजाताहै।

4. संवाददाताओंकीरूचिऔरज्ञानकोध्यानमेंरखकरउनकेकामकेविभाजनकोक्याकहतेहैं ?

) संवाद

) रिपोर्ट

) बीट

) न्यूज़पेग

5. विशेषलेखनकेलिएसबसेजरूरीबातहै---

) चील-उड़ानऔरशब्द-विवेक

) शब्दावलीऔरउपलब्धियां

) प्रभावशीलताऔरबुद्धिमता

) गिद्ध-दृष्टिऔरपक्काइरादा

6. विशेषरिपोर्टकिसशैलीमेंलिखीजातीहै ?

) कथ्यात्मकशैलीमें

) उल्टापिरामिडशैलीमें

) सीधापिरामिडशैलीमें

) उपर्युक्तसभी

7. खेलऔरसिनेमाकिसकेप्रकारहैं ?

) फीचरके

) आलेखके

)कहानीके

) विशेषरिपोर्टके

8. खेलोंकीरिपोर्टिंगऔरविशेषलेखनकीभाषाऔरशैलीमेंकिनबातोंकादिखनाआवश्यकहै ?

) ऊर्जा

) जोश

) रोमांचऔरउत्साह

) उपर्युक्तसभी

9. समाचारोंकेअलावाखेल , अर्थ, व्यापारआदिक्षेत्रोंसेसंबंधितलेखनक्याकहलाताहै?

) वैकल्पिकलेखन

) विशेषलेखन

) कार्टोग्राफी

) उपर्युक्तसभी

10. सूचनाओंकेस्रोतहैं----

) प्रेसकॉन्फ्रेंसऔरविज्ञप्तियां

) सर्वेऔरजांचसमितियोंकीरिपोर्ट्स

) उसक्षेत्रमेंसक्रियसंस्थाएंऔरव्यक्ति

) उपर्युक्तसभी

उत्तर

1.   2.   3.    4.   5.  6.   7.   8.   9. 10.


 

सिल्वर वैडिंग –

मनोहर श्याम जोशी

बहुविकल्पी प्रश्न

 

1-यशोधर बाबू कैसे व्यक्ति थे ?

क-मर्यादित

ख-संस्कार प्रिय

ग-बुरे

घ-क और ख दोनों |

2- चलते- चलतेजूनियरोंसेकोईमनोरंजकबातकरदिनभरकेशुष्कव्यवहारकानिराकरणकरजानेकीपरंपरा का पालन यशोधर बाबू क्यों करते थे ?

क-वे परम्परावादी थे

ख-वे अपने मातहतों को नाराज़ नहीं करना चाहते थे |

ग-क्योंकि वे किशनदा को अपना आदर्श मानते थे |

घ-क्योंकि वे दफ्तर में देर तक बैठते थे |

3-यशोधर बाबू ने ‘समहाउ इम्प्रापर’ का प्रयोग निम्नलिखित किस विषय में नहीं किया है ?

क-केक काटने की अंग्रेजी परंपरा पर |

ख-बेटी के पहनावे पर

ग-गैस और फ्रीज़ के आने के बारे में |

घ-अपने साले के व्यवहार और ओछेपन पर |

4-कथन- यशोधर बाबू ने दफ्तर की घड़ी को सुस्त ठहराया |

कारण- A- वे अपनी घड़ी रोजाना सुबह शाम रेडियो समाचारों से मिलाते हैं |

        R- वे समय के पाबंद हैं |

1-    A और R दोनों सही हैं , R , A की सही व्याख्या करता है |

2-    A और R दोनों सही हैं , R , A की सही व्याख्या नहीं करता है |

3-     A सत्य है पर R असत्य है |

4-    A असत्य है पर R सत्य है |

5- किशनदाकेरिटायरहोनेपरयशोधरबाबूउनकीसहायतानहींकरपाएथेक्योंकि -

क-यशोधर बाबू की  शादी हो चुकी थी |

ख- क्योंकि यशोधर बाबू के घर में किशन के लिए स्थान का अभाव था|

ग-यशोधर बाबू की पत्नी किशन दा से नाराज़ थीं |

घ-क- और ख दोनों विकल्प सही हैं |

 

6--“जो हुआ होगा” से कहानीकार का तात्पर्य है –

क-किशन दा की मृत्यु से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता |

ख-किसी को किशन दा की मृत्यु का कारण नहीं पता |

ग-किशन दा की मृत्यु का कारण उनका बुढ़ापा सुखी न रहना था |

घ-उपर्युक्त सभी

 

7-यशोधर बाबू अपनी पत्नी और बच्चों से क्या चाहते थे ?

1-पैसा    2 -परम्पराओं का पालन  3- मुक्ति  4 - सम्मान

क- 1 और 2

ख-1,2,3

ग-2 और 4

घ-1,2,4

 

 

8- यशोधर पन्त को चड्डा की कौन सी बात इम्प्रापर लगती है ?

क-मोहरी वाली पतलून

ख-ऊँची एड़ी के जूते

ग- क और ख दोनों

घ-इनमें से कोई नहीं |

9- सिल्वर वेडिंग कहानी के अनुसार नई पीढ़ी किसे महत्त्व देती है ?

1-    भौतिकता को

2-    नैतिकता को

3-    संस्कृति को

4-    समाज को

10-    कथन- यशोधर बाबू दफ्तर से जल्दी घर नहीं लौटते थे –

 कारण- A-उन्हें बाहर घूमना अच्छा लगता था |

        R-उनका अपनी पत्नी और बच्चों से मतभेद होने लगा था |

 

1-    A और R दोनों सही हैं , R , A की सही व्याख्या करता है |

2-    A और R दोनों सही हैं , R , A की सही व्याख्या नहीं करता है |

3-     A सत्य है पर R असत्य है |

4-    A असत्य है पर R सत्य है |

11- यशोधर बाबू का विवाह कब हुआ था ?

1-    6 फरवरी 1947

2-    6 फरवरी 1945

3-    16 फरवरी 1947

4-    8 फरवरी 1947

12-यशोधर बाबू की पत्नी उनसे नाराज क्यों रहती थी ?

-विवाह के पश्चात् संयुक्त परिवार में रहने के कारण           

ख-विवाह के पश्चात् बंदिशों के कारण

ग-नवविवाहिता पर पुराने नियम लागू होने के कारण               

घ-उपर्युक्त  सभी

13-सिल्वर वेडिंग कहानी में “जो हुआ होगा” और “समहाउ इम्प्रापर” ये दो जुमले, जो कहानी के बीजवाक्य हैं, कहानी के किस पात्र में बदलाव को असंभव बना देते हैं ?

-यशोधर बाबू              ख-किशनदा            ग--यशोधर बाबू की पत्नी        घ-उपर्युक्त  सभी

14- सिल्वर वेडिंग का अर्थ है –

क-विवाह की रजत जयंती

ख-विवाह के 25 वर्ष पूरे होने का अवसर

ग-क और ख दोनों

घ-इनमें से कोई नहीं |

15-मकान के विषय में किशनदा की कौनसी उक्ति यशोधर बाबू को जँचती थी ?

क-अपना मकान होना ही चाहिए

ख-मूरख लोग मकान बनाते हैं , सयाने उनमें रहते हैं

ग-सरकारी क्वार्टर सरकारी ही होता है

घ-इनमें से कोई नहीं |

उत्तर- 1    घ- क और ख दोनों |

2- ग-क्योंकि वे किशनदा को अपना आदर्श मानते थे |

3- घ-अपने साले के व्यवहार और ओछेपन पर |

4- क- A और R दोनों सही हैं , R , A की सही व्याख्या करता है |

5- घ-क- और ख दोनों विकल्प सही हैं |

6- ख-किसी को किशन दा की मृत्यु का कारण नहीं पता |

7- ग-2 और 4

8- ग- क और ख दोनों

9-क- भौतिकता को

10- घ- A असत्य है पर R सत्य है |

11-  क-6 फरवरी 1947 |

12- घ-उपर्युक्त  सभी

13- क-यशोधर बाबू      

14-     ग-क और ख दोनों

15- ख-मूरख लोग मकान बनाते हैं , सयाने उनमें रहते हैं \

 

श्रद्धा आचार्य

स्नातकोत्तर शिक्षिका हिन्दी

केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक 6 पोखरीपुट भुवनेश्वर


 

जूझ-डॉ आनंद यादव

1.जूझ उपन्यास किस श्रेणी का उपन्यास है ?

A- आत्मकथात्मक 
B-
सामाजिक 
C-
धार्मिक 
D-
आर्थिक  

2.लेखक की पढाई किसने छुड़वा दी थी ?

A- दादा ने 
B-
चाचा ने 
C-
मामा ने 
D-
भाई ने  

3.दादा कोल्हू जल्दी क्यों लगाना चाहते थे ?

A- दूसरी फसल के लिए 
B-
गुड़ की ज्यादा कीमत के लिए 
C-
काम जल्दी समाप्त करने के लिए 
D-
इनमे से कोई नहीं  

4.लेखक ने पढ़ने के लिए माँ को किससे बात करने के लिए कहा ?

A- दादा से 
B-
चाचा से 
C-
मास्टर से 
D-
दत्ता जी राव से  

5.लेखक ने कौन सी कक्षा में दाखिला लिया ?

A- 6वीं 
B-
4वीं 
C-
8वीं 
D-  5
वीं  

6.लेखक के दादा का नाम क्या था ?

A- राव सिंह 
B-
राम सिंह 
C-
श्याम सिंह 
D-
रतनप्पा   

7.पाठशाला भेजने से पहले दादा ने लेखक से क्या वचन लिया ?

A- स्कूल जाने से पहले खेत में काम करना 
B-
ढोर चराना 
C-
ज्यादा काम होने पर पाठशाला से गैर हाज़िर होना
D-
उपरोक्त सभी  

8.पढ़ाई में सुधार के लिए लेखक ने किसका अनुसरण किया ?

A- वसंत पाटिल का 
B-
अध्यापक का 
C-
दादा का 
D-
इनमे से कोई नहीं  

9.लेखक को मराठी कौन पढ़ाते थे ?

A- सौंदलगेलर 
B-
रणनवरे 
C-
दादा 
D-
इनमे से कोई नहीं 

10.जूझ उपन्यास मूलतः किस भाषा में लिखा गया है  ?

A- हिंदी 
B-
अंग्रेजी 
C-
मराठी 
D-
गुजरती  

उत्तरमाला

1.A 2.A 3.B 4.D 5.D 6.D 7.D 8.A 9.A 10.C

 

अतीत में दबे पाँव-श्री ओम थानवी

1.विशाल कोठार किस प्रयोग मेन लाया जाता था ?

A- सेना के अस्त्र-शस्त्र रखने का
B-
कर के रूप में प्राप्त अनाज रखने के लिए  
C-
तीर्थयात्रियों व साधुओं के ठहरने के लिए
D-
लगान के हिसाब-किताब के बही खाते रखने के लिए

2.फसलों की ढुलाई किसके द्वारा की जाती थी ?

A- बैलगाड़ीसे
B- हाथठेलासे
C- सिरपररखकर
D- ऊंटोंसे

3.सिंधु घाटी सभ्यता साधन सम्पन्न होने पर भी उसमें भव्यता का आडंबर कैसे नहीं था?

A- वहाँ भव्य राजप्रसाद और मंदिर नहीं मिले हैं
B-
वहाँ राजाओं, महंतों की समाधियाँ नहीं मिली हैं  
C- वहाँ के मूर्तिशिल्प और औज़ार छोटे हैं
D-
उपर्युक्त सभी

4.निम्नलिखित कथनों में से सही कथन है

A- सिंधु घाटी सभ्यता का केंद्र राजस्थान है
B-
सिंधु घाटी सभ्यता का केंद्र मुअनजोदड़ों है ।
C-
सिंधु घाटी सभ्यता का केंद्र महाराष्ट्र है ।  
D-
सिंधु घाटी सभ्यता का केंद्र गुजरात है ।

5.कुंड की सीढ़ियाँ किस दिशा में उतरती हैं ?

A-उत्तर-दक्षिण
B- दक्षिण-पूर्व  
C- पूर्व-पश्चिम
D-  उत्तर-पूर्व  

 

 

6.लेखक के दादा का नाम क्या था ?

A- राव सिंह 
B-
राम सिंह 
C-
श्याम सिंह 
D-
रतनप्पा   

7.पाठशाला भेजने से पहले दादा ने लेखक से क्या वचन लिया ?

A- स्कूल जाने से पहले खेत में काम करना 
B-
ढोर चराना 
C-
ज्यादा काम होने पर पाठशाला से गैर हाज़िर होना
D-
उपरोक्त सभी  

8.पढ़ाई में सुधार के लिए लेखक ने किसका अनुसरण किया ?

A- वसंत पाटिल का 
B-
अध्यापक का 
C-
दादा का 
D-
इनमे से कोई नहीं  

9.लेखक को मराठी कौन पढ़ाते थे ?

A- सौंदलगेलर 
B-
रणनवरे 
C-
दादा 
D-
इनमे से कोई नहीं 

10.जूझ उपन्यास मूलतः किस भाषा में लिखा गया है  ?

A- हिंदी 
B-
अंग्रेजी 
C-
मराठी 
D-
गुजरती  

उत्तरमाला

1.D 2.A 3.D 4.D 5.A 6.D 7.D 8.A 9.A 10.C


 

 

 

पठित काव्यांश

प्रश्न 1. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए पश्नों के सटीक विकल्प चुनिए --1x5= 5 

मैं जग – जीवन का मार लिए फिरता हूँ,
फिर भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूँ;
कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकर
मैं साँसों के दो तार लिए फिरता हूँ !

मैं स्नेह-सुरा का पान किया करता हूँ,
में कभी न जग का ध्यान किया करता हुँ,
जग पूछ रहा उनको, जो जग की गाते,
मैं अपने मन का गान किया करता हूँ !

 

1.    आत्मपरिचय कविता के इस अंश में कवि ने अपना किस प्रकार का परिचय दिया है ?

(1)    वैचारिक व भावात्मक  

(2)    उपदेशात्मक 

(ग) वर्णनात्मक

(घ) इनमें से कोई नहीं

2.    जग –जीवन का भार लिए फिरने से कवि का क्या आशय है?

(1)      सांसारिक समस्याओं के प्रति कर्तव्य बोध

(2)      व्यक्तिगत समस्याएँ व सांसारिक बोझ              

(3)      सांसारिक दायित्वों का निर्वाह करना

(4)      क और ग दोनों

3.    स्नेह-सुरा से कवि का तात्पर्य है –

(1)      प्रेम – बंधन

(2)      प्रेम की मादकता

(3)      प्रेम पुजारी

(4)      कोई नहीं

4.    कवि को किसने झंकृत किया होगा ?

(1)    प्रेयसी ने

(2)    प्रेम ने           

(3)    दुश्मनों ने   

(4)    कुरीतियों ने

5.    काव्यांश के कवि हैं –

(1)    रामधारी सिंहदिनकर

(2)    हरिवंशराय बच्चन

(3)    श्यामधारी सिंह

(4)    हरिहर राय बच्चन

 

 

प्रश्न 2. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए पश्नों के सटीक विकल्प चुनिए –1x5= 5

प्रातनभथाबहुतनीलाशंख जैसे

भोरकानभ

राखसेलीपाहुआचौका

(अभीगीलापड़ाहै)

बहुतकालीसिलज़रासेलालकेसरसे

किजैसेधुलगईहो

स्लेटपरयालालखड़ियाचाकमलदीहोकिसीने।

नीलजलमेंयाकिसीकी

गौरझिलमिलदेह

जैसेहिलरहीहो।

1.   प्रात:कालीन आकाश को किसके समान बताया गया है?

(1)   सूखा चौका

(2)   राखका ढेर 

(3)    नीला शंख  

(4)    (घ) कोई नहीं

2.   कवि ने भोर के नभ की तुलना किससे की है?

(1)    राख से लीपा हुआ चौका से

(2)   नीले आकाश से 

(3)    गीली राख से             

(4)    धरती की नमी से  

3.   राख से लिपा हुआ चौका अभी कैसा है?

(1)    आर्द्र

(2)    नमी   

(3)    शुष्क    

(4)   ‘क’ एवं ‘ख’ दोनों

4.   लाल खड़िया चॉक किस पर मल दिया गया है ?

(1)    स्लेट पर   

(2)   काली सिल पर 

(3)    लाल केसर पर       

(4)    काली दीवार पर

5.   नीले जल में झिलमिलाने वाला गौर देह किसका है?

(1)    युवती का         

(2)    नायिका का  

(3)    सूरज का         

(4)     कवि का

 

प्रश्न 3. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए पश्नों के सटीक विकल्प चुनिए – 1x5= 5 

कविता एक खिलना हैं फूलों के बहाने
कविता का खिलना भला फूल क्या जाने!
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
बिना मुरझाए महकने के माने
फूल क्या जाने?

कविता एक खेल है बच्चों के बहाने
बाहर भीतर
यह घर, वह घर
सब घर एक कर देने के माने
बच्चा ही जाने।

 

1.     कविता क्या है?                                                                                           

(1)    एक छंद है

(2)    कविता फूलों के बहाने एक खिलना है

(3)    बिना मुरझाए महकता है

(4)    फूल अनजान है

2.     फूल क्या नहीं जानता ?

(1)    कविता फूल का खिलना नहीं जानता

(2)    फूल कविता का खिलना नहीं जानता

(3)   इस घर से उस घर तक बहकना

(4)    इनमें से कोई नहीं

3.     इस काव्यांश में कवि ने मुख्य रूप से प्रस्तुत किया है?

(1)    कविता की व्यापकता और महत्त्व को

(2)    फूल की तुच्छता और महत्त्व को

(3)    कविता और फूल की खुशबू को

(4)    फूल की अप्रासांगिकता को

4.     कविता और फूल में क्या अंतर है?

(1)    फूल की परिणति निश्चित है जबकि कविता कालजयी है ।

(2)    फूल की खुशबू की सीमा है जबकि कविता के मधुर भाव देश कल से परे है।

(3)    फूल सदा महकता रहता है , कविता दो दिन बाद मुरझा जाती है ।

(4)   ‘क’ और ‘ख’ दोनों

5.     कविता को बच्चे के समानांतर क्यों बताया गया है ?

(1)    क्योंकि बच्चे और कविता को निश्चित समय-सीमा में बाँधा नहीं जा सकता।

(2)    क्योंकि कविता और बच्चा दोनों भेदभाव रहित होते हैं ।

(3)    बच्चों का खेल तथा कविता रचना दोनों कर्म निरुद्देश्य आनंद की प्रेरणा से किए जाते हैं ।

(4)   उपर्युक्त सभी

प्रश्न 4. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सटीक विकल्प चुनिए।  1x5= 5

 

हो जाए न पथ में रात कहीं,

मंजिल भी तो दूर नहीं –--

यह सोच थका, दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है

दिन जल्दी-जल्दी ढलता है ।

बच्चे प्रत्याशा में होंगे ,

नीड़ों से झांक रहे होंगे ---

यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है !

दिन जल्दी-जल्दी ढलता है ।

मुझसे मिलने को कौन विकल?

मैं होऊँ किसके हित चंचल?

यह प्रश्न शिथिल करता पद को , भरता उर में विह्वलता है !

दिन जल्दी-जल्दी ढलता है ।

 

1.     काव्यांश का वर्ण्य विषय क्या है?

(1)    समय की गतिशीलता, एकाकी जीवन की कुंठा तथा प्रेम की व्याकुलता

(2)    चिड़िया के पारिवारिक जीवन का

(3)    किसी प्रतीक्षारत व्यक्ति की व्याकुलता का

(4)   इनमें से कोई नहीं।

2.     पथ पर होने वाली रात की आशंका से कौन भयभीत रहता है?

(1)    प्रेमी

(2)   तपस्वी 

(3)    थका पंथी

(4)    शिल्पकार

3.     कवि हताश , दुखी और निराश क्यों है?

(1)    क्योंकि उनका जीवन-आश्रित कोई नहीं है।

(2)    वह एकाकी जीवन जी रहा है। 

(3)    उससे मिलने के लिए कोई बचैन नहीं है। 

(4)    उपर्युक्त सभी

4.     इस काव्यांश में दिन का पंथी किसे कहा गया है?

(1)    कवि को

(2)    उपर्युक्त सभी

(3)    चिड़िया को

(4)    इनमें से कोई नहीं ।

5.     चिड़ियों के पंखों में गतिशीलता कब आ जाती है?

(1)    जब उन्हें भूख सताती है

(2)    यह सोचकर कि सूरज जल्दी ढल जाएगा 

(3)    जब उन्हें बच्चों का स्मरण होता है

(4)    उन्हें खुद ही घोंसले में पहुँचने की जल्दी है

प्रश्न 5. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सटीक विकल्प चुनिए।1x5= 5 

प्रभु प्रलाप सुनि कान बिकल भए बानर निकर

आइ गयउ हनुमान जिमि करुना मँह बीर रस ॥

 

हरषि राम  भेंटेउ हनुमाना । अति  कृतग्य प्रभु परम सुजाना ॥

तुरत बैद तब कीन्हि  उपाई ।    उठि  बैठे लछिमन हरषाई ॥

हृदयँ लाइ प्रभु  भेंटेउ भ्राता ।  हरषे  सकल भालु कपि ब्राता ॥

कपि पुनि बैद तहाँ पहुँचावा ।   जेहि बिधि तबहिं ताहि लै आवा॥

यह वृतांत दसानन सुनेऊ  । अति बिषाद पुनि पुनि सिर धुनेऊ ॥

ब्याकुल कुंभकरन पहिं आवा । बिबिध जतन करि ताहि जगावा ॥

जागा निसिचर देखिअ  कैसा । मानहुँ  कालु  देह  धरि  बैसा ॥

 

1.     प्रस्तुत सोरठा में मुख्य रूप से किसका वर्णन किया गया है?

(1)    हनुमान की बहादुरी और कर्मठता

(2)    हनुमान की बहादुरी व रावण की हताशा

(3)    कुंभकर्ण के लंका जाने का  

(4)    रावण के अनेक वीरों से दुश्मनी का

2.     हनुमान जब संजीवनी बूटी लेकर आए तो कवि ने करुण रस में किस रस के समावेश की कल्पना की है?

(1)     शांत रस

(2)     वीर रस

(3)     हास्य रस

(4)     रौद्र रस

3.     लक्ष्मण का उपचार किसने किया ?

(क) सुषेण वैद्य

(2)    जाम्वंत भालू

(3)    वानर समूह

(4)    हनुमान

4.     कौन-सा वृतांत सुनकर रावण अपना सिर धुनने लगा?

(1)    लक्ष्मण के जीवित होने का वृतांत

(2)    लक्ष्मण के मूर्च्छित होने का वृतांत

(3)    हनुमान के संजीवनी लाने का वृतांत

(4)    हनुमान से भरत के मुलाकात का वृतांत

5.      “जागा निसिचर देखिअ कैसा । मानहुँ कालु देह धरि बैसा” इस पंक्ति में अलंकार है--

(1)   अनुप्रास

(2)   रूपक

(3)   उत्प्रेक्षा

(4)   उपमा

*****

सहदेव मांझी

स्नातकोत्तर शिक्षक हिंदी

के.वि. 2 केरिपु बल, भुवनेश्वर

 

 

उत्तरमाला (पठित काव्यांश)

काव्यांश -1

6.     (क) वैचारिक व भावात्मक

7.     (घ) क और ग दोनों

8.     (ख) प्रेम की मादकता

9.     (क) प्रेयसी ने

10.  (ख) हरिवंशराय बच्चन

काव्यांश -2 

1.     (ग) नीला शंख 

2.     (क) राख से लिपा हुआ चौका से

3.     (क) ‘क’ एवं ‘ख’ दोनों

4.     (क) स्लेट पर

5.     (ग) सूरज का 

काव्यांश – 3

1.     (ख) कविता फूलों के बहाने एक खिलना है

2.     (ख) फूल कविता का खिलना नहीं जानता

3.     (क) कविता की व्यापकता और महत्त्व को

4.     (घ) ‘क’ और ‘ख’ दोनों

5.     (घ) उपर्युक्त सभी 

काव्यांश – 4 

1.     (क) समय की गतिशीलता, एकाकी जीवन की कुंठा तथा प्रेम की व्याकुलता

2.     (ग) थका पंथी

3.     (घ) उपर्युक्त सभी

4.     (ख) उपर्युक्त सभी

5.     (ग) जब उन्हें बच्चों का स्मरण होता है

काव्यांश – 5

1.     (क) हनुमान की बहादुरी व रावण की हताशा

2.     (ख) वीर रस

3.     (क) सुषेण वैद्य

4.     (क) लक्ष्मण के जीवित होने का वृतांत

5.     (ग) उत्प्रेक्षा

 

 

 

**********

सहदेव मांझी

स्नातकोत्तर शिक्षक हिंदी

के.वि. 2 केरिपु बल, भुवनेश्वर


 

पठित गद्यांश

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए 1×5=5

1.पैसा पावर है | पर उसके सबूत में आस-पास माल-टाल न जमा हो, तो क्या वह खाक पावर है। पैसे को देखने के लिए बैंक- हिसाब देखिए, पर माल असबाब मकान- कोठी तो अनदेखे भी दिखते हैं। पैसे की उस ‘पर्चेजिंग पावर’ के प्रयोग में ही पावर कारस है, लेकिन नहीं। लोग संयमी  भी होते हैं।  वेफिजूल सामान को फिजूल समझते हैं। वे पैसा बहाते नहीं हैं और बुद्धिमान  होते हैं। बुद्धि और संयमपूर्वकवह पैसे को जोड़ते जाते हैं, जोड़ते जाते हैं। वह पैसे की पावर को इतना निश्चित समझते हैं कि उसके प्रयोग की उन्हें दरकार नहीं है। बस पैसे के जुड़ा होने पर खुद उनका मन गर्व से भरा-फूला रहता है।

निम्नलिखित में से निर्देशानुसार विकल्पों का चयन कीजिए ।

क. संयमी व्यक्ति पैसे के प्रयोग की आवश्यकता क्यों नहीं समझते हैं?

1.     पैसे जोड़ने पर मन गर्व से भरा रहने के कारण

2.      पैसे की आवश्यकता न समझ पाने के कारण

3.      पैसे को फिजूल सामान समझने के कारण

4.     पैसे की पावर का सही उपयोग करने के कारण

ख. पैसे की पर्चेजिंग पावर के प्रयोग को पावर का रस नहीं मानते। ऐसेकौन लोग  फिजूल सामान को फिजूल समझते हैं?

1.  बुद्धिहीन     2. संयमी   3. क्रूर  .   4 .अमानवीय

ग. पैसे कोजोड़कर...........गर्व का अनुभव करते हैं ।

1.  बुद्धिमान व संयमी व्यक्ति

2. मन की इच्छा पूरी करने वाले व्यक्ति

3. स्वार्थी व्यक्ति  

4. लाचार व बेबस व्यक्ति

घ. कथन(A) पैसे की ‘पर्चेजिंग पावर’ के प्रयोग में ही पावर का रस है ।

कथन(R) पैसे की पावर मकान- कोठी, माल- असबाब से दिखाई देती है।

1.     कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है तथा कारण (R)और कथन (A) की सही व्याख्या करता है।

2.      कथन (A) गलत है, परंतु कारण(R) सही है।

3.      कथन(A) तथा कारण (R) दोनों गलत है।

4.      कथन (A)सही है, परंतु कारण(R) उसकी गलत व्याख्या करता है।

ङ. गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए

1. संयमी व बुद्धिमान व्यक्ति केवल पैसा जोड़ते हैं।

 2.  बुद्धिमान व्यक्ति पैसे को खर्च करते हैं।

3.  पैसा जुड़ा होने पर बुद्धिमान व्यक्ति गर्व महसूस करता है।

4.  उपरोक्त कथनों में से कौन- सा / से सही है / हैं ?

1. केवल 1    2.  केवल 3

 3 1 और 2   4. 1 और 3

 

उत्तर

क.1. पैसे जोड़ने पर मन गर्व से भरा रहने के कारण

ख. 2. संयमी

ग.  1. बुद्धिमान व संयमीव्यक्ति

घ.  4. कथन (A) सही है ,परंतु कारण (R) उसकीगलत व्याख्या करता है।

ङ.  4. 1 और 3

2. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए    1×5=5

 सेवक - धर्म में हनुमान जी की स्पर्द्धा करने वाली भक्तिन किसी अंजना की पुत्री न होकर एक अनामधन्या गोपालिका की कन्या है---- नाम है लक्षमिनअर्थात लक्ष्मी, परजैसे मेरे नाम की विशालता मेरे लिए दुर्बहहै, वैसे ही लक्ष्मी की समृद्धि भक्तिन के कपाल की संकुचित रेखाओं में नहीं बँध सकी। वैसे तो जीवन में प्रायः सभी को अपने-अपने नाम का विरोधाभास लेकर जीना पड़ता है, पर भक्तिन बहुत समझदार है, क्योंकि वह अपना समृद्धि- सूचक नाम किसी को बताती नहीं। केवल जब नौकरी की खोज में आई थी, तब ईमानदारी का परिचय देने के लिए उसने शेष इतिवृत्त के साथ यह भी बता दिया ,पर इस प्रार्थना के साथ कि मैं कभी नाम का उपयोग न करूँ।

 निम्नलिखित में से निर्देशानुसार विकल्प का चयन कीजिए ।

 

 

 

क.  किसकी दशा अपने नाम से बिल्कुल मेल नहीं खाती थी ?

1.         लेखिका की   2 भक्तिन की

3. जेठानी की    4.  सास की

ख. ‘अनामधन्य गोपालिका की कन्या’ संबोधन किसके लिए प्रयोग किया गया है?1. धन की देवी    2. महादेवी

3. भक्तिन        4. लेखिका

ग. भक्तिन के सेवक धर्म की तुलना ..........से की गई है।

1. हनुमान जी      2.   लक्ष्मण जी

3.  तुलसीदास जी    4. बाल्मीकि जी

घ.  कथन (A) भक्तिन अपना असली नाम किसी को नहीं बताती थी।

 कारण (R) भक्तिन का नाम समृद्धि-  सूचक था।

 कूट

1.     कथन(A) और कथन (R) दोनों सही है तथा कारण (R)कथन (A) की सही व्याख्या करता है ।

2.     कथन (A) गलत है परंतु कारण (R) सही है ।

3.     कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत है।

4.     कारण (A) सही है, परंतु कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।

5.     ङ. गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए

1.        लक्ष्मी के जीवन में उसके नाम का विरोधाभास था।

2.         भक्तिन ने लेखिका को अपना असली नाम कभी नहीं बताया।

3.        भक्तिन ने लेखिका से उसे वास्तविक नाम से न पुकारने  की प्रार्थना की।

4.         उपरोक्त कथनों में से कौन- सा/से सही है /हैं ?

क.  केवल 1      ख. केवल 2

ग.  1 और 2       घ. 1 और 3

 

उत्तर

क.  2. भक्तिन की

ख.   3.भक्तिन

ग.  1.  हनुमान जी

घ.   4.  कथन(A) सही है, परंतु कारण(R) उसकी गलत व्याख्या करता है।

ङ 4. 1 और 3

3.निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए।                      1×5=5

रात्रि की विभीषिका को केवल पहलवान की ढोलक ही ललकारकर चुनौती देती रहती थी। पहलवान संध्या से सुबह तक, चाहे जिस ख्याल से ढोलक बजाता हो, किंतु गांव के अर्द्धवृत्त, औषधि- उपचार पथ्य- विहीन प्राणियों मेंयह संजीवनी शक्ति ही भरती थी। बूढ़े, बच्चे, जवानों की शक्तिहीन आंखों के आगे दंगल का दृश्य नाचने लगता था। स्पंदन-शक्ति-शून्य,स्नायुओं  में भी बिजली दौड़ जाती थी। अवश्य ही ढोलक की आवाज में न तो बुखार हटाने का कोई गुण था और न महामारी की सर्वनाश शक्ति को रोकने की शक्ति ही,पर इसमें संदेह नहीं कि मरतेहुए प्राणियों को आँखमूँदतेसमयकोईतकलीफ नहीं होती थी, मृत्यु से डरते नहीं थे।

निम्नलिखित में से निर्देशानुसार विकल्पों का चयन कीजिए ।

क.गांव के बच्चे, बूढ़े, जवानों को पहलवान की ढोलक की आवाज सुनते ही क्या याद आ जाता था?

1. दंगल का दृश्य     2. मृत्यु का भय

3. राजा की दयालुता  4. रात्रि का अंधकार

ख)  ढोलक की आवाज को सुनकर बिना किसी तकलीफ के अपने प्राणकौन त्याग देता था ?

1. लुट्टन सिंह      2. चाँद सिंह

 3.  मरता हुआ व्यक्ति   4. स्वस्थ व्यक्ति

ग)   पहलवान की ढोलक गांव के अर्द्धमृत, औषधि-उपचार पथ्य- विहीनप्राणियों में ...............भरती थी ।

1. निश्चेतनता      2.  जिजीविषा

3. शक्तिविहीनता     4. स्पंदन शून्यता

 घ) कथन (A) पहलवान की ढोलक की आवाज सुनकर महामारी से तड़पते हुए लोगों को मृत्यु का भय नहीं लगता था ।

कारण (R) पहलवान की ढोलक में संजीवनी सकती थी।

1.      कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है ।

2.     कथन (A) सही है लेकिन कारण (R)  गलत है।

3.      कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत है।

4.     कथन (A) सही है, लेकिन कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है।

ङ. गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए

1.        पहलवान की ढोलक की आवाज सुनकर गांव के लोगों के सामने दंगल का दृश्य आ जाता था

2.         पहलवान की ढोलक रात्रि की भयावहता को कम कर देती थी।

3.         पहलवान की ढोलक की आवाज पीड़ितों का उपचार करती थी।

4.         उपरोक्त में से कौन- सा/सी सही है/हैं? 1. केवल 1          2 केवल 2

2.        1 और 2          3.  1 और 3

 

उत्तर

क 1. दंगल का दृश्य

ख 3.  मरता हुआ व्यक्त

ग.  2 जिजीविषा

  2.  कथन(A) सही है, लेकिन कारण (R)  गलत है

ङ.  3.  1 और 2

 

4.निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए।                        1×5=5

 उछलते - कूदते एक - दूसरे को धकियातेये लोग गली में किसी दुमहले मकान के सामने रुक जाते, “पानी दे मैया, इंदरसेना आई है।“ और जिन घरों में आखिर जेठया शुरू आषाढ़ के उन सूखे दिनों में पानी की कमी भी होती थी, जिन घरों के कुएं भी सुखे होते थे, उन घरों से भी सहेजकर रखे हुए पानी में से बाल्टी या घड़े भर-भरकर इन बच्चों को सर से पैर तक तर कर दिया जाता था। ये भीगे बदन मिट्टी में लौट लगाते थे, पानी फेंकने से पैदा हुए कीचड़ में लथपथ हो जाते थे। हाथ,पाँव,बदन मुंह, पेट सब पर गंदा कीचड़ मलकर फिर हाँक लगाते हैं“बोल गंगा मैया की जय” और फिर मंडली बाँधकर उछलते- कूदते अगले घर की ओर चल पड़ते बादलों को टेरते,” काले मेघा पानी दे।“

 निम्नलिखित में से निर्देशानुसार विकल्पों का चयन कीजिए ।

क. किसी दुमहलेमकान के सामने कौन रुकता था ?

1.     मुसाफिर      2. इंदरसेना

3.        प्यासे लोग    4.  जल से भीगे लोग

ख.किन-किन महीनों में पानी मांगा जाता था?

1.सावन- भादो में     2. माघ -ज्येष्ठ में

3. जेठ - आषाढ़ में    4.. आषाढ़- पौषमें

ग) इंदरसेना.............जय बोलती थी।

1. गांव वालों की     2. माता-पिता की

3. संरक्षक की       4. गंगा मैया की

घ)  कथन (A) पानी की कमी होते हुए भी इंदरसेना पर घरों में सहेजकर रखा हुआ पानी बहुतायत से डाला जाता था।

 कारण(R)  इंदरसेना के बालक पसीने में तर-बतर हो जाते थे।

कूट

  1.  कथन (A)  और कारण(R) दोनों सही है तथा कारण(R) कथन(A) की सही व्याख्या करता है ।
  2. कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
  3. . कारण(A) तथा कारण (R)  दोनों गलत है।
  4. कथन (A) सही है ,किंतु कारण (R) उसकी गलत व्याख्या करता है ।

ङनिम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए

1.पानी की कमी होने के बावजूद इंद्रसेना पर पानी फेंकना लोक - प्रचलित विश्वास है।

2. गांव में सूखा पड़ने पर बालकों की टोली कीचड़ से लथपथ होकर लोगों का मनोरंजन करती है ।

3. लेखक ने इंदरसेनाकेकार्यक्रमों को अंधविश्वास का नाम दिया है।

4 उपर्युक्त कथन में से कौन- सा/से सही है/ हैं ?

    1. केवल 1            2. केवल 3

3 1 और3             4. 2 और 3

 

उत्तर

क.  2. इंदर सेना    

ख.  3. जेठ-आषाढ़ में

ग.  4. गंगा -मैया की

घ.  2 कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।

  3. 1 और 3

 

 

 

  1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए।                     1×5=5

 श्रम विभाजन की दृष्टि से भी जाति - प्रथा गंभीर दोषों से युक्त है। जाति - प्रथा का श्रम विभाजन मनुष्य की स्वेच्छा  पर निर्भर नहीं रहता। मनुष्य की व्यक्तिगत भावना तथा व्यक्तिगत रूचि का इसमें कोई स्थान अथवा महत्व नहीं रहता । ‘पूर्व लेख’ ही इसका आधार है। इस आधार पर हमें यह स्वीकार करना पड़ेगा कि आज के उद्योगों में गरीब तो अरुचि के साथ केवल वि वर्ष कार्य करते हैं ऐसी स्थिति सभ्यता मनुष्य को दुर्भावना से प्राप्त भ्रष्ट कर चालू काम करने और कम काम करने के लिए प्रेरित करती है ऐसी स्थिति में जहां काम करने वालों का ना दिल लगता हो ना दिमाग वहां कोई कुशलता कैसे प्राप्त की जा सकती है अतः यह निर्विवाद रूप से सिद्ध हो जाता है कि आर्थिक पहलू से भी जाति प्रथा हानिकारक प्रथा है क्योंकि यह मनुष्य के संभावित प्रेरणा रुचि व आत्मशक्ति को दबा कर उन्हें आशा भाविक नियमों में जकड़ कर निष्क्रिय बना देती है

निम्नलिखित में से निर्देशानुसार विकल्प का चयन कीजिए

क) गद्यांश के अनुसार श्रम विभाजन की दृष्टि से जाति प्रथा दोषपूर्ण क्यों है?

1.  व्यक्तिगत रुचियों को ध्यान में न रखने के कारण

2.  मनुष्य के पेशे को पूर्व लेख से जोड़े रखने के कारण

3   मनुष्य को स्वतंत्र छोड़े जाने के कारण

4.  व्यक्तिगत भावनाओं को ध्यान में रखने के कारण

ख. कारण(A) आर्थिक पहलू से जाति प्रथा हानिकारक है।

 कारण (R) जाति- प्रथा मनुष्य के रूचि एवं आत्मशक्ति को कम करके उसे निष्क्रिय बना देती हैं ।

कूट

1. कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है तथा कारण(R) कथन(A) की सही व्याख्या करता है ।

  2. कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R)सही है ।

   3. कथन (A)तथा कारण (A)दोनों गलत है ।

  4. कथन (A) सही है, किंतु कारण(R) उसकी गलत व्याख्या करता है।

ग.  कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए क्या आवश्यक है ?

   1. रूचि के अनुसार काम करने का अवसर प्रदान करना

  2. कार्य कोजबरनथोपाजाना

  3. कार्यकरनेकी विशेष छूट प्रदान करना

  4.  उत्पादकता को कम कर देना

घ. श्रम के क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या .............है।

1.  आर्थिक ढांचे की

2.  स्वेच्छानुसार काम न मिलने की

3.  जनसंख्या वृद्धि की

4. कार्य के प्रति उदासीन न होने की

ङ. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए

1.  कार्य निर्धारित होने से कार्य का महत्व बढ़ता है

2. जाति - प्रथा के कारण श्रमिकअरुचि के साथ विवशतावशही उद्योगों में कार्य कर रहे हैं।

3.  जाति प्रथा का श्रम - विभाजन मनुष्य की स्वेच्छा पर निर्भर करता है ।

4. उपर्युक्त में से कौन सा /सेसही है/ हैं ?

1.केवल  1.           2. केवल 2

3. 1 और 2           4. 1और3

 

उत्तर

क.  2. मनुष्यकेपेशेकोपूर्वलेखसेजोड़ेजानेकेकारण

ख. 1. कथन (A) औरकारण (R) दोनोंसहीहैतथाकारण(R)  कथन (A) कीसहीव्याख्याकरताहै।

ग. 1. रूचिकेअनुसारकामकरनेकाअवसरप्रदानकरना

घ.  2.  स्वेच्छानुसारकामनमिलनेकी

ङ. 2. केवल2.


 

रचनात्मक लेखन

अप्रत्याशित विषयों पर लेखन

 

दिए गए नए और अप्रत्याशित विषयों पर रचनात्मक लेखन, एक निबंधात्मक प्रश्न विकल्प सहित- 6 अंक

 

नए और अप्रत्याशित विषयों पर लेखन

 

अप्रत्याशित शब्द का क्या अर्थ है ? अ+प्रति+आशा+इत अप्रत्याशित अर्थात् जिसकी आशा न की गई हो।

नए और अप्रत्याशित विषयों पर लेखन से क्या तात्पर्य है ?

किसी नए और अप्रत्याशित विषय पर कम समय में अपने विचारों को संकलित कर उन्हें सुन्दर ढंग से अभिव्यक्त करना ही अप्रत्याशित विषयों पर लेखन कहलाता है।

अप्रत्याशित विषय पर लेखन क्या है ?

ऐसे विषय जिसकी आपने कभी आशा न की हो उस पर लेखन कार्य करना ही अप्रत्याशित विषयों पर

लेखन है।

पारम्परिक और अप्रत्याशित विषयों में अंतर

पारम्परिक विषय वो होते हैं जो किसी मुद्दे, विचार, घटना, आदि से जुड़े होते हैं और अधिकतर सामाजिक और राजनीतिक विषय होते हैं। इसमें आप अपनी राय को इतनी प्राथमिकता न देकर सामूहिक विचार पर जोर देते हैं। जबकि अप्रत्याशित विषयों पर लेखन में आपके अपने निजी विचार होते हैं।

नए और अप्रत्याशित विषयों पर लेखन में कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए ? जिस विषय पर लिखना है लेखक को उसकी पूरी जानकारी होनी चाहिए ।

विषय पर लिखने से पहले लेखक को अपने मस्तिष्क में उसकी उचित रूप रेखा बना लेनी चाहिए

विचार विषय से सुसम्बद्ध तथा संगत होने चाहिए ।

विषय से जुड़े तथ्यों से उचित तालमेल होना चाहिए

5. अप्रत्याशित विषयों के लेखन में 'में शैली का प्रयोग करना चाहिए । नए और अप्रत्याशित विषयों पर लेखन में क्या-क्या बाधाएँ आती हैं ?

 

सामान्य रूप से लेखक आत्मनिर्भर होकर अपने विचारों को लिखित रूप देने का अभ्यास नहीं करता ।

 2 लेखक में मौलिक प्रयास तथा अभ्यास करने की प्रवृति का अभाव होता है।

 

3. लेखक से पास विषय से संबंधित सामग्री और तथ्यों का अभाव होता है।

 

लेखक की चितन शक्ति मंद पद जाती है। अप्रत्याशित विषय पर लेखन करते समय शब्दकोश की कमी हो जाती है।

 

नए और अप्रत्याशित विषय पर लेखन को किस प्रकार सरल बनाया जा सकता है।

 

किसी भी विषय पर लिखने से पूर्व अपने मन में उस विषय से संबंधित उठने वाले विचारों को

 

कुछ देर रुककर एक रूप रेखा बना लेनी चाहिए उसके पश्चात् ही शानदार ढंग से अपने विषय की विषय को आरंभ करने के साथ ही उस विषय को किस प्रकार आगे बढ़ाया जाए, यह भी मस्तिष्क में पहले से होना आवश्यक है। जिस विषय पर लिखा जा रहा है, उस विषय से जुड़े अन्य तथ्यों की जानकारी होना बहुत आवश्यक है।

 

किसी भी विषय पर लिखते हुए दो बातों का आपस में जुड़े होने के साथ-साथ उनमें तालमेल होना भी आवश्यक है ।

 

 

नए विषय में लेखन में मैं शैली के प्रयोग से लेखक के विचारों और उसके व्यक्तित्व को झलक प्राप्त होती है।

 

अप्रत्याशित विषय पर लेखन से लाभ -

 

यह आपकी मौलिक रचना होगी ।

 

आपके लेखन कौशल में अत्यधिक विकास होगा ।

आपकी भाषा पर अचड़ी पकड़ बनेगी । आप अपने विचारों को किसी तर्क, विचार के माध्यम से पुष्ट करने की कोशिश करेंगे

 

विषय को आरंभ करने के साथ ही उस विषय को किस प्रकार आगे बढ़ाया जाए, यह भी मस्तिष्क पहले से होना आवश्यक है। जिस विषय पर लिखा जा रहा है, उस विषय से जुड़े अन्य तथ्यों की जानकारी होना बहुत आवश्यक है ।

 

किसी भी विषय पर लिखते हुए दो बातों का आपस में जुड़े होने के साथ-साथ उनमें तालमेल होना भी आवश्यक है।

नए विषय में लेखन में में शैली के प्रयोग से लेखक के विचारों और उसके व्यक्तित्व को झलकप्राप्त होती है।

 

अप्रत्याशित विषय पर लेखन से लाभ यह आपकी मौलिक रचना होगी।

आपके लेखन कौशल में अत्यधिक विकास होगा |

आपकी भाषा पर अच्छी पकड़ बनेगी।

 

4. आप अपने विचारों को किसी तर्क, विचार के माध्यम से पुष्ट करने की कोशिश करेंगे | क्या अप्रत्याशित विषयों पर लेखन कोई निश्चित रूप लेती है ? जी नहीं, ऐसा बिलकुल नहीं है, जब आप अपने विचारों को अपने अनुभव, तर्क, समाज, स्थान, काल और पात्र के आधार पर शब्दांकित करते हैं तो वो कभी संस्मरण, कभी निबंध, कभी रेखाचित्र, कभी कहानी, कभी यात्रा वृतांत, कभी रिपोतार्ज आदि साहित्यिक विधा का रूप ले सकता है।

 

अप्रत्याशित लेखन का विषय और लेखन प्रक्रिया

 

अप्रत्याशित विषयों की संख्या अपरिमित हो सकती है जैसे- आपके सामने दीवार पर टंगी घड़ी, एक कामकाजी औरत की शाम दीवार में बाहर की ओर खुलता हुआ झरोखा कुछ भी हो सकता है। ऐसे विषय भी हो सकते हैं जिनमें इनके मुकाबले खुलापन थोड़ा कम हो और फोकस अधिक स्पष्ट हो। जैसे टी.वी. धारावाहिक में स्त्री, बहुत जरूरी है शिक्षा आदि ।

ये विषय अलग-अलग प्रकृति के हो सकते हैं। इनका उद्देश्य आपको तार्किक विचार प्रक्रिया में उतारना है। कोई विषय आपको अपनी स्मृतियों को खंगालने के लिए प्रेरित करता है तो कोई अनुभव को सैद्धांतिक नजरिये से जाँचने परखने के लिए उकसाता है। इन आवश्यकताओं कोध्यान में रखते हुए आप जो लिखेंगे वह कबी निबंध बन पड़ेगा, कभी संस्मरण, कभी रेखाचित्र की शक्ल लेगा तो कभी यात्रा वृतांत की इसलिए हम उसे सामान्य नाम देंगे लेख ताकि ऐसा न लगे कि किसी विधा विशेष पर लिखने का दबाव न रहे।

अप्रत्याशित विषय पर लेखन एक खुले मैदान में भाग दौड़ उछल कूदने करने और निर्बाध कुलांचे भरने की छूट की तरह होता है। दिए गए विषय के साहचर्य से जो भी सार्थक और सुसंगत विचार हमारे मनमें आते हैं, उन्हें हम यहाँ व्यक्त कर सकते हैं।

शिक्षा जैसे विषयों पर लेखन करते समय विचार प्रवाह को थोड़ा नियंत्रित रखना पड़ता है। किसी भी विषय पर एक ही व्यक्ति के जेहन में कई तरीकों से सोचने की प्रवृति होती है। इस स्थिति में सबसे पहले 2-3 मिनट ठहर कर यह तय कर लें कि उनमें से किस कोण से उभरने वाले विचारों को थोड़ा विस्तार दे सकते हैं | यह तय कर लेने के बाद एक आकर्षक सौ शुरुआत करें। शुरुआत से विषय को कैसे सिलसिलेवार आगे बढ़ाना है इसकी रूपरेखा जहाँ में होनी चाहिए ।

 

 

यदि में जिला कलेक्टर होता तो

 

सबसे पहले में बताना चाहूँगा कि 'कलेक्टर' जिले में राज्य सरकार का सर्वोच्च अधिकार संपन्न प्रतिनिधि या प्रथम लोक-सेवक होता है। जो मुख्य जिला विकास अधिकारी के रूप में सारे प्रमुख सरकारी विभागों- पंचायत एवं ग्रामीण विकास, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, आयुर्वेद, अल्पसंख्यक कल्याण, कृषि, भू-संरक्षण, शिक्षा, महिला अधिकारता, ऊर्जा, उद्योग, श्रम कल्याण, खनन, खेलकूद, पशुपालन, सहकारिता, परिवहन एवं यातायात, समाज कल्याण, सिंचाई, सार्वजनिक निर्माण विभाग, स्थानीय प्रशासन आदि के सारे कार्यक्रमों और नीतियों का प्रभावी क्रियान्वयन

करवाने के लिए अपने जिले के लिए अकेले उत्तरदायी होता है। मैं सर्वप्रथम जिला में कुछ प्रमुख क्षेत्रों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करता। जैसे-

1. शान्ति और कानून व्यवस्था बनाये रखना। कहीं भी किसी भी तरह की आपत्तिजनक या अनुशासन हीनता पूर्ण व्यवहार न होने देता। सबसे पहले शराब की सारी दुकानों पर प्रतिबंध लगा देता, जो हमारी युवा पीढ़ी को गर्व की ओर ले जा रहे हैं। और शराब पीकर समाज की शांति को भंग करते है।

2. नागरिकों को चिकित्सा सुविधाएं और सेवाएं प्रदान करने के लिए जिले के सभी क्षेत्रों में दवाखानों का प्रबन्ध करना तथा दवाखानों में मिलने बाली समस्त सुविधाएं डॉक्टर की उपस्थिति, दवाओं का उचित वितरण, चिकित्सालयों की साफ सफाई आदि पर सख्ती से पालन करवाता। 3. शिक्षा विभाग की देखभाल विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति, कक्षा शिक्षण का समय- समय पर निरीक्षण, विद्यालय की साफ सफाई, पौष्टिक मध्यान्ह भोजन दिया जा रहा या नहीं, छात्रों की उपस्थिति आदि का निरीक्षण का कार्य जिला शिक्षा अधिकारी को सौंपता तथा उस पर

स्वयं निगरानी रखता। शिक्षा के मामले में किसी तरह की कोई ढिलाई न होने देता।

4. पानी की भी व्यवस्था पर गौर करूँगा कि गांव में पर्याप्त मात्रा में हैंडपम्प है या नहीं, तथा कितने खराब हैं और कितने इस्तेमाल में हैं। खराब हैंडपम्प को तुरंत रिपेयर करवाता। और शहरी क्षेत्र में पानी की सप्लाई समय अनुसार करवाता और टंकी की साफ सफाई का भी ख्याल रखता 5. सरकारी इमारतों का निर्माण व देखरेख की जिम्मेदारी लोकनिर्माण विभाग से समय-समय पर सूचना एकत्रित करता तथा उनके कार्यान्वयन कानिरीक्षण करता।

6. पंचायती राज तथा अन्य संस्थाओं का प्रबन्ध व नियन्त्रण भी करता 7. जिलास्तर पर में प्रशासन को नेतृत्व प्रदान करता, क्योंकि कलेक्टर जिला प्रशासन की घुरी है।जिलाधीश राज्य, जिला प्रशासन तथा जनता के मध्य कड़ी का कार्य करता है।

8. संकटकालीन प्रशासक के रूप में जिलाधीश की भूमिका मसीहा के समान हो जाती है. इसलिए प्राकृतिक विपदाओं में पावलों के उपचार, निवास, भोजन आदि की व्यवस्था, विस्थापितों के पुनर्स्थापन व उन्हें मुआवजा राशि देना आदि का भी ख्याल रखूंगा।

इस प्रकार में राज्य सरकार की आँख व कान तथा बाहों की भांति अपने कार्य का निर्वहन करता ।

अधिक सतर्क, सजग, सावधान और मानवीय हो चला है।

 

परीक्षा के दिन

 

हम सबके विद्यार्थी जीवन में परीक्षाओं का सामना करना बिल्कुल आम बात है। इसके बावजूद भी परीक्षा के कठिन दिन का सामना करना मेरे लिए बहुत डरावना रहता है। मैं बहुत घबराए रहता हूँ। मैंने जो कुछ भी पड़ा या याद किया उस हर चीज को बार-बार दोहराना चाहता हूँ। मैं प्रश्न- पत्र के बारे में सोचते रहता हूँ। मेरा विश्वास है कि यदि मैं पहले दिन अच्छा करूँगा तो परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सकता हूँ। इसलिए परीक्षा का कठिन दिन भयानक लगता है। कुछ छात्र परीक्षाओं के कठिन दिन के पहले की रात सो नहीं पाते। बोर्ड परीक्षा का मेरा परीक्षा का कठिन दिन भी ऐसा ही था।

परीक्षा के दिन मैं अपनी समस्त शक्ति अध्ययन की ओर केन्द्रित कर एकाग्रचित होकर सम्भावित प्रश्नों को कंठस्थ करने के लिए लगा देता हूँ ये

 

दिन मेरे लिए परीक्षा देवो को प्रसन्न करने के लिए अनुष्ठान करने के दिन जैसा है, गृहकार्यों से मुक्ति, खेल-तमाशों से छुट्टी और मित्रों साथियों से दूर रहने के दिन हैं।

परीक्षा परीक्षार्थी के लिए भूत है। भूत जिस पर सवार हो जाता है उसकी रातों की नींद हराम हो जाती है, दिन की भूख गायब हो जाती है और पर में सगे-सम्बन्धियों का आना बुरा लगता है। टीवी के मनोरंजक कार्यक्रम, मनपसन्द एपीसोड, चित्रहार आदि समय नए करने के माध्यम लगते हैं। परीक्षा के इन कठिन दिनों में परीक्षा-ज्वर (बुखार) चहा होता है, जिसका तापमान परीक्षा भवन में प्रवेश करने तक निरन्तर बढ़ता रहता है और प्रश्न-पत्र हल करके परीक्षा भवन से बाहर आने पर ही सामान्य होता है। फिर अगले विषय की तैयारी का स्मरण होता है। ज्यग्रस्त परीक्षार्थी निरन्तर विश्राम न कर पाने की पीड़ा से छटपटाता है। परीक्षान्वर से ग्रस्त परीक्षार्थी क्रोधी बन जाता है, चिन्ता उसके स्वास्थ्य को चौपट कर देती है।

 

दीया और तूफान

 

मिट्टी का बना हुआ एक नन्हा सा दीया जब चलता है। तो रात्रि के अंधकार से लड़ता हुआ उसे दूर भगा देता है। अपने आसपास हल्का सा उजाला फैला देता है। जिस अंधकार में हाथ को हाथ नहीं सूझता, उसे भी दीया अपने मंद प्रकाश अकेला रास्ता दिखा देता है। हवा का झोका जब दिए से लोगों को शोभा देता है। तब ऐसा लगता है कि इसके बुझते ही अंधकार फिर जाएगा और फिर हमें उजाला कैसे मिलेगा? दीया चाहे छोटा सा हो या बड़ा पर वह अकेला अंधकार के संस्कार का सामना कर सकता है। तो हम इंसान जीवन की राह में आने वाली कठिनाइयों का भी उसी तरह से मुकाबला क्यों नहीं कर सकते। यदि वह तूफान का सामना करके अपने टिमटिमाती ती से प्रकाश फैला सकता है। तो हम भी हर कठिनाइयों में कर्मठ बनकर संकटों से निकल सकते हैं।

 

महाराणा प्रताप ने सब कुछ खोकर अपना लक्ष्य प्राप्त करने की ठानी थी। हमारे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने सामान्य जीव की कठोरता का सामना किया था और विश्व के सबसे बड़े गणतंत्र भारत का प्रधानमंत्री पद प्राप्त कर लिया था। हमारे राष्ट्रपति डॉ कलाम ने अपना जीवन टिमटिमाते दीये के समान आरंभ किया था, पर आज वही दीया हमारे देश की मिसाइलें प्रदान करने वाला प्रचंड अग्नि बम है। उन्होंने देश को जो शक्ति प्रदान की है वह अतुलनीय है। समुद्र में एक छोटी सी नौका सूची तूफानी लहरों से टकराती हुई अपना रास्ता बना लेती है और अपनी मंजिल पा लेती है। एक छोटा सा प्रवासी पक्षी साइबेरिया से उड़कर हजारों लाखों मील दूर पहुंच सकता है। तो हम इंसान भी कठिन से कठिन मंजिल प्राप्त कर सकते हैं।

 

अकेले अभिमन्यु ने चक्रव्यूह में कौरवों जैसे महारथियों का डटकर सामना किया था। कभी-कभी तूफान अपने प्रचंड वेग से दीए की ती

को बुझा देता है पर जब तक दीया जगमगाता है तब तक तो अपना प्रकाश फहलाता है और अपने अस्तित्व को प्रकट करता है। मरना तो सभी को

एक दिन है। मैं तो जीवन में आने वाली तमाम कठिनाइयों का डटकर मुकाबला करता हूँ और मानता हूँ कि श्रेष्ठ मनुष्य वही होता है जो समाज में

तूफानों की परवाह ना करें और अपनी रोशनी से संसार को प्रज्वलित करता रहे।।

 

रेलगाड़ी की पहली यात्रा

 

जिन्दगी में रेल यात्रा करना हर किसी को रोमांच से भर देता है। हम हमेशा कामना करते है कि हमारी यात्रा सुखमयी हो। भारत के लगभग नब्बे

फीसदी लोग रेल से सफर करते है। मेरी प्रथम रेल यात्रा मेरे लिए यादगार है। मैं इसे कभी नहीं भूल सकती हूँ। यह यात्रा मेरे लिए स्मरणीय अनुभव है। मैं महज 10 साल की थी जब मैंने अपनी प्रथम रेल यात्रा की थी। मैं रेलवे स्टेशन जाने के लिए बड़ी उत्सुक थी क्योंकि उसके पहले मैंने सामने से ट्रेन कभी नहीं देखी थी। मैं अपने चाचा चाची के साथ रेलवे स्टेशन पहुंची थी। बहुत सारे कुली रेलवे प्लेटफार्म पर आवाज लगा रहे थे। चाचा ने एक कुली को बुलाकर ट्रेन में सामान रखने के लिए कहा था। ट्रेन रेलवे प्लेटफार्म पर खड़ी थी। मैं गुवाहाटी से हावड़ा जा रही थी। ट्रेन की बोगी में घुसकर चाचा चाची ने सामान अंदर रखा और मैं खिड़की के पास वाले बर्थ पर जाकर बैठ गयी।

 

ट्रेन की खिड़की के बाहर मैंने खूबसूरत दृश्य देखा जैसे पहाड़, पेड़ पौधे, हरभरे लहलहाते खेत भी देखे मेरा मन खुशी से झूम उठा और चाची ने मुझे कहा कि मुझे अपना हाथ ट्रेन की खिड़की से बाहर नहीं निकालना है। पास ही के बर्थ में मेरी उम्र की एक लड़की खेल रही थी। मैं उसके पास चली गयी और हम दोनों की अच्छी दोस्ती हो गयी और हम अपने गुड़ियों के साथ खेलने लगे थे। फिर चाची ने लंच के लिए आवाज लगायी

। बीच बीच में ट्रेन की छुक-छुक आवाज मेरे मन को भा जाती थी। उसके बाद कुछ खिलौने बेचने वाले लोग ट्रेन पर चढ़े थे। मैंने अपने चाचा से जिए कि मुझे नयी गुड़िया दिला दे चाचा को मेरे जिद्द के समक्ष विवश होना पड़ा और उन्होंने खिलौने दिलवाए खिड़की से बाहर का दृश्य बेहद खूबसूरत था। मैं बहुत उत्सुकता से चारों और देख रही थी। क्योंकि यह रेल यात्रा मेरे लिए प्रथम थी और इसकी सारी मीठी बाद मेरे दिल के बेहद करीब है। मेरे लिए यह सफर रोमांच से भरा हुआ था। खिड़की से बाहर की हरियाली बेहद आकर्षक थी और देखने वालों का मन मोह लेती थी मेरे बर्थ के पास जो लड़की थी उसका नाम रौशनी था । हम दोनों अंताक्षरी खेल रहे थे और उसके बाद हमने लूडो भी खेला था। शाम होने को आयी थी ट्रेन की खिड़कियों से ठंडी ठंडी हवा आ रही थी और उसका आनंद हर कोई ले रहा था फिर गरमा गर्म कचोरी और समोसे वाला ट्रेन में आ गया था। हमने मजे से गरमा गर्म कचोरी खाये और चाचा ने चाय भी मंगवाई थी। फिर चाची ने मुझे कहानियों के किताब पढ़ने के लिए दिए था और मैंने परियों और जादुई बाली कहानियां पढ़ी थी । मेरा मन उत्साह से भर चुका था। चाचा अखबार पढ़ने में ज्यादा व्यस्त थे। फिर रात होने को आयी और चाचा ने ट्रेन पर ही रात के खाने का आर्डर दे दिया था। हमने रोटी, सब्जी और मिठाई खायी थी। उसके बाद चाची ने वर्ष पर चादर बिछाई और तकिया लगा दिया और मुझे सोने के लिए कहा। मैं रौशनी के साथ मजे कर रही थी।फिर रात बहुत हो गयी थी और चाची का कहना मानकर में सोने के लिए चली गयी। सुबह पांच बजे मेरी नींद खुली तो देखा चावा चाय की चुस्कियां ले रहे थे। सफर लम्बा था लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा था कि पल भर में समाप्त हो गया ट्रेन अपनी रफ़्तार से भाग रही थी। सफर में भूख बड़ी लग जाती है। फिर गरमा गर्म नाश्ता किया और इस बार थोड़ी मैंने कॉफ़ी भी थी। यहीं मेरी रेल की पहली यात्रा समाप्त हो गई।

 

प्रश्न- निम्नलिखित विषयों पर 120 शब्दों में रचनात्मक लेखन कीजिए-

 

झरोखे से बाहर

सावन की पहली झड़ी

इम्तिहान के दिन महामारी और हम

आधुनिक जीवन शैली

स्वास्थ्य से बड़ा कुछ भी नहीं है

ऑनलाइन शिक्षा लॉकडाउन के मेरे अनुभव

कोरोना वैक्सीन: कोरोना की विदाई

कोरोना काल के बाद की दुनिया भीड़ भरी ट्रेन का अनुभव

जब मेरी ट्रेन छूट गई मेरा यह जन्मदिन जो मुझे आज भी याद है.

स्कूल में मेरा पहला दिन

उस दिन जब मैं बहुत उदास था

मेरे सपनों का स्कूल

मेरे जीवन का लक्ष्य किताबें जो मुझे बहुत प्रिय है

मेरी कहानी

सिनेमा देखने का मेरा पहला अनुभव

खाना पकाना भी एक कला है


 

कहानी, नाटक, रेडियोनाटकलेखन

प्रश्न 1 कहानीऔरनाटकमेंअंतरबताइए |

उत्तर  - जहांकहानीकासंबंधपाठकऔरलेखकसेजुड़ताहैवहींनाटकलेखक, दर्शक, निर्देशक ,पात्र, श्रोता, एवंअन्यलोगोंकोएकदूसरेसेजोड़ताहै।कहानीकहीजातीहैयापढ़ीजातीहै

नाटकमंचपरप्रस्तुतकियाजाताहै।कहानीकोआरंभ ,मध्यऔरअंतकेआधारपरविभाजितकियाजाताहैऔरनाटककोदृश्योंमेंविभाजितकियाजाताहै।कहानीमेंमंचसज्जासंगीत, प्रकाशआदिकाकोईमहत्त्वनहींहैवहींनाटकमेंमंचसज्जा, संगीतवप्रकाशव्यवस्थाकाविशेषमहत्त्वहोताहै।

 

प्रश्न 2 नाटकऔरकहानीमेंक्यासमानताहै ?

उत्तर- कहानीऔरनाटककेकुछमूलतत्वएकहीहैं।कहानीऔरनाटकदोनोंमेंएककहानीहोतीहैपात्रहोतेहैं, परिवेशहोताहै, कहानीकाक्रमिकविकासहोताहै, संवादहोतेहैं, द्वंद्वहोताहै, चरमउत्कर्षहोताहै।

 

प्रश्न 3 कहानीकोनाटकमेंरूपांतरितकरतेसमयकिनबातोंकोध्यानमेंरखाजानाचाहिए?

उत्तर- कहानीकोनाटकमेंरूपांतरितकरनेकेलिए -

1. कहानीकीविस्तृतकथावस्तुकोसमयऔरस्थानकेआधारपरविभाजितकियाजाताहै।

2 कथावस्तुमेंसेएकएकघटनाकोचुनकरउसकेआधारपरदृश्यबनाएजातेहै।

3.दृश्योंकेक्रमिकविकासकेलिएपर्याप्तसंवाददियेजातेहैं

4.  कथावस्तुसेसंबन्धितवातावरणकीव्यवस्थाकीजातीहै।

5.ध्वनिऔरप्रकाशव्यवस्थाकाध्यानरखाजाताहै।

5. कथावस्तु के अनुरूपप्रकाशवमंचसज्जाकीव्यवस्थाकीजातीहै।

7. पात्रोंकेमनोभावोंऔरमानसिकद्वंद्वकोप्रस्तुतकरनेकेलिएस्वगतकथन, वायसओवरयाफ़्लैशबैकआदिकाउपयोगकियाजाताहै।

8. वर्तमानरंगमंचकीसंभावनाओंकोजानेंवअच्छीनाट्यप्रस्तुतियाँदेखें।

 

प्रश्न 4 कहानीकेनाट्यरूपान्तरणमेंदृश्यकैसेहों?

उत्तर-समयऔरस्थानकेआधारपरविभाजितकरकेदृश्यबनाए जाते हैं।ध्यानरहेकिकोईआवश्यकजानकारीछूटनजायेऔर कर्मनबिगड़े।दृश्यकथानककोआगेबढ़ाताहैतोदूसरीओरपात्रोंऔरपरिवेशकोसंवादोंकेमाध्यमसेस्थापितकरताहै।साथ-साथदृश्यअगलेदृश्यकेलिएभूमिकाभीतैयारकरताहैइसलिएयहअवश्यदेखनाचाहिएकिजानकारियाँ, सूचनाएँऔरघटनाएँदोहराईनगईहो।

 

प्रश्न-5 नाटकमेंसंवादकैसेहोनेचाहिए?

उत्तर- दृश्यकेविकासकोसुनिश्चितकरनेकेलिएपर्याप्तसंवादहोनेचाहिए।संवादप्रभावशालीऔरबोलचालकीभाषामेंहो।नाटककेसंवादकहानीकेसंवादोंसेमेलखातेहो।

 

प्रश्न -6 कहानीकेपात्रनाट्यरूपान्तरण में किस प्रकार परिवर्तित किए जा सकते है ?

उत्तर - नाट्यरूपान्तरणकरते समय कहानी के पात्रों कीदृश्यतमकताकानाटककेपात्रोंसेमेचाहिए।पात्रोंकीभंगिमाओंऔरउसकेतौरतरीकोंकाभीउचितध्यानरखनाचाहिए।पात्रघटनाओंकेअनुरूपमनोभावोंकोप्रस्तुतकरनेवालेहोनेचाहिए।पात्रोंकामंचकेसाथमेलहोनाचाहिए।

 

प्रश्न-7नाट्यरूपान्तरणकरतेसमयकौन - कौन सीसमस्याएँआती हैं ?

उत्तर-कथानककोअभिनयकेअनुरूपबनानेमेंसमस्याहोतीहै।मंचसज्जा, संगीत, ध्वनिऔरप्रकाशव्यवस्थाकरनेमेंसमस्याहोतीहै।पात्रोंकेमनोभावोंतथामानसिकद्वन्द्वोंकीप्रस्तुतिमेंसमस्याहोतीहै।संवादकोनाटकीयरूपप्रदानकरनेमें समस्या आती हैं

 

रेडियोनाटक

ध्यानरखनेकीबातें

सिनेमाऔरनाटककीतरहरेडियोनाटकएकदृश्यमाध्यमनहींबल्किश्रव्यमाध्यमहैं |

रेडियोनाटककीप्रस्तुतिसंवादोंऔरध्वनिप्रभावोंकेमाध्यमसेहोतीहैं।

रेडियोनाटककीअवधिसीमितहोतीहैं |

पात्रोंकीसंख्याभीसीमितहोतीहैं |

सिनेमाऔररंगमंचकीतरहरेडियोनाटकमेंभीचरित्रहोतेहैं; संवादहोतेहैंऔरसंवादोंकेज़रियेकहानीआगेबढ़तीहैं |

पूरीतरहश्रव्यमाध्यमहोनेकेकारणसिनेमाऔररंगमंचकेलेखनसेरेडियोनाटकभिन्नहैं |

कहानीकीविषयवस्तुपूरीतरहएक्शनअर्थातहरकतपरननिर्भरहोआमतौरपररेडियोनाटककीअवधि 15 से 30 मिनटतकहोतीहैं।

रेडियोपरनिश्चितअवधिपरनिश्चितकार्यक्रमहोतेहैं।

रेडियोकाश्रोताघरबैठेबैठेकार्यक्रमसुनतेहैं।मनउचटतेहीरेडियोनाटककेश्रोताकिसीऔरस्टेशनकेलिएसूईघुमासकताहैं |

रेडियोनाटककेश्रोताकेवलआवाज़केज़रिएचरित्रोंकोयादरखसकतेहैंइसलिएपत्रोंकीसंख्यासीमितरखनारेडियोनाटककेलिएज़रूरीहैं।

रेडियोनाटककीकहानीकाचुनावकरतेसमयध्यानरखनेकीबातें - कहानीघटनाप्रधाननहो, इसकीअवधिबहुतज्यादानहो, पात्रोंकीसंख्यासीमितहो|रेडियोनाटकमेंदृश्यकेबदलेअंग्रेज़ीमेंकटलिखाजाताहैं।ध्वनिप्रभाव, संवादआदिकेमाध्यमसेश्रोतारेडियोनाटककाआस्वादनकरसकतेहैं।

संवादोंकेज़रियेकहानीआगेबढ़तीहैं |

 

प्रश्न 1रेडियोनाटककिसेकहाजाताहैंऔरआजकेसंदर्भमेंइसकामहत्वक्याहैं ?

उ. रेडियोसेप्रसारितकिएजानेवालानाटकरेडियोनाटककहलाताहैं | वर्त्तमानव्यस्ततापूर्णजीवनमेंजहाँव्यक्तिपाससमयनहींरहतावहांवहघरबैठेबैठेरेडियोनाटककाअस्वादनकरसकतेहैं | अंधेलोगोंकेलिएयहआस्वादनकानयाधरातलहीखड़ाकरताहैं |

 

2) नाटक, सिनेमाऔररेडियोनाटकमेंसमानताक्याक्याहैं ?

3. नाटक, सिनेमाऔररेडियोनाटकमेंइनबातोंपरसमानताहैं - सिनेमाऔररंगमंचकीतरहरेडियोनाटकमेंभीचरित्रहोतेहैं।संवादहोतेहैं।संवादोंकेज़रियेकहानीआगेबढ़तीहैं |

 

 3) नाटक, सिनेमाऔररेडियोनाटकमेंअसमानताक्याक्याहैं ?

3. नाटक, सिनेमाऔररेडियोनाटकमेंइनबातोंपरअसमानताहैं - सिनेमाऔरनाटककीतरहरेडियोनाटकएकदृश्यमाध्यमनहींबल्किश्रव्यमाध्यमहैं।रेडियोनाटककीप्रस्तुतिसंवादोंऔरध्वनिप्रभावोंकेमाध्यमसेहोतीहैं | रेडियोनाटककीअवधिएवंपात्रसंख्यासीमितहोतीहैं | कहानीघटनाप्रधाननहो।

 

4) रेडियोनाटककीअवधिपंद्रहसेतीसमिनटतकनियतरखनेकाक्याकारणहोसकताहैं ?

उ.रेडियोपरनिश्चितअवधिपरनिश्चितकार्यक्रमहोतेहैं।रेडियोकाश्रोताघरबैठेबैठेकार्यक्रमसुनते | मनउचटतेहीरेडियोनाटककेश्रोताकिसीऔरस्टेशनकेलिएसूईघुमासकताहैंइसलिएआमतौरपररेडियोनाटककीअवधि 15 से 30 मिनटतकहोतीहैं |

 

5) रेडियोनाटकमेंपात्रोंकीसंख्यासीमितरखनेकाक्याकारणहैं?

उ. रेडियोनाटककेश्रोताकेवलआवाज़केज़रिएचरित्रोंकोयादरखसकतेहैंइसलिएपत्रोंकीसंख्या ? सीमितरखनारेडियोनाटककेलिएज़रूरीहैं।

 

 6) रेडियोनाटकमेंदृश्यकेबदलेक्यालिखाजाताहैं ?

रेडियोनाटकमेंदृश्यकेबदले 'कट' लिखाजाताहैं।

 

7) रेडियोनाटकमेंपात्रोंकानामलेनाक्योंज़रूरीहोताहैं ?

रेडियोनाटकमेंकौनकिससेबातकररहाहैंहमदेखनहींपाते | इसलिएसंवादजिसचरित्रसेसम्बंधितहैंउसकानामलेनाज़रूरीहोताहैं | इसकेअलावाकोईपात्रविशेषकोईहरकतयाएक्शनकरताहैंउसेभीसंवादकाहिस्साबनानापड़ताहैं |

 

8) रेडियोनाटककीभाषा -शैलीकितनीअहमियतरखतीहैं ?

रेडियोनाटकमेंपात्रोंसंबंधीसभीजानकारीहमेंसंवादोंकेमाध्यमसेमिलतीहैं | पात्रोंकेआपसीसंबंधभीसंवादोंसेव्यक्तहोतीहैं।

 

9) दृश्यश्रव्यमाध्यमोंकीतुलनामेंरेडियोनाटकक्याक्यासीमाएंहैं।इनसीमाओंकोकिसतरहपूराकियाजासकताहैं ?

रेडियोनाटकश्रव्यमाध्यमहोनेकेकारणसंवादोंऔरध्वनिप्रभावोंकेमाध्यमसेहीश्रोताकहानीकीविषयवस्तुकोसमझसकतेहैं।पात्रोंकीसंख्याकोकमरखकरउनकानामलेकरउचितध्वनिप्रभावोंसेएवंपात्रानुकूलभाषाचुनकरइनकमियोंकोपूराकियाजासकताहैं |

 

10) रेडियोनाटकमेंइनदृश्योंकोआपकिसतरहप्रस्तुतकरेंगे ? घनीऔरअंधेरीरात

रोहिणी - हमआगेकैसेचलेंगे | कुछभीदिखाईनहींदेता।मुझेतोडरलगतीहैं | ( झींगुरोंकीआवाज़कुत्तेकारुदनआदि )  सुबहकासमयसुबहछहबजेमिस्टरराठीसेमुलाक़ातहैं।अभीनिकलेतभीतोसाढ़ेपाँचकीबसमिलेगीमदन | ( मंदिरकेगीत, चिड़ियोंकीचहचहाहटआदिकीध्वनि )

 

नएऔरअप्रत्याशितविषयोंपरलेखन

दिएगएनएऔरअप्रत्याशितविषयोंपररचनात्मकलेखन, एकनिबंधात्मकप्रश्नविकल्पसहित 6 अंक)

 

नएऔरअप्रत्याशितविषयोंपरलेखनअप्रत्याशितशब्दकाक्याअर्थहै ? अ + प्रति + आशा + इतअप्रत्याशितअर्थात्जिसकीआशानकीगई |

 

       नएऔरअप्रत्याशितविषयोंपरलेखनसेक्यातात्पर्यहै ?

किसीनएऔरअप्रत्याशितविषयपरकमसमयमेंअपनेविचारोंकोसंकलितकरउन्हेंसुन्दरढंगसेअभिव्यक्तकरनाहीअप्रत्याशितविषयोंपरलेखनकहलाताहै।

 

       अप्रत्याशितविषयोंपरलेखनक्याहै ?

ऐसेविषयजिसकीआपनेकभीआशानकीहोउसपरलेखनकार्यकरनाहीअप्रत्याशितविषयोंपरलेखनहै।

       पारम्परिकऔरअप्रत्याशितविषयोंमेंअंतर

पारम्परिकविषयवोहोतेहैंजोकिसीमुद्दे, विचार, घटना, आदिसेजुड़ेहोतेहैंऔरअधिकतरसामाजिकऔरराजनीतिकविषयहोतेहैं।इसमेंआपअपनीरायकोइतनीप्राथमिकतानदेकरसामूहिकविचारपरजोरदेतेहैं।जबकिअप्रत्याशितविषयोंपरलेखनमेंआपकेअपनेनिजीविचारहोतेहैं।

       नएऔरअप्रत्याशितविषयोंपरलेखनमेंकौन-कौनसीबातोंकाध्यानरखनाचाहिए ?

1. जिसविषयपरलिखनाहैलेखककोउसकीपूरीजानकारीहोनीचाहिए | विषयपरलिखनेसेपहलेलेखककोअपनेमस्तिष्कमेंउसकीउचितरूपरेखाबनालेनीचाहिए

2. विचारविषयसेसुसम्बद्धतथासंगतहोनेचाहिए |

3. विषयसेजुड़ेतथ्योंसेउचिततालमेलहोनाचाहिए |

4. अप्रत्याशितविषयोंकेलेखनमें 'मैं' शैलीकाप्रयोगकरनाचाहिए।

 

अप्रत्याशितविषयोंपरलेखनसेलाभ –

  1. यहआपकीमौलिकरचनाहोगी |
  2. आपकेलेखनकौशलमेंअत्यधिकविकासहोगा।
  3. आपकीभाषापरअच्छीपकड़बनेगी |
  4. आपअपनेविचारोंकोकिसीतर्क, विचारकेमाध्यमसेपुष्टकरनेकीकोशिशकरेंगे |

 

अप्रत्याशितलेखनकाविषयऔरलेखनप्रक्रिया

अप्रत्याशितविषयोंकीसंख्याअपरिमितहोसकतीहैजैसे- आपकेसामनेदीवारपरटंगीघड़ी, एककामकाजीऔरतकीशाम, दीवारमेंबाहरकीओरखुलताहुआझरोखा - कुछभीहोसकताहै।ऐसेविषयभीहोसकतेहैंजिनमेंइनकेमुकाबलेखुलापनथोड़ाकमहोऔर 'फोकस' अधिकस्पष्टहो | जैसे-टी.वी. धारावाहिकमेंस्त्री, बहुतजरुरीहैशिक्षाआदि | येविषयअलग-अलगप्रकृतिकेहोसकतेहैं।इनकाउद्देश्यआपकोतार्किकविचारप्रक्रियामेंउतारनाहै।कोईविषयआपकोअपनीस्मृतियोंकोखंगालनेकेलिएप्रेरितकरताहैतोकोईअनुभवकोसैद्धांतिकनजरियेसेजाँचनेपरखनेकेलिएउकसाताहै | इनआवश्यकताओंकोध्यानमेंरखतेहुएआपजोलिखेंगेवहकभी निबंधबनपड़ेगा, कभीसंस्मरण, कभीरेखाचित्रकीशक्ललेगातोकभीयात्रावृतांतकी | इसलिएहमउसेसामान्यनामदेंगे - लेखताकिऐसानलगेकिकिसीविधाविशेषपरलिखनेकादबावनरहे।अप्रत्याशितविषयोंपरलेखनएकखुलेमैदानमेंभागदौड़, उछलकूदनेकरनेऔरनिर्बाधकुलाँचेंभरनेकीछूटकीतरहहोताहै।दिएगएविषयकेसाहचर्यसेजोभीसार्थकऔरसुसंगतविचारहमारेमेंआतेहैं, उन्हेंहमयहाँव्यक्तकरसकतेहैं।शिक्षाजैसेविषयोंपरलेखनकरतेसमयविचारप्रवाहकोथोड़ानियंत्रितरखनापड़ताहै।किसीभीविषयपरएकहीव्यक्तिकेजेहनमेंकईतरीकोंसेसोचनेकीप्रवृतिहोतीहै | इसस्थितिमेंसबसेपहले 2-3 मिनटठहरकरयहतयकरलेंकिउनमेंसेकिसकोणसेउभरनेवालेविचारोंकोथोड़ाविस्तारदेसकतेहैं | यहतयकरलेनेकेबादएकआकर्षक-सीशुरुआतकरें | शुरुआतविषयकोकैसेसिलसिलेवारआगेबढ़ानाहैइसकीरूपरेखाजहाँमेंहोनीचाहिए |

 

1.सावनकीपहलीझड़ी

पिछलेकईदिनोंसेहवामेंघुटन - सीबढ़गईथी | बाहरतपतासूर्यऔरसबतरफहवामेंनमींकी * अधिकताजीवनदूभरबनारहीथी | बार-बारमनमेंभावउठताकिहेभगवान, कुछतोदयाकरो।नदिनमेंचैननरातकोआँखोंमेंनींद - बीएसगर्मीहीगर्मी, पसीनाहीपसीना | रातकोबिस्तरपरकरवटेंलेते-लेतेपतानहींकबआँखलगगई | सुबहआँखेंखुलीतोअहसासहुआकिखिडकियोंसेठंडीहवाभीतरआरहीहै | उठकरखिड़कीसेबाहरझाँकातोमनख़ुशीसेझूमउठा | आकाशतोकालेबादलोंसेभराहुआथा | आकाशमेंकहींनीलेरंगकीझलकनहीं | सूर्यदेवताबादलोंकेपीछेपतानहींकहाँछिपेहुथे | पक्षीपेड़ोंपरबादलोंकेस्वागतमेंचहचहारहेथे | मोहल्लेसेसारेलोगअपने-अपनेघरोंसेबाहरनिकलमौसमकेबदलतेरंगकोदेखरहेथे | अचानकबादलोंमेंतेजबिजलीकौंधीजोरसेबदलगरजेऔरमोटी-मोटीकुछबूंदेंटपकीकुछलोगइधर-उधरभागेताकिअपने-अपनेघरोंकेबाहरपड़ासामानभीतररखलें | पलभरमेंबारिशकातेजसर्राटाआयाऔरफिरलगातारतेज़बारिशशुरूहोगई | महीनोंसेप्यासीधरतीकीप्यासबुझगई | पेड़-पौधोंकेपत्तेनहागए।उनकाधूल-धूसरितचेहराधुलगयाऔरहरी-भरीदमकफिरसेलौटआई | छोटे-छोटेबच्चेबारिशमेंनहारहेथे, खेलरहेथे, एकदूसरेपरपानीउछालरहेथे।कुछहीदेरमेंसड़केंगलियांछोटे-छोटेनालोंकीतरहपानीभरभरकरबहनेलगींथी | कलरततकदहकनेवालादिनआजखुशनुमाहोगयाथा | तीन-चारघंटेंबाद * बारिशकीगतिकमहुईऔरफिरपांच-दसमिनटकेलिएबारिशरुकगई | सुबहसेशामहोगईहैपरबादलोंपरअँधेराउतनाहीहैजितनासुबहथा | रिमझिमबारिशआरहीहै | घरोंकीछतोंसेपानीपनालोंसेबहरहाहै।यहतोअगलेशनिवारतकऐसेहीरहेगीऐसामेरीमाँकहरहीथीभगवानकरेऐसाहीहो | धरतीकीप्यासबुझजाएऔरहमारेखेतलहलहाउठे |

 

2.एककामकाजीऔरतकीशाम

हमारेदेशमेंमध्यवर्गीयपरिवारोंकेलिएअतिआवश्यकहोचुकाहैकिघरपरिवारकोठीकप्रकारसेचलानेकेलिएपति-पत्नीदोनोंधनकमानेकेलिएकार्यकरेंऔरइसलिएसमाजमेंकामकाजीऔरतोंकीसंख्यानिरंतरबढ़तीजारहीहै | कामकाजीऔरतकीजिंदगीपुरुषोंकीअपेक्षाकठिनहै | वहघर- बाहरकाकामएकसाथसंभालतीहै।उसकीशामतभीआरंभहोजातीहैजबवहअपनेकार्यस्थलसेछुट्टीकेबादबाहरनिकलतीहैवहघरपहुँचनेसेपहलेहीरास्तेमेंआनेवालीरेहड़ीयाबाज़ारसेफल- सब्जियांखरीदतीहै, छोटे-मोटेअन्यसामानकोलेतीहैऔरतबवहघरपहुँचतीहै | तबतकपतिऔरबच्चेभीघरपहुँचचुकेहोतेहैं।दिनभरकीथकी- हारीऔरतकुछआरामकरनाचाहतीहैपरउससेपहलेचायतैयारकरतीहै।यदिवहऔरतसंयुक्तपरिवारमेंरहतीहैतोकुछऔरतैयारकरनेकीफरमाइशेंभीउसेपूरीकरनीपड़तीहै।चायपीते-पीतेवहबच्चोंसे, बड़ोंसेबातचीतकरतीहै | यदिउससमयकोईघरमेंमिलनेकेलिएकोईमेहमानआजाताहैतोसारीशामआगंतुकों (मेहमानों) कीसेवामेंबीतजातीहै | लेकिनयदिऐसानहुआतोभीउसेफिरसेबाज़ारयाकहींऔरजानापड़ताहैताकिघरकेलोगोंकीफरमाइशेंकोपूराकरसके | लौटकरबच्चोंकोहोमवर्ककरनेमेंसहायतादेती 45 हैऔरफिररातकेखानेकीतैयारीमेंलगजातीहै।कभी-कभीउसेआस-पड़ोसकेघरोंमेंभीऔपचारिकतावशजानापड़ताहै।कामकाजीऔरततोचक्करघिन्नीकीतरहहरपलचक्करकाटतीरहतीहै |उसकीशामअधिकतरदूसरोंकीफरमाइशोंकोपूराकरनेमेंबीतजातीहै।वहहरपलचाहतीहैकिउसेभीघरमेंरहनेवालीऔरतोंकेसमानकोईशामअपनेलिएमिलेपरप्रायःऐसाहोहीनहींपाताक्योंकिकामकाजीऔरतकाजीवनतोघड़ीकीसुइयोंसेबंधाहोताहै |

 

 

 

 

 

 

 

 

3.जीनामुश्किलकरतीमहँगाई

अथवा

दिनोंदिनबढ़तीमहँगाई

 

महँगाईउससमस्याकानामहै, जोकभीथमनेकानामनहींलेतीहै।मध्यमऔरनिम्नमध्यमवर्गकेसाथहीगरीबवर्गकोजिससमस्यानेसबसेज्यादात्रस्तकियाहैवहमहँगाईहीहै।समयबीतनेकेसाथहीवस्तुओंकामूल्यनिरंतरबढ़तेजानामहँगाईकहलाताहै।इसकेकारणवस्तुएँआमआदमीकीक्रयशक्तिसेबाहरहोतीजातीहैंऔरऐसाव्यक्तिअपनीमूलभूतआवश्यकताएँतकपूरानहींकरपाताहै।

ऐसीस्थितिमेंकईबारव्यक्तिकोभूखेपेटसोनापड़ताहै।महँगाईकेकारणोंकोध्यानसेदेखनेपरपताचलताहैकिइसेबढ़ानेमेंमानवीयऔरप्राकृतिकदोनोंहीकारणजिम्मेदारहैं।मानवीयकारणोंमेंलोगोंकीस्वार्थवृत्ति, लालचअधिकाधिकलाभकमानेकीप्रवृत्ति, जमाखोरीऔरअसंतोषकीभावनाहै।इसकेअलावात्यागजैसेमानवीयमूल्योंकीकमीभीइसेबढ़ानेमेंआगमेंघीकाकामकरतीहै।

सूखा, बाढ़असमयवर्षा, आँधी, तूफ़ान, ओलावृष्टिकेकारणजबफ़सलेंखराबहोतीहैंतोउसकाअसरउत्पादनपरपड़ताहै।इससेएकअनारसौबीमारवालीस्थितिपैदाहोतीहैऔरमहँगाईबढ़तीहै।महँगाईरोकनेकेलिएलोगोंमेंमानवीयमूल्योंकाउदयहोनाआवश्यकहैताकिवेअपनीआवश्यकतानुसारहीवस्तुएँखरीदें।इसेरोकनेकेलिएजनसंख्यावृद्धिपरलगामलगानाआवश्यकहै।

महँगाईरोकनेकेलिएसरकारीप्रयासभीअत्यावश्यकहै।सरकारकोचाहिएकिवहआयात-निर्यातनीतिकीसमीक्षाकरेतथाजमाखोरोंपरकड़ीकार्यवाहीकरेंऔरआवश्यकवस्तुओंकावितरणरियायतीमूल्यपरसरकारीदुकानोंकेमाध्यमसेकरें।

 

4.समाचार-पत्रएक : लाभअनेक

अथवा

समाचार-पत्र : ज्ञानऔरमनोरंजनकासाधन

 

मनुष्यसामाजिकप्राणीहै।वहअपनेसमाजऔरआसपासकेअलावादेश-दुनियाकीजानकारीकेलिएजिज्ञासुरहताहै।उसकीइसजिज्ञासाकीपूर्तिकासर्वोत्तमसाधनहै-समाचार-पत्र, जिसमेंदेश-विदेशतककेसमाचारआवश्यकचित्रोंकेसाथछपेहोतेहैं।सुबहहुईनहींकिशहरोंऔरग्रामीणक्षेत्रोंमेंसमाचारपत्रविक्रेताघर-घरतकइनकोपहुँचानेमेंजुटजातेहैं।कुछलोगतोसोएहोतेहैंऔरसमाचार-पत्रदरवाजेपरआचुकाहोताहै।

अबसमाचारपत्रअत्यंतसस्ताऔरसर्वसुलभबनगयाहै।समाचारपत्रोंकेकारणलाखोंलोगोंकोरोजगारमिलाहै।इनकीछपाई, ढुलाई, लादने-उतारनेमेंलाखोंलगेरहतेहैंतोएजेंट, हॉकरऔरदुकानदारभीइनसेअपनीजीविकाचलारहेहैं।इतनाहीनहींपुरानेसमाचारपत्रोंसेलिफ़ाफ़ेबनाकरएकवर्गअपनीआजीविकाचलाताहै।छपनेकीअवधिपरसमाचारपत्रकईप्रकारकेहोतेहैं।

प्रतिदिनछपनेवालेसमाचारपत्रोंकोदैनिक, सप्ताहमेंएकबारछपनेवालेसमाचारपत्रोंकोसाप्ताहिक, पंद्रहदिनमेंछपनेवालेसमाचारपत्रकोपाक्षिकतथामाहमेंएकबारछपनेवालेकोमासिकसमाचारपत्रकहतेहैं।अबतोकुछशहरोंमेंशामकोभीसमाचारपत्रछापेजानेलगेहैं।समाचारपत्रहमेंदेश-दुनियाकेसमाचारों, खेलकीजानकारीमौसमतथाबाज़ारसंबंधीजानकारियोंकेअलावाइसमेंछपेविज्ञापनभीभाँति-भाँतिकीजानकारीदेतेहैं।

 

5.भ्रष्टाचारकादानव

अथवा

भ्रष्टाचारसेदेशकोमुक्तबनाएँ

भ्रष्टाचारदोशब्दों ‘भ्रष्ट’ और ‘आचार’ केमेलसेबनाहै, जिसकाअर्थहै-नैतिकएवंमर्यादापूर्णआचारणसेहटकरआचरणकरना।इसतरहकाआचरणजबसत्तामेंबैठेलोगोंयाकार्यालयोंकेअधिकारियोंद्वाराकियाजाताहैतबजनसाधारणकेलिएसमस्याउत्पन्नहोजातीहै।पक्षपातकरना, भाई-भतीजावादकोप्रश्रयदेना, रिश्वतमाँगना, समयपरकामनकरना, कामकरनेकेबदलेअनुचितमाँगरखदेना, भ्रष्टाचारकोबढ़ावादेतेहैं।

भ्रष्टाचारसमाजऔरदेशकेलिएघातकहै।दुर्भाग्यसेआजहमारेसमाजमेंइसकीजड़ेंइतनीगहराईसेजमचुकीहैंकिइसेउखाड़फेंकनाआसाननहींरहगयाहै।भ्रष्टाचारकेकारणदेशकीमानमर्यादाकलंकितहोतीहै।इसेकिसीदेशकेलिएअच्छानहींमानाजाताहै।भ्रष्टाचारकेकारणहीआजरिश्वतखोरी, मुनाफाखोरी, चोरबाज़ारी, मिलावट, भाई-भतीजावाद, कमीशनखोरीआदिअपनेचरमपरहैं।

इससेसमाजमेंविषमताबढ़रहीहै।लोगोंमेंआक्रोशबढ़रहाहैऔरविकासकामार्गअवरुद्धहोताजारहाहै।इसकेकारणसरकारीव्यवस्थाएवंप्रशासनपंगुबनकररहगएहैं।भ्रष्टाचारमिटानेकेलिएलोगोंमेंमानवीयमूल्योंकोप्रगाढ़करनाचाहिए।इसकेलिएनैतिकशिक्षाकीविशेषआवश्यकताहै।लोगोंकोअपनेआपमेंत्यागएवंसंतोषकीभावनामज़बूतकरनीहोगी।यद्यपिसरकारीप्रयासभीइसेरोकनेमेंकारगरसिद्धहोतेहैंपरलोगोंद्वाराअपनीआदतोंमेंसुधारऔरलालचपरनियंत्रणकरनेसेयहसमस्यास्वतःकमहोजाएगी।

 

6.भारतीयनारीकीदोहरीभूमिका

अथवा

कामकाजीस्त्रियोंकीचुनौतियाँ

 

परिवर्तनप्रकृतिकानियमहै।यहपरिवर्तनसमयकेसाथस्वतःहोतारहताहै।मनुष्यभीइसबदलावसेअछूतानहींहै।प्राचीनकालमेंमनुष्यनेनइतनाविकासकियाथाऔरनवहइतनासभ्यहोपायाथा।तबउसकीआवश्यकताएँसीमितथीं।ऐसेमेंपुरुषकीकमाईसेघरचलजाताथाऔरनारीकीभूमिकाघरतकसीमितथी।उसेबाहरजाकरकामकरनेकीआवश्यकतानथी।

वर्तमानसमयमेंमनुष्यकीआवश्यकताइतनीबढ़ीहुईहैकिइसेपूराकरनेकेलिएपुरुषकीकमाईअपर्याप्तसिद्धहोरहीहैऔरनारीकोनौकरीकेलिएघरसेबाहरकदमबढ़ानापड़ा।आजकीनारीपुरुषोंकेसाथकंधेसेकंधामिलाकरलगभगहरक्षेत्रमेंकामकरतीदिखाईदेतीहैं।आजकीनारीदोहरीभूमिकाकानिर्वाहकररहीहै।

घरमेंउसेखानापकाने, घरकीसफ़ाई, बच्चोंकीदेखभालऔरउनकीशिक्षाकादायित्वहैतोवहकार्यालयोंकेअलावाखेल, राजनीतिसाहित्यऔरकलाआदिक्षेत्रोंमेंउतनीहीकुशलताऔरतत्परतासेकार्यकररहीहै।वहदोनोंजगहकीज़िम्मेदारियोंकीचुनौतियोंकोसहर्षस्वीकारतीहुईआगेबढ़रहीहैऔरदोहरीभूमिकाकानिर्वहनकररहीहै।

 

वर्तमानमेंनारीद्वाराघरसेबाहरआकरकामकरनेपरसुरक्षाकीआवश्यकतामहसूसहोनेलगीहै।कुछलोगोंकीसोचऐसीबनगईहैकिवेऐसीस्त्रियोंकोसंदेहकीदृष्टिसेदेखतेहैं।ऐसीस्त्रियोंकोप्रायःकार्यालयमेंपुरुषसहकर्मियोंतथाआते-जातेकुछलोगोंकीकुदृष्टिकासामनाकरनापड़ताहै।इसकेलिएसमाजकोअपनीसोचमेंबदलावलानेकीआवश्यकताहै।


 

पत्रकारिता और जनसंचार माध्यमों के लिए लेखन

 

प्रश्न-1. फीचर को परिभाषित करते हुए फीचर के किन्ही चार प्रकारों के नाम लिखिए ।

उत्तर- फीचर एक सुव्यवस्थित, सृजनात्मक और आत्मिक लेखन है जिसका उद्देश्य पाठकों को सूचना देने, शिक्षित करने के साथ-साथ उनका मनोरंजन करना भी होता है I

फीचर के प्रमुख प्रकार - ()समाचार बैकग्राउंडर फीचर ()खोजपरक फ़ीचर ()साक्षात्कार फीचर ()जीवनशैली फीचर ()रूपात्मक फीचर ()व्यक्तिचित्र फ़ीचर ()यात्रा फ़ीचर ()विशेष रुचि के फ़ीचर

प्रश्न-2. फीचर और समाचार में अंतर स्पष्ट कीजिए I

उत्तर-समाचार उल्टा पिरामिड शैली में लिखे जाते हैं, जबकि फीचर लेखन का कोई एक तय ढाँचा या फार्मूला नहीं होता । फीचर की शैली काफी हद तक कथात्मक शैली की तरह होती हैI

समाचारों में रिपोर्टर अपने विचार नहीं डाल सकता जबकि फीचर में लेखक के पास अपनी राय या दृष्टिकोण और भावनाएँ व्यक्त करने का अवसर होता है ।

समाचार लेखन में संक्षिप्तता का पूर्ण ध्यान रखा जाता है परंतु फीचर लेखन में विषयवस्तु को विस्तार से प्रस्तुत किया जाता है।

प्रश्न-3. पत्रकारीय लेखन तथा साहित्यिक सृजनात्मक लेखन में क्या अंतर है ?

उत्तर- पत्रकारीय लेखन का प्रमुख उद्देश्य सूचना प्रदान करना होता है, इसमें तथ्यों की प्रधानता होती है जबकि साहित्यिक सृजनात्मक लेखन भाव, कल्पना एवं सौंदर्य प्रधान होता है ।

पत्रकारीय लेखन अनिवार्य रूप से तात्कालिकता और अपने पाठकों की रुचियों को ध्यान में रखकर लिखे जाते हैं जबकि साहित्यिक लेखन में लेखक को काफी छूट होती है I

पत्रकारीय लेखन का सम्बन्ध समसामयिक और वास्तविक मुद्दों से होता है जबकि साहित्यिक लेखन काल्पनिक भी हो सकते हैं ।

प्रश्न-4. उल्टा पिरामिड शैली किसे कहते हैं ? स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर - उल्टा पिरामिड शैली में समाचार पत्र के सबसे महत्वपूर्ण तथ्य को सर्वप्रथम लिखा जाता है। उसके बाद घटते हुए महत्व क्रम में दूसरे तथ्यों या सूचनाओं को बताया जाता है। अर्थात कहानी की तरह क्लाइमैक्स अंत में नहीं वरन खबर के प्रारंभ में आ जाता है। इस शैली के अंतर्गत समाचार को तीन भागों में विभाजित किया जाता है   इंट्रो,बॉडी और समापन ।

इंट्रो समाचार का मुख्य भाग होता है । इसमें क्या, कौन, कब और कहाँककारों को आधार बनाया जाता है ।

बॉडी घटते हुए क्रम में खबर को विस्तार से लिखा जाता है और खबर का ब्यौरा प्रस्तुत किया जाता है। इसमें कैसे और क्योंककारों का जवाब दिया जाता है ।

समापन अधिक महत्वपूर्ण ना होने पर अथवा स्पेस ना होने पर इसे काट कर छोटा भी किया जा सकता है।

प्रश्न-5. दूरदर्शन समाचारों के विभिन्न चरणों को स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर- दूरदर्शनसमाचार निम्नलिखित चरणों या सोपानों को पार कर दर्शकों तक पहुँचता है-

फ़्लैश या ब्रेकिंग न्यूज-समाचार को कम से कम शब्दों में तत्काल दर्शकों तक पहुँचाना ।

ड्राई एंकर-खबर के दृश्य प्राप्त होने से पहले एंकर द्वारा खबर के बारे में सीधे-सीधे बताया जाता है ।

फोन इन-एंकर रिपोर्टर से फोन पर बात कर दर्शकों तक सूचनाएँ पहुँचाता है |

एंकर विजुअल-समाचार के साथ–साथ संबन्धित दृश्यों को दिखाया जाना |

एंकर बाइट-खबर से जुड़े प्रत्यक्षदर्शी या संबन्धित व्यक्ति के कथन या बातचीत द्वारा प्रामाणिक खबर प्रस्तुत करना |

लाइव-घटनास्थल से खबर का सीधा प्रसारण |

एंकर पैकेज-इसमें एंकर द्वारा संबन्धित घटना के दृश्य,बाइट, ग्राफिक्स आदि द्वारा खबर को संपूर्णता के साथ प्रस्तुत किया जाता है ।

प्रश्न-6. समाचार लेखन के लिए छह ककार क्या हैं और ये क्यों आवश्यक हैं?

उत्तर-समाचार लेखन के लिए छह सूचनाओं का प्रयोग किया जाता है। ये छह सूचनाएँ-क्या हुआ, कब हुआ, किसके (कौन) साथ हुआ, कहाँ हुआ, क्यों और कैसे हुआ प्रश्नों के उत्तर में प्राप्त होती हैं। यही छह ककार कहलाते हैं। इनमें से प्रथम चार ककार (क्या, कब, कौन, कहाँ) सूचनात्मक व अन्तिम दो ककार (क्यों, कैसे) विवरणात्मक होते हैं। समाचार को प्रभावी एवं पूर्ण बनाने के लिए ही इन छह ककारों का प्रयोग किया जाता है। प्रथम चार ककार समाचार का इण्ट्रो (मुखड़ा) व अन्तिम दो ककार बॉडी व समापन का निर्माण करते हैं।

प्रश्न-7. अखबार और टी.वी. के समाचार लेखन में क्या अन्तर है?

उत्तर-अखबार एक पठन माध्यम है और टी.वी. दृश्य-श्रव्य माध्यम। अखबार का सम्बन्ध मुख्य रूप से साक्षर वर्ग से होता है, जबकि टी.वी. का सम्बन्ध साक्षर व निरक्षर दोनों वर्गों से। दोनों माध्यमों की प्रकृति में अन्तर होने के कारण दोनों के लिए समाचार लेखन में अन्तर होता है। अखबार की भाषा बहुसंख्यक लोगों द्वारा समझी जाने वाली होनी चाहिए। समाचार का आकार उपलब्ध स्पेस के अनुसार होना चाहिए। अखबार के समाचार में कोई गलती या अशुद्धि नहीं होनी चाहिए।

टी.वी. के लिए समाचार लेखन की बुनियादी शर्त दृश्य के साथ लेखन है। दृश्य अर्थात् विजुअल्स के अनुसार ही समाचार लिखा जाता है। टी.वी. पर समाचार के कुछ चरण होते हैं, जैसे-ब्रेकिंग न्यूज, ड्राइ एंकर, फोन इन, एंकर विजुअल्स, एंकर बाइट, लाइव व एंकर पैकेज। इन सभी रूपों को ध्यान में रखते हुए अपेक्षानुसार समाचार लिखा जाता है।

प्रश्न 8. रेडियो समाचार-लेखन के लिए चार बुनियादी बातें लिखिए ।

उत्तर- ()समाचार वाचन के लिये तैयार की गई कॉपी साफ़-सुथरी और टाइप्ड होनी चाहिए ।

()ट्रिपल स्पेस में टाइप किया जाना चाहिए और पर्याप्त हाशिया छोडा़ जाना चाहिए।

()अंकों को लिखने में सावधानी रखनी चाहिए तथा बड़ी संख्याओं को शब्दों में लिखा जाना चाहिए।

()संक्षिप्ताक्षरों के प्रयोग से बचा जाना चाहिए।

()श्रोता वर्ग को ध्यान में रखते हुए सहज, सरल और प्रवाहमान भाषा का प्रयोग करना चाहिए। 

प्रश्न- 9. प्रिंट (मुद्रित) माध्यमों की चार विशेषताएँ लिखिए ।

उत्तर- ()प्रिंट माध्यमों के छपे शब्दों में स्थायित्व होता है।

()हम उन्हें अपनी रुचि और इच्छा के अनुसार धीरे-धीरे पढ़ सकते हैं।

()इन्हें बार-बार पढ़ा जा सकता है तथा पढ़ते-पढ़ते कहीं भी रुककर सोच-विचार कर सकते हैं।

() इन्हें पढ़ने की शुरुआत किसी भी पृष्ठ से की जा सकती है।

()इन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रखकर संदर्भ की भाँति प्रयुक्त किया जा सकता है।

प्रश्न-10. पत्रकार कितने प्रकार के होते हैं ? स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर- पत्रकार तीन तरह के होते हैं-

पूर्णकालिक, अंशकालिक और फ्रीलांसर यानी स्वतंत्र।

(क)पूर्णकालिक पत्रकार किसी समाचार संगठन में काम करने वाला नियमित वेतनभोगी कर्मचारी होता है।

()अंशकालिक पत्रकार (स्ट्रिंगर) किसी समाचार संगठन के लिए एक निश्चित मानदेय पर काम करनेवाला पत्रकार होता है ।

() फ्रीलांसर पत्रकार का संबंध किसी खास अखबार से नहीं होता है, बल्कि वह भुगतान के आधार पर अलग-अलग अखबारों के लिए लिखता है।

प्रश्न-11. इंटरनेट पत्रकारिता क्या है ? भारत में इंटरनेट पत्रकारिता की शुरुआत कब और कैसे  हुई ?

उत्तर - इंटरनेट पर समाचारों का प्रकाशन या आदान-प्रदान इंटरनेट पत्रकारिता कहलाता है। इंटरनेट पत्रकारिता दो रूपों में होती है। प्रथम-समाचार संप्रेषण के लिए नेट का प्रयोग करना । दूसरा- रिपोर्टर अपने समाचार को ई-मेल  द्वारा अन्यत्र भेजने व समाचार को संकलित करने  तथा  उसकी सत्यता, विश्वसनीयता सिद्ध करने के लिए करता है।

  भारत में इंटरनेट पत्रकारिता के पहले चरण की शुरुआत 1993 से तथा दूसरे चरण की शुरुआत 2003 से मानी जाती है। भारत में सच्चे अर्थों में वेब पत्रकारिता करने वाली वैबसाइट ’रीडिफ़ डॉट कॉम, इंडिया इफ़ोलाइन’ व ’सीफ़ी’ हैं । रीडिफ़ को भारत की पहली साइट कहा जाता है । वेब साइट पर विशुद्ध पत्रकारिता शुरू करने का श्रेय ’तहलका डॉट्कॉम’ को जाता है । हिन्दी में नेट पत्रकारिता “वेब दुनिया” के साथ शुरू हुई ।

 

प्रश्न-12. विशेष रिपोर्ट के प्रमुख प्रकार लिखते हुए स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर – (क)खोजी रिपोर्ट (ख) इन-डेप्थ रिपोर्ट (ग) विश्लेषणात्मक रिपोर्ट (घ)विवरणात्मक रिपोर्ट

(क) खोजी रिपोर्ट-इस रिपोर्ट में संवाददाता मौलिक शोध तथा छानबीन के माध्यम से ऐसी सूचनाएँ या तथ्य सामने लाता है जो सार्वजनिक तौर पर पहले से उपलब्ध नहीं होते । प्रायः भ्रष्टाचार, अनियमितता तथा गड़बड़ियों को उजागर करने के लिए खोजी रिपोर्ट लिखी जाती है ।

(ख) इन-डेप्थ रिपोर्ट-इस रिपोर्ट में सार्वजनिक रूप से उपलब्ध तथ्यों, सूचनाओं तथा आँकड़ों की गहराई से छानबीन की जाती है और उसके आधार पर किसी घटना, समस्या या मुद्दे के सभी पहलुओं पर प्रकाश डाला जाता है।

(ग) विश्लेषणात्मक रिपोर्ट-इस रिपोर्ट में किसी घटना या समस्या से संबंधित तथ्यों का विश्लेषण किया जाता है तथा व्याख्या की जाती है ।

(घ) विवरणात्मक रिपोर्ट-इस रिपोर्ट में किसी घटना या समस्या का विस्तृत और सूक्ष्म/बारीक विवरण प्रस्तुत करने की कोशिश की जाती है ।

प्रश्न-13. संपादकीय लेखन किसे कहते हैं ? विस्तार से समझाइए ।

उत्तर-संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित होने वाले संपादकीय को उस अखबार की अपनी आवाज़ माना जाता है । संपादकीय द्वारा संपादक किसी घटना, समस्या या महत्त्वपूर्ण मुद्दे के बारे में अपनी राय प्रकट करते हैं । संपादकीय किसी व्यक्ति विशेष का विचार नहीं होता इसलिए उसे किसी के नाम के साथ नहीं छापा जाता । संपादकीय लिखने का दायित्व अखबार के संपादक तथा उसके सहयोगियों पर होता है। प्रायः अखबार का सहायक संपादक ही संपादकीय लिखता है । कोई बाहर का लेखक या पत्रकार संपादकीय नहीं लिख सकता।

प्रश्न-14. विचारपरक लेखन के अंतर्गत साक्षात्कार/इंटरव्यू क्या है ? अच्छे और सफल साक्षात्कार के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?

उत्तर - समाचार माध्यमों में साक्षात्कार (इंटरव्यू) का अपना अलग ही महत्व है। साक्षात्कार के माध्यम से ही पत्रकार समाचार, फीचर, विशेष रिपोर्ट तथा अनेक प्रकार के पत्रकारीय लेखन की पृष्ठभूमि तैयार करता है। एक अच्छे और सफल साक्षात्कार के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए –

(क)जिस व्यक्ति का साक्षात्कार लिया जा रहा है, उस व्यक्ति के बारे में साक्षात्कारकर्ता को पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए।

(ख)साक्षात्कार से जिस बात की जानकारी लेनी है, उसके लिए साक्षात्कारकर्ता को सजग रहने की आवश्यकता है।

(ग)साक्षात्कारकर्ता को साक्षात्कार करते समय वे ही प्रश्न पूछने चाहिए जो समाचार-पत्र के पाठक के मन में होते हैं।

(घ)एक सफल साक्षात्कारकर्ता अपने साक्षात्कार को प्रश्नोत्तर के रूप में या फिर एक आलेख की तरह लिख सकता है।

प्रश्न-15. बीट रिपोर्टिंग और विशेषीकृत रिपोर्टिंग में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- (क) संवाददाता की रुचि के क्षेत्र विशेष की रिपोर्टिंग को बीट रिपोर्टिंग कहा जाता है जबकि किसी घटना या समस्या के विश्लेषण अथवा छानबीन से संबंधित रिपोर्टिंग को विशेषीकृत रिपोर्टिंग कहा जाता है।

(ख) बीट रिपोर्टिंग करने वाले रिर्पोटर को संवाददाता कहते है जबकि विशेषीकृत रिपोर्टिंग करने वाले को विशेष संवाददाता कहते हैं।

(ग) बीट रिपोर्टिंग के लिए संवाददाता में उस क्षेत्र की जानकारी होना पर्याप्त है उसे सामान्य तौर पर खबरें ही लिखनी होती है जबकि विशेषीकृत रिपोर्टिंग के लिए संवाददाता को सामान्य खबरों से आगे बढ़कर उस क्षेत्र से जुड़ी सूचनाओं का बारीकी से विश्लेषण कर पाठकों के लिए उसका अर्थ स्पष्ट करना होता है।

प्रश्न-16. विशेष लेखन क्या है ? विशेष लेखन के प्रमुख क्षेत्र कौन-कौन से हैं?

उत्तर- विशेष लेखन अर्थात किसी खास विषय पर सामान्य लेखन से हटकर किया गया लेखन । सामान्य रिपोर्टिंग अथवा बीट के अतिरिक्त ऐसे सभी क्षेत्र विशेष लेखन से संबंधित होते हैं जिनमें विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। किसी विषय का विशेषज्ञ ही उस विषय पर विशेष लेखन लिख सकता है। विशेष लेखन के प्रमुख क्षेत्र हैं-

अर्थ-व्यापार, खेल, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, कृषि, विदेश, रक्षा, पर्यावरण, शिक्षा, स्वास्थ्य, फ़िल्म-मनोरंजन, अपराध, सामाजिक मुद्दे, कानून, धर्म और समाज, फैशन आदि ।


 

काव्य-खंड

 

हरिवंश राय बच्चन – आत्मपरिचय

 

प्रश्न:-1 'आत्मपरिचय' कविता के मूल कथ्य को अपने शब्दों में लिखिए। (2-अंक )

उत्तर:- आत्मपरिचय कविता में कवि हरिवंश राय बच्चन कहते हैं कि यद्यपि वह सांसारिक कठिनाइयों से जूझ रहे हैं।फिर भी वह इस जीवन से प्यार करते हैं और वह अपनी आशाओं और निराशाओं उसे संतुष्ट हैं। वह संसार को अपने गीतों द्वद्वों के माध्यम से प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।

 

प्रश्न:-2 आत्मपरिचय कविता में कवि हरिवंश राय बच्चन के व्यक्तित्व का कौन सा पहलू उभरकर सामने आता है?लिखिए। (3-अंक )

उत्तर:- आत्मपरिचय कविता में कवि हरिवंश राय बच्चन के व्यक्तित्व का निम्नलिखित पहलू उभरकर सामने आता है-

(I) कवि अपनी धुन में मस्त रहने वाला व्यक्ति है।

(II) कवि अपने जीवन में मिली आशा से निराशाओं से संतुष्ट है।

(III) कवि संसार को मिथ्या समझते हुए लाभ-हानि , यश-अपयश ,सुख-दुख को समान समझता है।

(IV) कवि संतोषी प्रवृत्ति का है। वह वाणी के माध्यम से अपना आक्रोश प्रकट करता है।

 

हरिवंश राय बच्चन – एक गीत

 

प्रश्न:-1 'मुझसे मिलने को कौन विकल?' से कवि का क्या आशय है? (2-अंक )

उत्तर:- कवि उपर्युक्त पंक्तियों के माध्यम से कहना चाहता है कि इस संसार में मेरा अपना कोई सुधी जन नहीं है जो मेरे लिए परेशान एवं बेचैन हो और मेरे सुख-दुख में मेरा साथ दे। साथ ही कभी यह भी बताना चाहता है कि इसी कारण से उसके जीवन में शिथिलता सी आ गई है।

 

प्रश्न:-2 'दिन जल्दी जल्दी ढलता है’ कविता का क्या संदेश/उद्देश्य है? (3-अंक )

उत्तर:-दिन जल्दी जल्दी ढलता है कविता का प्रथम संदेश यह है कि समय गतिशील और परिवर्तनशील हैI वह किसी के रोके नहीं रुकता। इसलिए हमें समय का महत्व समझते हुए समय पर अपना लक्ष्य पूरा कर लेना चाहिए। बाद में वरना उसके लिए पश्चाताप करना पड़ता है। कविता का दूसरा संदेश यह है कि किसी प्रिय जनों का आलंबन हमारे जीवन में आवश्यक है।उसके कारण ही हमारे प्रयास रूपी कदमों में गतिशीलता एवं तीव्रता आती है।

 

आलोक धन्वा – पतंग

प्रश्न:-1 'पतंग' कविता के आधार पर बाल सुलभ चेष्टाओं को रेखांकित कीजिए।  (2-अंक )

उत्तर:- प्रस्तुत कविता में कवि ने पतंग के बहाने बाल सुलभ चेष्टाओं एवं उमंगों का सुंदर चित्रण किया है। आसमान में उड़ती पतंगों की ऊंचाइयों को बालमन छूना चाहता है और अपनी इच्छाओं को पतंग की तरह विस्तारित करना चाहता है। आसमान में सबसे ऊंचाई तक पतंग उड़ाने का अरमान लिए बच्चे अपनी बाल सुलभ उत्सुकता एवं उत्साह के साथ भादो के बाद शरद ऋतु के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे होते हैं।

 

प्रश्न:-2 'पतंग' कविता में आए बिंबो को रेखांकित कीजिए।  (3-अंक )

उत्तर:- पतंग कविता में कवि आलोक धनवा ने निम्नलिखित बिंबो का प्रयोग किया है-

(I) खरगोश की आंखों जैसा लाल सवेरा।

(II) शरद ऋतु का पुलों को पार करते हुए साइकिल से घंटी बजाते हुए आना।

(III) बच्चों द्वारा पतंग उड़ाते हुए छत पर सभी दिशाओं में दौड़ना।

(IV) बच्चों द्वारा दिशाओं का मिरदंग बजाना।

(V) बच्चों के झुंड को शरद ऋतु द्वारा चमकीले इशारों से बुलाना।

इस तरह से कवि नें प्रस्तुत कविता में सुंदर बिंबों का प्रयोग किया है।

 

 

 

कुँवरनारायण – कविता के बहाने

प्रश्न:-1 'कविता के बहाने' कविता में कवि ने 'कविता' को किस रूप में देखा है और क्यों।  (2-अंक )

उत्तर:- 'कविता के बहाने' कविता में कवि ने 'कविता' को एक खेल के रूप में देखा है। जिस प्रकार खेल से मनोरंजन एवं आत्मसंतुष्टि प्रदान होती है उसी प्रकार कविता से भी शब्दों के माध्यम से मनोरंजन होता है और यह शब्द रूपी खेल रचनाकार को आत्मसंतुष्टि प्रदान होती है।

 

प्रश्न:-2 'बिना मुरझाए महकने के माने' पंक्ति से कवि का क्या आशय है?स्पष्ट कीजिए। (3-अंक )

उत्तर:- कवि कुंवर नारायण के अनुसार चिड़िया की उड़ान की सीमा है ,फूल के खिलने के साथ उसका मुरझाना निश्चित है। इस प्रकार प्रत्येक वस्तु की परिणति निश्चित है ,जबकि कविता शाश्वत होती है। वह सदियों तक अपने नित नए अर्थों से समाज को प्रभावित करती रहती है। कविता की इसी जीवंतता के कारण इसकी महक कभी कम नहीं होती और ना ही कभी मुरझाती है अपितु सदैव बरकरार रहते हुए हरी-भरी बनी रहती है और समाज को सदैव सुवासित करती रहती है। इसी कारण से कविता के माध्यम से जीवन मूल्य पीढ़ी दर पीढ़ी चलते रहते हैं।

 

कुँवरनारायण – बात सीधी थी पर

प्रश्न:-1 'बात सीधी थी पर' कविता में प्रयुक्त मुहावरों को लिखिए।  (2-अंक )

उत्तर:- बात सीधी थी पर कविता में निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग किया गया है -

बात का बन जाना ,पेंच को कील की तरह ठोक देना ,बात का शरारती बच्चे की तरह खेलना ,बात की पेंच खोलना ,बात की चूड़ी मर जाना इत्यादि।

 

प्रश्न:-2 'बात सीधी थी' कविता का कथ्य स्पष्ट कीजिए।  (3-अंक )

उत्तर:- कवि कुंवर नारायण ने बात सीधी थी कविता में कथ्य और माध्यम के द्वंद उकेरते हुए भाषा की सहजता की बात कही है। साथ ही यह भी बताया है कि हर बात के लिए कुछ खास शब्द नियत होते हैं ठीक वैसे ही जैसे हर पेंच के लिए एक निश्चित खाका होता है। सही शब्दों का सही क्रम में सही अर्थ के साथ संयोग होने पर अच्छी कविता अपने आप बन जाती है इसके लिए अतिरिक्त परिश्रम की जरूरत नहीं होती। यह भाषा के सहूलियत से बरतने पर ही होता है।

 

रघुवीर सहाय – कैमरे में बंद अपाहिज

प्रश्न:-1 'कैमरे में बंद अपाहिज' कविता के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।  (2-अंक )

उत्तर:- 'कैमरे में बंद अपाहिज' शीर्षक पूर्णतः उपयुक्त और सार्थक है। शीर्षक कैमरे में बंद अपाहिज अर्थात कैमरे के सामने लाचार और बेबस दिव्यांग(अपाहिज) की मानसिकता का सफल प्रतिनिधित्व करता है यह दूरदर्शन के कार्यक्रम संचालकों की मानसिकता पर करारा व्यंग करता है ,जो दिव्यांग(अपाहिज) को भी अपने निजी स्वार्थ के नाते प्रदर्शन की वस्तु बना देता है।

 

प्रश्न:-2 'कैमरे में बंद अपाहिज' कविता संवेदनहीन होते समाज एवं सामाजिक परिवेश की ज्वलंत कहानी है। स्पष्ट कीजिए।  (3-अंक )

उत्तर:- प्रस्तुत कविता में शारीरिक रूप से दुर्बल व्यक्ति के प्रति करुणा भाव प्रकट करने की ओट में दूरदर्शन कैमरा संचालक अपने निजी स्वार्थ एवं कारोबारी दबाव के नाते अपने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अपाहिज के प्रति संवेदनहीन रवैया अपनाता है। कैमरे वाले दर्शकों को दिखाते हुए अपाहिज की संवेदनाओं को नहीं देखते।दूरदर्शन शारीरक चुनौती झेलते लोगों के प्रति संवेदनशीलता की अपेक्षा संवेदनहीनता का रवैया अपनाता है।

 

शमशेर बहादुर सिंह – उषा

प्रश्न:-1 उषा कविता में आए बिंबों/उपमानो को लिखिए।  (2-अंक )

उत्तर:- उषा कविता में निम्नलिखित बिंबों/उपमानो का प्रयोग किया गया है-

(I) उषा कालीन आकाश लाल केसर से धुली काली सिल जैसा निर्मल और स्वच्छ दिखना।

(II) खुले तालाब में स्नान करते युतियाँ।

(III) ओस से भरा भोर का नभ राख से लीपे हुए चौके जैसा लगना।

(IV) प्रातः काल की रंगत बहुत कुछ नीले शंख जैसा प्रतीत होना।

 

प्रश्न:-2 उषा कविता के मूल प्रतिपाद्य को स्पष्ट कीजिए।  (3-अंक )

उत्तर:- प्रस्तुत कविता में कवि ने अपने मूल प्रतिपाद्य को बिंबों के जरिए प्रस्तुत किया है। वह सूर्योदय के साथ एक जीवंत परिवेश की कल्पना करता है जो गांव की सुबह से जुड़ता है। वहां सिल है ,राख से लीपा हुआ चौका है और स्लेट की कालिमा पर चाक से रंग मलते अदृश्य बच्चों के नन्हें हाथ है। यह एक ऐसे दिन की शुरुआत है जहां रंग है ,गति है और भविष्य की उजास है और इसी के बीच हर कालिमा को चीर कर उषा के आने का एहसास भी है। इस प्रकार कविता उषा सूर्योदय के ठीक पहले के पल-पल परिवर्तित प्रकृति का शब्द चित्र को बखूबी रेखांकित करती है।

 

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला – बादल राग

प्रश्न:-1 कवि निराला ने कविता 'बादल राग' में किस प्रकार की विचारधारा को रेखांकित किया है? (2-अंक )

उत्तर:- कवि निराला ने कविता बादल राग में अपनी प्रगतिवादी विचारधारा को रेखांकित किया है। वह अपनी कविता के माध्यम से समाज में व्याप्त पूंजीवाद का घोर विरोध करते हुए दलित शोषित वर्ग के कल्याण की कामना कर दलित शोषित वर्ग को समाज में उचित स्थान दिलाना चाहते है। इसीलिए कवि बादलों का आह्वान क्रांति के रूप में करता है।

 

प्रश्न:-2 'बादल राग' कविता जीवन निर्माण के नित नये राग का प्रतिनिधित्व करती है स्पष्ट कीजिए।(3-अंक )

उत्तर:- बादल राग कविता में कवि निराला ने लघु मानव की खुशहाली का राग गाया है। वह आम मनुष्य के लिए बादल का आह्वान क्रांति के रूप में करते हैं। किसानों और मजदूरों की आकांक्षाएं बादल को नव निर्माण के राग के रूप में पुकार रही हैं। क्रांति हमेशा शोषित वंचितों का प्रतिनिधित्व करती आई है। धरती के भीतर सोए अंकुर नवजीवन की आशा में सिर ऊंचा करके बादल की ओर देख रहे हैं। इस तरह यह कविता लघु मानव की खुशहाली का राग बन गई है अतः बादल लाख एक और जीवन निर्माण के नए राख का सूचक है तो दूसरी ओर उस भैरव संगीत का जो नव निर्माण का कारण बनता है।

 

तुलसीदास – कवितावली (उत्तरकाण्ड)

प्रश्न:-1 'माँगि के खैबो, मसीत को सोईबो,लैबोको एकु न दैबको दोऊ।' कवितावली में आए इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। (2-अंक )

उत्तर:- आत्मसम्मान और निडरता से लबरेज तुलसीदास जी कहते हैं मुझे अपने संसार के बिगड़ने का कोई भय नहीं है। उनका मानना है कि अपनी भक्ति पर अभिमान किए बिना आराध्य के प्रति हमेशा पूर्ण समर्पण का भाव होना चाहिए। भीख मांग कर खाने में या मस्जिद में सोने में कोई हर्ज नहीं परंतु आत्म सम्मान से कोई समझौता नहीं करना चाहिए। केवल सामाजिक दिखावे के लिए यश-निंदा की परवाह नहीं करनी चाहिए।

 

प्रश्न:-2 तुलसीदास जी ने कवितावली में कितने प्रकार की आग का उल्लेख किया है? तथा सबसे बड़ी आग को शांत करने का क्या उपाय बताया है? (3-अंक )

उत्तर:- गोस्वामी तुलसीदास ने कवितावली में कलयुग का वर्णन करते हुए तीन प्रकार की आगों का उल्लेख किया है। बड़वाग्नि( समुद्र की आग), दावाग्नि( जंगल की आग) और जठराग्नि( पेट की आग)। इन सभी आग में तुलसीदास ने जठराग्नि को सबसे बड़ा माना है। क्योंकि भौतिक रूप से कभी इसको शांत नहीं किया जा सकता इसको बुझाने का एकमात्र उपाय है पूर्ण समर्पण भाव से भगवान राम की स्तुति करना। भगवान राम की कृपा एवं संतोष भाव से ही जठराग्नि को शांत किया जा सकता है।

 

तुलसीदास – लक्ष्मण -मूर्च्छा और राम विलाप

प्रश्न:-1 रावण की बातों को सुनने के बाद कुंभकरण ने अपनी क्या प्रतिक्रिया दी? (2-अंक )

उत्तर:- रावण द्वारा सीता जी के हरण का पूरा वृत्तांत सुनने के पश्चात कुंभकरण दुःखी होकर कहने लगा कि हे भाई तुम मूर्ख हो। साक्षात जगत जननी सीता अर्थात जगदंबा का हरण करके कल्याण की बात सोचना बुद्धिमानी नहीं अपितु मूर्खता ही है। अब किसी भी प्रकार तुम्हारा भला नहीं हो सकता। इस प्रकार से कुंभकरण ने अपनी राय प्रकट की।

 

प्रश्न:-2 लक्ष्मण के मूर्छित होने पर राम किस प्रकार से पश्चाताप करके विलाप कर रहे हैं? अपने शब्दों में लिखिए। (3-अंक )

उत्तर:- गोस्वामी तुलसीदास जी ने राम के विलाप का वर्णन एक साधारण मनुष्य के रूप में किया है। उसी के अनुरूप तुलसी जी राम के मन में हो रहे पश्चाताप के साथ विलाप का वर्णन करते हुए कहते हैं कि पत्नी सीता की हानि कोई विशेष हानि नहीं है क्योंकि उसे दोबारा पाया जा सकता है, जबकि भाई संसार में दोबारा नहीं मिल सकता। यदि उन्हें पता होता कि एक नारी को पाने के प्रयास में भाई को गवाना पड़ेगा तो वह पिता के वचन का अनुसरण नहीं करते और यहां कभी नहीं आते।

 

फ़िराक गोरखपुरी – रुबाइयाँ

प्रश्न:-1 फिराक गोरखपुरी की रुबाइयों में प्रयुक्त लोक भाषा पर प्रकाश डालिए।  (2-अंक )

उत्तर:- फिराक गोरखपुरी ने अपनी रुबाइयों में हिंदी उर्दू मिश्रित भाषा का रूप प्रस्तुत किया है। जिसे हम हिंदुस्तानी भाषा कहते हैं। इन्होंने परंपरागत भाव बोध और सब भंडार को नई भाषा और नए विषयों से जोड़ा है। उन्होंने लोक भाषा के प्रतीकों का अनूठा प्रयोग किया है। यथा- लोका देना ,घुटनों में लेकर कपड़े पिन्हाना ,गेसुओं में कंघी करना ,रूपवती मुखड़ा ,नर्म दमक ,जिदयाया बालक और रस की पुतली इत्यादि।

 

प्रश्न:-2 फिराक की रुबाइयों में 'वात्सल्य का अनूठा प्रयोग' सूरदास के वात्सल्य वर्णन की याद दिलाता है। स्पष्ट कीजिए।  (3-अंक )

उत्तर:- हिंदी जगत में वात्सल्य वर्णन करने में सूरदास का कोई सानी नहीं है।फिराक का वात्सल्य वर्णन अपने घरेलू रूप और सहज भाषा के कारण सूरदास के नजदीक दीखता है। मां का अपने बेटे को हाथ में लेकर झुलाना और बीच-बीच में हवा में उछाल देना, मां का बेटे को घुटनों में लेकर कपड़े पिन्हाना ,गेसुओं में कंघी करना का मनोरम वर्णन बाल सुलभ चेष्टाओं से भरा हुआ है। बालक द्वारा चंद्र खिलौना के लिए जिद करना सूरदास के मुझे चांद चाहिए ,मैया री ,मैं चंद्र खिलौना लैहों जैसी पंक्तियों की सहज याद दिलाता है।

 

उमाशंकर जोशी – छोटा मेरा खेत

प्रश्न:-1 'उस खेत में रोपाई क्षण की कटाई अनंतता की' का आशय स्पष्ट कीजिए।  (2-अंक )

उत्तर:- उमाशंकर जोशी जी कहते हैं कि कवि कर्म भी खेती की तरह है।जैसे खेती में रोपाई से कटाई तक प्रक्रिया श्रम साध्य होती है उसी प्रकार कविता सृजन भी श्रम साध्य है किंतु खेती की फसल का समय निश्चित होता है पकने पर फसल कटकर समाप्त हो जाती है। जबकि कविता अनंत काल तक समाज को आनंदित करती है एवं उनका मार्गदर्शन भी करती रहती है।

 

प्रश्न:-2 कविता छोटा मेरा खेत खेती के रूप में कवि कर्म के हरचरण को बांधने की कोशिश है। कैसे? (3-अंक )

उत्तर:- कवि उमाशंकर जोशी कवि कर्म को किसान कर्म से जोड़ते हैं और कहते हैं कि जिस प्रकार किसान एक बीज को अपने चौकोर खेत में बो देता है फिर उसमें फसलें आती हैं। उसी प्रकार से कवि भी अपने शब्द रूपी बीज को चौकोर कागज के पन्नों पर बोता है और कविता रूपी फसल उगाता है। कवितारुपी फसल की कटाई अनंत काल तक चलती है अर्थात कविता को सदियों तक पढ़ा जाता है और लाभान्वित हुआ जाता है। जिस प्रकार किसान अपनी फसलों को देखकर प्रसंन्नन होता है उसी प्रकार कवि अपनी कविता को देखकर संतुष्ट होता है।

 

उमाशंकर जोशी – बगुलों के पंख

प्रश्न:-1 कविता में आए 'पाँती-बाँधी से कवि का क्या तात्पर्य है? (2-अंक )

उत्तर:-'पाँती-बाँधी से कवि का तात्पर्य एकता से है। जिस प्रकार ऊंचे आकाश में बगुले पंक्ति बांधकर एक साथ चलते हैं। उसी प्रकार मनुष्य को भी एकता के साथ रहना चाहिए। एक होकर चलने से मनुष्य कठिन से कठिन कार्य आसानी से कर सकेगा और निरंतर  विकास के पथ पर अग्रसर रह सकेगा साथ ही साथ उसे किसी का भय भी नहीं रहेगा।

 

प्रश्न:-2 'बगुलों के पंख' कविता का कथ्य स्पष्ट कीजिए? (3-अंक )

उत्तर:- बगुला के पंख कविता एक सुंदर दृश्य की कविता है। कवि आकाश में उड़ते हुए बगुलों की पंक्ति को देखकर तरह-तरह की कल्पनाएं करता है। ये बगुले कजरारे बादलों के ऊपर तैरती साँझ की सफेद काया के समान लगते हैं। कवि को यह दृश्य अत्यंत सुंदर लगता है। वह इस दृश्य में भटक कर रह जाता है। एक तरफ वह इस सौंदर्य से बचना चाहता है तथा दूसरी तरफ वह इसमें बँधकर रहना चाहता है।

 

 

द्वारा :-

राकेश कुमार यादव

स्नातकोत्तर शिक्षक हिंदी

                                                                                       केन्द्रीय विद्यालय मालकनगिरी ,ओड़िसा


 

 गद्य खंड   प्रश्नोत्तर

पाठ – भक्तिन

प्रश्न 1- भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी? भक्तिन नाम किसने और क्यों दिया होगा? 2
उत्तर –  भक्तिन का वास्तविक नाम लछमिन अर्थात् लक्ष्मी था जिसका अर्थ है धन की देवी। लेकिन लक्ष्मी के पास धन बिलकुल नहीं था। वह बहुत गरीब थी। इसलिए वह अपना वास्तविक नाम छुपाती थी। उसे यह नाम उसके घरवालों ने दिया होगा। भारतीय समाज में लड़की का पैदा होना वास्तव में लक्ष्मी का घर आना माना जाता है। इसलिए उसके जन्म लेने पर उसका यह नाम रख दिया।

प्रश्न -2 महादेवी ने भक्तिन के जीवन को कितने परिच्छेदों में बाँटा?  2
उत्तर – महादेवी ने भक्तिन के जीवन को चार परिच्छेदों में बाँटा जो निम्नलिखित हैं –
प्रथम – विवाह से पूर्व।
दवितीय – ससुराल में सधवा के रूप में।
तृतीय – विधवा के रूप में।
चतुर्थ – महादेवी की सेवा में।

 

प्रश्न – 1 भक्तिन पाठ के अधार पर भक्तिन का चरित्र – चित्रण कीजिए।   3

अथवा  

पाठ के आधार पर भक्तिन की तीन विशेषताएँ बताइए।
उत्तर – ‘भक्तिन’ लेखिका की सेविका है। लेखिका ने उसके जीवन-संघर्ष का वर्णन किया है। उसके चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं?

1.     परिश्रमी-भक्तिन कर्मठ महिला है। ससुराल में वह बहुत मेहनत करती है। वह घर, खेत, पशुओं आदि का सारा कार्य अकेले करती है। लेखिका के घर में भी वह उसके सारे कामकाज को पूरी कर्मठता से करती है। वह लेखिका के हर कार्य में सहायता करती है।

2.     स्वाभिमानिनी-भक्तिन बेहद स्वाभिमानिनी है। पिता की मृत्यु पर विमाता के कठोर व्यवहार से उसने मायके जाना छोड़ दिया। पति की मृत्यु के बाद उसने किसी का पल्ला नहीं थामा तथा स्वयं मेहनत करके घर चलाया। जमींदार द्वारा अपमानित किए जाने पर वह गाँव छोड़कर शहर आ गई।

3.     महान सेविका-भक्तिन में सच्चे सेवक के सभी गुण हैं। लेखिका ने उसे हनुमान जी से स्पद्र्धा करने वाली बताया है। वह छाया की तरह लेखिका के साथ रहती है तथा उसका गुणगान करती है। वह उसके साथ जेल जाने के लिए भी तैयार है। वह युद्ध, यात्रा आदि में हर समय उसके साथ रहना चाहती है।

प्रश्न 2- भक्तिन का जीवन सदैव दुखों से भरा रहा। स्पष्ट कीजिए ?           3
उत्तर – भक्तिन का जीवन प्रारंभ से ही दुखमय रहा। बचपन में ही माँ गुजर गई। विमाता से हमेशा भेदभावपूर्ण व्यवहार मिला। विवाह के बाद तीन लड़कियाँ उत्पन्न करने के कारण उसे सास व जेठानियों का दुव्र्यवहार सहना पड़ा। किसी तरह परिवार से अलग होकर समृद्ध पाई, परंतु भाग्य ने उसके पति को छीन लिया। ससुराल वालों ने उसकी संपत्ति छीननी चाही, परंतु वह संघर्ष करती रही। उसने बेटियों का विवाह किया तथा बड़े जमाई को घर-जमाई बनाया। शीघ्र ही उसका देहांत हो गया। इस तरह उसका जीवन शुरू से अंत तक दुखों से भरा रहा।

 

प्रश्न - महादेवी वर्मा और भक्तिन के सबधों की तीन विशिष्टताओं का उल्लेख कीजिए।          3
उत्तर – महादेवी वर्मा और भक्तिन के संबंधों की तीन विशिष्टताएँ निम्नलिखित हैं –

1.     परिश्रमी – परिश्रमी भक्तिन कर्मठ महिला है। ससुराल में वह बहुत मेहनत करती है। वह घर, खेत, पशुओं आदि का सारा कार्य अकेले करती है। लेखिका के घर में भी वह उसके सारे कामकाज को पूरी कर्मठता से करती है। वह लेखिका के हर कार्य में सहायता करती है।

2.     स्वाभिमानिनी – भक्तिन बेहद स्वाभिमानिनी थी। पिता की मृत्यु पर विमाता के कठोर व्यवहार से उसने मायके जाना छोड़ दिया। पति की मृत्यु के बाद उसने किसी का पल्ला नहीं थामा तथा स्वयं मेहनत करके घर चलाया। जमींदार द्वारा अपमानित किए जाने पर वह गाँव छोड़कर शहर आ गई।

3.     महान सेविका – भक्तिन में सच्ची सेविका के सभी गुण थे। लेखिका ने उसे हनुमान जी से स्पर्धा करने वाली बताया है। वह छाया की तरह लेखिका के साथ रहती है तथा उसका गुणगान करती है। वह उसके साथ जेल जाने के लिए भी तैयार है। वह युद्ध, यात्रा आदि में हर समय उसके साथ रहना चाहती है।

 

पाठ - ‘बाजार दर्शन

प्रश्न 1:‘बाजार दर्शन से क्या अभिप्राय है? 2
उत्तर –बाजार दर्शन’ से अभिप्राय है-बाजार के बारे में बताना । लेखक ने बाजार की प्रवृत्ति, ग्राहक के प्रकार, आधुनिक ग्राहकों की सोच आदि के बारे में पाठकों को बताया है।

प्रश्न –2 बाजार का जादू किन पर चलता हैं और क्यों?      2
उत्तर –बाजार का जादू उन लोगों पर चलता है जो खाली मन के होते हैं तथा जेब भरी होती है। ऐसे लोगों को अपनी जरूरत का पता ही नहीं होता। वे ‘पर्चेजिंग पावर’ को दिखाने के लिए अनाप-शनाप वस्तुएँ खरीदते हैं ताकि लोग उन्हें बड़ा समझे। ऐसे व्यक्ति बाजार को सार्थकता प्रदान नहीं करते।

प्रश्न 3खाली मन तथा भरी जब से लेखक का क्या आशय है? ये बातें बाजार को कैसे प्रभावित करती हैं?
उत्तर –‘खाली मन तथा भरी’ जेब से लेखक का आशय है – मन में किसी निश्चित वस्तु को खरीदने की इच्छा न होना या वस्तु की आवश्यकता न होना।परंतु जब जेबें भरी हो तो व्यक्ति आकर्षण के वशीभूत होकर वस्तुएँ खरीदता है। इससे बाजारवाद को बढ़ावा मिलता है। 2

 

प्रश्न 1बाजार का जादू क्या हैं ? उसके चढ़ने-उतरने का मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ता हैं?’बाजार दर्शान’ पाठ के आधार पर उत्तर लिखिए।         3
उत्तर –बाजार की तड़क-भड़क और वस्तुओं के रूप-सौंदर्य से जब ग्राहक खरीददारी करने को मजबूर हो जाता है तो उसे बाजार का जादू कहते हैं। बाजार का जादू तब सिर चढ़ता है जब मन खाली हो। मन में निश्चित भाव न होने के कारण ग्राहक हर वस्तु को अच्छा समझता है तथा अधिक आराम व शान के लिए गैर जरूरी चीजें खरीदता है। इस तरह वह जादू की गिरफ़्त में आ जाता है। वस्तु खरीदने के बाद उसे पता चलता है कि फ़ैसी चीजें आराम में मदद नहीं करतीं, बल्कि खलल उत्पन्न करती हैं। इससे वह झुंझलाता है, परंतु उसके स्वाभिमान को सेंक मिल जाती है।

प्रश्न 2  कैसे लांग बाजार से न सच्चा लाम उठा पाते हैं, न उसे सच्चा लाभ दे सकते हैं? वे “बाजारूपन” को कैसे बढ़ाते है ?    3
उत्तर – लेखक कहता है कि समाज में कुछ लोग क्रय-शक्ति के बल पर बाजार से वस्तुएँ खरीदते हैं, परंतु उन्हें अपनी जरूरत का पता ही नहीं होता। ऐसे लोग बाजार से न सच्चा लाभ उठा पाते हैं, न उसे सच्चा लाभ दे सकते हैं। वे धन के बल पर बाजार में कपट को बढ़ावा देते हैं। वे समाज में असंतोष बढ़ाते हैं। वे सामान्य लोगों के सामने अपनी क्रय-शक्ति का प्रदर्शन करते हैं। वे शान के लिए उत्पाद खरीदते हैं। इस प्रकार से वे बाजारूपन को बढ़ाते हैं।

 

पाठ - काले मेघा पानी दे

प्रश्न 1: ‘पानी दे ,गुड़धनी दे’ मेघों से पानी के साथ – साथ गुड़धनी की माँग क्यों की जा रहा है ? 2
उत्तर – ‘गुड़धानी’ शब्द का वैसे तो अर्थ होता है गुड़ और चने से बना लड्डू लेकिन यहाँ गुड़धानी से आशय ‘अनाज’ से है। बच्चे पानी की माँग तो करते ही हैं लेकिन वे इंदर से यह भी प्रार्थना करते हैं कि हमें खुब अनाज भी देना ताकि हम चैन । से खा पी सकें। केवल पानी देने से हमारा कल्याण नहीं होगा। खाने के लिए अन्न भी चाहिए। इसलिए हमें गुड़धानी भी दो।

प्रश्न 2: ‘गगरी फूटी बैल पियासा’ से लेखक का क्या आशय हैं?    
उत्तर – इंदर सेना गाती है – काले मेधा पानी दे, गगरी फूटी बैल पियास। इस पंक्ति में ‘बैल’ को प्रमुखता दी गई है। ‘बैल’ ग्रामीण जीवन का अभिन्न हिस्सा है। कृषि-कार्य उसी पर आधारित है। वह खेतों को जोतकर अन्न उपजाता है। उसके प्यासे रहने से कृषि-कार्य बाधित होता है। कृषि ठीक ढंग से न हो मजवनासुव नाह ह सकता। इस कण दि सेना के इसा खेलतमें बैलो के प्यासा एनेक बात मुक्त हुई है।

 

प्रश्न 1:  लोगों ने लड़कों की टोली को मेढक – मंडली नाम किस आधार पर दिया ? यह टोली अपने आपको इंदर सेना कहकर क्यों बुलाटी थी ?                  3
उत्तर –  लोग जब इन लड़कों की टोली को कीचड़ में धंसा देखते, उनके नंगे शरीर को, उनके शोर शराबे को तथा उनके कारण गली में होने वाली कीचड़ या गंदगी को देखते हैं तो वे इन्हें मेढक-मंडली कहते हैं। लेकिन बच्चों की यह टोली अपने आपको इंदर सेना कहती थी क्योंकि ये इंदर देवता को बुलाने के लिए लोगों के घर से पानी माँगते थे और नहाते थे। प्रत्येक बच्चा अपने आपको इंद्र कहता था इसलिए यह इंदर सेना थी।

 

प्रश्न 2: जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया?                     3
उत्तर – जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने के समर्थन में कई तर्क दिए जो निम्नलिखित हैं –

1.     किसी से कुछ पाने के लिए पहले कुछ चढ़ावा देना पड़ता है। इंद्र को पानी का अध्र्य चढ़ाने से ही वे वर्षा के जरिये पानी देंगे।

2.     त्याग भावना से दिया गया दान ही फलीभूत होता है। जिस वस्तु की अधिक जरूरत है, उसके दान से ही फल मिलता है। पानी की भी यही स्थिति है।

3.     जिस तरह किसान अपनी तरफ से पाँच-छह सेर अच्छे गेहूँ खेतों में बोता है ताकि उसे तीस-चालीस मन गेहूँ मिल सके, उसी तरह पानी की बुवाई से बादलों की अच्छी फसल होती है और खूब वर्षा होती है।

प्रश्न 2: मेढ़क मडली पर पानी डालने को लेकर लखक और जीजी के विचारों में क्या भिन्नता थी?   3
उत्तर –मेढक मंडली पर पानी डालने को लेकर लेखक का विचार यह था कि यह पानी की घोर बर्बादी है। भीषण गर्मी में जब पानी पीने को नहीं मिलता हो और लोग दूर-दराज से इसे लाए हों तो ऐसे पानी को इस मंडली पर फेंकना देश का नुकसान है। इसके विपरीत, जीजी इसे पानी की बुवाई मानती हैं। वे कहती हैं कि सूखे के समय हम अपने घर का पानी इंदर सेना पर फेंकते हैं, तो यह भी एक प्रकार की बुवाई है। यह पानी गली में बोया जाता है जिसके बदले में गाँवों, शहरों में, कस्बों में बादलों की फसल आ जाती है।

 

पाठ - ‘पहलवान की ढोलक’

प्रश्न 1: ढोलक की आवाज का पूरे गाँव पर क्या असर होता था?              2

अथवा

पहलवान की ढोलक की उठती-गिरती आवाज बीमारी से दम तोड़ रह ग्रामवासियों में सजीवनी का सचार कैसे करती है? उत्तर दीजिए।

उत्तर – ढोलक गाँववालों के लिए संजीवनी का काम करती थी। उनके मन में छाई उदासी को दूर करने में सहायक थी। उनके मन में जिजीविषा पैदा हो जाती थी। ढोल की हर थाप से उनके मन में चेतना आ जाती थी। बूढे, बच्चे जवानों की आँखों में अचानक चमक भर जाती थी। स्पंदनहीन और शक्तिहीन रगों में अचानक बिजली की तरह खून दौड़ने लगता था।

 

प्रश्न 2: ‘लुट्टन को गाँव वापस क्यों आना पडा?               2
उत्तर –तत्कालीन राजा कुश्ती के शौकीन थे, परंतु उनकी मृत्यु के बाद विलायत से शिक्षा प्राप्त करके आए राजकुमार ने सत्ता संभाली। उन्होंने राजकाज से लेकर महल के तौर-तरीकों में भी परिवर्तन कर दिए। मनोरंजन के साधनों में कुश्ती का स्थान घुड़-दौड़ ने ले लिया। अत: पहलवानों पर राजकीय खर्च का बहाना बनाकर उन्हें जवाब दे दिया गया। इस कारण लुट्टन को गाँव वापस आना पड़ा।

 

प्रश्न 1: कहानी के किस-किस मोड़ पर लुट्टन के जीवन में क्या-क्या परिवतन आए?   3
उत्तर – कहानी में अनेक मोड़ ऐसे हैं जहाँ पर लुट्टन के जीवन में परिवर्तन आते हैं। वे निम्नलिखित हैं-

1.     बचपन में नौ वर्ष की आयु में उसके माता-पिता की मृत्यु हो गई और उसका पालन-पोषण उसकी विधवा सास ने किया। सास पर हुए अत्याचारों को देखकर बदला लेने के लिए वह पहलवानी करने लगा।

2.     किशोरावस्था में उसने श्यामनगर दंगल में चाँद सिंह नामक पहलवान को हराया तथा ‘राज-पहलवान’ का दर्जा हासिल किया।

3.     वह पंद्रह वर्ष तक राज-दरबार में रहा। उसने अपने दोनों बेटों को भी पहलवानी सिखाई। राजा साहब के अचानक स्वर्गवास के बाद नए राजा ने उसे दरबार से हटा दिया। वह गाँव लौट आया।

4.     गाँव आकर उसने गाँव के बाहर अपना अखाड़ा बनाया तथा ग्रामीण युवकों को कुश्ती सिखाने लगा।अकस्मात सूखा व महामारी से गाँव में हाहाकार मच गया। उसके दोनों बेटे भी इस महामारी की चपेट में आ गए। वह उन्हें कंधे पर लादकर नदी में बहा आया।पुत्रों की मृत्यु के बाद वह कुछ दिन अकेला रहा और अंत में चल बसा।

 

प्रश्न 2: लुट्टन पहलवान ने ऐसा क्यों कहा होगा कि ‘मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं यहींढोल है’ ?        3

अथवा

‘पहलवान की ढोलक’ पाठ के आधार बताइए कि लुट्टन सिंह ढोल को अपना गुरु क्यों मानता था?
उत्तर – वास्तव में, लुट्न पहलवान का कोई गुरु नहीं था। जब पहली बार वह दंगल देखने गया तो वहाँ ढोल की थाप पर दांव-पेंच चल रहे थे। पहलवान ने इन थापों को ध्यान से सुना और उसमें अजीब-सी ऊर्जा भर गई। उसने चाँद सिंह को ललकारा और उसे चित कर दिया। ढोल की थाप ने उसे दंगल लड़ने की प्रेरणा दी और वह जीत गया। इसीलिए उसने कहा होगा कि उसका गुरु कोई पहलवान नहीं बल्कि यही ढोल है।

 

पाठ - ‘शिरीष के फूल’

प्रश्न 1 शिरीष की तीन ऐसी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए जिनके कारण आचार्य हजारी प्रसाद दविवेद ने उसे ‘कलजारी अवधूत’ कहा है।
उत्तर –आचार्य हजारी प्रसाद द्रविवेदी ने शिरीष को ‘कालजयी अवधूत’ कहा है। उन्होंने उसकी निम्नलिखित विशेषताएँ बताई हैं –

1.     वह संन्यासी की तरह कठोर मौसम में जिंदा रहता है।

2.     वह भीषण गरमी में भी फूलों से लदा रहता है तथा अपनी सरसता बनाए रखता है।

3.     वह कठिन परिस्थितियों में भी घुटने नहीं टेकता।

4.     वह संन्यासी की तरह हर स्थिति में मस्त रहता है।

 

प्रश्न 2 लेखक ने शिरीष के माध्यम से किस दवंदव को व्यक्त किया है ?
उत्तर – लेखक ने शिरीष के पुराने फलों की अधिकार-लिप्सु खड़खड़ाहट और नए पत्ते-फलों द्वारा उन्हें धकियाकर बाहर निकालने में साहित्य, समाज व राजनीति में पुरानी व नयी पीढ़ी के द्वंद्व को बताया है। वह स्पष्ट रूप से पुरानी पीढ़ी व हम सब में नएपन के स्वागत का साहस देखना चाहता है।

 

प्रश्न 1: लेखक ने शिरीष को कालजयी अवधूत (सन्यासी) की तरह क्यों माना है ? 

अथवा

शिरीष की तुलना किससे और क्यों की गई हैं?
उत्तर – कालजयी संन्यासी का अर्थ है हर युग में स्थिर और अवस्थित रहना। वह किसी भी युग में विचलित या विगलित नहीं होता। शिरीष भी कालजयी अवधूत है। वसंत के आगमन के साथ ही लहक जाता है और आषाढ़ तक निश्चित रूप से खिला रहता है। जब उमस हो या तेज़ लू चल रही हो तब भी शिरीष खिला रहता है। उस पर उमस या लू का कोई प्रभाव पड़ता नहीं दिखता। वह अजेयता के मंत्र का प्रचार करता रहता है इसलिए वह कालजयी अवधूत की तरह है।

प्रश्न 2:“हृदय की कोमलता को बचाने के लिए व्यवहार की कठोरता भी कभी-कभी जरूरी हो जाती हैं।” ‘शिरीष के फूल’ पाठ के आधार पर स्पष्ट करें?                     3
उत्तर –हृदय की कोमलता को बचाने के लिए व्यवहार की कठोरता भी कभी-कभी जरूरी हो जाती है। मनुष्य को हृदय की कोमलता बचाने के लिए बाहरी तौर पर कठोर बनना पड़ता है तभी वह विपरीत दशाओं का सामना कर पाता है। शिरीष भी भीषण गरमी की लू को सहन करने के लिए बाहर से कठोर स्वभाव अपनाता है तभी वह भयंकर गरमी, लू आदि को सहन कर पाता है। संत कबीरदास, कालिदास ने भी समाज को उच्चकोटि का साहित्य दिया, परंतु बाहरी तौर पर वे सदैव कठोर बने रहे।

 

पाठ - ‘ श्रम  विभाजन जाति प्रथा , मेरी कल्पना का आदर्श समाज

                                               

प्रश्न 1 डॉ० आंबेडकर की कल्पना का समाज कैसा होगा ?                                         2

उत्तर –डॉ० आंबेडकर का आदर्श समाज स्वतंत्रता, समता व भाईचारे पर आधारित होगा। सभी को विकास के समान अवसर मिलेंगे तथा जातिगत भेदभाव का नामोनिशान नहीं होगा। समाज में कार्य करने वाले को सम्मान मिलेगा।

 

 

प्रश्न 2  डॉ० आंबेडकर की दृष्टि में लोकतंत्र क्या है ?                            2

उत्तर ––डॉ० आंबेडकर की दृष्टि में लोकतंत्र केवल शासन की एक पद्धति नहीं है। वस्तुत: यह सामूहिक जीवनचर्या की एक रीति और समाज के सम्मिलित अनुभवों के आदान-प्रदान का नाम है। इसमें यह आवश्यक है कि अपने साथियों के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव हो।

 

प्रश्न 1   मनुष्य की क्षमता किन बातों पर निर्भर होती है ?                      3

उत्तर –मनुष्य की क्षमता निम्नलिखित बातों पर निर्भर होती है –

1 शारीरिक वंश-परंपरा के आधार पर।

2 सामाजिक उत्तराधिकार अर्थात सामाजिक परंपरा के रूप में माता-पिता की प्रतिष्ठा, शिक्षा, ज्ञानार्जन आदि उपलब्धियों के लाभ पर।

3 मनुष्य के अपने प्रयत्न पर।

 

प्रश्न  2 जाति-प्रथा को श्रम-विभाजन का आधार क्यों नहीं माना जा सकता? पाठ से उदाहरण देकर समझाइए।

उत्तर –जातिप्रथा को श्रम विभाजन का ही एक रूप न मानने के पीछे आंबेडकर के निम्नलिखित तर्क हैं

1 जाति प्रथा श्रम विभाजन के साथ-साथ श्रमिक विभाजन भी कराती है। सभ्य समाज में श्रमिकों का विभिन्न वर्गों में विभाजन अस्वाभाविक है।

2 जाति प्रथा में श्रम विभाजन मनुष्य की रुचि पर आधारित नहीं है। इसमें मनुष्य के प्रशिक्षण अथवा निजी क्षमता का विचार किए बिना किसी दूसरे के द्वारा उसके लिए पेशा निर्धारित कर दिया जाता है। यह जन्म पर आधारित होता है।

3 भारत में जाति प्रथा मनुष्य को जीवन भर के लिए एक पेशे में बाँध देती है, भले ही वह पेशा उसके लिए अनुपयुक्त या अपर्याप्त क्यों न हो। इससे उसके भूखों मरने की नौबत आ जाती है।


 

हिंदी  (Set 1)

कक्षा 12

समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80

सामान्य निर्देश :

  1. इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड ‘अ’ और ‘ब’। कुल प्रश्न 13 हैं।
  2. खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
  3. खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
  4. प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दीजिए।
  5. दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  6. यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।

खण्ड ‘अ’: वस्तुपरक-प्रश्न
अपठित गद्यांश

1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (1 × 10 = 10)

जिस समय लोकमान्य तिलक ने राजनीतिक क्षेत्र में कदम रखा उस समय पूरा देश ‘चैतन्यहीन’ और ‘स्वत्वहीन’ हो चुका था। देश के करोड़ों निवासी जंगल के सूखे पत्तों की तरह अस्त-व्यस्त थे। उनमें जीवन नहीं था, एकता नहीं थी, उनका आत्मविश्वास मर चुका था। उनके मन में यह भरा जा चुका था कि अंग्रेज़ी साम्राज्य इस देश पर सदा शासन करने वाला है। इस परिस्थिति को बदलने की आवश्यकता तिलक ने महसूस की। उन्होंने उन्हीं असंगठित पत्तों जैसे लोगों को इकट्ठा किया और उनमें राष्ट्रीय स्वातंत्र्य के लिए संकल्प जगाया। देश का बहुसंख्यक समाज परलोक को अधिक महत्त्व देता था और इस लोक के प्रति उदासीन था। इस दृष्टि को बदलकर उन्हें जीवनोन्मुख बनाया। इस कार्य के लिए उन्होंने भगवद्गीता को नया अर्थ दिया और कर्मयोग के सिद्धान्त को लोगों के सामने रखा जो राष्ट्रीय पुनर्जागरण के कार्य में बड़ा ही महत्त्वपूर्ण और प्रेरणादायक सिद्ध हुआ। तब हालत कुछ ऐसी थी कि अपने समाज के दोष दिखाने और पाश्चात्य समाज, जीवन, विचार और कृतित्व का गुणगान करने में ही हमारे पढ़े-लिखे विचारक गौरव महसूस करते थे। भारत के बहुसंख्यक समाज की धर्म-प्रणाली, रीति-रिवाज, समाज-व्यवस्था सभी उनकी दृष्टि में हेय थी। तिलक ने इस बात को समझा और अपने समाज, धर्म और इतिहास के प्रति लोगों का अभिमान जगाया। इसी के साथ उन्होंने समाज के विभिन्न गुटों के मध्य उत्पन्न हुए विरोधों को दूर कर राष्ट्रीयता की भावना को पैदा किया और राष्ट्रीयता की भावना से ही पूर्ण स्वराज्य की माँग का उदय हुआ जिसका प्रेरक वाक्य था-“स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार

(i)            गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक होगा
(क) तिलक का जीवन परिचय
(ख) स्वतंत्रता आंदोलन में तिलक का योगदान
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं।

(ii)           (ii) तिलक की राष्ट्रीयता की भावना किस रूप में प्रतिफलित हुई?
(क) स्वराज्य की माँग के
(ख) पाकिस्तान की माँग के
(ग) इंग्लैण्ड की माँग के
(घ) सभी


(iii) ‘चैतन्यहीन’ से क्या तात्पर्य है?
(क) चेतना विहीन
(ख) आत्मविश्वास परिपूर्ण
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं।

(iv) भारतीयों की तुलना किससे की है?
(क) गीले पत्ते
(ख) सूखे पत्ते
(ग) मिट्टी
(घ) पेड़

(v) भारतीय पढ़े-लिखे विचारकों की दृष्टि में हेय क्या था?
(क) रीति-रिवाज़
(ख) समाज-व्यवस्था
(ग) धर्म-प्रणाली
(घ) सभी


(vi) तिलक ने लोगों में कैसा स्वाभिमान जाग्रत किया?
(क) राष्ट्रीय
(ख) अन्तर्राष्ट्रीय
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं।


(vii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) देशवासियों के मन में यह बस चुका था कि अंग्रेज़ सदा के लिए शासन करने वाले हैं।
(II) देशवासियों के मन में यह बस चुका था कि अंग्रेज़ सदा के लिए शासन नहीं करने वाले हैं।
(III) अंग्रेज़ सदा से भारतीयों की मदद करते आए हैं।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है। हैं?
(क) केवल II
(ख) केवल III
(ग) केवल I
(घ) I और IIII

(viii) किसके द्वारा राष्ट्रीय पुनर्जागरण का कार्य किया गया?
(क) जीवनोन्मुख दृष्टि
(ख) कर्मयोग के सिद्धान्त
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं

(ix) प्रेरक वाक्य क्या था?
(क) स्वतन्त्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।
(ख) स्वतन्त्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार नहीं है।
(ग) स्वराज की माँग हमारा जन्मसिद्ध अधिकार नहीं है।
(घ) बेड़ियों में रहना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।

(x) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A): सामाजिक सौहार्द्र के लिए विभन्न गुटों में बँटे भारतीय समाज के अन्तर्विरोधों को दूर किया।
कारण (R): जिससे पूर्ण स्वराज की माँग का उदय हुआ।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।
(ख) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ग) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।
(घ) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है।

2. निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प-चयन द्वारा दीजिए- (1 × 5 = 5)

मन-दीपक निष्कंप जलो रे !
सागर की उत्ताल तरंगें,
आसमान को छू-छू जाएँ
डोल उठे डगमग भूमंडल

अग्निमुखी ज्वाला बरसाए
धूमकेतु बिजली की द्युति से,
धरती का अंतर हिल जाए

फिर भी तुम जहरीले फन को
कालजयी बन उसे दलो रे !

कदम-कदम पर पत्थर, काँटे
पैरों को छलनी कर जाएँ।
श्रांत-क्लांत करने को आतुर
क्षण-क्षण में जग की बाधाएँ
मरण गीत आकर गा जाएँ
दिवस-रात, आपद-विपदाएँ

फिर भी तुम हिमपात तपन में
बिना आह चुपचाप जलो रे !

(i)            कवि ने बाधाओं को दूर करने हेतु क्या बनने को कहा है ?
(क) देवता
(ख) कालजयी
(ग) दीपक
(घ) जहरीला नाग

(ii) बाधाओं को किसकी उपमा दी है ?
(क) पत्थर और काँटे की।
(ख) फूल और कलियों की।
(ग) दीपक और बाती की।
(घ) जीवन और मृत्यु की।

(iii) कवि मानव मन को क्या करने को कहता है ?
(क) प्रतिशोध लेने को।
(ख) यादों के भंवर में न भटकने को।
(ग) निडर रहने को।
(घ) धर्मयुद्ध करने को।

(iv) कवि ने कविता में किसे संबोधित किया है ?
(क) दीपरूपी मन।
(ख) कमलरूपी मन।
(ग) सूर्यरूपी मन।
(घ) फनरूपी मन।
उत्तर:
(क) दीपरूपी मन।

(v) ‘क्षण-क्षणं, छू-छू, कदम-कदम’ में कौन-सा अलंकार है?
(क) उपमा।
(ख) मानवीकरण।
(ग) पुनरुक्ति प्रकाश।
(घ) अन्योक्ति।

अथवा

मैंने गढ़े
ताकत और उत्साह से
भरे-भरे
कुछ शब्द
जिन्हें छीन लिया मठाधीशों ने
दे दिया उन्हें धर्म का झंडा
उन्मादी हो गए
मेरे शब्द
तलवार लेकर
मिटाने लगे
अपना ही वजूद
फिर रचे मैंने
इंसानियत से लबरेज
ढेर सारे शब्द
अबकी उन्हें अगवा कर लिया
सफेदपोश लुटेरों ने
और दबा दिया उन्हें
कुर्सी के पाये तले
असहनीय दर्द से चीख रहे हैं
मेरे शब्द और वे
कर रहे हैं अट्टहास
अब मैं गढूँगी
बोऊँगी उन्हें
निराई गुड़ाई और
खाद-पानी से
लहलहा उठेगी फ़सल
तब कोई मठाधीश
कोई लुटेरा
नहीं छीन पाएगा उन्हें
छीनने की कोशिश में भी
गिर ही जाएँगे कुछ दाने
और समय आने पर
फिर उगेंगे वे
एक बार
दो बार
बार-बार
लगातार उगेंगे
मेरे शब्द

(i) मठाधीशों ने उत्साह भरे शब्दों को क्यों छीना ?
(क) धार्मिक उन्माद जगाने के लिए
(ख) धर्म से दूर करने के लिए
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं।

(ii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) तलवार शब्द आत्मघात की ओर संकेत करता है।
(II) तलवार शब्द सुरक्षा की ओर संकेत करता है।
(III) तलवार शब्द निष्क्रिय की ओर संकेत करता है।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल II
(ख) केवल I
(ग) केवल III
(घ) I और III
(iii) कवयित्री किस उम्मीद से शब्दों को बो रही है?
(क) सही अर्थ प्राप्त करने की
(ख) अलग अर्थ प्राप्त करने की
(ग) विकल्प (क) और (ख)
(घ) इनमें से कोई नहीं

(iv) पंक्तियों में ‘वे’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
(क) राष्ट्रपति
(ख) जनता
(ग) नेताओं
(घ) किसान

(v) कवि बाधाओं को दूर करने हेतु क्या बनने के लिए कहता है?
(क) सक्रिय
(ख) कालजयी
(ग) साधारण मनुष्य
(घ) राष्ट्रपति

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)

(i) भुगतान के आधार पर काम करने वाले पत्रकार कहलाते हैं ?
(क) फ्रीलांसर
(ख) वॉचडॉग
(ग) बीट
(घ) संपादक
(ii) समाचार के प्रारम्भिक अंश को क्या कहते हैं ?
(क) इन्ट्रो
(ख) बॉडी
(ग) ककार
(घ) ये सभी

(iii) निम्न में से प्रिंट मीडिया का माध्यम है-
(क) टेलीविज़न
(ख) रेडियो
(ग) सिनेमा
(घ) समाचार-पत्र

(iv) कॉलम ‘क’ का कॉलम ‘ख’ से उचित मिलान कीजिए-

कॉलम ‘क’

कॉलम ‘ख’

(i) सिनेमा

(i) दृश्य माध्यम

(ii) समाचार पत्र

(ii) प्रिंट माध्यम

(iii) ऑल इंडिया रेडियो की स्थापना

(iii) मार्थोनी

(iv) रेडियो का आविष्कार

(iv) 1936

(क) (iv), (iii), (ii), (i)
(ख) (i), (ii), (iii), (iv)
(ग) (i), (ii), (iv), (iii)
(घ) (i), (iii), (iv), (ii)

(v) ऑल इंडिया रेडियो वर्तमान में किस संस्था के अंतर्गत है ?
(क) प्रसार भारती
(ख) भारतीय टेलीकॉम
(ग) डी. डी. नेशनल
(घ) ये सभी

4. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए- (1 × 5 = 5)

जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास
पृथ्वी घूमती हुई आती है उनके बेचैन पैरों के पास
जब वे दौड़ते हैं बेसुध
छतों को भी नरम बनाते हुए
दिशाओं को मृदंग की तरह बजाते हुए
जब वे पेंग भरते हुए चले जाते हैं
डाल की तरह लचीले वेग से अकसर
छतों के खतरनाक किनारों तक
उस समय गिरने से बचाता है उन्हें
सिर्फ उनके ही रोमांचित शरीर का संगीत
पतंगों की धड़कती ऊँचाइयाँ उन्हें थाम लेती हैं महज़ एक धागे के सहारे
पतंगों के साथ-साथ वे भी उड़ रहे हैं
अपने रंध्रों के सहारे
अगर वे कभी गिरते हैं छतों के खतरनाक किनारों से
और भी निडर होकर सुनहले सूरज के सामने आते हैं
पृथ्वी और भी तेज़ घूमती हुई आती है
उनके बेचैन पैरों के पास।

(i)            पद्यांश में ‘वे’ और ‘उनके’ सर्वनाम शब्द किनके लिए प्रयुक्त हुए हैं?
(क) स्त्रियों के लिए
(ख) बच्चों के लिए
(ग) पुरुषों के लिए
(घ) बूढ़ों के लिए।

(ii)           (ii) ‘जन्म से ही वे अपने साथ लाते हैं कपास’ पंक्ति का आशय है-
(क) बच्चे के जन्म पर कपास का उपहार दिया जाता है
(ख) बच्चे कपास की तरह सफ़ेद होते हैं
(ग) जन्म से ही बच्चे कपास जैसी कोमल भावनाएँ और लचीला शरीर लेकर आते हैं
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं।

(iii) ‘दौड़ते हैं बेसुध’ पंक्ति के अनुसार बच्चों की बेसुधी के उदाहरण हैं
(क) वे दौड़ते-दौड़ते सो जाते हैं
(ख) वे सो नहीं पाते, अतः नींद में ही दौड़ते रहते हैं
(ग) वे जैसे ही बेसुध होते हैं, दौड़ना शुरू कर देते हैं
(घ) कटी पतंग को लूटने के लिए वे छतों पर बेसुध होकर दौड़ते हैं। वे छतों के खतरनाक किनारों पर भी बेसुध होकर दौड़ने लगते हैं।

(iv) अलंकार की दृष्टि से कौन-सा विकल्प सही है?
(क) धागे के सहारे – उपमा अलंकार
(ख) पैरों के पास – अनुप्रास अलंकार
(ग) और भी निडर होकर – पुनरुक्ति अलंकार
(घ) उस समय गिरने से – छेकांनुप्रास अलंकार

(v) छतों के किनारों से उन्हें गिरने से कौन बचाता है?
(क) बच्चों की मदमस्त गतिविधियाँ
(ख) उनकी रोमांचकारी अनुभूतियाँ
(ग) उनकी बेखौफ़ एवं रोमांचक निश्चिन्तता
(घ) उपर्युक्त सभी।

5. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प को चुनिए- (1 × 5 = 5)

फिर जीजी बोली, “देख, तू तो अभी से पढ़-लिख गया है। मैंने तो गाँव के मदरसे का भी मुँह नहीं देखा। पर एक बात देखी है कि अगर तीस-चालीस मन गेहूँ उगाना है तो किसान पाँच-छह सेर अच्छा गेहूँ अपने पास से लेकर ज़मीन में क्यारियाँ बना कर फेंक देता है। उसे बुवाई कहते हैं। यह जो सूखे में हम अपने घर का पानी इन पर फेंकते हैं; वह भी बुवाई है। यह पानी गली में बोएँगे तो सारे शहर, कस्बा, गाँव पर पानी वाले बादलों की फ़सल आ जाएगी। हम बीज बनाकर पानी देते हैं, फिर काले मेघों से पानी माँगते हैं। सब ऋषि-मुनि कह गए हैं कि पहले खुद दो तब देवता तुम्हें चौगुना-अठगुना करके लौटाएँगे। भइया, यह तो हर आदमी का आचरण है, जिससे सबका आचरण बनता है। यथा राजा तथा प्रजा सिर्फ यही सच नहीं है। सच यह भी है कि यथा प्रजा तथा राजा। यही तो गांधी जी महाराज कहते हैं।”

(i) बुवाई के लिए किसान किस प्रकार से श्रम करता है ?
(क) ज़मीन की निराई, गुड़ाई करना
(ख) हल चलाना व क्यारियाँ बनाना
(ग) बीज बोना
(घ) उपर्युक्त सभी।

(ii) त्याग की महत्ता को किसने बताया था ?
(क) ऋषि-मुनियों ने
(ख) इंदर सेना ने
(ग) लेखक ने

(iii) इंदर सेना पर पानी फेंकना जीजी के अनुसार क्या है ?
(क) पानी की बर्बादी
(ख) पानी की बुवाई
(ग) अंधविश्वास
(घ) पानी का विसर्जन।

(iv) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A): जीजी ने अपने आचरण संबंधी बात के समर्थन में गांधी जी का नाम लिया।
कारण (R): क्योंकि गाँधी-जी सत्य का समर्थन करते थे।
(क) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।
(ख) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है।
(ग) कथन (A) सही है तथा कारण (R) कथन की सही व्याख्या करता है।
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।

(v) गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) जीजी किसान के उदाहरण द्वारा यह सिद्ध करना चाहती है कि इंदर सेना पर जल समर्पित करना होगा।
(II) जीजी किसान के उदाहरण द्वारा यह सिद्ध करना चाहती है कि खेती के लिए हल आवश्यक है।
(III) खेती का कार्य वर्षा पर पूरी तरह निर्भर होता है।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल I
(ख) केवल II
(ग) केवल III
(घ) I और III

6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर हेतु निर्देशानुसार सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 10 = 10)

(i) लेखक ने अपनी पढ़ाई के सम्बन्ध में किसकी सहायता लेने का सुझाव दिया ?
(क) दादा की
(ख) सौंदलगेकर की
(ग) ताऊ की
(घ) दत्ता जी राव की

(ii) लेखक का पिता अपना पूरा दिन कहाँ व्यतीत करता था ?
(क) खेतों में
(ख) घर पर
(ग) रखमाबाई के पास
(घ) पाठशाला में

(iii) लेखक के पिता के लिए किसका बुलावा सम्मानीय बात थी?
(क) देसाई का
(ख) गणपा का
(ग) सौंदलगेकर का
(घ) बोरकर का

(iv) यशोधर बाबू का चड्ढा के संबंध में क्या विचार था?
(क) अद्भुत
(ख) बदतमीज़
(ग) कामचोर
(घ) समहाउ इंप्रापर चड्ढा

(v) यशोधर बाबू की कलाई घड़ी का क्या कहकर मज़ाक उड़ाता था ?
(क) चूनेदानी
(ख) चूहेदानी
(ग) माचिस की डिबिया
(घ) खटारा

(vi) किशन दा ने यशोधर बाबू को कितने रुपए उधार देकर मदद की थी ?
(क) ₹ 20
(ख) ₹ 50
(ग) ₹ 100
(घ) ₹ 150

(vii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) यशोधर बाबू की शादी 6 फरवरी 1947 में हुई थी।
(II) यशोधर बाबू की शादी 8 फरवरी 1947 में हुई थी।
(III) यशोधर बाबू की शादी 9 फरवरी 1947 में हुई थी।
(IV) यशोधर बाबू की शादी 10 फरवरी 1947 में हुई थी।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) I और IV
(ख) केवल I
(ग) केवल II
(घ) केवल IV

(viii) कुंड की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता है-
(क) इसका विशाल आकार
(ख) कुंड के नीचे उतरती सीढ़ियाँ
(ग) पक्की ईंटों का जमाव
(घ) तीन तरफ़ बने साधुओं के कक्ष

(ix) विशाल कोठार किस प्रयोग में लाया जाता था ?
(क) सेना के अस्त्र-शस्त्र रखने के
(ख) कर के रूप में प्राप्त अनाज रखने के
(ग) तीर्थयात्रियों व साधुओं के ठहरने के
(घ) लगान के हिसाब-किताब के बहीखाते रखने के

(x) फसलों की ढुलाई किसके द्वारा की जाती थी ?
(क) बैलगाड़ी के
(ख) हथठेला के
(ग) सिर पर रखकर
(घ) ऊँटों के

खण्ड ‘ब’ : वर्णनात्मक प्रश्न

7. दिए गए चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए- (6 × 1 = 6)

(क) कम्प्यूटर : मेरे जीवन में
(ख) भारत की सामाजिक समस्याएँ
(ग) स्वाभिमान चाहिए, अभिमान नहीं
(घ) विकास के लिए शिक्षा आवश्यक

8. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 2 = 6)

(क) कहानी-कला की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
(ख) रेडियो नाटक किसे कहते हैं ?
(ग) नाटक की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

9. निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में लिखिए- (4 × 2 = 8)

(क) साइबर पत्रकारिता क्या है?
(ख) बीट रिपोर्टिंग और विशेषीकृत रिपोर्टिंग में अंतर स्पष्ट कीजिए।
(ग) हर सूचना समाचार नहीं होती। ऐसा क्यों?

10. काव्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 × 2 = 6)

(क) कवि ने कविता की उड़ान और खिलने को चिड़िया और फूलों से किस तरह भिन्न बताया है?
(ख) “कैमरे में बंद अपाहिज” करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है, इस कथन पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।

(ग) ‘उषा’ कविता के आधार पर गाँव की सुबह का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

11. काव्य खंड पर आधारित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए- (2 × 2 = 4)

(क) पंथी क्या सोच रहा है और क्यों ?
(ख) दूरदर्शन वाले कैमरे के सामने कमज़ोर को ही क्यों लाते हैं ?
(ग) तुलसीदास के समय तत्कालीन समाज कैसा था ?
12. गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 × 2 = 6)

(क) भक्तिन के स्वभाव की ऐसी दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए जिनके कारण उसने लेखिका को अपने अनुसार ढाल लिया।

(ख) ‘बाज़ारूपन’ से आप क्या समझते हैं? कैसे लोग बाज़ार को सार्थकता प्रदान करते हैं?
(ग) जीजी इंदरसेना पर पानी फेंकना पानी की बर्बादी क्यों नहीं मानतीं ? उनके तर्कों का उल्लेख कीजिए।

13. गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 × 2 = 4)

(क) लेखक किस कार्य को व्यर्थ मानता है और क्यों ?
(ख) ‘बाज़ार दर्शन’ में लेखक किसकी महिमा का कायल है?
(ग) जेठ-जिठौतों के मन किस कारण ललचा जाते थे ?


 

हिंदी(Set 1)

 

कक्षा12

 

समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80

खण्ड ‘अ’: वस्तुपरक-प्रश्न
अपठित गद्यांश

1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (1 × 10 = 10)

 (i) (ख) स्वतंत्रता आंदोलन में तिलक का योगदान

(ii) (क) स्वराज्य की माँग के

व्याख्या : तिलक द्वारा समाज में जगाई गई राष्ट्रीयता की भावना ही पूर्ण स्वराज्य की माँग के रूप में प्रतिफलित हुई।

(iii) ‘ (क) चेतना विहीन

 (iv) (ख) सूखे पत्ते

व्याख्या : भारतीयों की तुलना सूखे पत्ते से इसलिए की गई है क्योंकि उसमें जीवन का रस नहीं था।

(v) (घ) सभी

(vi) (क) राष्ट्रीय

(vii) (ग) केवल I

(viii) (क) जीवनोन्मुख दृष्टि

व्याख्या : स्वतन्त्रता पाने में प्रेरक वाक्य बना “स्वतन्त्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है।”

(ix) (क) स्वतन्त्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।

(x) (क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण कथन की सही व्याख्या करता है।

2. निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प-चयन द्वारा दीजिए- (1 × 5 = 5)

 (i) (ख) कालजयी

व्याख्या : कवि बाधाओं को दूर करने हेतु कालजयी बनने को कहता है। जो बाधाओं से डरे नहीं, मरे नहीं बल्कि मृत्यु को भी जीत ले।

(ii) (क) पत्थर और काँटे की।

(iii) (ग) निडर रहने को।

(iv) (क) दीपरूपी मन।

(v) (ग) पुनरुक्ति प्रकाश।

अथवा

 (i) (क) धार्मिक उन्माद जगाने के लिए

व्याख्या : धार्मिक उन्याद लोगों में जगाने के लिए मठाधीशों ने उत्साह भरे शब्दों को छीन लिया।

 (ii) (ख) केवल I

(iii) (क) सही अर्थ प्राप्त करने की

(iv) (ग) नेताओं

(v) (ख) कालजयी

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)

(i) (क) फ्रीलांसर

व्याख्या : फ्रीलांसर पत्रकार भुगतान के आधार पर अलग-अलग अख़बारों के लिए लिखते हैं।

(ii) (क) इन्ट्रो

व्याख्या : समाचार के विस्तृत तत्त्वों को घटते क्रम में लिखना बॉडी कहलाता है तथा समाचार का प्रारंभ-भाग इन्ट्रो/मुखड़ा कहलाता है। इसे उल्टा पिरामिड शैली कहते हैं।

(iii) (घ) समाचार-पत्र

व्याख्या : प्रिंट मीडिया/मुद्रित माध्यम जनसंचार के आधुनिक माध्यमों में से सबसे पुराना माध्यम है। वास्तव में आधुनिक युग की शुरुआत ही मुद्रण के आविष्कार से हुई।

(iv) (ग) (i), (ii), (iv), (iii)

(v) (क) प्रसार भारती

व्याख्या : सन् 1997 में आकाशवाणी को केन्द्र सरकार के सीधे नियंत्रण से निकालकर प्रसार भारती नाम के स्वायत्तशासी निकाय को सौंप दिया गया।

4. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए- (1 × 5 = 5)

 (i) (ख) बच्चों के लिए

व्याख्या : पद्यांश में ‘वे’ और ‘उनके’ सर्वनाम शब्द पतंग उड़ाने वाले बच्चों के लिए प्रयुक्त हुए हैं।

(ii) ‘ (ग) जन्म से ही बच्चे कपास जैसी कोमल भावनाएँ और लचीला शरीर लेकर आते हैं

व्याख्या : बच्चे जब जन्म लेते हैं तब वे बहुत ही सुकोमल होते हैं। उनमें कोमल भावनाएँ होती हैं व लचीला शरीर होता है जैसे- कि कपास कोमल, मुलायम व लचीली होती है।

(iii) (घ) कटी पतंग को लूटने के लिए वे छतों पर बेसुध होकर दौड़ते हैं। वे छतों के खतरनाक किनारों पर भी बेसुध होकर दौड़ने लगते हैं।

व्याख्या : बच्चे जब पतंग उड़ा रहे होते हैं तब वे अपनी चिंता ही छोड़ देते हैं। वे बेसुध होकर कटी पतंग को लूटने के लिए दौड़ पड़ते हैं चाहे वह छत हो या छत का किनारा, जहाँ से गिरने का भय भी रहता है।

 (iv) (ख) पैरों के पास – अनुप्रास अलंकार

(v) (घ) उपर्युक्त सभी।

व्याख्या :बच्चों की गतिविधियाँ बहुत मदमस्त होती हैं। उनके लिए कटी पतंग पकड़ने के लिए दौड़ना रोमांचकारी अनुभूति होती है। वे गिरने के डर से बेखौफ़ रहते हैं। उन्हें केवल रोमांचक निश्चिन्तता रहती है। उनकी ये सभी गतिविधियाँ और उनकी निडरता उन्हें छतों के किनारे से गिरने से बचाती हैं।

5. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प को चुनिए- (1 × 5 = 5)

 (i) (घ) उपर्युक्त सभी।

व्याख्या : किसान ज़मीन की निराई, गुड़ाई करता है, बीज़ बोता है और हल चलाकर क्यारियाँ बनाकर परिश्रम द्वारा बुवाई करता है।

(ii) (क) ऋषि-मुनियों ने

व्याख्या : ऋषि-मुनियों का कहना है कि मनुष्य को पहले स्वयं त्यागपूर्वक दान करना चाहिए तभी उसे उसका गुना मिलता है।

(iii) (ख) पानी की बुवाई

व्याख्या : जीजी के अनुसार काले मेघों से वर्षा पाने के लिए इंदर सेना पर पानी फेंकना मानो पानी की बुवाई है।

 (iv) (ग) कथन (A) सही है तथा कारण (R) कथन की सही व्याख्या करता है।

व्याख्या : जीजी आचरण को बहुत महत्त्व देती थी। राजा और प्रजा दोनों का आचरण मानवीय मूल्यों के अनुसार होना चाहिए। गांधीजी भी यही कहते थे कि उनका स्वयं का आचरण सत्य व त्याग पर आधारित था। वे सादगी भरा जीवन व्यतीत करते थे और अहिंसा के रास्ते पर चलते थे।

(v) (क) केवल I

व्याख्या : जीजी किसान के उदाहरण द्वारा यह बताना चाहती है कि जिस प्रकार किसान बुआई करके फ़सल उगाता है उसी प्रकार इंदर सेना पर जल डालना भी वर्षा के लिए बुवाई होती है।

6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर हेतु निर्देशानुसार सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 10 = 10)

(i) (घ) दत्ता जी राव की

व्याख्या : पूरे गाँव में दत्ता जी राव का अत्यधिक मान- सम्मान था। लेखक के पिता भी उनकी बात को ठुकरा नहीं सकते थे अतः लेखक ने अपनी पढ़ाई के सम्बन्ध में दत्ताजी राव की सहायता लेना उचित समझा।

(ii) (ग) रखमाबाई के पास

व्याख्या : लेखक का पिता ऐशो-आराम और मस्ती से रहने वाला व्यक्ति था। वह खेतों में काम नहीं करना चाहता था और आज़ादी से घूमना चाहता था। इसी ऐशो-आराम और मस्ती के लिए वह अपना पूरा दिन रखमाबाई के पास व्यतीत करता था।

(iii) (क) देसाई का

व्याख्या : लेखक के पिता दत्ता जी राव देसाई को बहुत मानते थे। वे उनकी प्रत्येक बात भी मानते थे। उसके लिए देसाई का बुलावा आना सम्मान की बात थी।

(iv) (घ) समहाउ इंप्रापर चड्ढा

व्याख्या : चड्ढ़ा ने यशोधर बाबू के साथ बद्तमीज़ी की थी और उसकी चौड़ी मोहरी वाली पतलून और ऊँची एड़ी वाले जूते देखकर भी चड्ढ़ा उन्हें समहाउ इंप्रापर लग रहा था।

 (v) (ख) चूहेदानी

व्याख्या : यशोधर बाबू ने जब ऑफिस के लोगों को ऑफिस की घड़ी की तरह सुस्त बताया, तो चड्ढ़ा ने भी यशोधर बाबू की घड़ी को चूनेदानी’ कहकर उनकी घड़ी का मज़ाक उड़ाया।

(vi) (ख) ₹ 50

व्याख्या : किशन दा ने यशोधर बाबू को, ₹ 50 उधार देकर मदद की थी।

(vii) (ख) केवल I

व्याख्या : यशोधर बाबू की शादी 6 फरवरी, 1947 में हुई थी।

(viii) (ग) पक्की ईंटों का जमाव

व्याख्या : महाकुंड को चूने और गारे का इस्तेमाल कर ईंटों से पक्का बनाया गया है जिससे अंदर का पानी बाहर और बाहर का अशुद्ध पानी अंदर नहीं आ सकता। इसका पानी बाहर निकालने के लिए भी ईंटों से ढकी पक्की नालियाँ बनी हैं।

(ix) (ख) कर के रूप में प्राप्त अनाज रखने के

व्याख्या : महाकुंड के दूसरी तरफ़ बना नौ-नौ की तीन कतारें, हवादारी और चौकियों को देख प्रबंधकों ने इस विशाल कोठार का उपयोग कर के रूप में मिले अनाज का संग्रहण करना माना है।

(x) (क) बैलगाड़ी के

व्याख्या : फसलों की ढुलाई बैलगाड़ी द्वारा की जाती थी।

खण्ड ‘ब’ : वर्णनात्मक प्रश्न

7. दिए गए चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए- (6 × 1 = 6)

(क) कम्प्यूटर : मेरे जीवन में
(ख) भारत की सामाजिक समस्याएँ
(ग) स्वाभिमान चाहिए, अभिमान नहीं
(घ) विकास के लिए शिक्षा आवश्यक
उत्तर:
(क) कम्प्यूटर : मेरे जीवन में

कम्प्यूटर आधुनिक विज्ञान का अद्भुत करिश्मा है जिसने सारे विश्व को अपने आकर्षण में जकड़ लिया है। कोई वैज्ञानिक प्रतिष्ठान हो या औद्योगिक प्रतिष्ठान, बैंक हो या बीमा निगम, रेलवे स्टेशन हो या बस डिपों हर जगह इसका बोलबाला है। यही स्कूल-कॉलेजों में विद्यार्थियों की रुचि का केन्द्र है। सबकी तरह मैं भी कम्प्यूटर के प्रभाव से अछूता नहीं हूँ। कम्प्यूटर ने मेरे जीवन को जहाँ रफ्तार दी है वहीं इसे आरामदायक भी बना दिया है। शिक्षा से सम्बन्धित कैसी भी जानकारी प्राप्त करना बहुत सरल हो गया है।

परिवार, रिश्तेदारों, मित्रों आदि से सम्पर्क बनाए रखना हो या बिजली, टेलीफोन आदि के बिल जमा करने हों, तो कम्प्यूटर के द्वारा घर बैठे जमा कर सकते हैं। कम्प्यूटर के कारण भारी-भरकम पुस्तकों को रखने, सँभालने और उन्हें उलटने-पुलटने की आवश्यकता खत्म होती जा रही है। इंटरनेट ने सारे विश्व को एक पाठशाला में बदल देने की शक्ति दिखा दी है। कम्प्यूटर के कारण मैं किसी भी प्रकार की लम्बी से लम्बी गणना बिना किसी त्रुटि के कुछ ही पलों में कर लेता हूँ। जब कभी थक जाता हूँ या बोरियत महसूस करता हूँ तो कम्प्यूटर पर चलचित्र देख लेता हूँ या मनपसंद गाने सुन लेता हूँ। इससे अकेलेपन का एहसास भी नहीं होता। घर से दूर परदेस में यह एक सच्चे मित्र की भाँति मेरा साथ देता है।

परिवार को पैसे भेजने का कार्य भी कम्प्यूटर सुगमता से कर देता है। घर जाने के लिए रेल का टिकट कराना हो या हवाई जहाज का, कम्प्यूटर के द्वारा सुविधापूर्वक किया जा सकता है। वस्तुतः आज के समय में कम्प्यूटर हमारे घर के एक सदस्य की तरह हमारा साथ निभा रहा है।

(ख) भारत की सामाजिक समस्याएँ

मेरा भारत एक विशाल देश है जहाँ विभिन्न धर्मों, जातियों व वेश-भूषाओं को धारण करने वाले लोग निवास करते हैं। दूसरे शब्दों में अनेकता में एकता हमारी पहचान और हमारा गौरव है परन्तु अनेकता अनेक समस्याओं की जननी भी है। प्रायः जाति, भाषा, रहन-सहन व धार्मिक विभिन्नताओं के बीच सामंजस्य रखना दुष्कर हो जाता है। विभिन्न धर्मों व सम्प्रदायों के लोगों की विचारधाराएँ भी भिन्न-भिन्न होती हैं।

देश में व्याप्त प्रांतीयता, भाषावाद, सम्प्रदायवाद या जातिवाद इन्हीं विभिन्नताओं का दुष्परिणाम है। इसके चलते आज देश के लगभग सभी राज्यों से दंगे-फसाद, मारकाट, लूट-खसोट आदि के समाचार प्रायः सुनने व पढ़ने को मिलते हैं। नारी के प्रति अत्याचार, दुराचार तथा बलात्कार का प्रयास हमारे समाज की एक शर्मनाक समस्या है। केवल अशिक्षित ही नहीं अपितु हमारे कथित सभ्य-शिक्षित समाज में भी दहेज का ज़हर व्याप्त है। अंधविश्वास व रूढ़िवादिता हमारे देश के नवयुवकों को भाग्यवादिता की ओर ले जाती है फलस्वरूप वे कर्महीन हो जाते हैं। भ्रष्टाचार भी हमारे देश में एक जटिल समस्या का रूप ले चुका है।

भ्रष्टाचार के परिणामस्वरूप देश में महँगाई और कालाबाजारी के ज़हर का स्वच्छंद रूप से विस्तार हो रहा है। जातिवाद की जड़ें समाज में बहुत गहरी हो चुकी हैं। ये समस्याएँ आज की नहीं हैं अपितु सदियों से पनप रही हैं। इसके परिणामस्वरूप पनपी सामाजिक विषमता देश के विकास में बाधक हैं। इसके अतिरिक्त देश में फैली अशिक्षा और निर्धनता जैसी सामाजिक समस्याओं के रहते कोई भी देश वास्तविक रूप में विकास नही कर सकता।

 

(ग) स्वाभिमान चाहिए, अभिमान नहीं

स्वाभिमान और अभिमान ये दोनों मनुष्य के चरित्र को परिभाषित करते हैं। जहाँ स्वाभिमान उसके उच्च व्यक्तित्व का उदात्त अंग कहलाता है वहीं अभिमान उसके पतन का कारण बनता है। स्वाभिमान मनुष्य का गुण बन जाता है और अभिमान उसका अवगुण कहलाता है। स्वाभिमान ही प्रत्येक मनुष्य का आभूषण है। यह हर व्यक्ति के अंतस में विद्यमान उसका प्रिय मित्र होता है।

स्वाभिमान रूपी पूँजी जिसके पास नहीं होती वह मृतप्राय होता है। उसे हर कोई रौंदता हुआ आगे बढ़ जाता है। इसी प्रकार जिस देश के लोगों में स्वाभिमान का भाव नहीं होता, उस राष्ट्र को कोई भी शत्रु-देश आक्रमण करके सरलता से अपने अधीन कर लेता है। इसके विपरीत अभिमान मनुष्य का वह अवगुण है जो व्यक्ति के सिर चढ़कर बोलता है। यह मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। मनीषियों का कथन है कि अहंकारी कितने भी ऊँचे बोल क्यों न बोल ले उसका अंत हमेशा बुरा ही होता है।

स्वाभिमानी मनुष्य मृत्यु तुल्य कष्टों का भी हँसकर सामना कर लेते हैं। वे अपने स्वाभिमान का सौदा कभी भी किसी भी मूल्य पर नहीं करते। ऐसे स्वाभिमानियों से तो बड़े-बड़े साम्राज्य भी थर-थर काँपते हैं। वे जानते हैं कि ऐसे लोग अपने लिए कभी समझौता नहीं करते। वहीं अभिमानी लोग खुद तो डूबते ही हैं अपने साथियों को भी डुबाने का अपराध करते हैं। वे इस तथ्य को भूल जाते हैं “घमंडी का सिर नीचा।” अभिमानी का अन्त सदैव बुरा होता है जैसे रावण और हिरण्यकश्यप जैसे अभिमानियों का हुआ अतः हमें स्वाभिमानी बनना चाहिए, अभिमानी नहीं। मैं भी ऐसा ही स्वाभिमानी बनूँगा।

(घ) विकास के लिए शिक्षा आवश्यक

शिक्षा अपने चारों ओर की चीज़ों को सीखने की प्रक्रिया है मैं यह जानता हूँ कि यह हमें किसी भी वस्तु या परिस्थिति को आसानी से समझने, किसी भी समस्या से निपटने और जीवन भर विभिन्न आयामों में संतुलन बनाए रखने में मदद करती है। शिक्षा के बिना हम अधूरे हैं और हमारा जीवन बेकार है, शिक्षा के बिना मनुष्य अपना विकास नहीं कर सकता है।

शिक्षा से मनुष्य का बौद्धिक विकास होता है जिसके बल पर वह आत्मनिर्भर बन अपना आर्थिक विकास कर सकता है। किसी भी देश या जाति के विकास के लिए भी शिक्षा उतनी ही आवश्यक है जितनी मानव के व्यक्तिगत विकास के लिए इसीलिए हमारे देश में ‘पढ़े इंडिया, बढ़े इंडिया’ जैसे-शिक्षा कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया जा रहा है। यह सामाजिक विकास, आर्थिक समृद्धि और तकनीकी उन्नति का सही रास्ता है। शिक्षा वैज्ञानिकों की, शोधकार्यों में; यांत्रिक मशीनों आधुनिक जीवन के आवश्यक अन्य तकनीकियों के आविष्कार में सहायता करती है। यह समाज में सामान्य संस्कृति और मूल्यों को विकसित करती है। इस तरह देश शिक्षा के द्वारा अपने चहुँमुखी विकास की ओर अग्रसर होता है।

8. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए- (3 × 2 = 6)

(क) उत्तर:
कहानी का इतिहास मानव इतिहास जितना ही पुराना माना जाना चाहिए क्योंकि कहानी मानवीय प्रकृति जन्य है। पहले युद्ध, प्रेम, प्रतिशोध के किस्से, फिर कल्पनात्मक कहानियाँ और फिर जो उसे प्रिय लगा, उसके किस्से सुनाए जाते थे। धीरे-धीरे वीरता के बलिदानों और त्याग, तपस्या के किस्से भी सुनाए गए जिससे व्यक्तियों में साहस के साथ-साथ मानवीय मूल्य बने रहें। परियों की कहानियाँ, भूत-प्रेतों की डरावनी कहानियाँ, राजा-रानी की कहानियाँ, साधारण जीवन से जुड़ी आम आदमी की कहानियाँ आदि रोचक कहानियों से शुरू हुईं और वर्तमान में सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार करती कहानियाँ रची जाने लगीं। शिक्षा देने के लिए कहानी विधा का प्रयोग किया गया और ‘पंचतंत्र’ की कहानियाँ लिखी गईं। धीरे-धीरे कहानी के साथ उद्देश्य का सम्मिश्रण हो गया जो कि उत्तरोत्तर विकसित होता गया।

(ख) उत्तर:
रेडियो संचार का एक साधन है जिसके माध्यम से किसी भी संदेश को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचा सकते हैं लेकिन केवल आवाज़ के माध्यम से इसीलिए इसे दूरभाष यंत्र भी कहते हैं। रेडियो-नाटक एक श्रव्य-माध्यम है। इसका रंगमंच एक तरह का अंधकार ही है क्योंकि ये हमें दिखाई नहीं देता, केवल सुनाई देता है। दर्शक सुने जा रहे संवादों से अपनी कल्पना में दृश्यों की रचना कर लेता है। रेडियो-नाटक शब्दों व माइक के सहारे प्रस्तुत किया जाता है। इसका समय निर्धारित होता है। इस पर देश, काल व स्थान का बँधन नहीं होता।

(ग) उत्तर:
नाटक की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(i) नाटक एक ऐसी गद्य विधा है, जिसका मंच पर अभिनय किया जाता है।
(ii) नाटक का सम्बन्ध लेखक, निर्देशक, दर्शक तथा श्रोताओं से होता है।
(iii) नाटक का मंच पर अभिनय किया जाता है।
(iv) ‘नाटक’ को दृश्यों के आधार पर विभाजित किया जाता है।
(v) नाटक में मंच सज्जा संगीत तथा प्रकाश व्यवस्था का विशेष महत्त्व होता है।

 

9. निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में लिखिए- (4 × 2 = 8)

(क) उत्तर:
साइबर पत्रकारिता का अभिप्राय उस पत्रकारिता से है जो मोबाइल, कंप्यूटर, इंटरनेट पर खबरें देती है। आज तमाम वेबसाइटें इस प्रकार की हैं जो प्रमुख समाचार भी उपलब्ध कराती हैं। फिल्म, खेल, व्यापार जगत के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय घटनाचक्र की ताजा-तरीन जानकारी इन वेबसाइटों पर उपलब्ध होती हैं। साइबर मीडिया में ग्राफिक्स, ऑडियो-विडियो, चित्र आदि सभी का प्रयोग होता है। साइबर मीडिया अर्थात् मल्टी मीडिया कई संचार माध्यमों से युक्त होता है। यह दर्शकों या पाठकों की रूचि को कम नहीं करता बल्कि बढ़ाता है जिसके कारण वे इससे दूर नहीं जा पाते।

(ख) उत्तर:
बीट रिपोर्टिंग का आशय किसी विशेष क्षेत्र से संबंधित नए तथ्यों की आरम्भिक जानकारी देना है। इसमें कहाँ, कब, क्या, किसने किया? इसकी पर्याप्त सूचना होती है। इसकी सूचना देने वाले को बीट रिपोर्टर कहा जाता है। विशेषीकृत रिपोर्टिंग से आशय सामान्य समाचारों के बाद विशेष क्षेत्र या विषय से जुड़ी समस्याओं का, घटनाओं का या अन्य किसी मुददे का गहराई से विवेचन करना है। विशेषीकृत रिपोर्टिंग में घटना और घटना के महत्त्व का स्पष्टीकरण होता है तथा रक्षा, विदेश-नीति, राष्ट्रीय सुरक्षा आदि को प्राथमिकता दी जाती है।

(ग) उत्तर:
हर सूचना समाचार इसलिए नहीं होती, क्योंकि समाचार किसी भी ऐसी ताज़ा घटना, विचार या समस्या की रिपोर्ट होती है, जिसमें अधिक-से-अधिक लोगों की रुचि होती है और इसका प्रभाव भी अधिक-से-अधिक लोगों पर पड़ता है। समाचारों में तथ्यों की शुद्धता पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इन तथ्यों को बिना तोड़े-मरोड़े प्रस्तुत किया जाता है। हमें समाचार माध्यमों से महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ प्राप्त होती रहती हैं। ये सार्वजनिक महत्त्व की सूचनाएँ होती हैं। ये व्यक्तिगत नहीं होतीं। ये समसामयिक घटनाओं पर आधारित होती हैं। हमारी निजी जिंदगी पर आधारित सूचनाएँ या व्यक्तिगत महत्त्व की सूचनाएँ समाचार नहीं होती।

10. काव्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 × 2 = 6)

(क) उत्तर:
कविता कल्पना के पंखों पर चिड़िया की तरह मुक्त गगन में विचरण करती है और फूलों की भाँति खिलकर अपनी शोभा सर्वत्र फैला देती है। किन्तु कविता चिड़िया से भिन्न इसलिए है क्योंकि चिड़िया के पंखों की सामर्थ्य सीमित है, जबकि कविता की सामर्थ्य असीमित है। इसी प्रकार फूल खिलकर मुरझा जाते हैं, किन्तु कविता कभी मुरझाती नहीं उसकी शोभा सुगंध रूपी समय बीतने के साथ और भी बढ़ती जाती है।।

(ख) उत्तर:
चैनलों/दूरदर्शन द्वारा अपाहिज व्यक्तियों की बेबसी को दर्शाकर करुणा पैदा करने के पीछे क्रूरतापूर्वक व्यावसायिक उद्देश्यों का संचालन (परीक्षार्थी के अन्य तर्कसंगत विचार भी स्वीकार्य)

व्याख्यात्मक हल :
कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है, क्योंकि एक शारीरिक रूप से अपाहिज, विकलांग व्यक्ति जो कि शारीरिक रूप से चुनौती को सहन कर रहा है, दूरदर्शन वाले अपने कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए उससे तरह-तरह के प्रश्न पूछकर, विभिन्न भाव-भंगिमाओं (संकेतों) द्वारा एक साक्षात्कार कार्यक्रम के बहाने उसका मानसिक शोषण करते हैं।

कार्यक्रम का उद्देश्य समाज के ऐसे व्यक्तियों के प्रति करुणा जाग्रत करना है। यह कविता दूरदर्शन स्टूडियो के भीतर की दुनिया को उभारती जरूर है, लेकिन ऐसे व्यक्ति की ओर संकेत करती है, जो दुःख-दर्द, यातना-वेदना को बेचना चाहता है। यह कविता शारीरिक चुनौती को सहन करते लोगों के प्रति संवेदनशील नज़रिया अपनाने के रूप में भी देखी जा सकती है। कवि ने संवेदनहीनता को रेखांकित करने का प्रयास किया है। वह दिखलाता है कि किस तरह करुणा के मकसद से शुरू हुआ कार्यक्रम क्रूर बन जाता है।

(ग) उत्तर:
(i) प्रात:काल की रंगत बहुत नीले शंख जैसी
(ii) ओस से भरा भोर का नभ राख से लीपे हुए चौके जैसा
(iii) उषाकालीन आकाश लाल केसर से धुली काली सिल जैसा निर्मल और स्वच्छ
(iv) खुले तालाब में स्नान करती युवतियाँ

व्याख्यात्मक हल :
उषा कविता में कवि ने गतिशील बिंब योजना का प्रयोग करते हुए गाँव की सुबह का सुंदर शब्द-चित्र प्रस्तुत किया है। बहुत सुबह पूर्व दिशा में सूर्य दिखाई देने से पहले आकाश नीले शंख के समान प्रतीत हो रहा था। उसका रंग ऐसा लग रहा था जैसे किसी गाँव की महिला ने चूल्हा जलाने से पहले राख से चौका पोत दिया हो। उसका रंग गहरा था। कुछ देर बाद हल्की-सी लाली ऐसे दिखाई दी जैसे काले सिल पर जरा-सा लाल केसर मल दिया हो और फिर उसे धो दिया हो या किसी स्लेट पर लाल खड़िया या चाक मल दिया गया हो। आकाश के नीलेपन में सूर्य ऐसे प्रकट हुआ जैसे नीले जल में किसी युवती का गोरा सुंदर शरीर झिलमिलाता हुआ प्रकट हो रहा हो। लेकिन सूर्य के दिखाई देते ही यह सारा प्राकृतिक सौन्दर्य मिट गया।

11. काव्य खंड पर आधारित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए- (2 × 2 = 4)

(क) उत्तर:
पंथी यह सोच रहा है कि कहीं जीवन रूपी पथ में मृत्यु रूपी अंधकार छा गया तो मैं लक्ष्य की प्राप्ति नहीं कर पाऊँगा अतः मुझे अपनी गति बढ़ानी चाहिए। मंज़िल अब ज़्यादा दूर नहीं है।

(ख) उत्तर:
दूरदर्शन वालों को पता है कि कमज़ोर व अशक्त लोगों के प्रति समाज में करुणा व दया का भाव होता है। लोग दूसरे के दुःख के बारे में जानना चाहते हैं और दूरदर्शन वाले उनकी इसी भावना का फायदा उठाते हुए ऐसे कार्यक्रम बनाते हैं।

(ग) उत्तर:
तुलसीदास के समय में सामाजिक मान्यताएँ व परम्पराएँ नष्ट हो रही थीं। समाज में धार्मिक अंधविश्वास फैल रहा था जिनमें पूरा समाज फँसता जा रहा था। समाज में नारी की स्थिति शोचनीय थी।

12. गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 × 2 = 6)

(क) उत्तर:
(i) भक्तिन देहाती खाना-पीना (मकई, दलिया, मट्ठा, ज्वार के भुने सफ़ेद दानों की खिचड़ी आदि) बनाना जानती थी।
(ii) देहाती खाने की रुचि न होते हुए भी लेखिका को खाना पड़ता था।
(iii) लेखिका को अपने बोलचाल, खान-पान के अनुरूप ढाल लिया लेकिन खुद को लेखिका के अनुसार नहीं ढाल पाई।

व्याख्यात्मक हल :
भक्तिन देहाती खाना-पीना (मकई, दलिया, मट्ठा, ज्वार के भुने सफ़ेद दानों की खिचड़ी आदि) बनाना जानती थी। खाने की रुचि न होते हुए भी लेखिका को भक्तिन के बनाए खाने को खाना पड़ता था। भक्तिन ने कुछ ही दिनों में लेखिका को अपनी बोल-चाल, खान-पान के अनुरूप ढाल लिया लेकिन स्वयं को लेखिका के अनुसार नहीं बना पाई।

(ख) ‘उत्तर:
बाज़ारूपन से बाज़ार में कपट भाव बढ़ता है और अपनेपन के अभाव में आपस में उचित व्यवहार में कमी आ जाती है। ग्राहक और विक्रेता के संबंध केवल व्यावसायिक ही रह जाते हैं। एक की हानि में दूसरा अपना लाभ देखने लगता है। वे व्यक्ति ही बाज़ार को सार्थकता दे सकते हैं जो अपनी आवश्यकताओं को ठीक-ठीक समझकर बाज़ार का उपयोग करते हैं। यदि हम बाज़ार की चमक-दमक में फँसकर रह गए तो वह हमें असंतोष, तृष्णा, घृणा एवं ईर्ष्या से घायल कर बेकार बना डालता है।

(ग) उत्तर:
‘इंदर सेना’ गाँव के बालकों और किशोरों की एक मंडली थी जो लोगों से घर-घर जाकर पानी की माँग करती थी। जीजी ने कहा कि यदि हम इंदर सेना पर पानी नहीं फेंकेंगे तो इन्द्र भगवान हमें पानी कैसे देंगे? यह पानी की बर्बादी नहीं है बल्कि यह तो पानी का अर्घ्य है जिसे हम कुछ पानी की चाह लेकर इंद्र को चढ़ाते हैं। मनुष्य जिस वस्तु को दान में नहीं देगा तो फिर कैसे पाएगा? ऋषि-मुनियों ने दान को सर्वोत्तम बताया है। त्याग-भावना से जो दान दिया जाता है उसी से फल की प्राप्ति होती है। जिस प्रकार किसान तीस-चालीस मन गेहूँ की पैदावार प्राप्त करने के लिए पहले अपने खेत में पाँच-छ: सेर अच्छे गेहूँ की बुवाई करता है। इसी प्रकार हमारे इस कार्य से प्रसन्न होकर इन्द्र देवता काले मेघा लेकर वर्षा करेंगे जिससे गाँव, शहर, खेत-खलिहान खिल उठेंगे।

13. गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 × 2 = 4)

(क) उत्तर:
लेखक सूखे के समय मेढक मंडली पर पानी फेंकना व्यर्थ मानता है। वर्षा न होने के कारण पानी की इतनी कमी अधिक कमी है। उसके अनुसार दिन-दिन गहराते पानी के संकट के समय मेढक मंडली पर पानी फेंकना पानी की बर्बादी है। ऐसे अंधविश्वासों से देश का ही नुकसान होता है।

(ख) उत्तर:
‘बाज़ार दर्शन’ में लेखक पत्नी की महिमा का कायल है क्योंकि आदिकाल से फ़िजूलखर्ची में पत्नी की प्रमुखता पति से अधिक प्रमाणित है। पत्नी जब पति के साथ बाज़ार जाती है तो वह अपने पति को कुछ अधिक सामान खरीदने को मजबूर कर देती है।

(ग)उत्तर:
भक्तिन के हरे-भरे खेत, मोटी-ताज़ी गाय-भैंस और फलों से लदे पेड़ देखकर जेठ-जिठौतों के मन ललचा जाते थे और किसी भी प्रकार उन्हें हड़प लेने को बेचैन रहते थे। वे भक्तिन की सारी संपत्ति पर अपना कब्जा कर लेना चाहते थे।


 

हिंदी  (Set 2)

कक्षा 12

समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80

सामान्य निर्देश :

  1. इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड ‘अ’ और ‘ब’। कुल प्रश्न 13 हैं।
  2. खंड ‘अ’ में 45 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
  3. खंड ‘ब’ में वर्णनात्मक प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्नों के उचित आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
  4. प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दीजिए।
  5. दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  6. यथासंभव दोनों खंडों के प्रश्नों के उत्तर क्रमशः लिखिए।

रखण्ड ‘अ’: वस्तुपरक-प्रश्न
अपठित गद्यांश

1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (1 × 10 = 10)

गत दशकों में पश्चिम का अनुकरण करके विज्ञान और शिल्पीय विकास की उपलब्धियों से लाभ उठाकर हमने अपने देश को आगे बढ़ाने का जी-जान से प्रयत्न किया है, परन्तु दूसरी ओर हमारी असली बुनियाद को धक्का लग रहा है-इस बात की ओर हमारा ध्यान जाना चाहिए। मानव-जीवन का आधार कोरी दाल-रोटी नहीं, मानसिक सुख-शान्ति है। “सादगी और उच्च विचार” के आदर्श की जगह ‘खाओ-पियो-मौज करो’ का आकर्षण बढ़ता जा रहा है। स्वतंत्रता, उच्छृखलता का पर्याय बनती जा रही है, घूसखोरी, नशेबाजी, भोग-लिप्सा बढ़ती जा रही है, कुछ अराजकता-जैसी स्थिति बनती जा रही है। उदार शिक्षण से, सामाजिक संपर्क की सुगमता से, जहाँ भावनाएँ उदार और व्यापक बनती जा रही हैं वहाँ व्यक्तिगत जीवन में हम अपने आदर्शों से गिरते नज़र आ रहे हैं। बुद्धिवाद हमें संवेदनहीन बना रहा है, मानवता से पशुता की ओर धकेल रहा है। हम विज्ञान का सहारा लेकर मानवीय मूल्यों का अवमूल्यन करते दिखाई पड़ रहे हैं। विज्ञान और अध्यात्म वास्तव में एक ही सिक्के के दो पहलू हैं- दोनों सत्य शोधक जगत् हैं। एक भौतिक, व्यक्त जगत् में शोध करता है, सत्य का पता लगाता है दूसरा आत्मिक, अव्यय जगत् हैं। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं, परन्तु हम इनके टुकड़े-टुकड़े करके स्वयं टुकड़े-टुकड़े हुए जा रहे हैं। हमारे बड़ों ने स्वार्थ और परमार्थ दोनों की सिद्धि का आदर्श हमारे सामने रखकर जीवन में एक संतुलन बनाने का प्रयास किया था। यह संतुलन राष्ट्रीय या भावनात्मक एकता का भी पर्याय है। विभिन्न प्रान्तों, भाषाओं, स्वार्थों में संतुलन बैठाना ही हमारा लक्ष्य और कर्त्तव्य होना चाहिए। इस संतुलन से ही सामाजिक, सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन में नैतिकता और सदाचार की प्रतिष्ठा होगी।

(i) भारतीयों ने पिछले दशकों में पश्चिम का अनुकरण करके किस प्रकार की उपलब्धियों को प्राप्त किया है?
(क) वेदों-उपवेदों
(ख) विज्ञान और शिल्पीय
(ग) ज्ञान-विज्ञान
(घ) कला विज्ञान

(ii) मानव जीवन का असली सुख किस में हैं?
(क) मानसिक शांति में
(ख) दैहिक
(ग) कर्म में
(घ) अहंकार में
(iii) ‘लोगों में …….. का आकर्षण बढ़ता जा रहा है।’ रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(क) खाओ पियो मौज करो ।
(ख) जीओ और जीने दो
(ग) ओमशांति
(घ) सर्वजन हिताय

(iv) भोग लिप्सा के कारण कैसी स्थिति बनती है?
(क) अराजकता
(ख) पराजय
(ग) विजय
(घ) सुगमता
(v) हमारे संवेदनहीन होने का कारण क्या है?
(क) समाजवाद
(ख) सांसारिक मतभेद
(ग) बुद्धिवाद
(घ) प्रगतिवाद
(vi) विज्ञान के सहारे किस का अवमूल्यन हो रहा है?
(क) आत्मा का
(ख) हृदय का
(ग) प्रेरणा
(घ) मानवीय मूल्यों का

(vii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) बड़ों ने निस्वार्थ को आदर्श बनाया।
(II) बड़ों ने परमार्थ और स्वार्थ को आदर्श बनाया।
(III) बड़ों ने लालच को आदर्श बनाया।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा/कौन-से सही है/ हैं?
(क) I और III
(ख) केवल III
(ग) केवल I
(घ) केवल II

(viii) उदार शिक्षण और सम्पर्क की सुगमता से क्या परिणाम दिखाई पड़ रहे हैं?
(क) भावनाओं का अनोखा होना
(ख) भावनाओं का उदार और व्यापक होना
(ग) निराश्रित जीवन जीना
(घ) इनमें से कोई नहीं

(ix) मानसिक शब्द में मूल शब्द पहचानिए।
(क) मान
(ख) मन
(ग) मानस
(घ) मानसी
(x) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A): गद्यांश का उचित शीर्षक विज्ञान और अध्यात्म होगा।
कारण (R): गद्यांश का उचित शीर्षक बुद्धिवाद है।
(क) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।
(ख) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है।
(ग) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं
(घ) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
2. निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प-चयन द्वारा दीजिए- (1 × 5 = 5)

‘मस्त योगी है कि हम देखकर सबका सुखी हैं,
कुछ अजब मन है कि हम देखकर सबका दुःखी हैं।
तुम हमारी चोटियों की बर्फ को यो मत कुरेदो,
दहकता लावा हृदय में है कि हम ज्वालामुखी हैं।
लास्य भी हमने किए हैं और ताण्डव भी किए हैं,
वंश मीरा और शिव के, विष पिया है और जिए हैं।
दूध माँ का या कि चन्दन का कि केसर जो समझ लो,
यह हमारे देश की रज है कि हम इसके लिए हैं।

(i) इस काव्यांश में किस देश के वासियों का वर्णन है?
(क) विदेश के
(ख) भारत के
(ग) जापान के
(घ) इंग्लैंड के
(ii) भारतीयों के हृदय में क्या दहकता है?
(क) लावा
(ख) आग
(ग) ज्वाला
(घ) रोशनी

(iii) ताण्डव किस के द्वारा किया नृत्य है?
(क) नर्तकी
(ख) नट
(ग) शिव
(घ) समाज

(iv) चंदन और केसर की तुलना किस से की है?
(क) भारतीयों से
(ख) देश की रज से
(ग) शक्ति से
(घ) पवित्रता से

(v) काव्यांश का उचित शीर्षक बताइए।
(क) सफल भारत
(ख) सुंदर भारत
(ग) सामर्थ्यवान भारत
(घ) निराला भारत
अथवा

कुछ लिख के सो, कुछ पढ़ के सो
तू जिस जगह जागा सबेरे, उस जगह से बढ़ के सो
जैसा उठा वैसा गिरा जाकर बिछौने पर
तिफल जैसा प्यार यह जीवन खिलौने पर
बिना समझे बिना बूझे खेलते जाना
एक ज़िद को जकड़ लेकर ठेलते जाना
गलत है, बेसूद है, कुछ रच के सो, कुछ गढ़ के सो
तू जिस जगह जागा सबेरे, उस जगह से बढ़ के सो
दिन भर इबारत पेड़-पत्ती और पानी की
बंद घर की, खुले-फैले खेतधानी की
हवा की, बरसात की हर खुश्क की, तर की
गुजरती दिन भर रही जो आप की, पर की
उस इबादत के सुनहरे वर्क से मन मढ़ के सो

(i) कवि ने किसे बेसुध कहा है?
(क) बेहोश को
(ख) व्यर्थ कार्य करने वालों को
(ग) कुछ कार्य न करने वालों को
(घ) इनमें से कोई नहीं

(ii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) मन मढ़के सो में अनुप्रास अलंकार है।
(II) मन मढ़के सो में रूपक अलंकार है।
(III) मन मढ़के सो में यमक अलंकार है।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल I
(ख) I और II
(ग) II और III
(घ) केवल III

(iii) ‘जैसा उठा वैसा गिरा’ का क्या अर्थ है?
(क) जैसा था वैसा ही है
(ख) काम ना करने वाले लोगों के लिए
(ग) सामान्य व्यवहार
(घ) ये सभी

(iv) इबारत को किससे मढ़ना है?
(क) लकड़ी से
(ख) शीशे से
(ग) सुनहरी वर्क से
(घ) ताँबे से
(v) काव्यांश का शीर्षक लिखिए
(क) परिश्रम
(ख) कार्य और मेहनत
(ग) परिश्रम का महत्त्व
(घ) ये सभी

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)

(i) अखबारों और पत्रिकाओं में कितने शब्दों तक के फीचर छपते हैं?
(क) 300 से 3000 तक
(ख) 250 से 2000 तक
(ग) 350 से 3000 तक
(घ) 550 से 3500 तक
(ii) विचारपरक लेखन का प्रमुख रूप क्या होता है?
(क) फीचर लेखन
(ख) स्तंभ लेखन
(ग) आलेख लेखन
(घ) रिपोर्ट लेखन

(iii) जिसमें अनुपलब्ध तथ्यों को गहरी छानबीन कर सार्वजनिक किया जाता है वह रिपोर्ट क्या कहलाती है?
(क) इंडेप्थ रिपोर्ट
(ख) विवरणात्मक रिपोर्ट
(ग) विश्लेषणात्मक रिपोर्ट
(घ) खोजी रिपोर्ट
(iv) कॉलम ‘क’ का कॉलम ‘ख’ से उचित मिलान कीजिए-

कॉलम ‘क’

कॉलम ‘ख’

(i) भारत में इंटरनेट का दूसरा दौर

(i) संवाद

(ii) नाटक का सशक्त माध्यम

(ii) 2003

(iii) भारत का पहला छापाखाना

(iii) तीन

(iv) उल्टा पिरामिड के हिस्से

(iv) गोवा

(क) (ii), (i), (iv), (iii)
(ख) (ii), (iii), (iv), (i)
(ग) (i), (ii), (iii), (iv)
(घ) (iii), (iv), (i), (ii)
(v) एक अच्छे और रोचक फीचर के साथ क्या होना ज़रूरी है?
(क) फोटो, रेखांकन, ग्राफिक्स आदि
(ख) कल्पनाओं की उड़ान
(ग) विचारों की गंभीरता
(घ) उपरोक्त में से कोई भी नहीं

4. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए- (1 × 5 = 5)

फिर हम परदे पर दिखलाएँगे
फूली हुई आँख की एक बड़ी तसवीर
बहुत बड़ी तसवीर
और उसके होंठों पर एक कसमसाहट भी
आशा है आप उसे उसकी अपंगता की पीड़ी मानेंगे,
एक और कोशिश
दकि
चीज़ रजिए
देखिए
हमें दोनों को एक संग रुलाने हैं।
आप और वह दोनों
कैमरा
इस को
नहीं हुआ
रहने दो
परदे पर वक्त की कीमत है,
अब मुसकुराएँगे हम
आप देख रहे थे सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम
(बस थोड़ी ही कसर रह गई।)
धन्यवाद

(i) कार्यक्रम संचालक परदे पर फूली हुई आँख की तसवीर क्यों दिखाना चाहता है?
(क) उनके कष्टों को बताकर कार्यक्रम प्रभावी बनाना
(ख) उनके प्रति सहानुभूति दिखाना
(ग) अपाहिजों को समाज के सामने लाना
(घ) उनकी वास्तविकता बताना

(ii) ‘एक और कोशिश’ इस पंक्ति का क्या तात्पर्य है?
(क) अपाहिज को समझाने की
(ख) उसके कष्टों को मिटाने की
(ग) उनसे मनमाना व्यवहार करवाने की
(घ) इनमें से कोई नहीं

(iii) कार्यक्रम-संचालक दोनों को एक साथ रुलाना चाहता है, यहाँ दोनों कौन हैं?
(क) कार्यक्रम संचालक व अपाहिज
(ख) अपाहिज व दर्शक
(ग) कार्यक्रम संचालक व दर्शक
(घ) कार्यक्रम संचालक व अपाहिज

(iv) अलंकार की दृष्टि से कौन-सा विकल्प सही है?
(क) फिर हम परदे – अनुप्रास अलंकार
(ख) फूली हुई आँख – उपमा अलंकार
(ग) उसके होंठों पर – उपमा अलंकार
(घ) आशा है आप उसे – अनुप्रास अलंकार

(v) ‘सामाजिक’ में प्रत्यय है
(क) आजिक
(ख) इक
(ग) ईक
(घ) अक
5. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प को चुनिए- (1 × 5 = 5)

फिर मेरी दृष्टि में आदर्श समाज क्या है? ठीक है, यदि ऐसा पूछेगे, तो मेरा उत्तर होगा कि मेरा आदर्श समाज स्वतंत्रता, समता, भ्रातृता पर आधारित होगा? क्या यह ठीक नहीं है, भ्रातृता अर्थात भाईचारे में किसी को क्या आपत्ति हो सकती है? किसी भी आदर्श समाज में इतनी गतिशीलता होनी चाहिए जिससे कोई भी वांछित परिवर्तन समाज के एक छोर से दूसरे तक संचारित हो सके। ऐसे समाज के बहुविधि हितों में सबका भाग होना चाहिए तथा सबको उनकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए। सामाजिक जीवन में अबाध संपर्क के अनेक साधन व अवसर उपलब्ध रहने चाहिए। तात्पर्य यह है कि दूध-पानी के मिश्रण की तरह भाईचारे का यही वास्तविक रूप है, और इसी का दूसरा नाम लोकतंत्र है।

(i) लेखक ने किन विशेषताओं को आदर्श समाज की धुरी माना है
(क) स्वतंत्रता
(ख) समानता
(ग) भाईचारा
(घ) ये सभी

(ii) भ्रातृता के स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
(क) भाई
(ख) भाई का रिश्ता
(ग) भाईचारे की भावना
(घ) पारिवारिक रिश्ता

(iii) ‘अबाध संपर्क’ से लेखक का क्या अभिप्राय है?
(क) मिलना-जुलना
(ख) सभी में उठना बैठना
(ग) बिना बाधा से मिलना
(घ) उपर्युक्त सभी

(iv) निम्नलिखित कथन कारण को ध्यानपूर्वक पढ़िए उसके बाद दिए गए विकल्पों में से कोई एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-
कथन (A): लोकतंत्र का वास्तविक स्वरूप भाईचारे को कहा गया है।
कारण (R): क्योंकि लोकतंत्र में जनता का शासन नहीं है।
(क) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।
(ग) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं।
(घ) कथन (A) गलत है तथा कारण (R) सही है।

(v) गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) गतिशील का विलोम शब्द रुकावट है।
(II) गतिशील का विलोम बाधा है।
(III) गतिशील का विलोम गतिहीन है।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल III
(ख) केवल II
(ग) केवल I
(घ) I और II

6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर हेतु निर्देशानुसार सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 10 = 10)

(i) यशोधर पंत काम के प्रति कैसे व्यक्ति थे?
(क) ईमानदार
(ख) मिलनसार
(ग) झगड़ालू
(घ) क और ख दोनों
(ii) दफ्तर की घड़ी में कितना समय होने पर कर्मचारियों की सुस्ती पर कटाक्ष करते हैं?
(क) 5.25 पर
(ख) 4.00 पर
(ग) 5.00 पर
(घ) 4.30 पर
(iii) ‘जूझ’ उपन्यास को साहित्य अकादमी पुरस्कार कब मिला था?
(क) सन् 1980 में
(ख) सन् 1985 में
(ग) सन् 1990 में
(घ) सन् 1975 में
(iv) ‘जूझ’ उपन्यास में किसका वर्णन किया गया है?
(क) महात्मा गांधी का
(ख) आनंद यादव का
(ग) रघुवीर सहाय का
(घ) जवाहरलाल नेहरू का
(v) राखलदास बनर्जी मुअनजो-दड़ो कब आए थे?
(क) सन् 1915 में
(ख) सन् 1920 में
(ग) सन् 1922 में
(घ) सन् 1925 में

(vi) मुहनजो-दड़ो नगर की सभ्यता किस राज्य की सभ्यता से मिलती जुलती है।
(क) राजस्थान की
(ख) गुजरात की
(ग) महाराष्ट्र की
(घ) पंजाब की

(vii) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
(I) यशोधर बाबू के अनुसार परम्परागत विचारधारा मर्यादा समाप्त कर देती है।
(II) यशोधर बाबू के अनुसार पाश्चात्य विचारधारा मर्यादा समाप्त कर देती है।
(III) यशोधर बाबू के अनुसार आधुनिक विचारधारा मर्यादा समाप्त कर देती है।
(IV) यशोधर बाबू के अनुसार सामाजिक विचारधारा मर्यादा समाप्त कर देती है।
उपरिलिखित कथनों में से कौन-सा / कौन-से सही है/ हैं?
(क) केवल I
(ख) केवल III
(ग) IV और III
(घ) I, II और III
(viii) ‘हम लोगों के यहाँ सिल्वर वेडिंग कब से होने लगी है?’ यह कथन किसके द्वारा कहा गया है
(क) चंदा के द्वारा
(ख) भूषण के द्वारा
(ग) मोहन के द्वारा
(घ) यशोधर बाबू के द्वारा
(ix) कुंड की सीढ़ियाँ किस दिशा में उतरती हैं?
(क) उत्तर-दक्षिण
(ख) दक्षिण-पूर्व
(ग) पूर्व-पश्चिम
(घ) उत्तर-पूर्व
(x) सिंधु घाटी के लोग अन्न का क्या करते थे?
(क) निर्यात
(ख) आयात
(ग) खाद्यान्नों में
(घ) उपरोक्त सभी

खण्ड ‘ब’ : वर्णनात्मक प्रश्न

7. दिए गए चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए- (6 × 1 = 6)

(क) मिट्टी तेरे रूप अनेक
(ख) सबको भाए मधुर वाणी
(ग) मर्यादित जीवन का आधार:सादा जीवन उच्च विचार
(घ) पर्वतीय स्थल की यात्रा का रोमांच

8. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए-  (3 × 2 = 6)

(क) कहानी के नाटय रूप में दृश्य विभाजन कैसे करते हैं?
(ख) रेडियो नाटक में पात्रों की संख्या सीमित क्यों होती है?
(ग) रचनात्मक लेखन कैसे लिखते हैं ?

9. निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में लिखिए- (4 × 2 = 8)

(क) साक्षात्कार पर टिप्पणी कीजिए।

(ख) अख़बार के लिए प्रयुक्त भाषा में ध्यान रखने वाली बातों का उल्लेख कीजिए।
(ग) पत्रकारीय लेखन का रूप समझाइए।
10. काव्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 × 2 = 6)

(क) मनुष्य संसार में कष्टों को सहते हुए ही खुश और मस्त कैसे रह सकता है? समझाइए।

है।

(ख) ‘बात सीधी थी पर’ कविता में छुपे भाव स्पष्ट कीजिए।

(ग) छोटे चौकोने खेत को कागज़ का पन्ना क्यों कहा गया है?
11. काव्य खंड पर आधारित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए- (2 × 2 = 4)

(क) ‘किशोर और युवा वर्ग समाज के मार्गदर्शक हैं’- पतंग कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(ख) स्त्री के प्रति तुलसी युग का दृष्टिकोण कैसा था?
(ग) रुबाइयाँ के आधार पर घर आँगन में दीवाली और राखी के दृश्य बिंब को अपने शब्दों में समझाइए।

12. गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 × 2 = 6)

(क) दो कन्याएँ पैदा करने पर भक्तिन के साथ जेठानियों ने क्या किया?
(ख) ‘बाज़ार दर्शन’ के लेखक ने भगत जी का उदाहरण क्यों दिया है? स्पष्ट कीजिए।
(ग) ‘पहलवान की ढोलक’ कहानी का संदेश बताइए।
13. गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 × 2 = 4)

(क) मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग क्यों की जा रही है?

(ख) हजारी प्रसाद द्विवेदी ने शिरीष के संदर्भ में महात्मा गाँधी का स्मरण क्यों किया है?

(ग) ‘दासता’ से क्या तात्पर्य है?

                                                 ……………………………………..


 

हिंदी  (Set 2)

कक्षा 12

समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80

खण्ड ‘अ’: वस्तुपरक-प्रश्न
अपठित गद्यांश

1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए- (1 × 10 = 10)

 (i) (ख) विज्ञान और शिल्पीय

 (ii) (क) मानसिक शांति में

(iii)  (क) खाओ पियो मौज करो ।

 (iv) (क) अराजकता

(v) (ग) बुद्धिवाद

(vi) (घ) मानवीय मूल्यों का

 (vii) (घ) केवल II

(viii) (ख) भावनाओं का उदार और व्यापक होना

 (ix) (ख) मन

(x) (क) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।

2. निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक पद्यांश से संबंधित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प-चयन द्वारा दीजिए- (1 × 5 = 5)

 (i) (ख) भारत के

(ii) (क) लावा

(iii) (ग) शिव

 (iv) (ख) देश की रज से

व्याख्या : चंदन और केसर की तुलना देश की रज से की गई है।

(v) (ग) सामर्थ्यवान भारत

अथवा

 (i) (ख) व्यर्थ कार्य करने वालों को

व्याख्या : कवि ने उस व्यक्ति को बेसुध कहा है जो बिना कुछ कार्य किए समय बिताता है या बिना-सोचे-समझे निरर्थक कार्य करता है।

(ii) (क) केवल I

 (iii) ‘ (ख) काम ना करने वाले लोगों के लिए

व्याख्या : कवि ने मनुष्य की अकर्मण्यता के विषय में कहा है। अकर्मण्य व्यक्ति जैसे निष्क्रिय भाव से जागता है वैसे ही दिनभर कोई प्रयास किए बिना शाम को सो जाता है।

(iv) (ग) सुनहरी वर्क से

(v) (ग) परिश्रम का महत्त्व

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 5 = 5)

(i) (ख) 250 से 2000 तक

(ii) (ख) स्तंभ लेखन

व्याख्या : स्तम्भ लेखन विचारपरक लेखन का प्रमुख रूप है। कुछ महत्त्वपूर्ण लेखक अपने खास वैचारिक रुझान वाले होते हैं, ऐसे लेखकों की लोकप्रियता को देखकर अखबार उन्हें नियमित स्तम्भ लिखने का जिम्मा देता है। स्तम्भ का विषय चुनने और उसमें विचार व्यक्त करने की उसे पूरी स्वतंत्रता रहती है।

(iii) (ग) विश्लेषणात्मक रिपोर्ट

(iv) (क) (ii), (i), (iv), (iii)

(v) (क) फोटो, रेखांकन, ग्राफिक्स आदि

4. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए- (1 × 5 = 5)

 (i) (क) उनके कष्टों को बताकर कार्यक्रम प्रभावी बनाना

व्याख्या : कार्यक्रम संचालक परदे पर फूली हुई आँख की बड़ी तसवीर इसलिए दिखाना चाहता है ताकि वह लोगों को इसके कष्ट के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर बता सके। इससे जहाँ कार्यक्रम प्रभावी बनेगा, वहीं संचालक का वास्तविक उद्देश्य भी पूरा होगा।

(ii) (ग) उनसे मनमाना व्यवहार करवाने की

व्याख्या : ‘एक और कोशिश’ कैमरामैन व कार्यक्रम संचालक कर रहे हैं। वे अपाहिज को रोती मुद्रा में दिखाकर अपने कार्यक्रम की लोकप्रियता बढ़ाना चाहते हैं, इस प्रकार वे अपाहिज से मनमाना व्यवहार करवाना चाहते हैं, जिसमें वे अभी तक सफल नहीं हो पाए।

(iii) (ख) अपाहिज व दर्शक

व्याख्या : कार्यक्रम संचालक अपाहिज व दर्शकों-दोनों को एक साथ रुलाना चाहता था। ऐसा करने से उसके कार्यक्रम का सामाजिक उद्देश्य पूरा हो जाता तथा कार्यक्रम भी रोचक व लोकक्रिय हो जाता।

(iv) (घ) आशा है आप उसे – अनुप्रास अलंकार

व्याख्या : संचालक कार्यक्रम खत्म होने पर मुस्कुराता है। उसे अपने कार्यक्रम के सफल होने की खुशी है। उसे अपाहिज की पीड़ा से कुछ लेना-देना नहीं। इस मुस्कुराहट में मीडिया की संवेदनहीनता छिपी है। इसमें पीड़ित के प्रति सहानुभूति नहीं, बल्कि अपने व्यापार की सफ़लता छिपी है।

(v) ‘ (ख) इक

5. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर वाले विकल्प को चुनिए- (1 × 5 = 5)

 (i) (i) विकल्प (घ) सही है।

व्याख्या : लेखक उस समाज को आदर्श मानता है जिसमें स्वतंत्रता, समानता व भाईचारा हो। उसमें इतनी गतिशीलता हो कि सभी लोग एक साथ सभी परिवर्तनों को ग्रहण कर सकें। ऐसे समाज में सभी के सामूहिक हित होने चाहिए तथा सबकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए।

 (ii) (ग) भाईचारे की भावना

व्याख्या : ‘भ्रातृता’ का अर्थ है-भाईचारा। लेखक ऐसा भाईचारा चाहता है जिसमें बाधा न हो। सभी सामूहिक रूप से एक-दूसरे के हितों को समझें तथा एक-दूसरे की रक्षा करें।

(iii) (ग) बिना बाधा से मिलना

व्याख्या : ‘अबाध संपर्क’ का अर्थ है-बिना बाधा के संपर्क। इन संपर्कों में साधन व अवसर सबको मिलने चाहिए।

(iv) (ख) कथन (A) सही है तथा कारण (R) गलत है।

व्याख्या-लोकतंत्र का वास्तविक स्वरूप भाईचारा है। यह दूध-पानी के मिश्रण की तरह होता है। इसमें उदारता होती है।

(v) (क) केवल III

6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर हेतु निर्देशानुसार सही विकल्प का चयन कीजिए- (1 × 10 = 10)

(i) (घ) क और ख दोनों

(ii) (क) 5.25 पर

(iii) (ग) सन् 1990 में

(iv) (ख) आनंद यादव का

(v) (ग) सन् 1922 में

(vi) (क) राजस्थान की

व्याख्या : मुअनजो-दड़ो की गलियों में घरों को देखकर लेखक को राजस्थान याद आता है और ज्वार, बाजरे की खेती व, बेर भी समानता के कारण हैं।

(vii) (घ) I, II और III

(viii) ‘ (ग) मोहन के द्वारा

(ix) (ग) पूर्व-पश्चिम

(x) (ख) आयात

खण्ड ‘ब’ : वर्णनात्मक प्रश्न

7. दिए गए चार अप्रत्याशित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में रचनात्मक लेख लिखिए- (6 × 1 = 6)

उत्तर:
(क) मिट्टी तेरे रूप अनेक

प्रायः जब किसी वस्तु को अत्यंत तुच्छ बताना होता है तो लोग कह उठते हैं कि यह तो मिट्टी के भाव मिल जाएगी। लोगों की धारणा मिट्टी के प्रति भले ही ऐसी हो परंतु तनिक-सी गहराई से विचार करने पर यह धारणा गलत साबित हो जाती है। समस्त जीवधारियों को यहाँ तक कि पेड़-पौधों को भी मिट्टी शरण देती है। आध्यात्मवादियों का तो यहाँ तक मानना है कि मानव शरीर के निर्माण के लिए जिन तत्त्वों का प्रयोग हुआ है उनमें मिट्टी भी एक है। जब तक शरीर जिन्दा रहता है तब तक मिट्टी उसे शांति और चैन देती है और फिर मृत शरीर को अपनी गोद में समाहित कर लेती है।

पृथ्वी पर जीवन का आधार यही मिट्टी है, जिसमें नाना प्रकार के फल, फ़सल और अन्य खाद्य वस्तुएँ पैदा होती हैं, जिसे खाकर मनुष्य एवं अन्य प्राणी जीवित एवं हष्ट-पुष्ट रहते हैं। यह मिट्टी कीड़े-मकोड़े और छोटे जीवों का घर भी है। यह मिट्टी विविध रूपों में मनुष्य और अन्य जीवों का कल्याण करती है। विभिन्न देवालयों को नवजीवन से भरकर कल्याणकारी रूप दिखाती है। मिट्टी का बच्चों से तो अटूट संबंध हैं। इसी मिट्टी में लोटकर, खेल-कूदकर वे बड़े होते हैं और बलिष्ठ बनते हैं। मिट्टी के खिलौनों से खेलकर वे अपना मनोरंजन करते हैं। वास्तव में मिट्टी हमारे लिए विविध रूपों में नाना ढंग से उपयोगी है।

(ख) सबको भाए मधुर वाणी

कोयल काको दुःख हरे, कागा काको देय। मीठे वचन सुनाए के, जग अपनो करि लेय।। यूँ तो कोयल और कौआ दोनों ही देखने में एक-से होते हैं परंतु वाणी के कारण दोनों में जमीन आसमान का अंतर हो जाता है। दोनों पक्षी किसी को न कुछ देते हैं और न कुछ लेते हैं परंतु कोयल अपनी मधुर वाणी से जग को अपना बना लेती है और कौआ अपनी कर्कश वाणी के कारण भगाया जाता है। कोयल की मधुर वाणी कर्ण प्रिय लगती है और उसे सब सुनने को इच्छुक रहते हैं। यही स्थिति समाज की है।

समाज में वे लोग सभी के प्रिय बन जाते हैं जो मधुर बोलते हैं जबकि कटु बोलने वालों से सभी बचकर रहना चाहते हैं। मधुर वाणी औषधि के समान होती है जो सुनने वालों के तन और मन को शीतल कर देती है। इससे लोगों को सुखानुभूति होती है। इसके विपरीत कटुवाणी उस तीखे तीर की भाँति होती है जो कानों के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करती है और पूरे शरीर को कष्ट पहुँचाती है। कड़वी बोली जहाँ लोगों को ज़ख्म देती है वही मधुर वाणी वर्षा से हुए मन के घाव को भर देती है।

मधुर वाणी किसी वरदान के समान होती है जो सुनने वाले को मित्र बना देती है। मधुर वाणी सुनकर शत्रु भी अपनी शत्रुता खो बैठते हैं। इसके अलावा जो मधुर वाणी बोलते हैं उन्हें खुद को संतुष्टि और सुख की अनुभूति होती है। इससे व्यक्ति का व्यक्तित्व प्रभावी एवं आकर्षक बन जाता है। इससे व्यक्ति के बिगड़े काम तक बन जाते हैं।

(ग) मर्यादित जीवन का आधार : सादा जीवन उच्च विचार

भारतीय संस्कृति को समृद्धशाली और लोकप्रिय बनाने में जिन तत्त्वों का योगदान है उनमें एक है-सादा जीवन उच्च विचार। सादा जीवन उच्च विचार रहन-सहन की एक शैली है जिससे भारतीय ही नहीं विदेशी तक प्रभावित हुए हैं। प्राचीनकाल में हमारे देश के ऋषि मुनि भी इसी जीवन शैली को अपनाते थे। भारतीयों को प्राचीनकाल से ही सरल और सादगीपूर्ण जीवन पसंद रहा है।

इनके आचरण में त्याग, दया, सहानुभूति, करुणा, स्नेह उदारता, परोपकार की भावना आदि गुण विद्यमान हैं। मनुष्य के सादगीपूर्ण जीवन के लिए इन गुणों की प्रगाढ़ता आवश्यक है। भारतीयों का जीवन किसी तप से कम नहीं रहा है क्योंकि उनके विचारों में महानता और जीवन में सादगी रही है। प्राचीनकाल से ही यह नियम बना दिया गया था कि जीवन के आरंभिक 25 वर्ष को ब्रह्मचर्य जीवन के रूप में बिताया जाए। इस काल में बालक गुरुकुलों में रहकर सादगी और नियम का पाठ सीख जाता था।

इनका जीवन ऐशो-आराम और विलासिता से कोसों दूर हुआ करता था। यही बाद में भारतीयों के जीवन का आधार बन जाता था। महात्मा गांधी, सरदार पटेल आदि का जीवन सादगी का दूसरा नाम था। वे एक धोती में जिस सादगी से रहते थे वह दूसरों के लिए आदर्श बन गया। वे दूसरों के लिए अनुकरणीय बन गए। अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन भी सादगीपूर्ण जीवन बिताते थे। दुर्भाग्य से आज लोगों की सोच में बदलाव आ गया है। अब सादा जीवन जीने वालों को गरीबी और पिछड़ेपन का प्रतीक माना जाने लगा है। अब लोगों की पहचान उनके कपड़ों से है। लोग उपभोग को ही सुख मान बैठे हैं। सुख एकत्र करने की चाहत में अब जीवन तनावपूर्ण बनता जा रहा है।

(घ) पर्वतीय स्थल की यात्रा का रोमांच

मनुष्य के मन में यात्रा करने का विचार जोर मारता रहता है। उसे बस मौके की तलाश रहती है। मुझे भी यात्रा करना बहुत अच्छा लगता है। आखिर मुझे अक्टूबर के महीने में यह मौका मिल ही गया जब पिता जी ने बताया कि हम सभी वैष्णो देवी जाएँगे। वैष्णों देवी का नाम सुनते ही मन बल्लियों उछलने लगा और मैं तैयारी में जुट गया। उधर माँ भी आवश्यक तैयारियाँ करने के क्रम में कपड़े, चादर और खाने के लिए नमकीन बिस्कुट आदि पैक करने लगी।

आखिर नियत समय पर हम प्रातः तीन बजे नई दिल्ली स्टेशन पर पहुँचे और स्वराज एक्सप्रेस से जम्मू के लिए चल पड़े। लगभग आधे घंटे बाद हम दिल्ली की सीमा पार करते हुए सोनीपत पहुँचे। अब तक सवेरा हो चुका था। दोनों ओर दूर तक हरे-भरे खेत दिखाई देने लेगे। इसी बीच पूरब से भगवान भास्कर का उदय हुआ। उनका यह रूप मैं दिल्ली में नहीं देख सका था। दस बजे तक तो मैं जागता रहा पर उसके बाद चक्की बैंक पहुँचने पर मेरी नींद खुली। उससे आगे जाने पर हमें एक ओर पहाड़ नज़र आ रहे थे।

वहाँ से कटरा जाकर हमने पैदल चढ़ाई की। पर्वतों को इतने निकट से देखने का यह मेरा पहला अवसर था। इनकी ऊँचाई और महानता देखकर अपनी लघुता का अहसास हो रहा था। अब मुझे समझ में आया कि ‘अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे’ मुहावरा क्यों कहा गया होगा। वैष्णों देवी पहुँचकर वहाँ का पर्वतीय सौंदर्य हमारे दिलों-दिमाग पर अंकित हो गया। वहाँ से भैरव मंदिर पहुँचकर जिस सौंदर्य के दर्शन हुए वह आजीवन भुलाए नहीं भूलेगा।

8. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में दीजिए-  (3 × 2 = 6)

(क) उत्तर:
कहानी का नाट्य रूपांतरण करते समय दृश्य विभाजन निम्न प्रकार करते हैं-
(i) कहानी की कथावस्तु को समय और स्थान के आधार पर विभाजित करके दृश्य बनाए जाते हैं।
(ii) प्रत्येक दृश्य कथानक के अनुसार बनाया जाता है।
(iii) एक स्थान और समय पर घट रही घटना को एक दृश्य में लिया जाता है।
(iv) दूसरे स्थान और समय पर घट रही घटना को अलग दृश्यों में बाँटा जाता है।
(v) दृश्य विभाजन करते समय कथाक्रम और विकास का भी ध्यान रखा जाता है।

(ख) उत्तर:
रेडियो नाटक में पात्रों की संख्या 5-6 से अधिक नहीं होनी चाहिए क्योंकि इसमें श्रोता केवल ध्वनि के सहारे ही पात्रों को याद रख पाता है। यदि रेडियो नाटक में अधिक पात्र होंगे तो श्रोता उन्हें याद नहीं रख सकेंगे और नाटक से उनकी रुचि हटने लगेगी इसलिए रेडियो नाटक में पात्रों की संख्या सीमित होनी चाहिए।

(ग) उत्तर:
लिखने के लिए जो भी विषय चुनें, उसके बारे में पूरी जानकारी हो, तथ्यों की सत्यता जाँचने के बाद ही उनका प्रयोग करें। विषय की अधिक जानकारी, आपकी सोच और शब्द चयन, लेखन को प्रभावशाली और रचनात्मक बना देते हैं। जब भी कुछ लिखना चाहते हैं, और अचानक से कोई विचार मन में आता है, तो उसे तुरंत लिख लेना चाहिए। जिससे हमारे लेखन में खास प्रस्तुतीकरण हो।

 

9. निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 80 शब्दों में लिखिए- (4 × 2 = 8)

(क) साक्षात्कार पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
समाचार माध्यमों में साक्षात्कर का बहुत महत्त्व है। पत्रकार एक तरह से साक्षात्कार के ज़रिये ही समाचार, फ़ीचर, विशेष रिपोर्ट और अन्य कई तरह के पत्रकारीय लेखन के लिए कच्चा माल इकट्ठा करते हैं। पत्रकारीय साक्षात्कार और सामान्य बातचीत में यह फ़र्क होता है कि साक्षात्कार से एक पत्रकार किसी अन्य व्यक्ति के तथ्य, उसकी राय और भावनाएँ जानने के लिए सवाल पूछता है। साक्षात्कार का एक स्पष्ट मकसद उसका ढाँचा होता है।

एक सफ़ल साक्षात्कार के लिए आपके पास न सिर्फ ज्ञान होना चाहिए बल्कि आपमें संवेदनशीलता, कूटनीति, धैर्य और साहस जैसे गुण भी होने चाहिए। एक अच्छे और सफ़ल साक्षात्कार के लिए यह ज़रूरी है कि आप जिस विषय पर और जिस व्यक्ति के साथ साक्षात्कार करने जा रहे हैं, उसके बारे में आपके पास पर्याप्त जानकारी हो। दूसरे आप साक्षात्कार से क्या निकालना चाहते हैं, इसके बारे में स्पष्ट रहना बहुत ज़रूरी है। आपको वे सवाल पूछने चाहिए जो किसी अख़बार के एक आम पाठक के मन में हो सकते हैं। साक्षात्कार को अगर रिकॉर्ड करना संभव हो तो बेहतर है, लेकिन अगर ऐसा संभव न हो तो साक्षात्कार के दौरान नोट्स तैयार करते रहें।

(ख) अख़बार के लिए प्रयुक्त भाषा में ध्यान रखने वाली बातों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
अख़बार और पत्रिका के लिए लिखने वाले लेखक और पत्रकार को यह हमेशा याद रखना चाहिए कि वह विशाल समुदाय के लिए लिख रहा है जिसमें एक विश्वविद्यालय के कुलपति सरीखे विद्वान से लेकर कम पढ़ा-लिखा मज़दूर और किसान सभी शामिल हैं। इसलिए उसकी लेखन शैली, भाषा और गूढ़ से गूढ़ विषय की प्रस्तुति ऐसी सहज, सरल और रोचक होनी चाहिए कि वह आसानी से सबकी समझ में आ जाए। पत्रकारीय लेखन में अलंकारिक-संस्कृतनिष्ठ भाषा-शैली के बजाय आम बोलचाल की भाषा का इस्तेमाल किया जाता है।

(ग) पत्रकारीय लेखन का रूप समझाइए।
उत्तर:
अख़बार या अन्य समाचार माध्यमों में काम करने वाले पत्रकार अपने पाठकों, दर्शकों और श्रोताओं तक सूचना पहुँचाने के लिए लेखन के विभिन्न रूपों का इस्तेमाल करते हैं। इसे ही पत्रकारीय लेखन कहते हैं और इसके कई रूप हैं। पत्रकार तीन तरह के होते हैं- पूर्णकालिक, अंशकालिक और फ्रीलांसर यानी स्वतंत्र। पूर्णकालिक पत्रकार किसी समाचार संगठन में काम करनेवाला नियमित वेतनभोगी कर्मचारी होता है, जबकि अंशकालिक पत्रकार (स्ट्रिंगर) किसी समाचार संगठन के लिए एक निश्चित मानदेय पर काम करनेवाला पत्रकार है, लेकिन फ्रीलांसर पत्रकार का संबंध किसी खास अख़बार से नहीं होता है, बल्कि वे भुगतान के आधार पर अलग-अलग अखबारों के लिए लिखता है।

10. काव्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 × 2 = 6)

(क) मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। इस नाते उसे समाज के हर संबंध का निर्वाह करना पड़ता है। जीवन में हर तरह के उतार-चढ़ाव आते हैं। सुख और दु:ख तो मानव जीवन का अभिन्न अंग है। सुख है तो दुःख आएगा और यदि दु:ख है तो सुख अवश्य है। सुख और दुःख इन्हीं दो आधारों पर मानव का जीवन चलता है। संसार में कष्ट सहना प्रत्येक मानव की नियति है। चाहे व्यक्ति अमीर हो या गरीब सभी को सुख-दुःख झेलने पड़ते हैं। जीवनरूपी गाड़ी इन्हीं दो पहियों पर चलती है।

जिस प्रकार रात के बाद सवेरा होता है ठीक उसी प्रकार दु:ख के बाद सुख आता है। व्यक्ति इन दुःखों में भी खुशी और मस्ती का जीवन जी सकता है। वह दुःखों में ज्यादा दुःखी न हो उसे ऐसे समझना चाहिए कि यह तो नियति है। यही मानव जीवन है। बिना दुःखों के सुखों की सच्ची अनुभूति नहीं की जा सकती अर्थात् दुःख ही सुख की कसौटी है। यदि व्यक्ति ऐसा सोच ले तो वह दुःख की स्थिति में भी खुश रहेगा तो उसका जीवन मस्ती से भरपूर होगा। सुख में अधिक सुखी न होना और दु:ख में अधिक दुःखी न होना ही मानव जीवन को व्यवस्थित कर देता है। जो व्यक्ति इन दोनों में सामंजस्य बनाकर चलता है वह दुःख में भी खुश और मस्त रहता है।

(ख) उत्तर:
कविता ‘बात सीधी थी पर’ कुँवर नारायण जी के कविता संग्रह में संकलित है। कविता में कथ्य और माध्यम के द्वंद्व उकेरते हुए भाषा की सहजता की बात की गई है। हर बात के लिए कुछ खास शब्द नियत होते हैं। ठीक वैसे ही जैसे हर पेंच के लिए एक निश्चित खाँचा होता हैं। अब तक जिन शब्दों को हम एक-दूसरे को पर्याय के रूप में जानते रहे हैं उन सब के भी अपने विशेष अर्थ होते हैं। अच्छी बात या अच्छी कविता का बनना सही बात का सही शब्द से जुड़ना होता है और जब ऐसा होता है तो किसी दबाव या अतिरिक्त मेहनत की ज़रूरत नहीं होती वह सहूलियत के साथ हो जाता है।

 (ग) उत्तर:
कवि ने छोटे चौकोने खेत को कागज़ का पन्ना कहा है। इससे कवि बताना चाहता है कि कवि-कर्म तथा खेती में बहुत समानता है। जिस प्रकार छोटा खेत चौकोर होता है, उसी प्रकार कागज़ का पन्ना भी चौकोर होता है। जिस प्रकार खेत में बीज़, जल, रसायन डालते हैं और उसमें अंकुर, फूल, फल आदि उगते हैं, उसी प्रकार कागज़ के पन्ने पर कवि अपने भाव के बीज बोता है तथा उसे कल्पना, भाषा आदि के ज़रिये रचना के रूप में फ़सल मिलती है। फ़सल एक निश्चित समय के बाद काट ली जाती है, परंतु कृति से हमेशा रस मिलता है।

11. काव्य खंड पर आधारित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए- (2 × 2 = 4)

(क) उत्तर:
किशोर और युवा वर्ग में क्षमता व इच्छाशक्ति चरम सीमा पर होती है। वे स्वयं अपना लक्ष्य निर्धारित करते हैं और उसको पाने की हर संभव कोशिश करते हैं। इनकी आँखों में आसमान की ऊँचाइयों को पाने के सपने होते हैं। बड़ों की बच्चों की क्षमता व उनकी सलाह को भी ध्यान में रखना चाहिए।

(ख) उत्तर:
तुलसी का युग स्त्रियों के लिए बहुत कष्टदायी था। लोग स्त्री का घोर अपमान करते थे। पैसों के लिए वे बेटी तक को बेच देते थे। इस काल में स्त्रियों का हर प्रकार से शोषण होता था। नारी के बारे में लोगों की धारणा संकुचित थी। नारी केवल भोग की वस्तु थी। इसी कारण उसकी दशा दयनीय थी। वह शोषण की चक्की में पिसती जा रही थी।

(ग) उत्तर:
दीवाली के त्योहार पर पूरा घर रंगरोगन से पुता हुआ है। माँ अपने नन्हें बेटे को प्रसन्न करने के लिए चीनी मिट्टी के जगमगाते खिलौने लेकर आती है। वह बच्चों के घर में दीया जलाती है। इसी तरह राखी के समय आकाश में काले-काले बादलों की हल्की घटा छाई हुई है। छोटी बहन ने पाँवों में पाजेब पहनी हुई है जो बिजली की तरह चमक रही है।

12. गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए- (3 × 2 = 6)

(क) उत्तर:
जब भक्तिन अर्थात् लछमिन ने दो पुत्रियों को जन्म दिया तो उसके ससुराल वालों ने उस पर घोर अत्याचार किए। उसकी जेठानियों ने उस पर बहुत जुल्म ढाए। इसी कारण उसकी बेटियों को दिन भर काम करना पड़ता था। इन सभी बातों से सिद्ध होता है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन है। उसकी जेठानियों ने तो ज़मीन हथियाने के लिए लछमिन की विधवा बेटी से अपने भाई का विवाह करने की योजना बनाई, जब यह योजना नहीं सफ़ल हुई तो लछमिन पर अत्याचार बढ़ते गए।

(ख) उत्तर:
लेखक ने इस निबंध में भगत जी का उदाहरण दिया है जो बाज़ार से काला नमक व जीरा लाकर वापस लौटते हैं। इन पर बाज़ार का आकर्षण काम नहीं करता क्योंकि इन्हें अपनी ज़रूरत का ज्ञान है। इससे पता चलता है कि मन पर नियंत्रण वाले व्यक्ति पर बाज़ार का कोई प्रभाव नहीं होता। ऐसे व्यक्ति बाज़ार को सही सार्थकता प्रदान करते हैं। दूसरे, उनका यह रुख समाज में शांति पैदा करता है क्योंकि यह पैसे की पॉवर नहीं दिखाता। यह प्रतिस्पर्धा नहीं उत्पन्न करता।

(ग) उत्तर:
‘पहलवान की ढोलक’ कहानी में व्यवस्था के बदलने के साथ लोककला व इसके कलाकार के अप्रासांगिक हो जाने की कहानी है। राजा साहब की जगह नए राजकुमार का आकर जम जाना सिर्फ व्यक्तिगत सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि जमीनी पुरानी व्यवस्था के पूरी तरह उलट जाने और उस पर सभ्यता के नाम पर एक दम नई व्यवस्था के आरोपित हो जाने का प्रतीक है। यह ‘भारत’ पर ‘इंडिया’ के छा जाने की समस्या है जो लुट्टन पहलवान को लोक कलाकार के आसन से उठाकर पेट भरने के लिए हायतौबा करने वाली निरीहता की भूमि पर पटक देती है।

13. गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40 शब्दों में लिखिए। (2 × 2 = 4)

(क) उत्तर:
गुड़धानी गुड़ व अनाज के मिश्रण से बने खाद्य पदार्थ को कहते हैं। बच्चे मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग करते हैं। पानी से प्यास बुझती है, साथ ही अच्छी वर्षा से ईख व धान भी उत्पन्न होताहै, यहाँ ‘गुड़धानी’ से अभिप्राय अनाज से है। गाँव की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित होती है जो वर्षा पर निर्भर है। अच्छी वर्षा से अच्छी फ़सल होती है जिससे लोगों का पेट भरता है और चारों तरफ खुशहाली छा जाती है।

(ख) उत्तर:
‘हाय, वह अवधूत आज कहाँ है!’-लेखक ने यहाँ महात्मा गांधी का स्मरण किया है। शिरीष भयंकर गर्मी व लू में भी सरस व फूलदार बना रहता है। गांधी जी अपने चारों ओर छाए अग्निकांड और खून-खच्चर के बीच स्नेही, अहिंसक व उदार दोनों एक समान कठिनाइयों में जीने वाले सरस व्यक्तित्व हैं।

(ग) उत्तर:
लेखक के मत में ‘दासता’ से अभिप्राय केवल कानूनी पराधीनता नहीं है। दासता की व्यापक परिभाषा है-किसी व्यक्ति को अपना व्यवसाय चुनने की स्वतंत्रता न देना। इसका सीधा अर्थ है-उसे दासता में जकड़कर रखना। इसमें कुछ व्यक्तियों को दूसरे लोगों द्वारा निर्धारित व्यवहार व कर्त्तव्यों का पालन करने के लिए विवश होना पड़ता है।

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अक्क महादेवी

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