पुनरावृत्ति कक्षा 12
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प्रश्न 1. अपठित गद्यांश-
प्रश्न1- निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सही विकल्प का चयन कीजिए- 1x10=10
एकांत ढूँढने के कई सकारात्मक कारण हैं । एकांत की चाह किसी घायल मन की आह भर नहीं, जो जीवन के कांटों से बिंध कर घायल हो चुका है, एकांत सिर्फ़ उसके लिए शरण मात्र एकांत सिर्फ उसके लिए शरण मात्र नहीं । यह उस इंसान की ख्वाहिश भर नहीं, जिसे इस संसार में फेंक दिया गया हो’ और वह फेंक दिए जाने की स्थिति से भयभीत होकर एकांत ढूंढ रहा हो । हम जो एकांत में होते हैं, वही वास्तव में होते हैं ।एकांत हमारी चेतना की अंतर्वस्तु को पूरी तरह उघाड़ कर रख देता है ।
अंग्रेज़ी का एक शब्द है-आइसोनोफ़ीलिया । इसका अर्थ है-अकेलेपन, एकांत से गहरा प्रेम । पर इस शब्द को गौर से समझें, तो इसमें अलगाव की एक परछाई भी दिखती है । एकांत प्रेमी हमेशा ही अलगाव की अभेद्य दीवारों के पीछे छिपना चाह रहा हो, यह ज़रूरी नहीं । एकांत की अपनी एक विशेष सुरभि है। जो भीड़ के अशिष्ट प्रपंच में फंस चुका हो, ऐसा मन कभी इसका सौंदर्य नहीं देख सकता । एकांत और अकेलेपन में थोड़ा फ़र्क समझना ज़रूरी है । एकांतवासी में कोई दोष या मनोमालिन्य नहीं होता ।वह किसी भी व्यक्ति या परिस्थिति के तंग आकर एकांत की शरण में नहीं जाता । न ही आततायी नियति के विषैले बाणों से घायल होकर वह एकांत की खोज करता है । अंग्रेज़ी कवि लॉर्ड बायरन ऐसे ही एकांत की बात करते हैं । वे कहते हैं कि ऐसा नहीं कि वे इंसान से कम प्रेम करते हैं, बस प्रकृति से ज़्यादा प्रेम करते हैं ।
महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों से कहते हैं कि वे जंगल में विचरण करते हुए गैंडे के सींग की तरह अकेले रहें । वे कहते हैं-‘प्रत्येक जीव-जंतु के प्रति हिंसा का त्याग करते हुए किसी की भी हानि कामना न करते हुए, अकेले चलो-फिरो, वैसे ही जैसे किसी गैंडे के सींग । हक्सले एकांत के धर्म या रिलिजन ऑफ़ सॉलिट्यूड’ की बात करते हैं । वे कहते हैं जो मन जितना ही अधिक शक्तिशाली और मौलिक होगा, एकांत के धर्म की तरफ उसका उतना ही अधिक झुकाव होगा । धर्म के क्षेत्र में एकांत, अंधविश्वासों, मतों और धर्मांधता के शोर से दूर ले जाने वाला होता है । इसके अलावा एकांत धर्म और विज्ञान के क्षेत्र में अंतर्दृष्टियों को भी जन्म देता है । ज्यां पॉल सार्त्र इस बारे में बड़ी ही खूबसूरत बात कहते हैं । उनका कहना है-ईश्वर एक अनुपस्थिति है। ईश्वर है-इंसान का एकांत ।
क्या एकांत लोग इसलिए पसंद करते हैं कि वे किसी को मित्र बनाने में असमर्थ हैं ? क्या वे सामाजिक होने की अपनी असमर्थता को छुपाने के लिए एकांत को महिमामंडित करते हैं ? वास्तव में एकांत एक दुधारी तलवार की तरह है । लोग क्या कहेंगे इसका डर भी हमें अक्सर एकांत में रहने से रोकता है । यह बड़ी अजीब बात है क्योंकि जब आप वास्तव में अपने साथ या अकेले होते हैं, तभी इस दुनिया और कुदरत के साथ अपने गहरे संबंध का एहसास होता है । इस संसार को और अधिक गहराई और अधिक समानुभूति के साथ प्रेम करके ही हम अपने दुखदाई अकेलेपन से बाहर हो सकते हैं ।
(क) उपरोक्त गद्यांश किस विषय वस्तु पर आधारित है ?
(i) अकेलेपन पर
(ii) एकांत पर
(iii) जीवन पर
(iv) अध्यात्म पर
(ख)एकांत हमारे जीवन के लिए क्यों आवश्यक है?
(i) परेशानी से भागने के लिए
(ii) आध्यात्मिक चिंतन के लिए
(iii) स्वयं को जानने के लिए
(iv) अशांत मन को शांत करने के लिए
(ग)एकांत हमारी चेतना की ,,,,,,,,,,को पूरी तरह उघाड़ कर रख देता है - सही शब्द भरिए ।
(i) खुशी
(ii) आध्यात्मिकता
(iii) अंतर्वस्तु
(iv) अंतर्दृष्टि
(घ) वे इंसान से कम प्रेम करते हैं, बस प्रकृति से ज़्यादा प्रेम करते हैं -किसने कहा ?
(i) महात्मा गांधी
(ii) बायरन
(iii) महात्मा बुद्ध
(iv) ज्यां पॉल सार्त्र
(ङ) एकांत की खुशबू को कैसे महसूस किया जा सकता है ?
(i) संसार से अलग होकर
(ii) भीड़ में नहीं रहकर
(iii) एकांत से प्रेम करके
(iv) अकेले रहकर
(च) गैंडे के सींग की क्या विशेषता होती है ?
(i) वह किसी को हानि नहीं पहुँचाता
(ii) वह सींग नहीं, वरन सींग का अपररूप होता है
(iii) गैंडे अकेले रहते हैं इसलिए सींग भी अकेला रहता है
(iv) अपनी दुनिया में मस्त रहता है
(छ)धर्म के क्षेत्र में एकांत का क्या योगदान है?
(i) समर्पण की भावना
(ii) पूजा और साधना
(iii) धर्मांधता से मुक्ति
(iv) धर्म के वास्तविक स्वरूप की पहचान
(ज) नई अंतर्दृष्टि से आप क्या समझते हैं ?
(i) नई खोज
(ii) नई संकल्पना
(iii) नया अनुसंधान
(iv) नया सिद्धांत
(झ)ईश्वर एक अनुपस्थिति है-कैसे?
(i) ईश्वर कभी दिखाई नहीं देते
(ii) ईश्वर कभी उपस्थित नहीं होते
(iii) एकांत में ही ईश्वर महसूस होते हैं
(iv) ईश्वर होते ही नहीं है
(ञ) दुखदाई अकेलेपन से बाहर कैसे आया जा सकता है?
(i) दोस्त बनाकर
(ii) प्रकृति की सुंदरता को देखकर
(iii) अपने प्रिय लोगों को जानकर
(iv) संसार को प्रेम करके
प्रश्न1- निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सही विकल्प का चयन कीजिए- 1x10=10
एकांत ढूँढने के कई सकारात्मक कारण हैं । एकांत की चाह किसी घायल मन की आह भर नहीं, जो जीवन के कांटों से बिंध कर घायल हो चुका है, एकांत सिर्फ़ उसके लिए शरण मात्र एकांत सिर्फ उसके लिए शरण मात्र नहीं । यह उस इंसान की ख्वाहिश भर नहीं, जिसे इस संसार में फेंक दिया गया हो’ और वह फेंक दिए जाने की स्थिति से भयभीत होकर एकांत ढूंढ रहा हो । हम जो एकांत में होते हैं, वही वास्तव में होते हैं ।एकांत हमारी चेतना की अंतर्वस्तु को पूरी तरह उघाड़ कर रख देता है ।
अंग्रेज़ी का एक शब्द है-आइसोनोफ़ीलिया । इसका अर्थ है-अकेलेपन, एकांत से गहरा प्रेम । पर इस शब्द को गौर से समझें, तो इसमें अलगाव की एक परछाई भी दिखती है । एकांत प्रेमी हमेशा ही अलगाव की अभेद्य दीवारों के पीछे छिपना चाह रहा हो, यह ज़रूरी नहीं । एकांत की अपनी एक विशेष सुरभि है। जो भीड़ के अशिष्ट प्रपंच में फंस चुका हो, ऐसा मन कभी इसका सौंदर्य नहीं देख सकता । एकांत और अकेलेपन में थोड़ा फ़र्क समझना ज़रूरी है । एकांतवासी में कोई दोष या मनोमालिन्य नहीं होता ।वह किसी भी व्यक्ति या परिस्थिति के तंग आकर एकांत की शरण में नहीं जाता । न ही आततायी नियति के विषैले बाणों से घायल होकर वह एकांत की खोज करता है । अंग्रेज़ी कवि लॉर्ड बायरन ऐसे ही एकांत की बात करते हैं । वे कहते हैं कि ऐसा नहीं कि वे इंसान से कम प्रेम करते हैं, बस प्रकृति से ज़्यादा प्रेम करते हैं ।
महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों से कहते हैं कि वे जंगल में विचरण करते हुए गैंडे के सींग की तरह अकेले रहें । वे कहते हैं-‘प्रत्येक जीव-जंतु के प्रति हिंसा का त्याग करते हुए किसी की भी हानि कामना न करते हुए, अकेले चलो-फिरो, वैसे ही जैसे किसी गैंडे के सींग । हक्सले एकांत के धर्म या रिलिजन ऑफ़ सॉलिट्यूड’ की बात करते हैं । वे कहते हैं जो मन जितना ही अधिक शक्तिशाली और मौलिक होगा, एकांत के धर्म की तरफ उसका उतना ही अधिक झुकाव होगा । धर्म के क्षेत्र में एकांत, अंधविश्वासों, मतों और धर्मांधता के शोर से दूर ले जाने वाला होता है । इसके अलावा एकांत धर्म और विज्ञान के क्षेत्र में अंतर्दृष्टियों को भी जन्म देता है । ज्यां पॉल सार्त्र इस बारे में बड़ी ही खूबसूरत बात कहते हैं । उनका कहना है-ईश्वर एक अनुपस्थिति है। ईश्वर है-इंसान का एकांत ।
क्या एकांत लोग इसलिए पसंद करते हैं कि वे किसी को मित्र बनाने में असमर्थ हैं ? क्या वे सामाजिक होने की अपनी असमर्थता को छुपाने के लिए एकांत को महिमामंडित करते हैं ? वास्तव में एकांत एक दुधारी तलवार की तरह है । लोग क्या कहेंगे इसका डर भी हमें अक्सर एकांत में रहने से रोकता है । यह बड़ी अजीब बात है क्योंकि जब आप वास्तव में अपने साथ या अकेले होते हैं, तभी इस दुनिया और कुदरत के साथ अपने गहरे संबंध का एहसास होता है । इस संसार को और अधिक गहराई और अधिक समानुभूति के साथ प्रेम करके ही हम अपने दुखदाई अकेलेपन से बाहर हो सकते हैं ।
(क) उपरोक्त गद्यांश किस विषय वस्तु पर आधारित है ?
(i) अकेलेपन पर
(ii) एकांत पर
(iii) जीवन पर
(iv) अध्यात्म पर
(ख)एकांत हमारे जीवन के लिए क्यों आवश्यक है?
(i) परेशानी से भागने के लिए
(ii) आध्यात्मिक चिंतन के लिए
(iii) स्वयं को जानने के लिए
(iv) अशांत मन को शांत करने के लिए
(ग)एकांत हमारी चेतना की ,,,,,,,,,,को पूरी तरह उघाड़ कर रख देता है - सही शब्द भरिए ।
(i) खुशी
(ii) आध्यात्मिकता
(iii) अंतर्वस्तु
(iv) अंतर्दृष्टि
(घ) वे इंसान से कम प्रेम करते हैं, बस प्रकृति से ज़्यादा प्रेम करते हैं -किसने कहा ?
(i) महात्मा गांधी
(ii) बायरन
(iii) महात्मा बुद्ध
(iv) ज्यां पॉल सार्त्र
(ङ) एकांत की खुशबू को कैसे महसूस किया जा सकता है ?
(i) संसार से अलग होकर
(ii) भीड़ में नहीं रहकर
(iii) एकांत से प्रेम करके
(iv) अकेले रहकर
(च) गैंडे के सींग की क्या विशेषता होती है ?
(i) वह किसी को हानि नहीं पहुँचाता
(ii) वह सींग नहीं, वरन सींग का अपररूप होता है
(iii) गैंडे अकेले रहते हैं इसलिए सींग भी अकेला रहता है
(iv) अपनी दुनिया में मस्त रहता है
(छ)धर्म के क्षेत्र में एकांत का क्या योगदान है?
(i) समर्पण की भावना
(ii) पूजा और साधना
(iii) धर्मांधता से मुक्ति
(iv) धर्म के वास्तविक स्वरूप की पहचान
(ज) नई अंतर्दृष्टि से आप क्या समझते हैं ?
(i) नई खोज
(ii) नई संकल्पना
(iii) नया अनुसंधान
(iv) नया सिद्धांत
(झ)ईश्वर एक अनुपस्थिति है-कैसे?
(i) ईश्वर कभी दिखाई नहीं देते
(ii) ईश्वर कभी उपस्थित नहीं होते
(iii) एकांत में ही ईश्वर महसूस होते हैं
(iv) ईश्वर होते ही नहीं है
(ञ) दुखदाई अकेलेपन से बाहर कैसे आया जा सकता है?
(i) दोस्त बनाकर
(ii) प्रकृति की सुंदरता को देखकर
(iii) अपने प्रिय लोगों को जानकर
(iv) संसार को प्रेम करके
अपठित पद्यांश-
प्रश्न 2-निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर सही विकल्प का चयन कीजिए- 1x5=5
हम जब होंगे बड़े, देखना
ऐसा नहीं रहेगा देश।
अब भी कुछ लोगों के दिल में
नफ़रत अधिक प्यार है कम,
हम जब होंगे बड़े,घृणा का
नाम मिटा कर लेंगे दम।
हिंसा के विषमय प्रवाह में
कब तक और बहेगा देश?
भ्रष्टाचार, जमाखोरी की
आदत बड़ी पुरानी है,
ये कुरीतियाँ मिटा हमें तो
नई चेतना लानी है।
घोर अभावों की ज्वाला में
बिलकुल नहीं दहेगा देश।
इस की बागडोर हाथों में
जरा हमारे आने दो
पाँव हमारे थोड़े से बस
जीवन में टिक जाने दो।
हम खाते हैं शपथ,दुर्दशा
कोई नहीं सहेगा देश।
(क) काव्यांश का वर्ण्य विषय क्या है?
(i) देशप्रेम
(ii) प्रकृतिप्रेम
(iii) महत्वाकांक्षा
(iv) स्वप्रेम
(ख) काव्यांश का मूल स्वर क्या है ?
(i) चुनौती का
(ii) प्रश्न का
(iii) संकल्प का
(iv) चिंता का
(ग) कवि कौन सा परिवेश बदलना चाहता है?
(i) प्यार का
(ii) संघर्ष का
(iii) शांति का
(iv) घृणा का
(घ) कवि के मन में नई चेतना तब आएगी, जब-
(i) सब प्रगति करेंगे
(ii) पुरानी प्रथाएँ समाप्त होगी
(iii) कुप्रथाएँ समाप्त होंगी
(iv)कवि के हाथ में बागडोर होगी
(ङ)आपके अनुसार कवि यहाँ बच्चों को क्या बनने की प्रेरणा दे रहा है?
(i) विद्यार्थी
(ii) समाज-सुधारक
(iii) जन-नायक
(iv) जन-शासक
प्रश्न2.
निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए-
1 X5=5
नवीन कंठ दो कि मैं नवीन गान गा सकूं,
स्वतंत्र देश की नवीन आरती सजा सकूं!
नवीन दृष्टि का नया विधान आज हो रहा,
नवीन आसमान में विहान आज हो रहा,
खुली दसों दिशाएँ, खुले कपाट ज्योति-द्वार के
विमुक्त राष्ट्र-सूर्य भासमान आज हो रहा।
युगांत की व्यथा लिए अतीत आज रो रहा,
दिगंत में वसंत का भविष्य बीज बो रहा,
सुदीर्घ क्रांति झेल, खेल की ज्वलंत आग से
स्वदेश बल सँजो रहा, कड़ी थकान खो रहा।
प्रबुद्ध राष्ट्र की नवीन वंदना सुना सकूं!
नवीन बीन दो कि मैं अगीत गान गा सकूं!
नए समाज के लिए नवीन नींव पड़ चुकी,
नए मकान के लिए नवीन ईंट गढ़ चुकी,
सभी कुटुब एक, कौन पास, कौन दूर है
नए समाज का हरेक व्यक्ति एक नूर है।
कुलीन जो उसे नहीं गुमान या गरूर है
समर्थ शक्तिपूर्ण जो किसान या मज़दूर है।
भविष्य-द्वार मुक्त से स्वतंत्र भाव से चलो,
मनुष्य बन मनुष्य से गले मिले चले चलो,
समान भाव के प्रकाशवान सूर्य के तले
समान रूप-गंध फूल-फूल-से खिले चलो।
पुराण पंथ में खड़े विरोध वैर भाव के
त्रिशूल को दले चलो, बबूल को मले चलो।
प्रवेश-पर्व है स्वेदश का नवीन वेश में
मनुष्य बन–मनुष्य से गले मिलो चले चलो।
नवीन भाव दो कि मैं नवीन गान गा सकूं
नवीन देश की नवीन अर्चना सुना सकूं!
निम्नलिखित में से निर्देशानुसार विकल्पों का चयन कीजिए-
(i(
कवि ने किन नवीनताओं की चर्चा की है?
1.नया लोकतंत्र
2.नई इमारतें
3.नई सरकार
4.स्वतंत्र देश के लिए नए गीत तथा नयी आरती
1
(ii(
‘नए समाज का हरेक व्यक्ति एक नूर है’-आशय स्पष्ट कीजिए।
1.स्वतंत्र भारत का हर व्यक्ति प्रकाश के गुणों से युक्त है।
2.हरेक व्यक्ति के घर बिजली है
3.हरेक व्यक्ति के पास हीरे हैं
4.हरेक व्यक्ति का नाम नूर है
1
(iii(
कवि मनुष्य को क्या परामर्श देता है?
1.नए गीत गाने का
2.सूर्य व फूलों के समान समानता का भाव और मैत्रीभाव बढ़ाने का
3.नई आरती सजाने का
4.सभी विकल्प सही हैं
1
(iv(
मनुष्य बन–मनुष्य से गले मिलो चले चलो-पंक्ति से कवि का कौन सा भाव परिलक्षित होता है ?
1.गाते हुए चलने का
2. मनुष्यता का
3.गले मिलने का
4. गाना गाने का
1
(v(
काव्यांश में किसान या मज़दूर की क्या विशेषताएँ बताई गई है?
1.परोपकारी
2.परिश्रमी
3.समर्थ और शक्तिपूर्ण
4.लगनशील
1
1.पत्रकारिता के विकास में कौन-सा मूल भाव सक्रिय रहता है?
जिज्ञासा का
2. कोई घटना समाचार कैसे बनती है?
कोई घटना समाचार तब बन जाती है जब उसमें अधिक से अधिक लोगों की रुचि होती है और उसका प्रभाव अधिक से अधिक लोगों पर पड़ता हो ।
3. संपादकीय पृष्ठ -
संपादकीय पृष्ठ समाचार पत्र का लगभग बीच का पृष्ठ होता है जिसमें संपादकीय के साथ-साथ ऑप-एड दिया जाता है ।
4.ऑप-एड -
ऑप-एड संपादकीय पृष्ठ पर संपादकीय के अलावा छपी हुई अन्य पठनीय सामग्री को कहते हैं।
5. जनसंचार का सबसे पुराना माध्यम कौन-सा है?
समाचार-पत्र
6. मुद्रण का प्रारंभ सबसे पहले किस देश में हुआ ?
जर्मनी
7. आधुनिक छापाखाने का आविष्कार कहाँ, कब और किसने किया?
जर्मनी,1440, जोहनीस गुटेनबर्ग
8. भारत मे पहला छापाखाना कब, कहाँ, किसने और किस उद्देश्य से खोला था?
1556,गोआ,जोआओ न्यूनीज़ बर्रेटो, ईसाई धर्म का ज्ञान देने के लिए
9. रेडियो किस प्रकार का माध्यम है?
ध्वनि (श्रव्य)माध्यम
10. रेडियो के समाचार किस शैली में लिखे जाते हैं?
उल्टा पिरामिड शैली
11. समाचार-लेखन की सर्वाधिक लोकप्रिय शैली कौन-सी है?
उल्टा पिरामिड शैली
12. उल्टा पिरामिड शैली से आप क्या समझते हैं ?
उल्टा पिरामिड शैली समाचार लेखन की सबसे अधिक लोकप्रिय शैली है जिसके अंतर्गत समाचारों को घटते महत्वक्रम में लिखा जाता है ।इसके तीन भाग होते हैं -
इंट्रो
बॉडी
समापन
13. इंट्रो-
उल्टा पिरामिड शैली के अंतर्गत समाचारों का आरंभ इंट्रो कहलाता है । इसके अंतर्गत सबसे महत्वपूर्ण खबर को लिखा जाता है ।
14. टेलीविजन, प्रिंट तथा रेडियो से किस प्रकार भिन्न है ?
टेलीविजन- दृश्य व श्रव्य माध्यम
प्रिंट- दृश्य माध्यम
रेडियो-श्रव्य माध्यम
15. नेट साउंड-
किसी कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग के समय आस-पास की जो आवाज़ें अपने आप रिकॉर्ड हो जाती हैं, उन्हें नेट साउंड कहते हैं ।
16. इंटरनेट प्रयोक्ताओं (users) की लगातार वृद्धि के क्या कारण हैं?
• रेलवे या बस की टिकट बुकिंग
• परीक्षा के फ़ॉर्म भरना
• सर्च इंजन द्वारा जानकारियाँ हासिल करना
• ई-कॉमर्स व ऑन लाइन पर्चेज़
17.इंटरनेट पत्रकारिता से आप क्या समझते हैं?
इंटरनेट पर समाचारों का प्रकाशन या आदान-प्रदान इंटरनेट पत्रकारिता कहलाता है।
18. इंटरनेट पत्रकारिता के विकासक्रम को लिखिए ।
विश्व-स्तर पर इंटरनेट पत्रकारिता का विकास निम्नलिखित चरणों में हुआ-
• प्रथम चरण------- 1982 से 1992
• द्वितीय चरण------- 1993 से 2001
• तृतीय चरण------- 2002 से अब तक
19. भारत में इंटरनेट पत्रकारिता का प्रारंभ कब से माना जाता है?
पहला चरण- 1993 से
दूसरा चरण 2003 से शुरू
20. भारत में सच्चे अर्थों में इंटरनेट पत्रकारिता करने वाली साइटों के नाम लिखिए ।
• रीडिफ़ डॉट कॉम
• इंडिया इफ़ोलाइन
• सीफ़ी
21. इंटरनेट पर पत्रकारिता करने वाली भारत की पहली साइट कौन-सी है ?
रीडिफ़ डॉट कॉम
22.भारत में वेबसाइट पर विशुद्ध पत्रकारिता करने का श्रेय किस साइट को जाता है?
तहलका डॉटकॉम
23.उस अखबार का नाम लिखिए जो केवल नेट पर ही उपलब्ध है?
प्रभा साक्षी
24. हिंदी में नेट पत्रकारिता किस समाचार-पत्र के साथ शुरू हुई ?
वेब दुनिया
25. हिन्दी की सर्वश्रेष्ठ साइट कौन-सी है?
बीबीसी (ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कोर्पोरेशन)
26. नेट पर हिन्दी की कौन-कौन सी साहित्यिक पत्रिकाएँ उपलब्ध हैं?
• अनुभूति
• अभिव्यक्ति
• हिन्दी नेस्ट
• सराय
27. हिन्दी वेब पत्रकारिता की समस्याएँ बताइए ।
• हिन्दी वेब जगत की सबसे बडी़ समस्या मानक की बोर्ड तथा फ़ॉंट की है
• डायनमिक फ़ॉंट के अभाव के कारण हिन्दी की ज्यादातर साइटें खुलती ही नहीं हैं ।
28. पत्रकारीय लेखन किसे कहते हैं?
समाचार माध्यमों में काम करने वाले पत्रकार अपने पाठकों तथा श्रोताओं तक सूचनाएँ पहुँचाने के लिए जिस लेखन का इस्तेमाल करते हैं, उसे पत्रकारीय लेखन कहते हैं।
29. पत्रकारीय लेखन के उद्देश्य लिखिए।
• सूचना देना
• शिक्षित करना
• मनोरंजन करना
• विचार मंच तैयार करना
30. पत्रकारीय लेखन के प्रकार-
• सम्पादकीय
• समाचार
• आलेख, रिपोर्ट
• फ़ीचर
• स्तम्भ
• कार्टून
31. पत्रकार कितने प्रकार के होते हैं?
• पूर्ण कालिक- किसी समाचार-पत्र या समाचार एजेंसी से मासिक वेतन प्राप्त करने वाले पत्रकार
• अंशकालिक- किसी विशेष रिपोर्ट को तैयार करने के लिए एक निश्चित समय-सीमा के लिए कार्य करने वाले पत्रकार । इन्हें इनके कार्य के एवज़ में मानदेय प्राप्त होता है ।
• फ़्रीलांसर या स्वतंत्र पत्रकार- अपनी रिपोर्ट या समाचार को स्वतंत्र रूप से तैयार कर उसे अपने लाभ को ध्यान में रखते हुए किसी भी समाचार-पत्र या समाचार एजेंसी में देकर उसके एवज़ में धन-राशि प्राप्त करने वाले पत्रकार ।
32.उल्टा पिरामिड शैली का विकास कब हुआ?
अमेरिका में गृह युद्ध के दौरान
33. समाचार-लेखन के छ: ककार लिखिए ।
• क्या?
• कौन?
• कहाँ?
• कब?
• क्यों?
• कैसे?
34. फ़ीचर किसे कहते हैं?
फ़ीचर एक सुव्यवस्थित, सृजनात्मक और आत्मनिष्ठ लेखन है ।
35.फ़ीचर लेखन का उद्देश्य-
• पाठकों को सूचना देना
• शिक्षित करना
• मनोरंजन करना
36. फ़ीचर व समाचार में क्या अंतर है?
• समाचार में रिपोर्टर को अपने विचारों को डालने की स्वतंत्रता नहीं होती, जबकि फ़ीचर में लेखक को अपनी राय , दृष्टिकोण और भावनाओं को ज़ाहिर करने का अवसर होता है ।
• समाचार उल्टा पिरामिड शैली में लिखे जाते हैं, जबकि फ़ीचर लेखन की कोई सुनिश्चित शैली नहीं होती ।
• फ़ीचर में समाचारों की तरह शब्दों की सीमा नहीं होती। आमतौर पर फ़ीचर, समाचार से बड़े होते हैं ।
37. विशेष रिपोर्ट-
सामान्य समाचारों से अलग वे विशेष समाचार जो गहरी छान-बीन, विश्लेषण और व्याख्या के आधार पर प्रकाशित किये जाते हैं, विशेष रिपोर्ट कहलाते हैं ।
38.विशेष रिपोर्ट के प्रकार:
(1) खोजी रिपोर्ट : इसमें अनुपलब्ध तथ्यों को गहरी छान-बीन कर उन्हें सार्वजनिक किया जाता है।
(2) इन्डेप्थ रिपोर्ट: सार्वजनिक रूप से प्राप्त तथ्यों की गहरी छान-बीन कर उसके महत्वपूर्ण पक्षों को पाठकों के सामने लाया जाता है ।
(3) विश्लेषणात्मक रिपोर्ट : इसमें किसी घटना या समस्या का विश्लेषण किया जाता है ।
(4) विवरणात्मक रिपोर्ट : इसमें किसी घटना या समस्या को विस्तार के साथ प्रस्तुत किया जाता है।
39.विचारपरक लेखन-
समाचार-पत्रों में समाचार एवं फ़ीचर के अतिरिक्त संपादकीय, आलेख, पत्र, टिप्पणी, वरिष्ठ पत्रकारों व विशेषज्ञों के स्तम्भ छपते हैं । ये सभी विचारपरक लेखन के अन्तर्गत आते हैं ।
40. स्तम्भ लेखन-
यह एक प्रकार का विचारत्मक लेखन है । कुछ महत्त्वपूर्ण लेखक अपने खास वैचारिक रुझान एवं लेखन शैली के लिए जाने जाते हैं । ऐसे लेखकों की लोकप्रियता को देखकर समाचारपत्र उन्हें अपने पत्र में नियमित स्तम्भ - लेखन की ज़िम्मेदारी देते हैं ।
41.संपादक के नाम पत्र-
समाचार पत्रों में संपादकीय पृष्ठ पर तथा पत्रिकाओं की शुरुआत में संपादक के नाम आए पत्र प्रकाशित किए जाते हैं । यह प्रत्येक समाचारपत्र का नियमित स्तम्भ होता है । इसके माध्यम से समाचार-पत्र अपने पाठकों को जनसमस्याओं तथा मुद्दों पर अपने विचार एवम राय व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है ।
42.साक्षात्कार/इंटरव्यू-
किसी पत्रकार के द्वारा अपने समाचारपत्र में प्रकाशित करने के लिए, किसी व्यक्ति विशेष से उसके विषय में अथवा किसी विषय या मुद्दे पर किया गया प्रश्नोत्तरात्मक संवाद साक्षात्कार कहलाता है ।
43. डेस्क-
समाचारपत्र, पत्रिकाओं , टीवी और रेडियो चैनलों में अलग-अलग विषयों पर विशेष लेखन के लिए निर्धारित स्थल को डेस्क कहते हैं।
44. बीट-
विभिन्न विषयों से जुड़े समाचारों के लिए संवाददाताओं के बीच जब काम का विभाजन आम तौर पर उनकी दिलचस्पी और ज्ञान को ध्यान में रख कर किया जाता है,तब उसे बीट कहते हैं ।
45.विशेष रिपोर्ट के क्षेत्र-
• राजनीतिक
• आर्थिक
• अपराध
• खेल
• फ़िल्म
• कृषि
• कानून
• विज्ञान
46.फ़्लैश या ब्रेकिंग न्यूज-
टेलीविज़न के स्क्रीन पर नीचे चलने वाली पट्टी जिसमें ताज़ा-तरीन घटनाएँ दिखाई जाती हैं, फ़्लैश या ब्रेकिंग न्यूज़ कहलाती हैं ।
47.एंकर-
टेलीविज़न पर जो रिपोर्टर समाचार प्रस्तुत करता है, वह एंकर कहलाता है ।
48. लाइव-
टेलीविज़न पर जब किसी कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया जाता है, तब वह लाइव कहलाता है ।
49.फ़ोन इन-
जब किसी घटना की सूचना घटनास्थल पर मौजूद रिपोर्टर एंकर को फ़ोन द्वारा देता है, तब यह फ़ोन-इन कहलाता है ।
50.एंकर-विजुअल-
जब घटना-स्थल से रिपोर्टर द्वारा भेजी गई घटना से संबंधित कोई फ़ोटो या वीडियो एंकर टेलीविज़न पर समाचारों में दिखाता है, तब यह एंकर विज़ुअल कहलाता है ।
51.एंकर-बाइट-
बाइट शब्द का अर्थ है- कही गई बात । जब घटना स्थल पर मौजूद रिपोर्टर घटना के समय मौजूद किसी व्यक्ति से पूछताछ कर उसके द्वारा कही गई बात को एंकर के पास भेजता है और एंकर उसे समाचारों के साथ दिखाता है, तब यह एंकर बाइट कहलाता है ।
52.एंकर-पैकेज- जब एंकर द्वारा टेलीविज़न पर प्रस्तुत किए गए समाचारों में, ब्रेकिंग न्यूज़, फ़ोन-इन,एंकर बाइट व एंकर विज़ुअल होता है, जब यह एंकर पैकेज कहलाता है ।
53.ड्राई-एंकर- जब एंकर द्वारा टेलीविज़न पर प्रस्तुत किए गए समाचारों में, ब्रेकिंग न्यूज़, फ़ोन-इन,एंकर बाइट व एंकर विज़ुअल नहीं होता है, जब यह ड्राई एंकर कहलाता है ।
54. ऑल इंडिया रेडियो की स्थापना कब हुई ?
स्थापना-1930
1936 में इसका नाम ऑल इंडिया रेडियो रखा गया ।
1957 में यह आकाशवाणी के नाम से जाना जाने लगा।
55.ऑडियंस-
किसी कार्यक्रम को देखने या सुनने वाले लोग ।
56.कैप्टिव ऑडियंस-
किसी कार्यक्रम को नियमित रूप से देखने या सुनने वाले लोग ।
57.टार्गेट ऑडियंस-
जिन ऑडियंस को ध्यान में रखकर किसी कार्यक्रम को बनाया जाता है ।
58.अपडेटिंग-
किसी वेबसाइट में नई-नई जानकारियाँ जोड़ना ।
59.न्यूज़ पेग-
ऐसा महत्वपूर्ण समाचार जो किसी संपादकीय, आलेख, फ़ीचर आदि को लिखने का आधार बनता है । न्यूज़ पेग को संपादकीय, आलेख, फ़ीचर आदि लिखते हुए उद्धृत किया जाता है ।
60. लोकतंत्र के चार स्तंभ बताइए ।
विधायिका
कार्यपालिका
न्यायपालिका
मीडिया
61. मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ क्यों कहा जाता है ?
मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ इसलिए कहा जाता है –
• मीडिया का कार्य है संचार प्रेषण अर्थात सूचनाओं को लोगों तक पहुँचाना।
• लोक चेतना अर्थात लोगों में किसी मुद्दे को लेकर जागृति लाना ।
• वॉचडॉग पत्रकारिता करने के कारण सरकार के काम-काज पर नज़र रखने का कार्य मीडिया करता है ।
प्रश्नः 1.
आलेख के विषय में बताइए।
उत्तरः
आलेख वास्तव में लेख का ही प्रतिरूप होता है। यह आकार में लेख से बड़ा होता है। कई लोग इसे निबंध का रूप भी मानते हैं जो कि उचित भी है। लेख में सामान्यत: किसी एक विषय से संबंधित विचार होते हैं। आलेख में ‘आ’ उपसर्ग लगता है जो कि यह प्रकट करता है कि आलेख सम्यक् और संपूर्ण होना चाहिए। आलेख गद्य की वह विधा है जो किसी एक विषय पर सर्वांगपूर्ण और सम्यक् विचार प्रस्तुत करती है।
प्रश्नः 2.
सार्थक आलेख के गुण बताइए।
उत्तरः
सार्थक आलेख के निम्नलिखित गुण हैं –
नवीनता एवं ताजगी।
जिज्ञासाशील।
विचार स्पष्ट और बेबाकीपूर्ण ।
भाषा सहज, सरल और प्रभावशाली।
एक ही बात पुनः न लिखी जाए।
विश्लेषण शैली का प्रयोग।
आलेख ज्वलंत मुद्दों, विषयों और महत्त्वपूर्ण चरित्रों पर लिखा जाना चाहिए।
आलेख का आकार विस्तार पूर्ण नहीं होना चाहिए।
संबंधित बातों का पूरी तरह से उल्लेख हो।
प्रश्नः 1.आलेख के विषय में बताइए।
उत्तरःआलेख वास्तव में लेख का ही प्रतिरूप होता है। यह आकार में लेख से बड़ा होता है। कई लोग इसे निबंध का रूप भी मानते हैं जो कि उचित भी है। लेख में सामान्यत: किसी एक विषय से संबंधित विचार होते हैं। आलेख में ‘आ’ उपसर्ग लगता है जो कि यह प्रकट करता है कि आलेख सम्यक् और संपूर्ण होना चाहिए। आलेख गद्य की वह विधा है जो किसी एक विषय पर सर्वांगपूर्ण और सम्यक् विचार प्रस्तुत करती है।
प्रश्नः 2.सार्थक आलेख के गुण बताइए।
उत्तरःसार्थक आलेख के निम्नलिखित गुण हैं –
नवीनता एवं ताजगी,जिज्ञासाशील,विचार स्पष्ट और बेबाकीपूर्ण,भाषा सहज, सरल और प्रभावशाली,एक ही बात पुनः न लिखी जाए,विश्लेषण शैली का प्रयोग,आलेख ज्वलंत मुद्दों, विषयों और महत्त्वपूर्ण चरित्रों पर लिखा जाना चाहिए,आलेख का आकार विस्तार पूर्ण नहीं होना चाहिए,संबंधित बातों का पूरी तरह से उल्लेख हो।
प्रश्नः 3.फीचर के विषय में बताइए।
उत्तर: फीचर का सामान्य अर्थ होता है – किसी प्रकरण संबंधी विषय पर प्रकाशित आलेख है। लेकिन यह लेख संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित होने वाले विवेचनात्मक लेखों की तरह समीक्षात्मक लेख नही होता है।फीचर समाचार पत्रों में प्रकाशित होने वाली किसी विशेष घटना, व्यक्ति, जीव – जन्तु, तीज – त्योहार, दिन, स्थान, प्रकृति – परिवेश से संबंधित व्यक्तिगत अनुभूतियों पर आधारित वह विशिष्ट आलेख होता है जो कल्पनाशीलता और सृजनात्मक कौशल के साथ मनोरंजक और आकर्षक शैली में प्रस्तुत किया जाता है। अर्थात फीचर किसी रोचक विषय पर मनोरंजक ढंग से लिखा गया विशिष्ट आलेख होता है।
प्रश्न 4:फीचर के प्रकार-व्यक्तिपरक फीचर,सूचनात्मक फीचर,विवरणात्मक फीचर, विश्लेषणात्मक फीचर,साक्षात्कार फीचर,इनडेप्थ फीचर
प्रश्न 5:फीचर की विशेषताएँ-
•किसी घटना की सत्यता या तथ्यता , समसामयिक, रोचक, शुरु से लेकर अंत तक मनोरंजक शैली में लिखा जाना. ज्ञानवर्धक, लेखक की निजी अनुभवों की अभिव्यक्ति,लेखक की कल्पना,चित्रात्मक और भाषा सरल, सहज और स्पष्ट होनी चाहिए ।
प्रश्न 6 : फीचर और आलेख में अंतर:
1.फीचर विषय से संबंधित व्यक्तिगत अनुभूतियों पर आधारित विशिष्ट आलेख होता है जिसमे कल्पनाशीलता और सृजनात्मक कौशल होनी चाहिए जबकि आलेख में विषय पर तथ्यात्मक, विश्लेषणात्मक अथवा विचारात्मक जानकारी होती है कल्पना का स्थान नहीं होता है.
2.फीचर 250 शब्दों से अधिक का नहीं होना चाहिए जबकि आलेख बड़ा भी हो सकता है.
संचार जीवन की निशानी है। स्पष्ट कीजिए।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। सामाजिक प्राणी होने के कारण वह संचार करता है। दैनिक जीवन में संचार के बिना हम जीवित नहीं रह सकते। मनुष्य जब तक जीवित है, वह संचार करता रहता है। संचार खत्म होने का मतलब है-मृत्यु। संचार ही मनुष्य को एक-दूसरे से जोड़ता है।
जनसंचार के माध्यमों के कारण आज दुनिया एक गाँव जैसी लगने लगी है। स्पष्ट कीजिए।
आज जनसंचार के अनेक साधन विकसित हो गए हैं, जिसके कारण भौतिक दूरियाँ कम हो रही हैं। इन साधनों के कारण मनुष्य सांस्कृतिक व मानसिक रूप से भी एक-दूसरे के करीब आ रहा है। जनसंचार के माध्यमों से कुछ ही क्षण में दुनिया के कोने-कोने से खबरों का आदान-प्रदान संभव हो गया है, इसी कारण आज दुनिया एक गाँव जैसी लगने लगी है।
गाँधी जी ने रेडियो को अदभुत शक्ति क्यों कहा था? रेडियो की तात्कालिकता, घनिष्ठता व प्रभाव के कारण गाँधी जी ने इसे अद्भुत शक्ति कहा था।
संपादकीय में लेखक का नाम क्यों नहीं होता है? संपादकीय किसी एक व्यक्ति का विचार या राय न होकर समग्र पत्र-समूह के विचार या राय होती है, इसलिए संपादकीय में संपादक अथवा लेखक का नाम नहीं लिखा जाता है। 5
(क)जनंसचार की प्रमुख विशेषताएँ बताइए। 3
जनसंचार की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं-
1. जनसंचार माध्यमों के जरिए प्रकाशित या प्रसारित संदेशों की प्रकृति सार्वजनिक होती है।
2. इसमें संचारक और प्राप्तकर्ता के बीच प्रत्यक्ष संबंध नहीं होता।
3. इस माध्यम में अनेक द्वारपाल होते हैं जो इन माध्यमों से प्रकाशित/प्रसारित होने वाली सामग्री को नियंत्रित तथा निर्धरित करते हैं।
जनसंचार किसे कहते हैं?
जब किसी तकनीकी या यांत्रिक माध्यम के ज़रिए समाज के विशाल वर्ग से संवाद करने की कोशिश की जाती है तो उसे जनसंचार कहते हैं। इसमें एक संदेश की यांत्रिक माध्यम के ज़रिए बहुगुणित किया जाता है ताकि उसे अधिक-से-अधिक लोगों तक पहुँचाया जा सके।
समाचार- लेखन के ककार बताइए।
समाचार-लेखन के छ: ककार होते हैं-
क्या?
कौन?
कहाँ?
कब?
क्यों?
कैसे?
पीत- पत्रकारिता को परिभाषित कीजिए।
पाठकों को लुभाने के लिए नामी-गरामी लोगों के बारे में झूठी अफ़वाहों, आरोपों-प्रत्यारोपों, प्रेमसंबंधों आदि से संबंधी सनसनीखेज समाचारों से संबंधित पत्रकारिता को पीत पत्रकारिता कहते हैं।
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