https://youtu.be/4enUbg7QdZM
https://youtu.be/Vf_Ny7GxKfQ
पाठ 1सिल्वर वैडिंग –
मनोहर श्याम जोशी
सिल्वर वैडिंग
लेखक परिचय
जीवन परिचय – मनोहर श्याम
जोशी का जन्म सन 1935 में कुमाऊँ में
हुआ था। ये लखनऊ विश्वविद्यालय से विज्ञान स्नातक थे। इन्होंने दिनमान पत्रिका में
सहायक संपादक और साप्ताहिक हिंदुस्तान में संपादक के रूप में काम किया। सन 1984 में भारतीय
दूरदर्शन के प्रथम धारावाहिक ‘हम लोग’ के लिए कथा-पटकथा लेखन शुरू किया। ये हिंदी
के प्रसिद्ध पत्रकार और टेलीविजन के धारावाहिक लेखक थे। लेखन के लिए इन्हें सन 2005 में साहित्य
अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सन 2006 में इनका दिल्ली में देहांत हो गया।
रचनाएँ – मनोहर श्याम
जोशी की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं –
कहानी – संग्रह-कुरु कुरु
स्वाहा, कसप, हरिया हरक्यूलीज
की हैरानी, हमजाद, क्याप।
व्यंग्य – संग्रह-एक
दुर्लभ व्यक्तित्व, कैसे किस्सागो, मंदिर घाट की
पौड़ियाँ, टा-टा प्रोफ़ेसर
षष्ठी वल्लभ पंत, नेता जी कहिन, इस देश का
प्यारों क्या कहना।
साक्षात्कार लेख-संग्रह –
बातों-बातों में, इक्कीसवीं सदी।
संस्मरण-संग्रह – लखनऊ
मेरा लखनऊ, पश्चिमी जर्मनी
पर एक उड़ती नजर।
दूरदर्शन धारावाहिक – हम
लोग, बुनियाद, मुंगेरी लाल के
हसीन सपने।
पाठ का सार-सिल्वर वेडिंग’ कहानी की रचना मनोहर श्याम जोशी ने की है| इस पाठ के माध्यम
से पीढ़ी के अंतराल का मार्मिक चित्रण किया गया है| आधुनिकता के दौर
में, यशोधर बाबूपरंपरागत
मूल्यों को हर हाल में जीवित रखना चाहते हैं| उनका उसूलपसंद
होना दफ्तर एवम घर के लोगों के लिए सरदर्द बन गया था | यशोधर बाबू को
दिल्ली में अपने पाँव जमाने में किशनदा ने मदद की थी, अतः वे उनके आदर्श
बन गए|
दफ्तर में विवाह की पच्चीसवीं सालगिरह के दिन ,दफ्तर के कर्मचारी, मेनन और चड्ढा उनसे
जलपान के लिए पैसे माँगते हैं | जो वे बड़े अनमने ढंग से देते हैं क्योंकि उन्हें
फिजूलखर्ची पसंद नहीं
|यशोधर
बाबू के
तीन बेटे हैं| बड़ा बेटा भूषण, विज्ञापन कम्पनी
में काम करता है| दूसरा बेटा आई. ए. एस. की तैयारी कर रहा
है और तीसरा छात्रवृति के साथ अमेरिका जा चुका है| बेटी भी डाक्टरी की पढ़ाईं के लिए अमेरिका जाना
चाहती है, वह विवाह हेतु किसी
भी वर को पसंद नहीं करती| यशोधर बाबू बच्चों की तरक्की से खुश हैं किंतु
परंपरागत संस्कारों के कारण वे दुविधा में हैं| उनकी पत्नी ने
स्वयं को बच्चों की सोच के साथ ढाल लिया है| आधुनिक न होते हुए
भी, बच्चों के ज़ोर देने
पर वे अधिक माडर्न बन गई है|
बच्चे घर पर सिल्वर वेडिंग की पार्टी रखते हैं, जो यशोधर बाबू के
उसूलों के खिलाफ था| उनका बेटा उन्हें ड्रेसिंग गाउन भेंट करता है
तथा सुबह दूध लेने जाते समय उसे ही पहन कर जाने को कहता है, जो उन्हें अच्छा
नहीं लगता| बेटे का ज़रूरत से ज़्यादा तनख्वाह पाना, तनख्वाह की रकम
स्वयं खर्च करना, उनसे किसी भी बात पर सलाह न माँगना और दूध लाने
का जिम्मा स्वयं न लेकर उन्हें ड्रेसिंग
गाउन पहनकर दूध लेने जाने की बात कहना जैसी बातें, यशोधर बाबू को बुरी
लगती है| जीवन के इस मोड़ पर वे
स्वयं को अपने उसूलों के साथ अकेले पाते हैं |
पाठ का सारांश
यह लंबी कहानी लेखक की
अन्य रचनाओं से कुछ अलग दिखाई देती है। आधुनिकता की ओर बढ़ता हमारा समाज एक ओर कई
नई उपलब्धियों को समेटे हुए है तो दूसरी ओर मनुष्य को मनुष्य बनाए रखने वाले मूल्य
कहीं घिसते चले गए हैं।
जो हुआ होगा और समहाउ
इंप्रापर के दो जुमले इस कहानी के बीज वाक्य हैं। जो हुआ होगा में यथास्थितिवाद
यानी ज्यों-का-त्यों स्वीकार लेने का भाव है तो समहाउ इंप्रापर में एक अनिर्णय की
स्थिति भी है। ये दोनों ही भाव इस कहानी के मुख्य चरित्र यशोधर बाबू के भीतर के
द्वंद्व हैं। वे इन स्थितियों का जिम्मेदार भी किसी व्यक्ति को नहीं ठहराते। वे
अनिर्णय की स्थिति में हैं।
दफ़्तर में सेक्शन अफ़सर
यशोधर पंत ने जब आखिरी फ़ाइल का काम पूरा किया तो दफ़्तर की घड़ी में पाँच बजकर
पच्चीस मिनट हुए थे। वे अपनी घड़ी सुबह-शाम रेडियो समाचारों से मिलाते हैं, इसलिए वे दफ़्तर
की घड़ी को सुस्त बताते हैं। इनके कारण अधीनस्थ को भी पाँच बजे के बाद भी रुकना
पड़ता है। वापसी के समय वे किशन दा की उस परंपरा का निर्वाह करते हैं जिसमें
जूनियरों से हल्का मजाक किया जाता है।
दफ़्तर में नए असिस्टेंट
चड्ढा की चौड़ी मोहरी वाली पतलून और ऊँची एड़ी वाले जूते पंत जी को ‘समहाउ
इंप्रापर’ मालूम होते हैं। उसने थोड़ी बदतमीजीपूर्ण व्यवहार करते हुए पंत जी की
चूनेदानी का हाल पूछा। पंत जी ने उसे जवाब दिया। फिर चड्ढा ने पंत जी की कलाई थाम
ली और कहा कि यह पुरानी है। अब तो डिजिटल जापानी घड़ी ले लो। सस्ती मिल जाती है।
पंत जी उसे बताते हैं कि यह घड़ी उन्हें शादी में मिली है। यह घड़ी भी उनकी तरह ही
पुरानी हो गई है। अभी तक यह सही समय बता रही है।
इस तरह जवाब देने के बाद
एक हाथ बढ़ाने की परंपरा पंत जी ने अल्मोड़ा के रेम्जे स्कूल में सीखी थी। ऐसी
परंपरा किशन दा के क्वार्टर में भी थी जहाँ यशोधर को शरण मिली थी। किशन दा कुंआरे
थे और पहाड़ी लड़कों को आश्रय देते थे। पंत जी जब दिल्ली आए थे तो उनकी उम्र
सरकारी नौकरी के लिए कम थी। तब किशन दा ने उन्हें मैस का रसोइया बनाकर रख लिया।
उन्होंने यशोधर को कपड़े बनवाने व घर पैसा भेजने के लिए पचास रुपये दिए। इस तरह वे
स्मृतियों में खो गए। तभी चड्ढा की आवाज से वे जाग्रत हुए और मेनन द्वारा शादी के
संबंध में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहने लगे’नाव लेट मी सी, आई वॉज़ मैरिड ऑन
सिक्स्थ फरवरी नाइंटीन फ़ोर्टी सेवन।’
मेनन ने उन्हें ‘सिल्वर
वैडिंग की बधाई दी। यशोधर खुश होते हुए झेपे और झंपते हुए खुश हुए। फिर भी वे इन
सब बातों को अंग्रेजों के चोंचले बताते हैं, किंतु चड्ढा उनसे चाय-मट्ठी व लड्डू की माँग
करता है। यशोधर जी दस रुपये का नोट चाय के लिए देते हैं, परंतु उन्हें यह
‘समहाउ इंप्रॉपर फाइंड’ लगता है। अत: सारे सेक्शन के आग्रह पर भी वे चाय पार्टी
में शरीक नहीं होते है। चडढ़ा के जोर देने पर वे बीस रुपये और दे देते हैं, किंतु आयोजन में
सम्मिलित नहीं होते। उनके साथ बैठकर चाय-पानी और गप्प-गप्पाष्टक में वक्त बरबाद
करना उनकी परंपरा के विरुद्ध है।
यशोधर बाबू ने इधर रोज
बिड़ला मंदिर जाने और उसके उद्यान में बैठकर प्रवचन सुनने या स्वयं ही प्रभु का
ध्यान लगाने की नयी रीति अपनाई है। यह बात उनकी पत्नी व बच्चों को अखरती थी।
क्योंकि वे बुजुर्ग नहीं थे। बिड़ला मंदिर से उठकर वे पहाड़गंज जाते और घर के लिए
साग-सब्जी लाते। इसी समय वे मिलने वालों से मिलते थे। घर पर वे आठ बजे से पहले
नहीं पहुँचते थे।
आज यशोधर जब बिड़ला मंदिर
जा रहे थे तो उनकी नजर किशन दा के तीन बेडरूम वाले क्वार्टर पर पड़ी। अब वहाँ
छह-मंजिला मकान बन रहा है। उन्हें बहुमंजिली इमारतें अच्छी नहीं लग रही थीं। यही
कारण है कि उन्हें उनके पद के अनुकूल एंड्रयूजगंज, लक्ष्मीबाई नगर पर डी-2 टाइप अच्छे क्वार्टर
मिलने का ऑफ़र भी स्वीकार्य नहीं है और वे यहीं बसे रहना चाहते हैं। जब उनका
क्वार्टर टूटने लगा तब उन्होंने शेष क्वार्टर में से एक अपने नाम अलाट करवा लिया।
वे किशन दा की स्मृति के लिए यहीं रहना चाहते थे।
पिछले कई वर्षों से यशोधर
बाबू का अपनी पत्नी व बच्चों से हर छोटी-बड़ी बात पर मतभेद होने लगा है। इसी वजह
से उन्हें घर जल्दी लौटना अच्छा नहीं लगता था। उनका बड़ा लड़का एक प्रमुख विज्ञापन
संस्था में नौकरी पर लग गया था। यशोधर बाबू को यह भी ‘समहाउ’ लगता था क्योंकि यह
कंपनी शुरू में ही डेढ़ हजार रुपये प्रतिमाह वेतन देती थी। उन्हें कुछ गड़बड़ लगती
थी। उनका दूसरा बेटा आई०ए०एस० की तैयारी कर रहा था। उसका एलाइड सर्विसेज में न
जाना भी उनको अच्छा नहीं लगता। उनका तीसरा बेटा स्कॉलरशिप लेकर अमेरिका चला गया।
उनकी एकमात्र बेटी शादी से इनकार करती है। साथ ही वह डॉक्टरी की उच्चतम शिक्षा के
लिए अमेरिका जाने की धमकी भी देती है। वे अपने बच्चों की तरक्की से खुश हैं, परंतु उनके साथ
सामंजस्य नहीं बैठा पाते।
यशोधर की पत्नी संस्कारों
से आधुनिक नहीं है, परंतु बच्चों के
दबाव से वह मॉडर्न बन गई है। शादी के समय भी उसे संयुक्त परिवार का दबाव झेलना
पड़ा था। यशोधर ने उसे आचार-व्यवहार के बंधनों में रखा। अब वह बच्चों का पक्ष लेती
है तथा खुद भी अपनी सहूलियत के हिसाब से यशोधर की बातें मानने की बात कहती है।
यशोधर उसे ‘शालयल बुढ़िया’,
‘चटाई का लहँगा’ या ‘बूढ़ी मुँह मुँहासे, लोग करें तमासे’
कहकर उसके विद्रोह का मजाक उड़ाते हैं, परंतु वे खुद ही तमाशा बनकर रह गए। किशन दा के
क्वार्टर के सामने खड़े होकर वे सोचते हैं कि वे शादी न करके पूरा जीवन समाज को
समर्पित कर देते तो अच्छा होता।
यशोधर ने सोचा कि किशन दा
का बुढ़ापा कभी सुखी नहीं रहा। उनके तमाम साथियों ने मकान ले लिए। रिटायरमेंट के
बाद किसी ने भी उन्हें अपने पास रहने की पेशकश नहीं की। स्वयं यशोधर भी यह पेशकश
नहीं कर पाए क्योंकि वे शादीशुदा थे। किशन दा कुछ समय किराये के मकान में रहे और
फिर अपने गाँव लौट गए। सालभर बाद उनकी मृत्यु हो गई। उन्हें कोई बीमारी भी नहीं
हुई थी। यशोधर को इसका कारण भी पता नहीं। वे किशन दा की यह बात याद रखते थे कि
जिम्मेदारी पड़ने पर हर व्यक्ति समझदार हो जाता है।
वे मन-ही-मन यह स्वीकार
करते थे कि दुनियादारी में उनके बीवी-बच्चे अधिक सुलझे हुए हैं, परंतु वे अपने
सिद्धांत नहीं छोड़ सकते। वे मकान भी नहीं लेंगे। किशन दा कहते थे कि मूरख लोग
मकान बनाते हैं, सयाने उनमें रहते
हैं। रिटायरमेंट होने पर गाँव के पुश्तैनी घर चले जाओ। वे इस बात को आज भी सही
मानते हैं। उन्हें पता है कि गाँव का पुश्तैनी घर टूट-फूट चुका है तथा उस पर अनेक
लोगों का हक है। उन्हें लगता है कि रिटायरमेंट से पहले कोई लड़का सरकारी नौकरी में
आ जाएगा और क्वार्टर उनके पास रहेगा। ऐसा न होने पर क्या होगा, इसका जवाब उनके
पास नहीं होता।
बिड़ला मंदिर के प्रवचनों
में उनका मन नहीं लगा। उम्र ढलने के साथ किशन दा की तरह रोज मंदिर जाने, संध्या-पूजा करने
और गीता-प्रेस गोरखपुर की किताबें पढ़ने का यत्न करने लगे। मन के विरोध को भी वे
अपने तकों से खत्म कर देते हैं। गीता के पाठ में ‘जनार्दन’ शब्द सुनने से उन्हें
अपने जीजा जनार्दन जोशी की याद आई। उनकी चिट्ठी से पता चला कि वे बीमार है। यशोधर
बाबू अहमदाबाद जाना चाहते हैं, परंतु पत्नी व बच्चे उनका विरोध करते हैं। यशोधर खुशी-गम के
हर मौके पर रिश्तेदारों के यहाँ जाना जरूरी समझते हैं तथा बच्चों को भी वैसा बनाने
की इच्छा रखते हैं। किंतु उस दिन हद हो गई जिस दिन कमाऊ बेटे ने यह कह दिया कि
“आपको बुआ को भेजने के लिए पैसे मैं तो नहीं दूँगा।”
यशोधर की पत्नी का कहना
है कि उन्होंने बचपन में कुछ नहीं देखा। माँ के मरने के बाद विधवा बुआ ने यशोधर का
पालन-पोषण किया। मैट्रिक पास करके दिल्ली में किशन दा के पास रहे। वे भी कुंवारे
थे तथा उन्हें भी कुछ नहीं पता था। अत: वे नए परिवर्तनों से वाकिफ़ नहीं थे।
उन्हें धार्मिक प्रवचन सुनते हुए भी पारिवारिक चिंतन में डूबा रहना अच्छा नहीं
लगा। ध्यान लगाने का कार्य रिटायरमेंट के बाद ठीक रहता है। इस तरह की तमाम बातें
यशोधर बाबू पैदाइशी बुजुर्गवार है, क्यों में औरउ के हीलबे में कहा कते हैं तथा कहाक्रउ
की ही तह ही सी लगनतीस हँसी हँस देते हैं।
जब तक किशन दा दिल्ली में
रहे, तब तक यशोधर बाबू
ने उनके पट्टशिष्य और उत्साही कार्यकर्ता की भूमिका पूरी निष्ठा से निभाई। उनके
जाने के बाद घर में होली गवाना, रामलीला के लिए क्वार्टर का एक कमरा देना, ‘जन्यो पुन्यू’ के
दिन सब कुमाऊँनियों को जनेऊ बदलने के लिए घर बुलाना आदि कार्य वे पत्नी व बच्चों
के विरोध के बावजूद करते हैं। वे यह भी चाहते हैं कि बच्चे उनसे सलाह लें, परंतु बच्चे
उन्हें सदैव उपेक्षित करते हैं। प्रवचन सुनने के बाद यशोधर बाबू सब्जी मंडी गए। वे
चाहते थे कि उनके लड़के घर का सामान खुद लाएँ, परंतु उनकी आपस की लड़ाई से उन्होंने इस विषय
को उठाना ही बंद कर दिया। बच्चे चाहते थे कि वे इन कामों के लिए नौकर रख लें।
यशोधर को यही ‘समहाउ इंप्रॉपर’ मालूम होता है कि उनका बेटा अपना वेतन उन्हें दे।
क्या वह ज्वाइंट एकाउंट नहीं खोल सकता था? उनके ऊपर, वह हर काम अपने पैसे से करने की धौंस देता है।
घर में वह तमाम परिवर्तन अपने पैसों से कर रहा है। वह हर चीज पर अपना हक समझता है।
सब्जी लेकर वे अपने
क्वार्टर पहुँचे। वहाँ एक तख्ती पर लिखा था-वाई०डी० पंत। उन्हें पहले गलत जगह आने
का धोखा हुआ। घर के बाहर एक कार थी। कुछ स्कूटर, मोटर-साइकिलें थीं तथा
लोग विदा ले-दे रहे थे। बाहर बरामदे में रंगीन कागजों की झालरें व गुब्बारे लटक
रहे थे। उन्होंने अपने बेटे को कार में बैठे किसी साहब से हाथ मिलाते देखा। उनकी
समझ में कुछ नहीं आ रहा था। उन्होंने अपनी पत्नी व बेटी को बरामदे में खड़ा देखा
जो कुछ मेमसाबों को विदा कर रही थीं। लड़की जींस व बगैर बाँह का टॉप पहने हुए थी।
पत्नी ने होंठों पर लाली व बालों में खिजाब लगाया हुआ था। यशोधर को यह सब ‘समहाउ
इंप्रापर’ लगता था।
यशोधर चुपचाप घर पहुँचे
तो बड़े बेटे ने देर से आने का उलाहना दिया। यशोधर ने शर्मीली-सी हँसी हँसते हुए
पूछा कि हम लोगों के यहाँ सिल्वर वैडिंग कब से होने लगी है? यशोधर के दूर के
भांजे ने कहा, “जबसे तुम्हारा
बेटा डेढ़ हजार महीने कमाने लगा है, तब से।” यशोधर को अपनी सिल्वर बैडिंग की यह
पार्टी भी अच्छी नहीं लगी। उन्हें यह मलाल था कि सुबह ऑफ़िस जाते समय तक किसी ने
उनसे इस आयोजन की चर्चा नहीं की थी। उनके पुत्र भूषण ने जब अपने मित्रों-सहयोगियों
से यशोधर बाबू का परिचय करवाया तो उस समय उन्होंने प्रयास किया कि भले ही वे
संस्कारी कुमाऊँनी हैं तथापि विलायती रीति-रिवाज भी अच्छी तरह परिचित होने का
एहसास कराएँ।
बच्चों के आग्रह पर यशोधर
बाबू अपनी शादी की सालगिरह पर केक काटने के स्थान पर जाकर खड़े हो गए। फिर बेटी के
कहने पर उन्होंने केक भी काटा, जबकि उन्होंने कहा-‘समहाउ आई डोंट लाइक आल दिस।” परंतु
उन्होंने केक नहीं खाया क्योंकि इसमें अंडा होता है। अधिक आग्रह पर उन्होंने
संध्या न करने का बहाना किया तथा पूजा में चले गए। आज उन्होंने पूजा में देर लगाई
ताकि अधिकतर मेहमान चले जाएँ। यहाँ भी उन्हें किशन दा दिखाई दिए। उन्होंने पूछा कि
‘जो हुआ होगा’ से आप कैसे मर गए? किशन दा कह रहे थे कि भाऊ सभी जन इसी ‘जो हुआ होगा’ से मरते
हैं चाहे वह गृहस्थ हो या ब्रहमचारी, अमीर हो या गरीब। शुरू और आखिर में सब अकेले ही
होते हैं।
यशोधर बाबू को लगता है कि
किशन दा आज भी उनका मार्गदर्शन करने में सक्षम हैं और यह बताने में भी कि मेरे
बीवी-बच्चे जो कुछ भी कर रहे हैं, उनके विषय में मेरा रवैया क्या होना चाहिए? किशन दा अकेलेपन
का राग अलाप रहे थे। उनका मानना था कि यह सब माया है। जो भूषण आज इतना उछल रहा है, वह भी किसी दिन
इतना ही अकेला और असहाय अनुभव करेगा, जितना कि आज तू कर रहा है।
इस बीच यशोधर की पत्नी ने
वहाँ आकर झिड़कते हुए पूछा कि आज पूजा में ही बैठे रहोगे। मेहमानों के जाने की बात
सुनकर वे लाल गमछे में ही बैठक में चले गए। बच्चे इस परंपरा के सख्त खिलाफ़ थे।
उनकी बेटी इस बात पर बहुत झल्लाई। टेबल पर रखे प्रेजेंट खोलने की बात कही। भूषण
उनको खोलता है कि यह ऊनी ड्रेसिंग गाउन है। सुबह दूध लाने के समय आप फटा हुआ
पुलोवर पहनकर चले जाते हैं,
वह बुरा लगता है।
बेटी पिता का पाजामा-कुर्ता उठा लाई कि इसे पहनकर गाउन पहनें। बच्चों के आग्रह पर
वे गाउन पहन लेते हैं। उनकी आँखों की कोर में जरा-सी नमी चमक गई। यह कहना कठिन है
कि उनको भूषण की यह बात चुभ गई कि आप इसे पहनकर दूध लेने जाया करें। वह स्वयं दूध
लाने की बात नहीं कर रहा।
शब्दार्थ
सिल्वर वैडिंग – शादी की
रजत जयंती जो विवाह के पच्चीस वर्ष बाद मनाई जाती है। मातहत – अधीन। जूनियर –
कनिष्ठ, अधीनस्थ। निराकरण
– समाधान। परपरा – प्रथा। बदतमीजी – अशिष्ट व्यवहार। चूनेदानी – पान खाने वालों का
चूना रखने का बरतन। धृष्टता – अशिष्टता। बाबा आदम का जमाना – पुराना समय। नहले पर
दहला – जैसे को तैसा। दाद-प्रशंसा। ठठाकर – जोर से हँसकर। ठीक-ठिकाना – उचित
व्यवस्था। चोंचले – आडंबरपूर्ण व्यवहार। माया-धन – दौलत, सांसारिक मोह।
इनसिष्ट – आग्रह। चुग्गे भर – पेट भरने लायक। जुगाड़ – व्यवस्था। नगण्य – जो गिनने
लायक न हो। सेक्रेट्रिएट – सचिवालय। नागवार – अनुचित। निहायत-एकदम। अफोड – सहन
करना, क्रय –शक्ति के
अंदर। इसरार – आग्रह। गय-गयाष्टक – इधर-उधर की बेकार की बातचीत। विरुदध – विपरीत।
प्रवचन – धार्मिक व्याख्यान। निहायत – अत्यंत। फिकरा – वाक्यांश। पेंच – कारण।
स्कालरशिप – छात्रवृत्ति। उपेक्षा – तिरस्कार का भाव। तरफ़दारी – पक्ष लेना।
मातृसुलभ – माताओं की स्वाभाविक मनोदशा। मॉड – आधुनिक। जिठानी – पति के बड़े भाई
की पत्नी।
तार्द्ध – पिता के बड़े
भाई की पत्नी। ढोंग – ढकोसला, आडंबरपूर्ण आचरण। आचरण – व्यवहार। अनदेखा करना – ध्यान न
देना। नि:श्वास – लंबी साँस। डेडीकेट – समर्पित। रिटायर – सेवा-निवृत्त। उपकृत –
जिन पर उपकार किया गया है। येशकश – प्रस्तुत। बिरादर – जाति-भाई। खुराफात – शरारती
कार्य। विरासत – उत्तराधिकार। मौज –आनंद। पुश्तैनी – पैतृक, खानदानी। लोक –
संसार। बाध्य – मजबूर। मयदिा पुरुष – परंपराओं एवं आस्थाओं को मानने वाला। बाट –
पगडंडी। जनादन – ईश्वर। सर्वथा – पूरी तरह से। बुजुर्गियत – बड़प्पन। बुढ़याकाल –
वृद्धावस्था। एनीवे – किसी भी तरह। प्रवचन – भाषण। लहजा – ढंग। भाऊ – बच्चा।
पट्टशिष्य – प्रिय छात्र। निष्ठा – आस्था। जन्यो पुन्यू – जनेऊ बदलने वाली
पूर्णिमा। कुमाऊँनियों – कुमाऊँ क्षेत्र के निवासी। दुराग्रह – अनुचित हठ।
एक्सपीरिएस – अनुभव। सबस्टीट्यूट – विकल्प। कुहराम – शोर-शराबा। वक्तव्य – कथन।
नुक्तचीनी – छोटी-छोटी कमी निकालना। कारपेट – फ़र्श का कालीन। मर्तबा-बार।
हुप्रॉपर – अनुचित। तरफदारी करना – पक्ष लेना। खिजाब – बालों को काला करने का
पदार्थ। माहवार – महीना। मिसाल – उदाहरण। भव्य – सुंदर। सपन्न – मालदार। हरचद –
बहुत अधिक। अनमनी – उदासी-भरी। मासाहारी – मांस खाने वाला। सध्या करना – सूर्यास्त
के समय पूजा करना। रवैया – व्यवहार। आमादा – तत्पर होना। खिलाफ – विरुद्ध। लिमिट –
सीमा। ग्रेजेंट – उपहार। ना-नुच करना – आनाकानी करना।सिल्वर वैडिंग-श्री मनोहर श्याम जोशी
कॉपी में लिखने के लिए-
वस्तुपरक प्रश्न
1. यशोधर बाबू अपने
बच्चों तथा पत्नी से क्या चाहते थे?
A. पैसा
B. सम्मान
C. परंपराओं का पालन
D. मुक्ति
2. 'सिल्वर वैडिंग'
पाठ के लेखक का नाम क्या है?
A. फणीश्वर नाथ रेणु
B. मनोहर श्याम जोशी
C. श्याम मनोहर जोशी
D. मनोहर वर्मा
3. 'सिल्वर वैडिंग'
कहानी के कथानायक का नाम क्या है?
A. यशोधर दत्त पंत
B. भूषण
C. किशनदा
D. चड्ढा
4. यशोधर बाबू किसको
अपना आदर्श मानते थे?
A. भूषण को
B. किशनदा को
C. अपनी पत्नी को
D. अपने साले को
5. यशोधर बाबू
सर्वप्रथम किस पद पर नियुक्त हुए?
A. बॉय सर्विस
B. क्लर्क
C. सहायक क्लर्क
D. सेक्शन आफ़िसर
6. यशोधर का पूरा
नाम है-
A. यशोधर बाबू
B. ए०डी० पंत
C. वाई०डी० पंत
D. ओ०डी० पंत
7. यशोधर बाबू के
विवाह की कौन-सी वर्षगाँठ मनाई गई?
A. बीसवीं
B. तीसवीं
C. पच्चीसवीं
D. चालीसवीं
8. दफ्तर के बाबुओं
को अपनी सिल्वर वैडिंग के लिए यशोधर बाबू ने कुल कितने रुपये दिए?
A. दस
B. पंद्रह
C. बीस
D. तीस
9. लेखक ने यशोधर
बाबू को किशनदा का कौन-सा पुत्र कहा है?
A. मानस पुत्र
B. दत्तक पुत्र
C. नाजायज़ पुत्र
D. पुत्र
10. यशोधर बाबू मूलतः
कहाँ के रहने वाले थे?
A. दिल्ली के
B. आगरा के
C. कुमाऊँ के
D. मेरठ के
11. किशनदा यशोधर को
क्या कहकर बुलाते थे?
A. भाऊ
B. बेटा
C. यशोधर
D. भाई
12. 'सिल्वर वैडिंग'
में गाउन पहनते समय यशोधर बाबू को कौन-सी बात
चुभी?
A. पत्नी द्वारा उपेक्षा
B. भूषण के व्यंग्य वचन
C. केक काटना
D. दूध लाने की बात
13. जब सब्जी लेकर
यशोधर घर पहुँचे तो उनकी दशा कैसी थी?
A. द्वारिका जाने वाले सुदामा जैसी
B. द्वारिका से लौटे सुदामा जैसी
C. बचपन के सुदामा जैसी
D. पत्नी के साथ सुदामा जैसी
14. यशोधर बाबू के
कितने बेटे थे?
A. एक
B. दो
C. तीन
D. चार
15. यशोधर बाबू किस
प्रकार के जीवन के पक्षधर थे?
A. बनावटी
B. धार्मिक
C. मौज मस्ती
D. सादगीपूर्ण
16. यशोधर बाबू जुड़े
हुए हैं-
A. आधुनिकता से
B. पुरानी परंपराओं से
C. विलायती जीवन से
D. सरकारी कार्यालय से
17. यशोधर बाबू की
पत्नी किसका साथ देती है?
A. पति का
B. आधुनिकता का
C. अपने बच्चों का
D. मौज मस्ती का
18. यशोधर बाबू के
बड़े लड़के को कितने रुपये मासिक की नौकरी मिली?
A. 1800 रुपये
B. 1600 रुपये
C. 1500 रुपये
D. 1400 रुपये
19. यशोधर बाबू का
अपने बच्चों के प्रति कैसा व्यवहार था?
A. स्नेहपूर्ण
B. ईष्यापूर्ण
C. घृणापूर्ण
D. अलगाव भरा
20. यशोधर बाबू के
क्वार्टर में कितने कमरे थे?
A. दो
B. तीन
C. चार
D. एक
21. 'सिल्वर वैडिंग'
पर भूषण ने अपने पिता को क्या उपहार दिया?
A. घड़ी
B. पैंट
C. पैंट और कमीज़
D. ऊनी ड्रेसिंग गाउन
22. सिल्वर वेडिंग शादी का कौन सा साल होता है ?
A- 21
B- 22
C- 23
D- 25
23. किशनदा का पूरा नाम क्या था ?
A- कृष्ण पांडे
B- गोपी नन्द
C- कृष्णानाथ
पाण्डेय
D- कृष्णानन्द
पांडे
24. यशोधर पंत अपनी घड़ी रोजाना सुबह शाम किससे मिलाते थे ?
A- टीवी
B- दीवार घड़ी
C- रेडियो समाचार
D- इनमें से कोई
नहीं
25.यशोधर पंत को चड्ढा की कौनसी बात इम्प्रॉपर महसूस होती है ?
A- मोहरी वाली पतलून
B- ऊंची एड़ी के जूते
C- A तथा B दोनों
D- इनमे से कोई
नहीं
26. यशोधर बाबू को कौन सी सवारी निहायती बेहूदा लगती है ?
A- रेल गाडी
B- स्कूटर
C- साइकिल
D- गाडी
27.यशोधर पंत के कितने बच्चे हैं ?
A- चार
B- पांच
C- छ:
D- सात
28. यशोधर का दूसरा बेटा क्या करता है ?
A- नौकरी
B- साफ सफाई
C- आईएएस की तैयारी
D- समाज सेवा
29.यशोधर बाबू के बड़े लड़के का क्या नाम है ?
A- श्याम
B- राम
C- भूषण
D- रमेश
30.यशोधर पंत का बड़ा लड़का क्या करता है ?
A- विज्ञापन कंपनी
में नौकरी
B- साफ सफाई
C- समाज सेवा
D- शिक्षक
31. यशोधर का तीसरा बेटा स्कॉलरशिप लेकर कहाँ चला गया ?
A- पाकिस्तान
B- जापान
C- कनाडा
D- अमेरिका
32.यशोधर के जीजा का क्या नाम है ?
A- राम जोशी
B- काम जोशी
C- श्याम जोशी
D- जनार्दन जोशी
33. यशोधर पंत बारबार किस शब्द का प्रयोग करते हैं ?
A- एक्स्क्यूस मी
B- सॉरी
C- इट्स ओके
D- सम्हाउ
इम्प्रॉपर
34.यशोधर पंत की सिल्वर वेडिंग का प्रबंध किसने किया ?
A- रमेश ने
B- भूषण ने
C- जनार्दन जोशी ने
D- इनमे से कोई
नहीं
35.सिल्वर वेडिंग पाठ के लेखक
कौन है ?
A- मनोहर लाल जोशी
B- मनोहर श्याम जोशी
C- मनोहर सिंह जोशी
D- इनमे से कोई
नहीं
36.यशोधर बाबू अपने परिवार को किसके संस्कारों में डालना चाहते
थे ?
A- श्रीराम
B- जनार्दन जोशी
C- भूषण
D- किशनदा
37.दिल्ली आकर यशोधर बाबू किसकी छत्रछाया में रहने लगे थे ?
A- भूषण
B- जनार्दन जोशी
C- किशनदा
D- इनमे से कोई
नहीं
38. किशनदा कैसे हृदय के व्यक्ति थे ?
A- कोमल
B- कठोर
C- सरल हृदय
D- इनमें से कोई
नहीं
39. यशोधर बाबू कैसी जिंदगी जीना चाहते थे ?
A- कठोर
B- विलासतापूर्ण
C- शाही
D- सरल और सादी
40. इस कहानी की मूल संवेदना क्या है ?
A- पीढ़ी का अंतराल
B- प्रकृति का
प्रकोप
C- प्रदूषण
D- बाढ़
41.ऑफिस से छुट्टी होने पर यशोधर बाबू कहाँ जाते थे ?
A- इस्कॉन मंदिर
B- कमल मंदिर
C- बिड़ला मंदिर
D- गुरुद्वारा
42.यशोधर बाबू घर से ऑफिस कैसे जाते थे ?
A- बस से
B- कार से
C- पैदल
D- रथ से
43. यशोधर बाबू की किस से तकरार होती रहती थी ?
A- भाई से
B- किशनदा से
C- पत्नी और बच्चों
से
D- इनमे से कोई
नहीं
44. यशोधर बाबू की बेटी क्या पहनती थी ?
A- कुरता
B- पजामा
C- सूट
D- जीन्स
45. भूषण ने यशोधर पंत को क्या उपहार दिया ?
A- जीन्स
B- पजामा
C- ऊनी गाउन
D- कमीज
46.तजिया का क्या अर्थ है ?
A- गुस्सा
B- व्यंग्यात्मक
C- भावनात्मक
D- इनमे से कोई
नहीं
47. सिल्वर वेडिंग पाठ किस विधा में रचित है ?
A- निबंध
B- नाटक
C- एकांकी
D- कहानी
48.यशोधर बाबू का परिवार किस संस्कृति में ढलने में सफल रहा ?
A- पश्चिमी
B- भारतीय
C- चीनी
D- जापानी
49.पार्टी में बाबू का
व्यवहार कैसा था ?
A- मनमोहक
B- गुस्से वाला
C- उदास
D- विचित्र
50.कहानी के अनुसार नई पीढ़ी किसे महत्व देती है ?
A- समाज को
B- भौतिकता को
C- नैतिकता को
D- इनमें से कोई
नहीं
51. यशोधर पंत की पत्नी कैसे सैंडल पहनती थी ?
A- छोटे
B- चपटे
C- ऊंची हील वाले
D- इनमें से कोई
नहीं
52.गिरीश कौन था ?
A- यशोधर का बेटा
B- यशोधर की पत्नी
का चचेरा भाई
C- यशोधर का ससुर
D- यशोधर का बड़ा
भाई
53.यशोधर बाबू की बेटी क्या करना चाहती है ?
A- आईएएस की तैयारी
B- पुलिस की नौकरी
C- डॉक्टरी की पढाई के लिए अमेरिका जाना
D- इनमें से कोई
नहीं
वर्णनात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1:
यशोधर बाबू की
पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है लेकिन यशोधर बाबू असफल रहते हैं। ऐसा
क्यों?
अथवा
‘सिल्वर वैडिंग’
कहानी के आधार पर बताइए कि यशोधर बाबू समय के अनुसार क्यों नहीं ढल सके?
उत्तर –
यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है -
1.वह जानती है कि बच्चों की सहानुभूति तभी
प्राप्त की जा सकेगी जब बच्चों की सोच के अनुसार चला जाए। व्यवहार भी यही कहता है।
2.दूसरे उसके व्यक्तित्व के विकास पर किसी व्यक्तिविशेष का प्रभाव नहीं है।
3.तीसरे,
संयुक्त परिवार के साथ
उसका अनुभव सुखद नहीं रहा। उसकी इच्छाएँ अतृप्त रही। उसके अनुसार, “मुझे आचार-व्यवहार के ऐसे बंधनों में रखा गया
मानो मैं जवान औरत नहीं, बुढ़िया थी।”
4.अब
वह बेटी के कहने के हिसाब से कपड़े पहनती है। वह बेटों के मामले में भी दखल नहीं देती।
5.उन्हें समय के साथ ढलना और बदलना आता था।
दूसरी तरफ,
यशोधर बाबू स्वयं को बदल
नहीं पाते हैं।
1.वे सदैव किसी-न-किसी उलझन के शिकार हैं।
2.वे सिद्धांतवादी हैं। इस कारण
वे परिवार के सदस्यों से तालमेल नहीं बिठा पाते।
3.उन पर किशनदा का प्रभाव है जो
परंपरा को ढोते हुए अंत में फटेहाल मरे।
4.वे संयुक्त परिवार, भारतीय परंपराओं को बनाए रखना चाहते हैं,
परंतु परिवार उन्हें
निरर्थक मानता है। यशोधर बाबू पार्टीबाजी, फैशन, अच्छे मकान में
रहना आदि को पसंद नहीं करते।
5.वे आधुनिक भौतिक वस्तुओं को बंधन मानते हैं। फलतः वे
अलग-थलग हो जाते हैं। अंत में, उन्हें
परिस्थितियों से समझौता करना पड़ता है।
प्रश्न 2:
पाठ में ‘जो हुआ
होगा ‘ वाक्य की आप कितनी अर्थ छवियाँ खोज सकते/सकती हैं?
अथवा
‘जो हुआ होगा ‘ की
दो अर्थ छवियाँ लिखिए।
उत्तर –
पाठ में ‘जो हुआ
होगा।’ वाक्य पहली बार तब आता है जब यशोधर किशन दा के किसी जाति-भाई से उनकी मौत
का कारण पूछते हैं तो उत्तर मिलता है-जो हुआ होगा अर्थात पता नहीं, क्या हुआ। इसका अर्थ यह है कि किशन दा की
मृत्यु का कारण जानने की इच्छा भी किसी में नहीं थी। इससे उनकी हीन दशा का पता
चलता है। दूसरा अर्थ किशन दा ही उपयोग करते हैं। वे इसे अपनों से मिली उपेक्षा के
लिए करते हैं। वे कहते हैं-“भाऊ सभी जन इसी ‘जो हुआ होगा’ से मरते हैं-गृहस्थ हों,
ब्रह्मचारी हों, अमीर हों, गरीब हों, मरते ‘जो हुआ होगा।’ से ही हैं। हाँ-हाँ,
शुरू में और आखिर में,
सब अकेले ही होते हैं।
अपना कोई नहीं ठहरा दुनिया में, बस अपना नियम
अपना हुआ।”
प्रश्न 3:
‘समहाउ इप्रॉपर’
वाक्यांश का प्रयोग यशोधर बाबू लगभग हर वाक्य के प्रारंभ में तकिया कलाम की तरह
करते हैं। इस वाक्यांश का उनके व्यक्तित्व और कहानी के कथ्य से क्या संबंध बनता है?
उत्तर –
समहाउ इंप्रापर
का अर्थ है – कुछ-न-कुछ गलत ज़रूर है। यशोधर बाबू द्वारा इस वाक्यांश का प्रयोग
करना वास्तव में आज की स्थिति का सच्चा वर्णन करना है। आज परिवार, समाज और राष्ट्र में कहीं-कहीं कुछ-न-कुछ गलत
ज़रूर हो रहा है। फिर यशोधर बाबू जैसे सिद्धांतवादी लोगों के लिए ऐसी स्थिति को
स्वीकारना सहज नहीं है। उनका तकियाकलाम निम्न संदर्भो में प्रयुक्त हुआ है|
1. साधारण पुत्र को असाधारण वेतन मिलना
2. दफ्तर में सिल्वर वैडिंग
3. स्कूटर की सवारी पर
4. अपनों से परायेपन का व्यवहार मिलने पर
5. डीडीए फ्लैट का पैसा न भरने पर
6. छोटे साले के ओछेपन पर
7. शादी के संबंध में बेटी द्वारा स्वयं निर्णय
लेने पर
8. खुशहाली में रिश्तेदारों की उपेक्षा करने पर
9. केक काटने की विदेशी परंपरा पर आदि।
इन संदर्भो से
स्पष्ट होता है कि यशोधर बाबू समय के हिसाब से अप्रासंगिक हो गए हैं, इस कारण वे उपेक्षित रह गए।
प्रश्न 4:
यशोधर बाबू की
कहानी को दिशा देने में किशन दा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आपके जीवन की दिशा
देने में किसका महत्वपूर्ण योगदान रहा और कैसे?
उत्तर –
यशोधर बाबू की
कहानी को दिशा देने में किशन दा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मेरे जीवन पर मेरे
बड़े भाई साहब का प्रभाव है। वे बड़े शिक्षाविद हैं। उन्होंने हर परीक्षा प्रथम
श्रेणी में उत्तीर्ण की थी। उन्हें कई विषयों का गहन ज्ञान है। परिवार वाले उन्हें
डॉक्टर बनाना चाहते थे, परंतु उन्होंने
साफ़ मना कर दिया तथा शिक्षक बनना स्वीकार किया। आज वे विश्वविद्यालय में हिंदी के
प्रोफेसर हैं। उनके विचार व कार्यशैली ने मुझे प्रभावित किया। मैंने निर्णय किया
कि मुझे भी उनकी तरह मेहनत करके आगे बढ़ना है। मैंने पढ़ाई में मेहनत की तथा अच्छे
अंक प्राप्त किए। मैंने स्कूल की सांस्कृतिक गतिविधियों में भी भाग लेना शुरू कर
दिया। कई प्रतियोगिताओं में मुझे इनाम भी मिले। मेरे अध्यापक प्रसन्न हैं। मैं
बड़े भाई की सरलता, व सादगी से बहुत
प्रभावित हूँ।
प्रश्न 5:
वर्तमान समय में
परिवार की सरंचना, स्वरूप से जुड़
आपके अनुभव इस कहानी से कहाँ तक सामजस्य बैठा पाते है?
उत्तर –
यह कहानी आज के
समय की पारिवारिक संरचना और उसके स्वरूप का सही अंकन करती है। आज की परिस्थितियाँ
इस कहानी की मूल्य संवेदना को प्रस्तुत करती हैं। आज के परिवारों में सिद्धांत और
व्यवहार का अंतर दिखाई देता है। आज के परिवारों में भी यशोधर बाबू जैसे लोग मिल
जाते हैं जो चाहकर भी स्वयं को बदल नहीं सकते। दूसरे को बदलता देख कर वे क्रोधित
हो जाते हैं। उनका क्रोध स्वाभाविक है क्योंकि समय और समाज का बदलना जरूरी है। समय
परिवर्तनशील है और व्यक्ति को उसके अनुसार ढल जाना चाहिए। यह कहानी वर्तमान समय की
पारिवारिक संरचना और स्वरूप को अच्छे ढंग से प्रस्तुत करती है।
प्रश्न 6 . यशोधर बाबू के चरित्र की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तरः
1. कर्मठ एवं परिश्रमी –सेक्शन ऑफिसर होने के बावजूद दफ्तर में देर तक काम करते थे | वे अन्य कर्मचारियों से अधिक कार्य करते थे |
2. संवेदनशील- यशोधर बाबू अत्यधिक संवेदनशील थे | वे यह बात स्वीकार नहीं कर पाते कि उनका बेटा उनकी इजाजत लिए बिना ही घर का सोफा सेट आदि खरीद लाता है, उनका साईकिल से दफ्तर जाने पर ऐतराज करता है, उन्हें दूध लेने जाने में असुविधा न हो इसलिए ड्रेसिंग गाउन भेंट करता है| पत्नी उनकी बात न मानकर बच्चों के कहे अनुसार चलती है | बेटी विवाह के बंधन में बंधने से इंकार करती है और उसके वस्त्रों में शालीनता नहीं झलकती | परिवारवालों से तालमेल न बैठने के कारण वे अपना अधिकतर समय घर से बाहर मंदिर में तथा सब्जीमंडी में सब्ज़ी खरीदते बिताते हैं |
3. परंपरावादी- वे परंपरावादी थे |आधुनिक समाज में बदलते समीकरणों को स्वीकार करने को तैयार नहीं थे इसलिए परिवार के अन्य सदस्यों से उनका तालमेल नहीं बैठ पा रहा था |
4. धार्मिक व्यक्ति-यशोधर बाबू एक धार्मिक व्यक्ति थे| वे अपना अधिकतर समय पूजा-पाठ और मंदिर में बिताते थे |
प्रश्न 7 . यशोधर बाबू के बच्चों की कौन-सी बातें प्रशंसनीय हैं और कौन-सा पक्ष आपत्तिजनक है?
उत्तर- प्रशंसनीय बातें-
1महत्वाकांक्षी और प्रगतिशील होना |
2जीवन में उन्नति करना |
3समय और सामर्थ्य के अनुसार घर में आधुनिक सुविधाएँ जुटाना |
आपत्तिजनक बातें -
1.व्यवहार
2पिता, रिश्तेदारों, धर्म और समाज के प्रति नकारात्मक भाव
3मानवीय सम्बन्धों की गरिमा और संस्कारों में रूचि न लेना |
प्रश्न 8. सिल्वर वैडिंग में चटाई का लहँगा किसे कहा गया है?
उत्तरः यह एक प्रतीकात्मक प्रयोग है जिसे यशोधर बाबू अपनी पत्नी के लिए प्रयोग करते हैं। उनकी पत्नी पुरानी परंपराओं को छोड़ आधुनिकता में ढ़ल गई है, स्वयं को मॉडर्न समझती है, इसलिए यशोधर बाबू ने उन्हें यह नाम दिया है। वे उन्हें ‘शानयल बुढ़िया’ तथा ‘बूढ़ी मुँह मुहाँसे, लोग करें तमासे’ कह कर भी चिढ़ाते हैं।
....................................................................................................
प्रश्न 1:
निम्नलिखित में से किस आप
कहानी की मूल संवेदना कहगे/कहेंगी और क्यों?
1. हाशिए पर धकेले जाते मानवीय मूल्य
2. पीढ़ी का अंतराल
3. पाश्चात्य
संस्कृति का प्रभाव
उत्तर –
इस कहानी में, मानवीय
मूल्यों-भाईचारा, प्रेम, रिश्तेदारी, बुज़ुर्गों का
सम्मान आदि-को हाशिए पर दिखाया गया है। यशोधर पुरानी परंपरा के व्यक्ति हैं, जबकि उनके बच्चे
पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित हैं। वे ‘सिल्वर वैडिंग’ जैसी पाश्चात्य परंपरा का
निर्वाह करते हैं। इन सबके बावजूद यह कहानी पीढ़ी के अंतराल को स्पष्ट करती है।
यशोधर बाबू स्वयं पीढ़ी के अंतराल को स्वीकार हैं। वे मानते हैं कि दुनियादारी के
मामले में उनकी संतान व पत्नी उससे आगे हैं। वह पुराने आदशों व मूल्यों जुडे हुए
हैं। ऑफ़िस में भी वे कर्मचारियों के साथ ऐसे ही संबंध बनाए हुए हैं। चड्ढा की
चौड़ी मोहरी वाली उन्हें ‘समहाउ इंप्रॉपर’ लगती है। उन्हें अपनी बीवी व बच्चों का
रहन-सहन भी अनुपयुक्त जान पड़ता है। वे जिन सामाजिक मूल्यों को बचाना चाहते हैं, नयी पीढ़ी उनका
पुरजोर विरोध करती है। नयी पीढ़ी पुरानी सादगी को फटीचरी सिल्वर वैडिंग के मानती
है। वह रिश्तेदारी निभाने को घाटे का सौदा बताती है। इन्हीं सब मूल्यों से
प्रभावित होकर यशोधर बाबू के पिता के लिए नया गाउन लाते हैं ताकि फटे पुलोवर से
उन्हें शर्मिदा न होना पड़ा। उन्हें अपने मान-सम्मान की परवाह है । अत: यह
कहानी पीढ़ियों के अंतराल की कहानी है और वही इस कहानी की मूल संवेदना भी है।
प्रश्न 2:
‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी के आधार पर यशोधर बाबू के
अंतर्द्वंद्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर –
यशोधर बाबू पुरानी पीढ़ी
के प्रतिनिधि हैं। वे आधुनिकता व प्राचीनता में समन्वय स्थापित नहीं कर पाते। नए
विचारों को संशय की दृष्टि से देखते हैं। इस तरह वे ऑफ़िस व घर-दोनों से बेगाने हो
जाते हैं। वे मंदिर जाते हैं। रिश्तेदारी निभाना चाहते हैं, परंतु अपना मकान
खरीदना नहीं चाहते। वे अच्छे मकान में जाने को तैयार नहीं होते। वे बच्चों की
प्रगति से प्रसन्न हैं, परंतु कुछ
निर्णयों से असहमत हैं। वे सिल्वर वैडिंग के अयोजन से बचना चाहते हैं।
प्रश्न 3:
यशोधर बाबू बार-बार किशन
दा को क्यों याद करते हैं?
इसे आप उनका सामर्थ्य
मानते हैं या कमज़ोरी?
उत्तर –
यशोधर बाबू किशन दा को
बार-बार याद करते हैं। उनका विकास किशन दा के प्रभाव से हुआ है। वे किशन दा की
प्रतिच्छाया हैं। यशोधर छोटी उम्र में ही दिल्ली आ गए थे। किशन दा ने उन्हें घर
में आसरा दिया तथा नौकरी
प्रश्न 4:
अपने घर में अपनी ‘सिल्वर
वैडिंग’ के आयोजन में भी यशोधर बाबू को अनेक बातें ‘समहाउ इप्रॉपर’ लग रही थीं।
ऐसा क्यों?
उत्तर –
अपने घर में अपनी ‘सिल्वर
वैडिंग’ के आयोजन में भी यशोधर बाबू को अनेक बातें ‘समहाउ इंप्रॉपर’ लग रही थीं।
इसका कारण उनकी परंपरागत सोच थी। वे इन
चीजों को पाश्चात्य संस्कृति की देन मानते
हैं। वे पुराने संस्कारों में विशवास रखते हैं। वे केक काटना थी पसंद नहीं करते।
दूसरे, उनसे इस पर्टी के
आयोजन के विषय में पूछा तक नहीं गयी। इस
बात की उन्हे कसक थी और वे पूरे कार्यक्रम में बेगाने से बने रहे।
प्रश्न 5:
“सिल्वर वैडिंग’ कहानी के माध्यम से लेखक ने
क्या संदेश देने का प्रयास किया हैं?
उत्तर –
“सिल्यर वैडिंग’ कहानी में ‘पीढ़ी का अंतराल‘ (जेनेरेशन
गैप) सबसे प्रमुख समस्या है। यही मूल संवेदना है क्योंकि कहानी में प्रत्येक
कठिनाई इसलिए आ रही है क्योंकि यशोधर बाबू अपने पुराने संस्कारों, नियमों व कायदों
से बाँधे रहना चाहते है उनका परिवार, उनके बच्चे
वर्तमान में जी रहै है जो ऐसा कुछ गलत भी नहीं है। यदि यशोधर बाबू थोड़े–से लचीले
स्वभाव के हो जाते, तो उम्हें बहुत
सुख मिलता और जीवन भी खुशी से व्यतीत करते।
प्रश्न 6:
पार्टी में यशोधर बाबू का
व्यवहार आपको कैसा लगा? ‘सिल्वर वैडिंग‘
कहानी के आधार पर बताइए।
उत्तर –
‘सिल्वर वैडिंग‘
इस पार्टी में यशोधर बाबू का व्यवहार बड़ा अजीब लगा। उन्हें पाटों इंप्रॉपर लगी, क्योंकि उनके
अनुसार ये सब अंग्रेज़ों के चोंचले हैं । अपनी पत्नी और पुत्री की वेशभूषा हंस
इंप्रॉपर लगी, व्हिस्की
इंप्रॉपर लगी, केक भी नहीं खाया, क्योंकि उसमें अंडा
होता है। लडूडू भी नहीं खाया, क्योंकि शाम को पूजा नहीं की थी। पूजा में जाकर बैठ गए ताकि
मेहमान चले जाएँ। उनका ऐसा व्यवहार बड़ा ही अजीब लग रहा था। यदि वे कहीं किसी जगह
पर भी ज़रा–सा समझौता कर लेते, तो शायद इतना बुरा न लगता।
प्रश्न 7:
सिल्वर वैडिंग में यशोधर
बाबू किशन दा के आदर्श की त्याग क्यों नहीं पाते?
उत्तर –
‘सिल्वर वैडिंग’ के पात्र यशोधर बाबू बार-बार
किशन दा को याद करते हैं। इसका कारण किशन दा के उन पर अहसान हैं। जब वे दिल्ली आए
तो किशन दा ने उन्हें आश्रय दिया तथा उन्हें नौकरी दिलवाई। उन्होंने यशोधर को
सामाजिक व्यवहार सिखाया किशन दा उन्हें जिदगी के हर मोड़ पर सलाह देते थे। इस कारण
उन्हें किशन दा क्री याद बार-बार आती थी।
प्रश्न 8:
“सिल्वर वैडिंग‘ में लेखक का मानना है कि रिटायर
होने के बाद लोग “जो हुआ होगा” से मर जाते हैं। कहानी के अनुसार यह ‘जो हुआ हटेगा‘
क्या है? इसके क्या लक्षण
हैं?
उत्तर –
’जो हुआ होगा‘ का अर्थ है–पता नहीं। यह मनुष्य
की सामाजिक उपेक्षा को दर्शाती है। इस समस्या से ग्रस्त व्यक्ति को नये विचार व नई
बातें अच्छी नहीं लगतीं। उन्हें हर कार्य में कमी नज़र आती है। युवाओं के काम पर वे
पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव मानते हैं। युवा पीढ़ी के साथ वे अपना तालमेल नहीं बैठा
पाते। ऐसे लोग युवाओं, यहाँ तक कि अपने
बच्चे के कामों में भी दोष निकालने लगते हैं। इस कारण वे समाज से कट जाते है।
प्रश्न 9:
यशांपर बाबू की पत्नी के
व्यक्तित्व और व्यवहार के उन परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए जो यशोधर बाबू को ‘समहाउ इंप्रॉपर‘
लगते हैं?
उत्तर –
यशोधर बाबू को अपनी पत्नी
का बुढापे में सजना सँवरना तथा नए फैशन वाले कपड़े पहनना पसंद नहीं है। उनका मानना
है कि समय आने पर मनुष्य में बुज़ुर्गियत भी आनी चाहिए। वे पत्नी द्वारा बाज़ार का
खाना और ऊँची एड़ी के सैंडल पहनना पसंद नहीं करते। ये सब बाते उसे “समहाउ इंप्रॉपर
‘ लगती हैं।
प्रश्न 10:
यशोधर पंत की तीन
चारित्रिक विशेषताएँ सोदाहरण समझाइए।
उत्तर –
यशोधर बाबू के चरित्र की
निम्नलिखित विशेषताएँ है –
1. परंयरावादी – यशोधर
बाबू परंपरावादी हैं। उन्हें पुराने रीति–रिवाज़ अच्छे लगते हैं। वे संयुक्त परिवार
क समर्थक हैं। उन्हें पत्नी व बेटी का सँवरना अच्छा नहीं लगता। घर में भौतिक चीज़ों
से उन्हें चिढ़ है।
2. असंतुष्ट – यशोधर असंतुष्ट व्यक्तित्व के हैँ। उम्हें
अपनी संतानों की विचारधारा पसंद नहीं। वे घर रने बाहर जान-बूझकर रहते हैं। उन्हें
बेटों का व्यवहार व बेटी का पहनावा अच्छा नहीं लगता। हालांकि घर में उनसे कोई राय
नहीं लेता।
3. रूढ़िवादी – यशोधर
कहानी के नायक हैं। वे सेक्शन अफ़िसर हैं, परंतु नियमो से बँधे हुए। वस्तुतः वे नए परिवेश में
मिसफ़िट हैं। वे नए को अपना नहीं सकते तथा पुराने को छोड़ नहीं सकते।
प्रश्न 11:
“सिल्वर वैडिंग‘ कहानी के पात्र किशन दा के उन
जीवन–मूल्यों‘की चर्चा र्काजिए जो यशोधर बाबू ने आजीवन अपनाए रखे ।
उत्तर –
‘सिल्वर वैडिंग‘ कहानी के पात्र किशन दा के अनेक
जीवन–मूल्य ऐसे थे जो यशोधर बाबू ने आजीवन
अपनाए रखे । उनमें से कुछ जीवन–मूल्य निम्नलिखित हैं –
1. सादगी – यशोधर बाबू अत्यंत
सादगीपूर्ण जीवन जीते थे। वे सुविधा के साधनों के फेर में नहीं पड़े। वे साइकिल पर ऑफ़िस
जाते है तथा फटा स्वेटर पहनकर दूध लाने जाते हैं।
2. सरल हृदय – यशोधर बाबू सरलता की
मूर्ति है। वे छल–कपट या दूसरों को धोखा देने जैसे कुत्सित विचारों सै दूर ।
3. भारतीय संस्कृति
से लगाव – यशेधिर बाबू र्का भारतीय संस्कृति से गहरा लगाव हैं। उनकी पत्नी को
पाश्चात्य सभ्यता से लगाव है पर वे पुरानी भारतीय संस्कृति के पक्षधर हैं।
4. आत्मीय – यशोधर
बाबू अपने परिवारिक सदस्यों के अलावा अन्य लोगों से भी आत्मीय संबंध रखते हैं और
यह संबंध बनाए रखते हैं।
5. परिवारिक जीवन-शैली
– यशोघर बाबू सहज पारिवारिक जीवन जीना चाहते हैँ। वे निकट संबंधियों से रिश्ते
बनाए रखना चाहते हैं तथा यह इच्छा रखते हैं कि सब उन्हें परिवार के मुखिया के रूप
में जानें।
उपर्युक्त जीवन–मूल्य
उन्हें किशन दा से मिले थे जिन्हें उन्होंने आजीवन बनाए रखा।
प्रश्न 7:
अपने घर और विद्यालय के
आस-पास हो रह उन बदलावों के बारे में लिख जो सुविधाजनक और आधुनिक होते हुए भी
बुजुगों को अच्छे नहीं लगते। अच्छा न लगने के क्या कारण होंगे?
उत्तर –
परिवर्तन प्रकृति का नियम
है। बदलना ही समय की पहचान है। आज घर का परिवेश बिलकुल बदल चुका है। एकल परिवार
प्रणाली प्रचलन में आ चुकी है यद्यपि यह सुविधाजनक है किंतु इसके बुरे परिणाम भी
सामने आ रहे हैं। लोगों में असुरक्षा की भावना बढ़ी है। विद्यालय आज आधुनिक रूप
धारण कर चुके हैं लेकिन यह रूप बुजुर्गों को बिलकुल भी पसंद नहीं आ रहा। कारण
स्पष्ट है कि आधुनिकता के नाम पर इन विद्यालयों में पाश्चात्य संस्कृति का खुलकर
समर्थन किया जा रहा है। शिक्षा और परिवार में परिवर्तन के नाम पर संस्कृति का
परित्याग होता जा रहा है।
प्रश्न 8:
यशोधर बाबू के बारे में
आपकी क्या धारणा बनती है?
दिए गए तीन कथनों
में से आप जिसके समर्थन में हैं, अपने अनुभवों और सोच के आधार पर उसके लिए तर्क दीजिए
1. यशोधर बाबू के
विचार पूरी तरह से पुराने हैं और वे सहानुभूति के पात्र नहीं हैं।
2. यशोधर बाबू में
एक तरह का द्ववद्व है जिसके कारण नया उन्हें कभी-कभी खींचता तो है पर पुराना
छोड़ता नहीं। इसलिए उन्हें सहानुभूति के साथ देखने की जरूरत हैं।
3. यशोधर बाबू एक
आदर्श व्यक्तित्व हैं और नयी पीढ़ी द्वारा उनके विचारों का अपनाना ही उचित हैं।
उत्तर –
प्रस्तुत कथा में यशोधर
बाबू में एक तरह का द्वंद्व है जिसके कारण नया उन्हें कभी-कभी खींचता तो है, पर पुराना छोड़ता
नहीं। इसलिए उन्हें सहानुभूति के साथ देखने की जरूरत है। ये बातें कहानी पढ़ने के
बाद यशोधर बाबू पर पूर्णत: लागू होती हैं। वे पुरानी सोच के व्यक्ति हैं। समाज को
वे अपने मूल्यों के हिसाब से चलाना चाहते हैं। वे अपने बच्चों की तरक्की से खुश
हैं। उन्हें किशन दा की मौत का कारण समझ में आता है। वह स्वयं को को छोड़ नहीं
पाते। वे स्वयं को उपेक्षित मानने लगते हैं। वे चाहते हैं कि नई में उन्हें खुशी
होती है, परंतु यह भी दुख
है कि इस ली गई। ऐसे व्यक्तियों के साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार जरूरी है।
अन्य हल प्रश्न
I. बोधात्मक प्रश्न
प्रश्न 9:
‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी के आधार पर यशोधर बाबू के
अतर्द्वंद्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर –
यशोधर बाबू पुरानी पीढ़ी
के प्रतिनिधि हैं। वे आधुनिकता व प्राचीनता में समन्वय स्थापित नहीं कर पाते। नए
विचारों को संशय की दृष्टि से देखते हैं। इस तरह वे ऑफ़िस व घर-दोनों से बेगाने हो
जाते हैं। वे मंदिर जाते हैं। रिश्तेदारी निभाना चाहते हैं, परंतु अपना मकान
खरीदना नहीं चाहते। वे अच्छे मकान में जाने को तैयार नहीं होते। वे बच्चों की
प्रगति से प्रसन्न हैं, परंतु कुछ
निर्णयों से असहमत हैं। वे सिल्वर वैडिंग के अयोजन से बचना चाहते हैं।
प्रश्न 10:
यशोधर बाबू बार-बार किशन
दा को क्यों याद करते हैं?
इसे आप उनका सामर्थ्य
मानते हैं या कमजोरी?
उत्तर –
यशोधर बाबू किशन दा को
बार-बार याद करते हैं। उनका विकास किशन दा के प्रभाव से हुआ है। वे किशन दा की
प्रतिच्छाया हैं। यशोधर छोटी उम्र में ही दिल्ली आ गए थे। किशन दा ने उन्हें घर
में आसरा दिया तथा नौकरी भी लगवाई ।
प्रश्न 11:
अपने घर में अपनी ‘सिल्वर
वैडिंग’ के आयोजन में भी यशोधर बाबू को अनेक बातें ‘समहाउ इप्रॉपर’ लग रही थीं।
ऐसा क्यों?
उत्तर –
अपने घर में अपनी ‘सिल्वर
वैडिंग’ के आयोजन में भी यशोधर बाबू को अनेक बातें ‘समहाउ इंप्रॉपर’ लग रही थीं।
इसका कारण उनकी परंपरागत सोच थी। वे इन
चीजों को पाश्चात्य संस्कृति की देन मानते
हैं। वे पुराने संस्कारों में विशवास रखते हैं। वे केक काटना थी पसंद नहीं करते।
दूसरे, उनसे इस पर्टी के
आयोजन के विषय में पूछा तक नहीं गयी। इस
बात की उन्हे कसक थी और वे पुरे कार्यक्रम में बेगाने से बने रहे।
प्रश्न 12:
“सिल्वर वैडिंग’ कहानी के माध्यम से लेखक ने
क्या सदैश दंने का प्रयास किया हैं?
उत्तर –
“सिल्यर वैडिंग’ कहानी में ‘पीढ़ी का अंतराल‘ (जेनेरेशन
गैप) सबसे प्रमुख समस्या है। यही मूल संवेदना है क्योकि कहानी में प्रत्येक कठिनाई
इसलिए आ रही है क्योंकि यशोधर बाबू अपने पुराने संस्कारों, नियमों व कायदों
से बाँधे रहना चाहते है उनका परिवार, उनके बच्चे
वर्तमान में जी रहै है जो ऐसा कुछ गलत भी नहीं है। यदि यशोधर बाबू थोहं–से लचीले
स्वभाव के हो जाते, तो उम्हें बहुत
सुख मिलता और जीवन भी खुशी से व्यतीत करते।
प्रश्न 13:
पार्टी में यशोधर बाबू का
व्यवहार आपकां केसा लगा?
‘सिल्वर वैडिंग‘ कहानी के आधार पर बताइए।
उत्तर –
“सिंल्बर वैडिंग‘ इस पार्टी में यशोधर बाबू का
व्यवहार बड़ा अजीब लगा। उन्हें पाटों इंप्रॉपर लगी, क्योंकि उनके अनुसार ये
सब अग्रेजी के चोंचले के अपनी पत्नी और पुत्री की हंस इंप्रॉपर लगी, व्हिस्की
इंप्रॉपर लगी, केक भी नहीं खाया, क्योंकि उसमें
अडा होता है। लडूडू भी नहीं खाया, क्योंकि शाम को पूजा नहीं की थी। पूजा में जाकर बैठ गए ताकि
मेहमान चले जाएँ। उनका ऐसा व्यवहार बड़ा ही अजीब लग रहा था। यदि वे कहीं किसी जगह
पर भी ज़रा–सा समझोता कर लेते, तो शायद इतना बुरा न लगता।
प्रश्न 14:
सिल्वर वैडिंग में यशोधर
बाबू किशन दा के आदर्श की त्याग क्यों नहीं पाते?
उत्तर –
‘सिल्वर वैडिंग’ के पात्र यशोधर बाबू बार-बार
किशन दा को याद करते हैं। इसका कारण किशन दा के उन पर अहसान हैं। जब वे दिल्ली आए
तो किशन दा ने उन्हें आश्रय दिया तथा उन्हें नौकरी दिलवाई। उन्होंने यशोधर को
सामाजिक व्यवहार सिखाया किशन दा उन्हें जिदगी के हर मोड़ पर सलाह देते थे। इस कारण
उन्हें किशन दा क्री याद बार-बार आती थी।
प्रश्न 15:
“सिल्वर वैडिंग‘ में लेखक का मानना है कि रिटायर
होने के बाद सभी “जां हुआ हांगा” से मरते हँ। कहानी के अनुसार यह ‘जो हुआ हटेगा‘
क्या हैं? इसके क्या लक्षण
हैं?
उत्तर –
’जो हुआ होगा‘ का अर्थ है–पता नहीं। यह मनुष्य
की सामाजिक उपेक्षा को दर्शाती है। इस समस्या से ग्रस्त व्यक्ति को नये विचार व नई
बातें अच्छी नहीं लगतीं। उन्हें हर कार्य में कमी नजर आती है। युवाओं के काम पर वे
पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव मानते हैं। युवा पीढ़ी के साथ वे अपना तालमेल नहीं बैठा
पाते। ऐसे लोग युवाओं, यहाँ तक कि अपने
बच्चे के कामों में भी दोष निकालने लगते हैं। इस कारण वे समाज है कट जाते ‘।
प्रश्न 16:
यशांपर बाबू की पानी के
व्यक्तित्व और व्यवहार के उन परिवर्तनों का उल्लेख र्काजिए जी यशोधर बाबू की
‘समहाउ इंप्रॉपर‘ लगते हैं?
उत्तर –
यशोधर बाबू को अपनी पत्नी
का बुढापे में सजना सँवरना तथा नए फैशन वाले कपड़े पहनना पसंद नहीं है। उनका मानना
है कि समय आने पर मनुष्य में बुज़ुगिंयत भी आनी चाहिए। वे पत्नी द्वारा बाज़ार का
खाना और ऊँची एड़ी के सैडैल पहनना पसंद नहीं करते। ये सब बाते उसे “समहाउ इंप्रॉपर ‘
लगती हैं।
प्रश्न 17:
‘सिल्वर वैडिंग‘ के आधार पर यशोधर बाबू के सामने
आईं किन्ही‘ दो ‘समहाऊ इप्रॉपर‘ स्थितियाँ का उल्लेख र्काजिए।
उत्तर –
यशोधर बाबू को अपने बेटे
की प्रतिभा साधारण लगती है,
परंतु उसे
प्रसिदूध विज्ञापन कपनी में डेढ़ हजार रुपये प्रतिमाह वेतन की नौकरी मिलती है। यह
बात यशेधिर बाबूकौ समझ में नहीं आती कि उसे इतना वेतन क्यों मिलता है? उन्हें इसमें कोई
कमी नज़र आती है। दूसरी स्थिति ‘सिलवर वैडिंग‘ पार्टी की है। इस पार्टी में दिखावे
व पाश्चात्य प्रभाव से वे दुखी हैं। उन्हें यह भी उपयुक्त नहीं लगती।
प्रश्न 18:
यशोधर बाबू अपने रोल मॉडल
किशन दा से क्यों प्रभावित हैं?
उत्तर –
‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी के आधार पर लिखिए। यशोधर
बाबू पर किशन दा का पूर्ण प्रभाव था, क्योंकि उन्होंने यशोधर बाबू को कठिन समय में
सहारा दिया था। यशोधर भी उनकी हर बात का अनुकरण करते थे। चाहे ऑफ़िस का कार्य हो, सहयोगियों के साथ
संबंध हों, सुबह की सैर हो, शाम को मंदिर
जाना हो, पहनने-ओढ़ने का
तरीका हो, किराए के मकान
में रहना हो, रिटायरमेंट के
बाद गाँव जाने की बात हो आदि-इन सब पर किशन दा का प्रभाव है। बेटे द्वारा ऊनी गाउन
उपहार में देने पर उन्हें लगता है कि उनके अंगों में किशन दा उतर आए हैं।
प्रश्न 19:
‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी में यशोधर बाबू एक ओर
जहाँ बच्चों की तरक्की से खुश होते हैं, वहीं कुछ ‘समहाउ इप्रॉपर‘ भी अनुभव करते तो
एंसा क्यो?
उत्तर –
यशोधर बाबू अंतद्वंद्व से
ग्रस्त व्यक्ति हैं। वे पुरानी पीढ़ी के प्रतिनिधि हैं। वे पुराने मूल्यों को
स्थापित करना चाहते हैं, परंतु बच्चे उनकी
बातों को नहीं मानते। वे अपने बेटे की नौकरी से खुश हैं, परंतु अधिक वेतन
पर उन्हें संशय है। वे नयापन पूरे आधे-अधूरे मन से अपनाते हैं। साथ-साथ उन्हें
अपनी सोच व आदशों के प्रति भी संशय है। वे अकसर नकली हँसी का सहारा लेते हैं।
प्रश्न 20:
‘सिल्चर वैडिंग‘ के आधार पर सैक्शन अफ़सर
वाई०डाँ० पंत और उनके सहयीगौ कर्मचारियो‘ के परस्पर संबंर्धा पर टिप्पणी र्काजिए।
उत्तर –
सेक्शन अक्तिसर वाइं०डी०
पंत का व्यवहार आँफिस में शुष्क था। वे किशन दा को परंपराओं का पालन कर रहे थे। वे
सहयोगी कर्मचारियों रने बग–मिलना पसंद नहीं करत्ते थे। उनके साथ बैठकर चाय–पानी
पीना व गप्प मारना उनके अनुसार समय को बरबादी थी। वे उनके साथ जलपान के लिए भी
नहीं रुकते। वे समय हैं अधिक प्यार में रुकते थे। इससे भी उनके सहयोगी उनसे नाराज़
रहते थे।
प्रश्न 21:
यशांधर पंत अपने कार्यालय
क्रं सहयोगियों के साथ संबंध-निर्वाह में किन बातों में अपने रोल मॉडल किशन दा को
परंपरा का नियत करते हैं?
उत्तर –
सैक्शन अक्तिसर यशीधर पंत
अपने कार्यालय के सहयोगियों के साथ संबंध–निर्वाह में अपने रोल मॉडल किशन दा को
निम्नलिखित परंपरा का निर्वाह करते हैं–
1. अपने अधीनस्थों
से दूरी बनाए रखना।
2. कर्यालय में तय
समय से अधिक बैठना।
3. अधीनस्थों से दिन-भर
शुष्क व्यवहार करना, परंतु शाम को
चलते समय उनरनै थोड़ा हास–परिहास करना।
प्रश्न 22:
यशांधर बाबू एंसा क्यों
सोचते हैं‘ कि वं भी किशन दा की तरह घर–गृहस्थी का बवाल न पालते तो अच्छा था?
उत्तर –
यशोधर बाबू परंपरा को
मानने तथा बनाए रखने वाले इंसान थे। उन्हें पुराने रीति–रिवाज़ों से लगाव था । वे
संयुक्त परिवार के समर्थक थे। उनकी पुरानी सोच बच्चों को अच्छी नहीं लगती। बच्ची
का आचरण और व्यवहार देखकर उन्हें दुख होता है। उनकी पत्नी भी बच्चों का ही पक्ष
लेती है और ज्यादा समय बच्चों के साथ बिताती हैं। इसके अलावा यशोधर बाबू को घर के
कई काम करने होते हैं। घर में अपनी ऐसी स्थिति देखकर वे सोचते है कि किशन दा की
तरह घर–गृहस्थी का बवाल न पालते तो अच्छा आ।
प्रश्न 23:
वाइं०डॉ० पंत की पत्नी
पति की अपेक्षा संतान की ओर पक्षपाती दिखाईं पड़ती हैं?
उत्तर –
वाई०डी० पंत की पत्नी पति
की अपेक्षा संतान की और इसलिए पक्षपाती दिखाई देती है क्योंकि वह जीवन के सुखों का
भरपूर आनंद उठाना चाहती थो। उसने युवावस्था में संयुक्त परिवार के कारण अपने मन को
मारा था वह यशोधर बाबू से इस बात पर नाराज़ थी कि उसने खुलकर मीनमेख नहीं निकाली ।
वह जवानी में फैशन करना चाहती थी पर पति ने नहीं करने दिया। उसे अपने पति के
परंपरावादी होने यर भी क्रोध आता था, जिनके कारण वह अपनी मर्जी से जीवन नहीं बिता पा
रही थी । दूसरे,मातृसुलभ प्रेम
के कारण वह बच्चों का पक्ष लेती थी ।
II. निबंधात्मक प्रश्न
प्रश्न 24:
यशांधर बाबू का अपने बच्चों
के साथ कैसा व्यवहार था?
‘सिल्वर वैर्डिग” क्रं आधार पर बताड़ए।
उत्तर –
यर्शधिर बाबू डेमोक्रैट व्यक्ति
थे। वे यह दुराग्रह हरगिज़ नहीं करना चाहते थे कि बच्चे उनके कहे को पत्थर की लकीर
मानें। अत: बच्चों को अपनी इच्छा से काम करने की पूरी आज़ादी थी। यशोधर बाबू तो यह
भी मानते थे कि आज बच्चों को उनसे कहीं ज्यादा ज्ञान है, मगर एवस्पीरिएंस
का कोई सब्स्टीट्यूट नहीं होता। अतः वे सिर्फ इतना भर चाहते थे कि बच्चे जो कुछ भी
करें, उनसे पूछ जरूर
लें। इस तरह हम यह कह सकते है कि वे स्वयं चाहे जितने पुरातनपंथी थे, बच्चों को
स्वतंत्र जीवन जीने देते थे।
प्रश्न 24:
क्या पाश्चात्य संस्कृति
के प्रभाव को “सिल्वर वेंर्डिग‘ कहानी की मूल संवेदना कहा जा सकता हैं? तर्क सहित उत्तर
दीजिए।
उत्तर –
‘सिल्चर वैडिंग‘ कहानी में युवा पीढी क्रो
पाश्चात्य रंग में रंगा हुआ दिखाया गया है। इस पीढ़ी की नज़र में भारतीय मूल्य व
परंपराओं के लिए कोई स्थान नहीं है। वे रिश्तेदारी, रीतिरिवाज़, वेश–भूषा आदि
सबको छोड़कर पश्चिमी परंपरा को अपना रहे है, परंतु यह कहानी की मूल सवेदना नहीं है।
कहानी के पात्र यशोधर
पुरानी परंपराओं क्रो जीवित रखे हुए हैं, भले ही उन्हें घर में अकेलापन सहन करना पड़ रहा
ही। वे अपने दफ्तर व घर में विदेशी परंपरा पर टिप्पणी करते रहते हैं। इससे तनाव उत्पन्न होता है।
पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव पीढ़ी के अंतराल के कारण ज्यादा होता ।
प्रश्न 25:
यशोधर पंत र्का तीन
चारित्रिक विशेषताएँ सांदाहरण समझाइए।
उत्तर –
यशोधर बाबू के चरित्र की
निम्नलिखित विशेषताएँ है –
1. परंयरावादी – यशोधर
बाबू परंपरावादी हैं। उन्हें पुराने रीति–रिवाज़ अच्छे लगते हैं। वे संयुक्त परिवार
क समर्थक हैं। उन्हें पत्नी व बेटी का सँवरना अच्छा नहीं लगता। घर में भौतिक चीजो
से उन्हें चिढ़ है।
2. असंतुष्ट – यशोधर असंतुष्ट व्यक्तित्व के हैँ। उम्हें
अपनी संतानों की विचारधारा पसंद नहीं। वे घर रने बाहर जान-बूझकर रहते हैं। उन्हें
बेटों का व्यवहार व बेटी का पहनावा अच्छा नहीं लगता। हालांकि घर में उनसे कोई राय
नहीं लेता।
3. रूढ़िवादी – यशोधर
कहानी के नायक हैं। वे सेक्शन अफ़िसर हैं, परंतु नियमो से बँधे हुए। वस्तुतः वे नए परिवेश में
मिसफ़िट हैं। वे नए को अपना नहीं सकते तथा पुराने को छोड़ नहीं सकते।
प्रश्न 26:
“सिल्वर वैडिंग‘ कहानी के पात्र किशन दा के उन
जीवन–मूल्यों‘की चर्चा र्काजिए जो यशोधर बाबू ने आजीवन अपनाए रखे ।
उत्तर –
‘सिल्वर वैडिंग‘ कहानी के पात्र किशन दा के अनेक
जीवन–मूल्य ऐसै थे जो यशोधर बाबू ने आजीवन
अपनाए रखे । उनमें से कुछ जीवन–मूल्य निम्नलिखित हैं –
1. सादगी – यशोधर बाबू अत्यंत सादगीपूर्ण
जीवन जीते थे। वे सुविधा के साधनों के फ्रेर में नहीं पडे। वे साइकिल पर अफ़िस जाते
है तथा फटा स्वेटर पहनकर दूध लाने जाते हैं।
2. सरल हृदय – यशोधर आबू सरलता की
मूर्ति है। वे छल–कपट या दूसरों को धोखा देने जैसे कुत्सित विचारों सै दूर ।
3. भारतीय संस्कृति
से लगाव – यशेधिर बाबू र्का भारतीय संस्कृति से गहरा लगाव हैं। उनकी पत्नी को
पाश्चात्य सभ्यता से लगाव है पर वे पुरानी भारतीय संस्कृति के पक्षधर हैं।
4. आत्मीय – यशोधर
बाबू अपने परिवारिक सदस्यों के अलावा अन्य लोगों से भी आत्मीय संबंध रखते हैं और
यह संबंध बनाए रखते हैं।
5. परिवारिक जीवन-शैली
– यशोघर बाबू सहज पारिवारिक जीवन जीना चाहते हैँ। वे निकट संबंधियों से रिश्ते
बनाए रखना चाहते हैं तथा यह इच्छा रखते हैं कि सब उन्हें परिवार के मुखिया के रूप
में जानें।
उपर्युक्त जीवन–मूल्य
उन्हें किशन दा से मिले थे जिन्हें उन्होंने आजीवन बनाए रखा।
प्रश्न 27:
‘सिल्चर वैडिंग‘ कहानी में दिए जीवन–मूल्यों की सोदाहरण
समीक्षा र्काजिए जो समय के साथ बदल रह हैं।
उत्तर –
‘सित्त्वर वैडिंग‘ पाठ में यशोधर बाबू और उनके
बच्चों के आचार–विचार, सोच, रहन–सहन आदि
देखकर ज्ञात होता है कि नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के बीच अनेक जीवन–मूल्यों में
बदलाव आ गया है। उनमें हैं निम्नलिखित हैँ–
1. सामूहिकता – यशोधर
बाबू अपनी उन्नति के लिए जितना चिंतित रहते थे, उतना ही अपने घर–परिवार, साथियों और
सहकर्मियों की उन्नति के बारे में भी, पर नई पीढ़ी अकेली ही उन्नति करना चाहती है।
2. परंपराओं से लगाव
– पुरानी पीढ़ी अपनी संस्कृति , रीति–रिवाज से लगाव रखती थी, पर समय के साथ इसमें
बदलाव आ गया है और परंपराएँ दकियानूसी लगने लगी हैँ।
3. पूर्वजों का आदर
– पुरानी पीढ़ी अपने बड़ों तथा पूर्वजों का बहुत आदर करती थी पर समय में बदलाव के
साथ ही इस जीवन-मूल्य में गिरावट आई है। आज़ बुजुर्ग अपने ही घर में उपेक्षा का
शिकार हो रहे हैं।
4. त्याग की भावना –
पुरानी पीढ़ी के लोगों में त्याग की भावना मज़बूत थी। वे दूसरों को सुखी देखने के
लिए अपना सुख त्याग देते थे। पर बदलते समय में यह भावना विलुप्त होती जा रही है और
स्वार्थ-प्रवृत्ति प्रबल होती जा रही है। यह मनुष्यता के लिए हितकारी नहीं है।
यशीधर बाबूकी इस
स्वीकारोक्ति से हमें ज्ञात होता है कि उन्हें किशन दा से अनेक जीवनद्देमूल्य
प्राप्त हुए है जैसे–
1. परिश्रमशीलता –
केशन दा के परिश्रमी स्वभाव को देखकर यशोधर काबू ने यह निश्चय कर लिया कि उन्हीं
को तरह वे भी मेहनत करके आगे बन्हेंगें।
2. सरलता – यशंधिर
बाबू किशन दा के जीवन की सरलता से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने जीबन–भर सरलता का
साथ नहीं छोड़ा।
3. सादगी – यशोघर बाबू को किशन दा के आदमी–भरे जीवन ने
बहुत प्रभावित किया वे भी सादगीपूर्ण जीवन जी र ।
मैं खुद भी यशोधर
वाबू द्वारा अपनाए गए जीबन–मूल्यों को अपनाना चाहूँगा, ताकि मैँ भी
परिश्रमी, विनम्र, सहनशील, सरल और सादगीपूर्ण
जीवन जी सकूँ।
1. यशोधर बाबू की
पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है लेकिन यशोधर बाबू असफल रहते हैं। ऐसा
क्यों?
उत्तर:- यशोधर बाबू बचपन
से ही माता-पिता के देहांत हो जाने की वजह से जिम्मेदारियों के बोझ से लद गए थे।
वे सदैव पुराने लोगों के बीच रहे, पले,
बढ़े अतः वे उन
परंपराओं को छोड़ नहीं सकते थे। यशोधर बाबू अपने आदर्श किशनदा से अधिक प्रभावित हैं
और आधुनिक परिवेश में बदलते हुए जीवन-मूल्यों और संस्कारों के विरूद्ध हैं। जबकि
उनकी पत्नी अपने बच्चों के साथ खड़ी दिखाई देती हैं। वह अपने बच्चों के आधुनिक
दृष्टिकोण से प्रभावित हैं। वे बेटी के कहे अनुसार नए कपड़े पहनती हैं और बेटों के
किसी मामले में दखल नहीं देती। यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ परिवर्तित होती है, लेकिन यशोधर बाबू
अभी भी किशनदा के संस्कारों और परंपराओं से चिपके हुए हैं।
2. पाठ में ‘जो हुआ होगा‘ वाक्य की आप कितनी अर्थ
छवियाँ खोज सकते / सकती हैं?
उत्तर:- ‘जो हुआ होगा’
वाक्य पाठ में पहली बार तब आता है, जब यशोधर बाबू किशनदा के जाति भाई से उनकी
मृत्यु का कारण पूछते हैं। उत्तर में उन्होंने कहा ‘जो हुआ होगा’ यानी पता नहीं।
फिर यशोधरबाबू यही विचार करते हैं कि जिनके बाल-बच्चे ही नहीं होते, वे व्यक्ति
अकेलेपन के कारण स्वस्थ दिखने के बाद भी बीमार-से हो जाते हैं और उनकी मृत्यु हो
जाती है। यह भी कारण हो सकता है कि उनकी बिरादरी से घोर उपेक्षा मिली, इस कारण वे दुःख
से सूख-सूख कर मर गए। किशनदा की मृत्यु के सही कारणों का पता नहीं चल सका। बस
यशोधर बाबू यही सोचते रह गए कि किशनदा की मृत्यु कैसे हुई? जिसका उत्तर किसी
के पास नहीं था।
29. ‘समहाउ इंप्रापर‘
वाक्यांश का प्रयोग यशोधर बाबू लगभग हर वाक्य के प्रांरभ में तकिया कलाम की तरह
करते हैं। इस वाक्यांश का उनके व्यक्तित्व और कहानी के कथ्य से क्या संबंध बनता है?
उत्तर:- यशोधर बाबू लगभग
हर वाक्य के प्रांरभ में ‘समहाउ इंप्रापर’ शब्द का उपयोग तकिया कलाम की तरह करते
हैं। उन्हें जो अनुचित लगता है, तब अचानक यह वाक्य कहते हैं।
पाठ में ‘समहाउ इंप्रापर’
वाक्यांश का प्रयोग निम्नलिखित संदर्भो में हुआ है –
• साधारण पुत्र को असाधारण वेतन मिलने पर
• स्कूटर की सवारी पर
• दफ़्तर में सिल्वर वैडिंग
• डीडीए फ्लैट का पैसा न भरने पर
• खुशहाली में रिश्तेदारों की उपेक्षा करने पर
• छोटे साले के ओछेपन पर
• केक काटने की विदेशी परंपरा पर आदि
इन संदर्भो से यह स्पष्ट
हो जाता है कि यशोधरा बाबू सिद्धांतवादी हैं। यशोधर बाबू आधुनिक परिवेश में बदलते
हुए जीवन-मूल्यों और संस्कारों के विरूद्ध हैं।
30. यशोधर बाबू की
कहानी को दिशा देने में किशनदा की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। आपके जीवन को दिशा
देने में किसका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा और कैसे?
उत्तर:- यशोधर बाबू की
कहानी को दिशा देने में किशनदा की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। मेरे जीवन को दिशा
देने में मेरी बड़ी बहन की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। वे पढ़ाई-लिखाई, खेल-कूद सभी में
हमेशा आगे रहती थी। उन्हें देखकर मुझे भी आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती थी। वे
समय-समय पर मुझे मार्गदर्शन भी देती रही।
31.वर्तमान समय में
परिवार की संरचना, स्वरूप से जुड़े
आपके अनुभव इस कहानी से कहाँ तक सामंजस्य बिठा पाते हैं ?
उत्तर:- इस पाठ के माध्यम
से पीढ़ी के अंतराल का मार्मिक चित्रण किया गया है। आधुनिकता के दौर में, यशोधर
बाबूपरंपरागत मूल्यों को हर हाल में जीवित रखना चाहते हैं। उनका उसूलपसंद होना
दफ्तर एवम घर के लोगों के लिए सरदर्द बन गया था। यशोधर संस्कारों से जुड़ना चाहते
हैं और संयुक्त परिवार की संवेदनाओं को अनुभव करते हैं जबकि उनके बच्चे अपने आप
में जीना चाहते हैं।
अतः मेरे मत से
पुरानी-पीढ़ी को कुछ आधुनिक होना पड़ेगा और नई-पीढ़ी को परंपराओं और मान्यताओं का
ख्याल रखना होगा, तभी सामंजस्य
संभव है।
32. निम्नलिखित में
से किसे आप कहानी की मूल संवेदना कहेंगे / कहेंगी और क्यों?
(क) हाशिए पर धकेले जाते मानवीय मूल्य
(ख) पीढ़ी का अंतराल
(ग) पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव
उत्तर:- (ख) पीढ़ी का
अंतराल
आधुनिकता के दौर में, यशोधर
बाबूपरंपरागत मूल्यों को हर हाल में जीवित रखना चाहते हैं। उनका उसूलपसंद होना
दफ्तर एवम घर के लोगों के लिए सरदर्द बन गया था। यशोधर संस्कारों से जुड़ना चाहते
हैं और संयुक्त परिवार की संवेदनाओं को अनुभव करते हैं जबकि उनके बच्चे अपने आप
में जीना चाहते हैं।
सांस्कृतिक संरक्षण के
लिए स्वस्थ परंपराओं की सुरक्षा आवश्यक है, किंतु बदलते समय और परिवेश से सामंजस्य की भी
उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।
अतः मेरे मत से
पुरानी-पीढ़ी को कुछ आधुनिक होना पड़ेगा और नई-पीढ़ी को परंपराओं और मान्यताओं का
ख्याल रखना होगा, तभी सामंजस्य
संभव है।
33. अपने घर और
विद्यालय के आस-पास हो रहे उन बदलावों के बारे में लिखें जो सुविधाजनक और आधुनिक
होते हुए भी बुज़ुर्गों को अच्छे नहीं लगते। अच्छा न लगने के क्या कारण होंगे?
उत्तर:- हमारे घर व
विद्यालय के आसपास निम्नलिखित बदलाव हो रहें हैं जिन्हें बुज़ुर्ग पसंद नहीं करते –
• घर से विद्यालय जाने के लिए साईकिलें एवं मोटर
का इस्तेमाल।
• लड़कियाँ-लड़कों का एक साथ पढ़ना और मिलना-जुलना।
• युवा लड़कों और लड़कियों द्वारा अंग प्रदर्शन
करना।
• देर रात तक पार्टियाँ करना।
• दिनभर कम्प्यूटर, इन्टरनेट एवं मोबाइल का
इस्तेमाल।
बुज़ुर्गों को यह सब अच्छा
नहीं लगता क्योंकि जब वे युवा थे, उस समय संचार के साधनों की कमी थी। पारिवारिक पृष्ठभूमि के
कारण वे युवावस्था में अपनी भावनाओं को काबू में रखते थे और अधिक जिम्मेदार होते
थे। आधुनिक परिवेश के युवा बड़े-बूढ़ों के साथ बहुत कम समय व्यतीत करते हैं इसलिए
सोच एवं दृष्टिकोण में अधिक अन्तर आ गया है। युवा पीढ़ी की यही नई सोच बुजुर्गों को
अच्छी नहीं लगती।
34. यशोधर बाबू के
बारे में आपकी क्या धारणा बनती है? दिए गए तीन कथनों में से आप जिसके समर्थन में
हैं, अपने अनुभवों और
सोच के आधार पर उसके लिए तर्क दीजिए –
(क) यशोधर बाबू के विचार पूरी तरह से पुराने हैं
और वे सहानुभूति के पात्र नहीं हैं।
(ख) यशोधर बाबू में एक तरह का द्वंद्व है जिसके
कारण नया उन्हें कभी-कभी खींचता तो है पर पुराना छोड़ता नहीं। इसलिए उन्हें
सहानुभूति के साथ देखने की ज़रूरत है।
(ग) यशोधर बाबू एक आदर्श व्यक्तित्व है और नयी
पीढ़ी द्वारा उनके विचारों का अपनाना ही उचित है।
उत्तर:- यशोधर बाबू में
एक तरह का द्वंद्व है जिसके कारण नया उन्हें कभी-कभी खींचता तो है पर पुराना
छोड़ता नहीं। इसलिए उन्हें सहानुभूति के साथ देखने की ज़रूरत है।
यशोधर बाबू जैसे लोग
साधारणतया किसी न किसी से प्रभावित होते हैं, जैसे यशोधर बाबू किशन दा से। ये परंपरागत ढर्रे
पर चलना पसन्द करते हैं तथा बदलाव पसन्द नहीं करते। अतः समय के साथ ढ़लने में असफल
होते हैं।
मेरे दादाजी भी पुराने
विचारों से प्रभावित हैं उन्हें भी नई चीज अपनाने में तकलीफ़ होती है। इस कारण वे
हमसे दुखी रहते है और हमें भी दुःख होता है।
प्रश्नोत्तर -
प्रश्न १. अपने घर और
विद्यालय के आस-पास हो रहे उन
बदलावों के बारे में लिखें जो सुविधाजनक और आधुनिक होते हुए भी बुजुर्गों को अच्छे
नहीं लगते। अच्छा न लगने के क्या कारण हो सकते हैं ?
उत्तरः आधुनिक युग
परिवर्तनशील एवं अधिक सुविधाजनक है। आज के युवा,आधुनिकता और
परिवर्तनशीलता को महत्त्व देते हैं इसीलिए वे नई तकनीक और फैशन की ओर
आकर्षित होते हैं। वे तत्काल नयी जानकारियाँ चाहते हैं, जिसके लिए उनके पास
कम्प्यूटर, इन्टरनेट एवं मोबाइल जैसे
आधुनिक तकनीकी साधन हैं। इनके माध्यम से वे कम समय में ज्यादा जानकारी एकत्र कर लेते हैं। घर से विद्यालय
जाने के लिए अब उनके पास बढ़िया साईकिलें
एवं मोटर साईकिलें हैं। आज युवा लड़के और लड़कियों के बीच का अन्तराल काफी कम
हो गया है। पुराने जमाने में लड़कियाँ-लड़कों के साथ पढ़ना
और मिलना-जुलना ठीक नहीं माना जाता था जैसे आज के परिवेश
में है। युवा लड़कों और लड़कियों द्वारा अंग प्रदर्शन आज आम बात हो गई
है। वे एक साथ देर रात तक पार्टियाँ करते हैं। इन्टरनेट के माध्यम से असभ्य जानकारियाँ प्राप्त करते हैं। ये सारी
बातें उन्हें आधुनिक एवं सुविधाजनक लगती हैं।
दूसरी ओर इस तरह की आधुनिकताबुज़र्गों को रास
नहीं आतीक्योंकि जब वे युवा थे,उस समय संचार के साधनों की कमी थी। पारिवारिक
पृष्ठभूमि के कारण वे युवावस्थामें अपनी भावनाओं को
काबू में रखते थे और अधिक जिम्मेदार होते थे।
अपने से बड़ों का आदर करते थे और परंपराओं के अनुसार चलते थे। आधुनिक परिवेश
के युवा बड़े-बूढ़ों के साथ बहुत कम समय व्यतीत
करते हैं इसलिए सोच एवं दृष्टिकोण में अधिक अन्तर आ गया है। इसी अन्तर को ‘पीढ़ी का अन्तर’ कहते हैं। युवा
पीढ़ी की यही नई सोच बुजुर्गों को अच्छी नहीं लगती।
२. यशोधर बाबू की
पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है,लेकिन यशोधर बाबू
असफल रहते हैं,ऐसा क्यों ?
उत्तरः यशोधर बाबू अपने आदर्श किशनदा से अधिक प्रभावित
हैं और आधुनिक परिवेश में बदलते हुए जीवन-मूल्यों और
संस्कारों के विरूद्ध हैं। जबकि उनकी पत्नीअपने बच्चों के साथ खड़ी दिखाई देती हैं।
वह अपने बच्चों के आधुनिक दृष्टिकोण से प्रभावित हैं। इसलिए यशोधर
बाबू की पत्नी समय के साथ परिवर्तित होती है, लेकिन यशोधर बाबू
अभी भी किशनदा के संस्कारों और परंपराओं से चिपके हुए हैं।
3.“सिल्वर वैडिंगके कथानायक यशोधर
बाबू एक आदर्श व्यक्ति हैं और नई पीढ़ी द्वारा उनके विचारों को अपनाना ही उचित है|”इस कथन के पक्ष-विपक्ष में तर्क
दीजिए।
उत्तरः-
पक्षः नयी पीढ़ी के युवा उनकी सादगी और
व्यक्तित्व के कुछेक प्रेरक पहलुओं को लेकर
सफल व संस्कारी नागरिक बन सकते हैं अन्यथा वे अपनी पहचान खो बैठेंगे।
विपक्षःपुरानी
रूढ़ियों को छोड़कर ही नए समाज व नई पीढ़ी के साथ सामंजस्य बिठाया
जा सकता हैअन्यथा विलगाव सुनिश्चित है।
4 . पाठ में ‘जो हुआ होगा’और ‘समहाऊ
इंप्रॉपर’ वाक्य की कितनी अर्थ छवियाँ आप खोज सकते हैं?
उत्तरः यशोधर बाबू यही विचार करते हैं कि जिनके
बाल-बच्चे ही नहीं होते,वे व्यक्ति अकेलेपन
के कारण स्वस्थ दिखने के बाद भी बीमार-से हो
जाते हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है| जिसप्रकार यशोधर
बाबू अपने आपको परिवार से कटा और अकेला पाते हैं उसीप्रकार अकेलेपन से ग्रस्त
होकर उनकी मृत्यु हुई होगी। यह भी कारण हो सकता है कि उनकी बिरादरी से घोर
उपेक्षा मिली, इस कारण वे सूख-सूख कर मर गए | किशनदा की मृत्यु के सही कारणों का पता नहीं चल
सका। बस यशोधर बाबू यही सोचते रह गए कि किशनदा की मृत्यु कैसे हुई?जिसका उत्तर किसी
के पास नहीं था।
5 .वर्तमान समय में
परिवार की संरचना,स्वरूप से जुड़े आपके अनुभव इस कहानी से कहाँ तक
सामंजस्य बिठा पाते हैं ?
उत्तरः यशोधर बाबू और
उनके बच्चों की सोच में पीढ़ीजन्य अंतराल आ गया है। यशोधर संस्कारों से
जुड़ना चाहते हैं और संयुक्त परिवार की संवेदनाओं को अनुभव करते हैं जबकि उनके
बच्चे अपने आप में जीना चाहते हैं। अतः जरूरत इस बात की है कि यशोधर बाबू
को अपने बच्चों की सकारात्मक नई सोच का स्वागत करना चाहिए,परन्तु यह भी
अनिवार्य है कि आधुनिक पीढ़ी के युवा भी
वर्तमान बेतुके संस्कार और जीवन मूल्यों के प्रति आकर्षित न हों तथा पुरानी
पीढी़ की अच्छाइयों को ग्रहण करें। यह शुरूआत दोनों तरफ से होनी चाहिए ताकि एक नए
एवं संस्कारी समाज की स्थापना की जा सके।
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