आज पूछे गए प्रश्न-
(क) जगजीवन का भार लिए फिरने से कवि का क्या
आशय हैं? ऐसे में भी वह क्या कर लेता है?
(ख) ‘स्नेह-सुरा’
से कवि का क्या आशय हैं?
(ग) आशय स्पष्ट कीजिए जग पूछ रहा उनको, जो
जग की गाते।
(घ) ‘साँसों के तार’
से कवि का क्या तात्पर्य हैं? आपके
विचार से उन्हें किसने झंकृत किया होगा?
उत्तर –
(क) ‘जगजीवन का भार
लिए फिरने’ से कवि का आशय है-सांसारिक रिश्ते-नातों और
दायित्वों को निभाने की ज़िम्मेदारी है । वह एक अनासक्त दीवाना है,जिसके कारण लोगों के बोझ रूपी दुखों को वह ले लेता है और उनके जीवन में खुशियाँ लाने का प्रयास करता है। इन विपरीत परिस्थितियों में भी उसका जीवन प्रेम से भरा-पूरा है और वह सबसे प्रेम करना
चाहता है।
(ख) ‘स्नेह-सुरा’
से आशय है-प्रेम की मादकता और उसका पागलपन, जिसे कवि
हर क्षण महसूस करता है और उसका मन झंकृत होता रहता है।
(ग) ‘जग पूछ रहा उनको,
जो जग की गाते’ का आशय है-यह संसार उन लोगों की स्तुति
करता है जो संसार के अनुसार चलते हैं और उसका गुणगान करते है।
(घ) ‘साँसों के तार’
से कवि का तात्पर्य है-उसके जीवन में भरा प्रेम रूपी तार, जिनके
कारण उसका जीवन चल रहा है। मेरे विचार से उन्हें कवि की प्रेयसी ने झंकृत किया
होगा।
Yes ma'am
ReplyDeleteआप अपने doubts भी यहाँ पूछ सकते हैं।
ReplyDeleteजी बेटा
Delete'झंकृत' mam iska matlab kya h?
ReplyDeleteझंकृत शब्द का अर्थ है वह ध्वनि जो तारों को छूने से निकलती है
Delete